शिक्षाशास्त्र / Education

राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् का संगठन | राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् के पदाधिकारी | राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् के कार्य

राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् का संगठन | राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् के पदाधिकारी | राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् के कार्य

राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् का संगठन

(Organization of National Teacher Council)

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) में यह कहा गया कि राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् को सर्वसम्पन्न बनाया जायेगा जिससे यह पाठ्यचर्या व पद्धतियों, मान्यता तथा संबद्धता के गुणात्मक दायित्व का निर्वाह कर सके। अत: 1993 में नेशनल कौसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन एक्ट बना इस कानून के अनुसार समस्त शिक्षक शिक्षा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् के अधीन हो गयी।

कोठारी आयोग की दष्टि में अध्यापक शिक्षा के वर्तमान कार्यक्रम अधिकतर रुढ़िवादी, कठोर एवं स्कूल की वास्तविकताओं से अलग है। सम्पूर्ण देश में शिक्षक-शिक्षा के स्तर को सुधारने तथा उसमे तालमेल उत्पन्न करने के लिए सुझाव दिया है कि शिक्षक शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय परिषद् बनायी जाये। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षक परिषद् की स्थापना संसद के एक अधिनियम द्वारा अगस्त सन् 1995 में हुई थी। एन०सी०टी०ई० अधिनियम में देश में अध्यापक शिक्षा प्रणाली के नियोजित एवं समन्वित विकास, नियमन तथा अध्यापक शिक्षा के मानकों एवं मानदण्डों का सन्तुलन बनाए रखने का लक्ष्य प्राप्त करने का प्रावधान है। एन०सी०टी०ई० को केन्द्र  सरकार से पूर्णरूपेण सहायता मिलती है। इसका एक कार्यालय जयपुर में स्थित है।

(1) अध्यापक शिक्षा- इससे अभिप्राय ऐसे व्यक्तियों के प्रशिक्षण या अनुसंधान से है जो पूर्व प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों को पढ़ाना चाहते हैं। इसमें निरौपचारिक, अंशकालीन, प्रौढ़ शिक्षा तथा पत्राचार शिक्षा भी शामिल है।

(2) शिक्षक शिक्षा की योग्यता- योग्यता से अभिप्राय डिग्री, डिप्लोमा या प्रमाणपत्र से है, जो किसी विश्वविद्यालय या एक्ट के अधीन किसी परीक्षण संस्थान से दिया जाता हो।

राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् के पदाधिकारी

(Official of National Teacher Council)

परिषद् के पदाधिकारी इस प्रकार हैं-

(1) अध्यक्ष- पूर्णकालिक

(2) उपाध्यक्ष- पूर्णकालिक

(3) सदस्य सचिव–पूर्णकालिक

(4) सदस्य-

(i) भारत सरकार का शिक्षा सचिव

(ii) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का अध्यक्ष, पदेन

(iii) निदेशक-एन० सी० ई० आर० टी०, पदेन

(iv) निदेशक- नीपा, पदेन

(v) परामर्शदाता- प्लानिंग कमीशन, पदेन

(vi) चेयरमैन- सी० बी० एस० ई०, पदेन

(vii) वित्त सलाहकार- पदेन

(viii) सदस्य सचिव- ए० आई० सी०टी० ई०

(ix) क्षेत्रीय कार्यालयी अध्यक्ष

(x) 13 सदस्य (सरकार द्वारा, संकायाध्यक्ष, प्रोफेसर, माध्यमिक शिक्षक शिक्षा विशेषज्ञ, प्राथमिक तथा पूर्व प्राथमिक शिक्षक शिक्षा विशेषज्ञ, प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, भाषाशास्त्र, व्यावसायिक शिक्षा, तकनीकी विशेष शिक्षा के छात्रों में क्रमवार सदस्य लिये जायेंगे) ।

(xi) राज्य सरकारों में प्रतिनिधित्व करने वाले नौ सदस्यों की क्रमवार नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जायेगी।

(xii) संसद के तीन सदस्य, जिनमें एक की नियुक्ति चेयरमैन कौंसिल ऑफ स्टेट्स तथा दो की नियुक्ति लोकसभा के सभापति द्वारा होगी।

