शिक्षाशास्त्र / Education

संचार का अर्थ | संचार  के प्रकार | मीडिया एवं शिक्षा के मध्य सम्बन्ध | जनसंचार के साधनों का महत्व

संचार का अर्थ | संचार  के प्रकार | मीडिया एवं शिक्षा के मध्य सम्बन्ध | जनसंचार के साधनों का महत्व

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यह सर्वविदित है कि समाज मनुष्य के रहन-सहन की सम्भावनाओं और मिल-जुल कर सामान्य रुचि के काम पर आधारित है जिसे सहयोग कह सकते हैं। लेकिन बिना संचार सहयोग सम्भव नहीं है। संचार के द्वारा मनुष्य ज्ञान, सूचना और अनुभव को आपस में बाटता है। एक-दूसरे के साथ साझेदारी करता है और इस प्रकार वह अपने संगी-साथी को समझता उनका विश्वास प्राप्त करता अथवा उन्हें नियंत्रित करता है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संचार का अर्थ हुआ भाव विचार या संदेश की ऐसी अभिव्यक्ति या ऐसा आदान-प्रदान जो भाव, विचार या संदेश को ग्रहण करने वाले के भीतर किसी प्रतिक्रिया को जन्म दे। संचार शब्द का अर्थ है चलना, इसकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा के चर धातु से हुई है जिसके आशय किसी बात को आगे बढ़ाने से या फैलाने से हैं। अंग्रेजी में इसे Communication कहते हैं। इसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के Communicare क्रिया से हुई है जिसका अर्थ To talk together, confer, discourse and consult, one with another, यह लीटिन शब्द Communitas से गहराई तक सम्बद्ध है जिसका अर्थ न केवल Community है बल्कि मनुष्य का एक दूसरे के साथ व्यवहार भाई-चारा, मैत्रीभाव, साझेदारी या सहभागिता और न्याय परायण भी है। संचार के स्थान पर कभी-कभी सम्प्रेषण शब्द भी प्रयोग किया जाता है। गूढ़ता से किया गया अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि Communication के लिए संचार शब्द ही उपयुक्त है क्योंकि सम्प्रेषण में भाव अथवा विचारों की के प्रेषण की एक तरफा प्रक्रिया का ही ज्ञान होता है जबकि संचार में दोनों ओर के सम्प्रेषण का।

इस प्रकार संचार का तात्पर्य अपने भाव, विचार या सदेश की उस अभिव्यक्ति आदान- प्रदान या सम्प्रेषण से है जो प्राप्तकर्ता में प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं। निःसन्देह संचार व्यक्ति के मध्य दो तरफा प्रक्रिया है। यह एक मूलभूत वेयक्तिक और सामाजिक आवश्यकता और सार्वभौम मानवाधिकार है। संचार के बिना जीवन अर्थहीन नीरस और उद्देश्यहीन लगता है। शिक्षा के संदर्भ में कहा जाये तो इसके अभाव में शिक्षा प्रक्रिया अपनी पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकती।

Table of Contents

जनसंचार के माध्यम-

आधुनिक काल में जनसंचार के माध्यम निम्नलिखित हैं-

  1. शब्द संचार माध्यम-समाचार, पत्रिकाएं, पुस्तकें आदि।
  2. श्रवण संचार माध्यम-रेडियो ऑडियो, कैसेट, सीडी, टेपरिकार्डर आदि।
  3. दृश्य श्रव्य संचार माध्यम-टेलीविजन, वीडियो कैसेट, फिल्म आदि।
  4. सांस्कृतिक संचार माध्यम-रामलीला, नाटक, स्वांग, कठपुतली, लोकभीत आदि।
  5. अन्य आधुनिक संचार माध्यम-उपग्रह, इंटरनेट, कम्प्यूटर आदि।

उपर्युक्त इन सभी माध्यमों की अपनी विशेषतायें हैं। इनका कुछ संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है।

शब्द संचार माध्यम की विशेषताएं-

  1. पत्र-पत्रिकार्य विचारक, वक्ता अथवा लेखक का विचार हैं। इनके माध्यम में किसी विचारक वक्ता, और लेखक के विचार पाठकों (छात्र- छात्राओं, अध्यापक आदि) तक पहुंचाये जा सकते हैं।
  2. इसके माध्यम से पाठकों को विषय की सम्पूर्ण और विस्तृत जानकारी होती है।
  3. इसका प्रयोग व्यक्ति अपनी सुविधानुसार जब चाहे और जहां चाहे कर सकता है।
  4. इसका प्रयोग एक के बाद दूसरा, दूसरे के बाद तीसरा अर्थात् कई लोग कर सकते हैं।
  5. ये शिक्षा के सभी उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।
  6. इनके माध्यम से पाठकों को देश-विदेश की जानकारी प्राप्त होती, है उनका
  7. दृष्टिकोण विकसित होता है। ये जीवन की वास्तविकता से परिचित होते हैं।

