अनुसंधान क्रियाविधि / Research Methodology

समंकों के वर्गीकरण से आशय व परिभाषा | एक आदर्श वर्गीकरण के लक्षण | वर्गीकरण का उद्देश्य एवं महत्व | वर्गीकरण की प्रमुख रीतियाँ | वर्गीकरण के प्रकार अथवा भेद

समंकों के वर्गीकरण से आशय व परिभाषा | एक आदर्श वर्गीकरण के लक्षण | वर्गीकरण का उद्देश्य एवं महत्व | वर्गीकरण की प्रमुख रीतियाँ | वर्गीकरण के प्रकार अथवा भेद | Meaning and definitions of classification of data in Hindi | Characteristics of an ideal classification in Hindi | Purpose and Importance of Classification in Hindi | Major Methods of Classification in Hindi | types of classification in Hindi

समंकों के वर्गीकरण से आशय व परिभाषा

(Meaning of Definition of Classification Data)

सांख्यिकीय सामग्री के संकलन के पश्चात् समंकों की विशेषताओं अथवा गुणों के आधार पर उनकय विभिन्न वर्गों में विभाजित किया जाता है। विभाजित करने की इस क्रिया को वर्गीकरण करते हैं।

समंकों के वर्गीकरण की कुछ विशेष विद्वानों द्वारा दी गयी परिभाषायें निम्नलिखित हैं–

(i) प्रो0 कॉनर के अनुसार (According to Prof. Conner)- “वर्गीकरण वह रीति है जिसके द्वारा तथ्यों को (यथार्थ रूप या कल्पित रूप से) उनकी समानता अथवा सदृश्यता के आधार पर वर्गों या विभागों में विभाजित किया जाता है और जो इकाई की विभिन्नता के मध्य गुणों की एकता को व्यक्त करती है।”

(ii) प्रो0 होरेस सेक्राइस्ट के अनुसार (According to Prof. Hores Secrist ) – “वर्गीकरण समंकों को, उनकी सामान्य विशेषताओं के आधार पर क्रम अथवा समूहों में क्रबद्ध व विभिन्न, परन्तु सम्बद्ध भागों में अलग-अलग करती है।”

एक आदर्श वर्गीकरण के लक्षण

(Features of a Best Classification)

(1) वर्गीकरण की रीति व्यपक एवं विशाल होनी चाहिए ताकि कोई पद छूटने न पाये।

(2) वर्गीकरण एक ही सिद्धान्त पर आधारित होना चाहिये।

(3) विभिन्न वर्गों एवं समूहों में पारस्परिक निर्भरता होनी चाहिये।

(4) वर्गीकरण लोचदार होना चाहिये।

(5) वर्गीकरण उद्देश्यों के अनुरूप होना चाहिए।

(6) प्रत्येक वर्ग की इकाइयों में सजातीयता का गुण मौजूद होना चाहिये।

(7) वर्गीकरण सन्देहरहित होना चाहिये।

(8) वर्गीकरण एक निश्चित आधार पर होना चाहिये।

(9) वर्गीकरण में स्थायित्व होना चाहिये।

(10) वर्गीकरण अत्यन्त स्पष्ट होना चाहिये।

वर्गीकरण का उद्देश्य एवं महत्व

(Aims and Importance of Classification)

संमकों के वर्गीकरण के प्रमुख उद्देश्य एवं महत्त्व निम्नलिखित हो सकते हैं-

(1) समानता अथवा विषमता स्पष्ट करना (To Clears Similarity or Dissimilarity)- समंकों के वर्गीकरण का एक प्रमुख उद्देश्य समंकों की समानता एवं असमानता को स्पष्ट करना होता है।

(2) सरल एवं सुविधाजनक बनाना (To make Simple and Convenient)- वर्गीकरण का उद्देश्य जटिल एवं अव्यवस्थित समंकों को सुव्यवस्थित करके सरल एवं सुविधाजनक बनाना है।

(3) संक्षिप्त रूप प्रदान करना (To Give a Short Form)- बिखरे हुये समंकों को वर्गीकरण की सहायता से समूह के रूप में बाँधकर उन्हें संक्षिप्त रूप प्रदान करना वर्गीकरण एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।

(4) तुलना योग्य बनाना (To Make Comparable)- बिखरे एवं अस्त-व्यस्त समंकों को वर्गीकरण की सहायता से भिन्न-भिन्न वर्गों में वर्गीकृत कर दिया जाता है, इससे वे तुलना योग्य बन जाते हैं। इस प्रकार वर्गीकरण का एक उद्देश्य समंकों को तुलना योग्य वनाना भी है।

(5) उपयोगी एवं आकर्षक (Useful and Attractive)- वर्गीकरण का एक उद्देश्य समंकों को उपयोगी बनाकर उन्हें आकर्षक रूप प्रदान करना है ताकि वे मानव के मस्तिष्क में आसानी से प्रवेश कर जायें तथा लम्बे समय तक स्मरण पटल पर जमकर बैठे रहें।

(6) तर्कपूर्ण व्यवस्था (Logic System) – वर्गीकरण एक तर्कपूर्ण व्यवस्था मानी जाती है जिसमें समकों को व्यवस्थित तरीके से रखा जाता है।