(xiii) तीन सदस्यों की नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षा एवं प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों में से होगी।

कार्यकाल

अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सदस्य सचिव चार वर्ष के समय तक के लिये या 60 वर्ष परे करने तक पद पर रहेंगे। किसी भी दिशा में हुई पद रिक्तियाँ पदानुसार भरी जायेंगी।

परिषद का कार्य

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् शिक्षक के विकास, समन्वय तथा स्तर निर्धारण के लिये कार्य करेगी। परिषद् के कार्य इस प्रकार होंगे-

(1) शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में सर्वेक्षण तथा अध्ययन करना तथा परिणामों को प्रभावित करना।

(2) शिक्षक शिक्षा के लिये बनाई गई योजनाओं तथा कार्यक्रम के विषय में केन्द्र, राज्य सरकारों, विश्वविद्यालयों तथा मान्यता प्राप्त संस्थाओं को सूचित करना।

(3) देश में शिक्षक शिक्षा का समन्वय तथा नियमन करना।

(4) शिक्षक-प्रशिक्षकों, शिक्षकों की योग्यताओं को निर्धारित करना।

(5) मान्यता प्राप्त संस्थाओं के लिये निर्देशिका निर्धारित करना। नये पाठ्यक्रमों का प्रशिक्षण, भौतिक तथा शैक्षिक सुविधाओं तथा योजनाओं के लिये मार्ग-दर्शन देना।

(6) शिक्षक शिक्षा में परीक्षा के स्तर, योग्यता, प्रवेश परीक्षा आदि का निर्धारण करना।

(7) शिक्षण शुल्क तथा अन्य शुल्क का मान्यता प्राप्त संस्थाओं के लिये निर्धारण।

(8) शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में नवीकरण, अनुसंधान आदि को गति देना।

(9) मान्यता प्राप्त संस्थाओं का समय-समय पर निरीक्षण करना।

(10) मान्यता प्राप्त संस्थाओं के लिये निष्पत्ति-प्रणाली, मानक, कार्यशैली का विकास करना।

(11) शिक्षक विकास कार्य-प्रणाली में नयी-नयी संस्थाओं की स्थापना की योजनायें बनाना।

(12) शिक्षक शिक्षा के बाजारीकरण को रोकने के कारगर उपाय करना।

(13) केन्द्र सरकार द्वारा प्रदत्त ऐसे सभी कार्य करना जो शिक्षक शिक्षा के लिये उपयुक्त हों।

परिषद् अधिनियम में प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए संस्थाओं का निरीक्षण करेगी। निरीक्षण के लिये सभी प्रकार की वैधानिक प्रक्रियाओं को अपनायेगी जो शिक्षक-शिक्षा के लिये आवश्यक हैं।

मान्यता

क्षेत्रीय समितियों के माध्यम से, परिषद्, शिक्षक शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों को मान्यता देगी। एक्ट के लागू होने से पूर्व वाले संस्थान भी मान्यता के लिये प्रार्थना पत्र देंगे। मान्यता के लिये वाँछित आर्थिक साधन, परिसर, पुस्तकालय, स्टाफ, प्रयोगशाला आदि की सुविधाओं को ध्यान में रखा जायेगा।

नये पाठ्यक्रम

यदि कोई मान्यता प्राप्त संस्थान नये पाठ्यक्रम शिक्षक-शिक्षा हेतु चलाना चाहता है तो उसे भी वांछित प्रक्रिया द्वारा क्षेत्रीय समिति से मान्यता प्राप्त करनी होगी। मान्यता मिलने का प्रकाशन किया जायेगा।

परिषद् की कार्यकारिणी

परिषद् की कार्यकारिणी का गठन इस प्रकार होगा- (1) अध्यक्ष, (2) उपाध्यक्ष. (3) सदस्य सचिव, (4) शिक्षा सचिव, (5) सचिव, यू० जी० सी०, (6) निदेशक (एन० सी० ई० आर० टी०), (7) वित्त परामर्शदाता, भारत सरकार, (8) केन्द्र सरकार नामित चार सदस्य, (9) चार राज्य प्रतिनिधि, भारत सरकार द्वारा नामित, (10) चार विशेषज्ञ, (11) क्षेत्रीय समितियों के अध्यक्ष।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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