मानव संसाधन प्रबंधन / Human Resource Management

प्रभावी मानव संसाधन प्रबन्ध | प्रभावी मानव संसाधन प्रबन्ध की विशेषताएं | मानव संसाधन प्रबन्ध | सेविवर्गीय प्रबन्ध | मानव संसाधन का आशय | मानव संसाधन का आर्थिक विकास में महत्व | मानव संसाधन प्रबन्ध की सीमाएँ

प्रभावी मानव संसाधन प्रबन्ध | प्रभावी मानव संसाधन प्रबन्ध की विशेषताएं | मानव संसाधन प्रबन्ध | सेविवर्गीय प्रबन्ध | मानव संसाधन का आशय | मानव संसाधन का आर्थिक विकास में महत्व | मानव संसाधन प्रबन्ध की सीमाएँ | Effective Human Resource Management in Hindi | Features of Effective Human Resource Management in Hindi | Human Resource Management in Hindi | Departmental Management in Hindi | Meaning of human resource in Hindi | Importance of human resource in economic development in Hindi | Limitations of Human Resource Management in Hindi

प्रभावी मानव संसाधन प्रबन्ध

(Effective Human Resource Management)

प्रभावी मानव संसाधन प्रबन्ध से आशय ऐसे प्रबन्ध से लगाया जाता है जो सैद्धान्तिक सिद्धान्तों पर नहीं बल्कि व्यावहारिक सिद्धान्तों पर आधारित होता है। प्रभावी मानव संसाधन को विभिन्न विद्वानों ने निम्न प्रकार परिभाषित किया है।

प्रो. स्कॉट के अनुसार, “प्रभावी मानव संसाधन प्रबन्ध, मानव संसाधन प्रबन्ध की एक शाखा है जो भौतिक संसाधनों के विपरीत मानव संसाधनों के लिए प्रभावशाली वस्तु को प्राप्त करती है।

E.H.R.M. की विशेषताएं

(Characteristics of EHRM)

(1) EHRM- रोजगार नियोजन पर प्रकाश डालता है।

(2) EHRM- प्रभावी तरीके से उपलब्ध मानवीय संसाधन को अनुकूलतम सम्भव तरीके से प्रयोग करने को कहता है जिससे अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकें।

(3) EHRM- कर्मचारियों की निष्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिये आवश्यक दिशा- निर्देश प्रदान करता है।

(4) EHRM- प्रबन्ध की एक विशेष शाखा है और इस प्रकार सामान्य प्रबन्ध के सभी सिद्धान्तों का HRM में लागू करता है।

(5) EHRM- मूल रूप से HRM पर आधारित है।

मानव संसाधन प्रबन्ध/सेविवर्गीय प्रबन्ध

भारतीय सेविवर्गीय प्रबन्ध संस्थान, कोलकाता के अनुसार, “सेविवर्गीय प्रबन्ध, प्रबन्ध क्रिया का वह भाग है जो संगठन के मानवीय सम्बन्धों से मुख्यतः सम्बन्धित है। इसका उद्देश्य उन मानवीय सम्बन्धों का पालन करना है जिससे कि उपक्रम में कार्यरत व्यक्ति इस योग्य बन सकें कि वह उपक्रम के प्रभावपूर्ण कार्य संचालन में अपना अधिकतम योगदान प्रदान कर सकें।”

पिगर्स एवं मेयर्स के अनुसार, “सेविवर्गीय प्रशासन कर्मचारियों की अन्तःशक्ति को विकसित करने का एक साधन है, ताकि कर्मचारी अपने कार्य से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त कर सकें और संगठन को अपने श्रेष्ठ प्रयास उपलब्ध करा सकें।”

प्रो. मैक्फारलैण्ड के अनुसार, “इसके अन्तर्गत कम्पनी कर्मचारीवृन्द जिसमें अधिशासी तथा सामान्य श्रमिक सम्मिलित हैं- के प्रबन्धन तथा प्रयोग की समस्त क्रियायें स्पष्ट रूप से उल्लखित हैं”।