(7) सारणीयन के लिये आधार (Base for Tabulation)- वर्गीकरण के बिना सारणीयन सम्भव नहीं है, अतः वर्गीकरण का उद्देश्य सारणीयन के लिये आधार प्रस्तुत करना है।

(8) पारस्परिक सम्बन्ध स्पष्ट करना (To Clear the Mutual Relation)- वर्गीकरण का एक उद्देश्य किसी घटना के कारण एवं परिणाम में सम्बन्ध स्थापित करना भी है।

वर्गीकरण की प्रमुख रीतियाँ | वर्गीकरण के प्रकार अथवा भेद

वर्गीकरण की प्रमुख रीतियाँ (Important Methods of Classification)

या

वर्गीकरण के प्रकार अथवा भेद (Types of Kinds of Classification)

वर्गीकरण की रीतियायें का सांख्यिकीय तथ्यों से गहरा सम्बन्ध है। अतः वर्गीकरण की रीतियों का विवेचन करने से पूर्व सांख्यिकीय तथ्यों का विश्लेषण कर लेना आवश्यक है। सांख्यिकीय तथ्य दो प्रकार के होते हैं-संख्यात्मक तथा गुणात्मक। संख्यात्मक तथ्य वे होते हैं, जिनकी माप सम्भव होती है, जैसे आयु, भार, ऊंचाई आदि। इसके विपरीत, गुणात्मक तथ्य व होते हैं, जिनकी प्रत्यक्षमाप सम्भव नहीं है। गुणात्मक तथ्य के अनतर्गत बेरोजगारी, बीमारी, ईमानदारी, भ्रष्टाचार, मनोबल, नैतिकता आदि आते हैं। इन दो प्रकार के तथ्यों के आधार वर्गीकरण की निम्न रीतियाँ हैं-

(1) भौगोलिक वर्गीकरण (Geographical Classification)- जब की सामग्री का भौगोलिक आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, तो इसे भौगोलिक वर्गीकरण कहते हैं। उदाहरण के लिये जनसंख्या को देशों एवं राज्यों के अनुसार बाँटना।

(2) समयानुसार वर्गीकरण (Periodical Classification)- यदि तथ्यों को समयानुसार प्रस्तुत किया जाये तो समयानुसार वर्गीकरण कहते है। पंचवर्षीय योजनाओं की उपलब्धियों के समंकों का वर्गीकरण समयानुसार वर्गीकरण है।

(3) गुणात्मक वर्गीकरण (Periodical Classification)- जब तथ्यों को गुणों के आधार पर विभाजित किया जाये तो ऐसे विभाजन को गुणात्मक वर्गीकरण कहते हैं जाति, धर्म, साक्षरता आदि के आधार पर किया गया वर्गीकरण गुणात्मक वर्गीकरण कहलाता है। गुणात्मक वर्गीकरण निम्नलिखित दो प्रकार का हो सकता है- (i) द्वन्द्व-भाजन वर्गीकरण (Dichotomous), (ii) बहुगुणी वर्गीकरण (Manifold Classification) द्वन्द्व-भाजन वर्गीकरण में तथ्यों को एक ही गुण के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

(4) विशेष परिस्थिति के अनुसार वर्गीकरण (Classification According to Specific Circumstances)- इस प्रकार के वर्गीकरण के अन्तर्गत सामग्री का वर्गीकरण किसी विशेष परिस्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है। जैसे-जनसंख्या का जाति अथवा धर्म के आधार पर विभाजन।

(5) वर्गान्तर के अनुसार वर्गीकरण (Classification According to Class Intervals)- समंकों के वर्गीकरण की इस विधि के अन्तर्गत सबसे कम एवं सबसे ज्यादा मूल्य को ध्यान में रखते हुये अनेक वर्ग या वर्गान्तर बना लिये जाते हैं और प्रत्येक पद को उसके मूल्य के अनुसार अलग-अलग वर्गों में बाँट दिया जाता है। इस प्रकार के वर्गान्तर में प्रत्येक वर्ग की दो सीमायें होती हैं- एक निम्नतम तथा द्वितीय उच्चतम। इन दोनों सीमाओं के अन्तर को वर्ग विस्तार कहते हैं वर्गान्तर के आधार पर वर्गीकरण दो प्रकार से किया जा सकता है-

(i) अपवर्जी विधि- इस विधि के अन्तर्गत एक वर्ग की उच्च सीमा दूसरे वर्ग की निम्न सीमा बन जाती है, जैसे- 0 से 5, 5 से 10, 10 से 15, 15 से 20………..।

(ii) समावेशी विधि – इस विधि के अन्तर्गत एक वर्ग की उच्च सीमा अगले वर्ग की निम्न सीमा से एक अंक से कम होती है, जैसे – 0 से 4, 5 से 9, 10 से 14, 15 से 19…………..।

निष्कर्ष (Conclusion) :

सांख्यिकीय में तथ्यों के संकलन के पश्चात् सर्वाधिक प्रमुख चरण समंकों या तथ्यों का वर्गीकरण ही है। सभी प्रकार के अध्ययनों या अनुसंधानों में यह अति आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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