शिक्षाशास्त्र / Education

शिक्षा के अर्थशास्त्र का क्षेत्र | विकासशील अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में शिक्षा के अर्थशास्त्र की भूमिका

शिक्षा के अर्थशास्त्र का क्षेत्र | विकासशील अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में शिक्षा के अर्थशास्त्र की भूमिका

इस पोस्ट की PDF को नीचे दिये लिंक्स से download किया जा सकता है। 

(i) “शिक्षा के अर्थशास्त्र का क्षेत्र उतना ही व्यापक है जितना कि जीवन का।”

शिक्षा के अर्थशास्त्र के क्षेत्र की व्यापकता जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में है। अर्थात् सम्पूर्ण जीवन का प्रमुख आधार आर्थिक है। शिक्षा आर्थिक आधार को शक्ति प्रदान करती है। आधनिक वैज्ञानिक युग में शिक्षा के माध्यम से पूँजी का निवेश अधिक प्रतिफल देता है और इसलिए शिक्षा के अर्थशास्त्र का क्षेत्र व्यापक हो गया है जैसे:-

  1. आधुनिक सभ्यता की प्रगति एवं विकास केवल उच्च स्तरीय एक दीर्घ अवधि पर आधारित शिक्षा द्वारा सम्भव है।
  2. शिक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कारक है।
  3. देश को आर्थिक विकास एवं आधुनिकीकरण में शिक्षा का सक्रिय योगदान है।
  4. शैक्षिक अर्थशास्त्र देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाकर देश के नागरिकों का जीवन स्तर ऊपर उठता है।
  5. आर्थिक अर्थशास्त्र और शैक्षिक अर्थशास्त्र परस्पर निर्भरता के विचार पर आधारित है।
  6. पूंजी का शिक्षा में विनियोग देश की उत्पादन क्षमता को समृद्धता की ओर ले जाता है। जिससे शिक्षा के अर्थशास्त्र की व्यापकता सिद्ध होती है।
  7. शिक्षा सुविचारित ढंग से ऐसे संसाधनों के उपभोग का नियमन करती है जिनके उत्पादन की पुनरावृत्ति सम्भव नहीं होती।
  8. शिक्षा के अर्थशास्त्र में विज्ञान तथा तकनीकी द्वारा आर्थिक सम्पन्नता के तरीके ढूँढे जाते हैं।

(ii) “विकासशील अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में शिक्षा के अर्थशास्त्र की भूमिका।”

विकासशील अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में शिक्षा के अर्थशास्त्र की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है विभिन्न विकासशील देशों में साक्षरता स्तर और प्रतिव्यक्ति आय की परस्पर तुलना की जाती है। विशेष रूप से यह देखा जाता है कि कितनी साक्षरता प्रतिशत को हम ऊँची विकास दर प्राप्त करने में आवश्यक मान सकते हैं वयोंकि शैक्षिक क्रिया के समस्त सूचकांक और आर्थिक क्रिया के समस्त सूचकांक में सहसम्बन्ध स्थापित होता है।

सामान्यतः उन समूद्ध देशों में जहाँ- प्रति-व्यक्ति आय 500 डॉलर से अधिक है। साक्षरता प्रतिशत दर 90 प्रतिशत से भी अधिक है। जब उन गरीब देशों में जहाँ प्रति व्यक्ति आय 200 डॉलर से भी कम है, साक्षरता दर 30 प्रतिशत से भी कम है। अर्थात 40 प्रतिशत साक्षरता स्तर एक सीमा है जिसके नीचे कोई देश विकसित नहीं हो सका। कहने का तात्पर्य यह है कि विकासशील अन्तर्राष्टीरीय परिदृश्य में शिक्षा के अर्थशास्त्र के अध्ययन के अनुसंधान के आधार पर ही हमें वे निष्कर्ष उपलब्ध होते हैं जो विकास की दिशा व जीवन का स्तर तय करते हैं।

For Download – Click Here

यदि आपको शैक्षिक क्षेत्र में किसी पुस्तक या किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता है, तो कृपया हमें टिप्पणी बॉक्स में बताएं, हम जल्द ही उस समस्या को हल करने का प्रयास करेंगे और आपको बेहतर परिणाम देंगे। हम निश्चित रूप से आपकी मदद करेंगे।

शिक्षाशस्त्र –  महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!