अमेरिकी सेविवर्गीय प्रशासन संस्थान के अनुसार, “सेविवर्गीय प्रशासन सक्षम कार्य दल को प्राप्त करने, विकसित करने एवं बनाये रखने की वह कला है जिससे संगठन के उद्देश्यों‌ एवं कार्यों को मानव शक्ति के अधिकतम सदुपयोग द्वारा मितव्ययी ढंग से पूरा किया जाता है”।

सी. एच. नॉर्थकोट के अनुसार, “सेविवर्गीय प्रबन्ध, सामान्य प्रबन्ध का एक विस्तार है जो एक व्यवसाय के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु प्रत्येक कर्मचारी को अपने पूर्ण योगदान प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित एवं अभिप्रेरित करता है।”

श्री मोरिस डब्ल्यू. कमिंग के अनुसार, “सेविवर्गीय प्रबन्ध का सम्बन्ध किसी संगठन  के लिए सर्वोत्तम कर्मचारीवृन्द की व्यवस्था करने, उन्हें प्राप्त करने के उपरान्त उनकी इस प्रकार से साल-सम्भाल करना कि वे संगठन में ही बने रहें और अपने कार्यों को लगन से सम्पादित करें।”

हॉवर्ड एमए डर्क्स, “सेविवर्गीय प्रशासन निश्चित रूप से गतिशील कार्य से सम्बन्धित वह आधुनिक विचार है जो व्यवसाय के उद्देश्यों की अधिकतम प्राप्ति के लिए व्यवसाय के मानव शक्ति संसाधन के विकास एवं उपयोग से सम्बन्ध रखता है।”

डेल योडर के अनुसार, “सेविवर्गीय प्रबन्ध, प्रबन्ध का वह भाग है जो मानवीय शक्ति के प्रभावपूर्ण नियन्त्रण एवं उपयोग से सम्बन्धित है जिसे कि अन्य शक्ति-साधनों से अलग माना गया है। इस दिशा में प्रयुक्त विधियाँ, उपकरण तथा तकनीकी कार्मिक प्रबन्ध की विषय सामग्री है जिसके माध्यम से श्रमिक उत्पादन में उत्साह के साथ सहयोग करता है।”

ई. एफ. एल. ब्रीच के अनुसार, “सेविवर्गीय प्रबन्ध प्रबन्धकीय प्रगति का वह भाग है, जो मुख्यतः किसी संगठन के मानवीय तत्वों से सम्बन्ध रखती है।”

मानव संसाधन का आशय

(Meaning of Human Resource)

व्यापारिक संगठन की सफलता में मानव संसाधन अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें कर्मचारी के ज्ञान, कौशल, अनुभव, स्वास्थ आदि सहित सभी गुण शामिल होते हैं जो व्यवसाय के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु कर्मचारी में होना वाँछित होता है। इस प्रकार मानव संसाधन में व्यावसायिक एवं औद्योगिक उपक्रम के मानवीय घटक की उत्पादक क्षमता का मूल्य शामिल होता है।

व्यावसायिक उपक्रम के सभी प्रमुख संसाधनों जैसे- व्यक्ति, सामग्री, धन एवं मशीन में से मानवीय संसाधन को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि मानवीय घटक की गुणवत्ता एवं क्षमता की अन्ततः उपक्रम की सफलता को निर्धारित करती है।

मानव संसाधन द्वारा व्यवसाय तथा औद्योगिक क्षेत्र में जीवनदायी भूमिका निभायी जाती है। चूँकि समय बीतने के साथ-साथ अन्य सभी संसाधनों में घिसावट या ह्रास हो जाता है परन्तु मानव संसाधन के मूल्य में वृद्धि होती है क्योंकि इससे अधिक ज्ञान व अनुभव की प्राप्ति हो जाती है। इस प्रकार समय व्ययीत होने तथा प्रयोग होने पर मानव संसाधन की कार्यक्षमता और अधिक बढ़ जाती है। यह एक निहित गतिकता (dynamism) को व्यक्त करता है।

संगठन की सफलता में मानव संसाधन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। व्यवसाय एवं औद्योगिक क्षेत्र की सफलता इसमें मानव संसाधन द्वारा सृजित की गयी सहक्रिया पर निर्भर करती है। विविध कृतियों को समुचित सहयोग एवं एकीकरण वृद्धि को सुनिश्चित कर सकती है मानव संसाधन का पूर्ण सहयोग प्राप्त करने के लिए समुचित कार्य संस्कृति, पर्यावरण एवं प्रकृति को उपलब्ध होना चाहिए।