दृश्य-श्रव्य संचार माध्यम की विशेषतायें

  1. दृश्य-श्रव्य संचार के माध्यम से व्यक्ति देख और सुनकर शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
  2. देश-विदेश की नवीन तकनीक का ज्ञान उसे इसके माध्यम से तुरन्त हो जाता है।
  3. कम्प्यूटर, उपग्रह, इन्टरनेट के माध्यम से ज्ञान-विज्ञान की बाते तुरन्त पता चल जाती है।
  4. व्यक्ति इन सब के माध्यम से दूर होते हुए पास हो जाता है जो शिक्षा में सहायक हो सकता है।
  5. इससे प्राप्त ज्ञान त्वरित और व्यापक होता है।

जनसंचार के साधनों का महत्व

  1. जनसमूहों को नवीन सूचनायें देना- जनसंचार के साधन व्यक्तियों को नर्वीन सूचनायें देने के साथ उनका मनोरंजन भी करते हैं। इस कथन का समर्थन करते हुए एडवर्ड विल्गेन ने अपने विचार कुछ इस प्रकार से व्यक्त किये हैं। अधिकतर नवयुवक लोग वास्तव में अधिकतर अध्यापक की अवश्यमेव कुछ समय किसी प्रकार के समूह साधनों के साथ लगायेगे और कुछ चुनाव करने पर इन समूह साधनों में कुछ वस्तुएं ऐसी मिलती हैं जो समसामयिक, सजीव और मनोरंजनकारी होती है।

इस लक्ष्य के अन्तर्गत दो अन्य लक्ष्य हैं।

(i) सामाजिक सूचनाये देना- इनके साधन टी.वी., समाचार-पत्र, इंटरनेट, चलचित्र, रेडियो आदि हैं।

(ii) समाज को जागरुक बनाना- ये सामाजिक तथा मानवीय भावनाओं को जाग्रत करते हैं। जैसे-नाटक, चलचित्र, पुस्तकालय, संग्रहालय, समाज कल्याण समितिया आदि।

  1. मनोरंजन करना- इन साधनों के माध्यम से शिक्षा देने के अतिरिक्त मनोरजन भी होता है। जैसे रेडियो, टी.वी., कम्प्यूटर, इंटरनेट, चलचित्र आदि
  2. व्यावसायिक शिक्षा देना- इन साधनों के माध्यम से व्यावसायिक शिक्षा भी दी जा सकती है। जैसे रेडियो, टी.वी. में किसानों के लिए कार्यक्रम आते हैं।

जनसंचार के उन्हीं साधनों की उपयोगिता मानते हैं जिनमें निम्न गुण हो :

(i) भाषा सम्बन्धी रुकावट न हो।

(ii) लोग सरलता से नया ज्ञान प्राप्त कर सकें।

(iii) संदेश जन साधारण तक पहुंच सके।

(iv) लोगों को बास्तव में शिक्षित करें।

(v) कम आय में अधिक लोगों को ज्ञान दिया जा सके।

जनसंचार के साधन एक पूरे समूह को शिक्षित करने में सहायता करते हैं। ये साधन एक ही समय में बहुत से व्यक्तियों को शिक्षित करने में सफल होते हैं। अनेक लोग इन साधनों की सहायता से ज्ञान और सूचनाएं एकत्र करते हैं। ब्लान्ड्स इनसाइक्लोपीडियो आफ एजूकेशन में लिखा है कि, “जनसंचार के साधनों में सामान्य तौर पर समाचार पत्रों, टी. वी. रेडियो, उच्चस्तरीय संगीत, चलचित्रों, विज्ञापनों, प्रहसनों, पत्रिकाओं और कागजों जिल्दवाली पुस्तकों के अर्थ में लिख जाते हैं जो समूह के बाजार का लक्ष्य रखते हैं।”

अन्त में यह कहा जा सकता है कि सूचना और संचार का तात्पर्य एक ऐसी कला व प्रक्रिया से है जिसके द्वारा दो या अधिक लोग अंपने विचारों, तथ्यों, भावनाओं, प्रभावों आदि को इस प्रकार विनयमित करते हैं कि सूचना प्राप्त करने वाला व्यक्ति संदेश के अर्थ, उद्देश्य तथा उपयोग को भली-भांति समझं लेता है।

जनसचार के साधन ज्ञानात्मक एवं सूचना प्रदानकारी होते हैं। किस प्रकार की और कितनी मात्रा में शिक्षा मिलती है यह विशेष तौर से लोगों के पूर्व ज्ञान, अनुभव और आवश्यकता पर निर्भर करता है जो व्यक्ति जिस कार्य या विचार से किसी साधन का प्रयोग करता है वैसे ही उस शिक्षा प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए कुछ लोग टी.वी. मनोरंजन के लिए देखते हैं। कुछ लोग राजनीतिक सूचनाओं और अन्य जानकारी के लिए। इस प्रकार स्पष्ट है कि सूचना के समूह साधन शिक्षा के अनौपचारिक साधनों के रूप में शिक्षा के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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