मानव संसाधन का आर्थिक विकास में महत्व

(Importance of Human Resource in Economic Development)

किसी भी देश के आर्थिक विकास में प्राकृतिक संसाधनों का उतना ही महत्व है जितना की मानव संसाधनों अर्थात जनसंख्या का, लेकिन प्राकृतिक संसाधन वह निर्जीव आधार है जिस पर मानव संसाधनों के द्वारा अपनी कार्यकुशलता व योग्यता का जौहर दिखाया जाता है। इसलिये मानव संसाधन एवं प्राकृतिक संसाधन एक ही गाड़ी के दो पहियों के समान हैं जिनका किसी देश के आर्थिक विकास के लिये होना अनिवार्य है। वर्तमान प्रगतिशील युग में कुछ विद्वान मानव संसाधन को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं और उनका कहना है कि आर्थिक विकास के लिये मानव संसाधन प्राकृतिक संसाधनों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। इस सम्बन्ध में कुछ विद्वानों के विचार निम्नलिखित हैं-

(1) प्रो. एडम स्थिम के मत में, “प्रत्येक राष्ट्र में मानवीय श्रम वह कोष है जो जीवन की समस्त आवश्यकताओं एवं सुविधाओं की पूर्ति करता है।” (इसका अर्थ यह है कि किसी देश की आवश्यकताओं व सुविधाओं को मानवीय श्रम से ही पूरा किया जा सकता है।)

(2) प्रो. रिचार्ड टी. गिल की राय में, “आर्थिक विकास एक यन्त्रीकरण प्रक्रिया नहीं है। यह एक मानवीय उद्यम है तथा अन्य मानवीय उद्यम की तरह इसका परिणाम उन व्यक्तियों की योग्यता, गुण एवं दृष्टिकोण पर निर्भर करता है जो इसे अपने हाथों में लेते हैं। (प्रो. गिल के अनुसार, एक देश का आर्थिक विकास उस देश के व्यक्तियों की योग्यता, गुण एवं दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।)

मानव संसाधन प्रबन्ध की सीमाएँ

Limitations of Human Resource Management

मानव संसाधन प्रबन्ध की सीमायें निम्नलिखित हैं-

  1. कम योगदान (Less Contribution)- व्यासायिक संगठन मानव संसाधन द्वारा संगठन के विकास में बहुत कम योगदान दिया जाता है। मानव संसाधन द्वारा अपनी कुल क्षमता का बहुत कम योगदान किया जाता है। संयुक्त राज्य में एक औसत श्रमिक अपनी कुल क्षमता का लगभग 1/4 योगदान करता है। परन्तु यह योगदान हमारे देश में और भी कम है।

एक कर्मचारी कुछ ज्ञान, कौशल, प्रतिभा आदि का लगभग 1/5 भाग व्यर्थ पड़ा रहता है तथा इसका उपयोग नहीं हो पाता। इस प्रकार मानव संसाधन प्रबन्ध मानव संसाधन की क्षमता का उपयोग कर पाने में असफल रहता है।

विकास प्रक्रिया द्वारा मानव संसाधन के योगदान को बढ़ाया जाना चाहिए।

  1. मानव संसाधन तथा कार्मिक प्रबन्ध के बीच तनाव (Tension between Human Resource and Personnel Management) – मानव संसाधन प्रबन्ध में प्रचालनात्मक एवं विकास कार्य बहुत बड़ी सीमा तक अन्तमनिर्भर होते हैं। मानव संसाधन विकास कार्य को दी गयी पृथक पहचान मानव संसाधन विकास एवं कार्मिक प्रबन्ध के बीच मतभेद एवं तनाव उत्पन्न करती है।

मानव संसाधन और मानव संसाधन विकास कार्यों को मानव संसाधन प्रबन्ध के एकल व्यापक कार्य के एकीकृत कार्य के रूप में प्रबन्धित किया जाना चाहिए।

मानव संसाधन प्रबंधन  महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!