शिक्षाशास्त्र / Education

शैक्षिक दूरदर्शन | दूरदर्शन के शैक्षिक उपयोग | शैक्षिक दूरदर्शन कार्यक्रम की आधारभूत प्रक्रिया | दूरदर्शन के गुण-दोष

शैक्षिक दूरदर्शन | दूरदर्शन के शैक्षिक उपयोग | शैक्षिक दूरदर्शन कार्यक्रम की आधारभूत प्रक्रिया | दूरदर्शन के गुण-दोष | Educational Doordarshan in Hindi | Educational Uses of Doordarshan in Hindi | Basic process of educational television program in Hindi | Advantages and disadvantages of doordarshan in Hindi

दूरदर्शन (Television)

शिक्षा तकनीकी में दूरदर्शन का महत्वपूर्ण स्थान है। टेलीविजन का शाब्दिक अर्थ है दूर दर्शन अर्थात् दूर से दर्शन करना। दूर दर्शन ने शिक्षा को आकर्षक एवं दृढ़ आधार प्रदान किया है। शिक्षण संस्थाओं की बढ़ती जनसंख्या, बढ़ते छात्रों की संख्या योग्य एवं प्रशिक्षित शिक्षकों  की घटती संख्या तथा निरन्तर बढ़ते व्यय ने शिक्षाविदों को दूरदर्शन का प्रयोग शिक्षा जगत् में करने के लिए बाध्य कर दिया है। इसका प्रयोग शिक्षा के शिक्षण माध्यम के रूप में ही नहीं वरन् अध्यापक को अवसरानुकूल अध्यापन कार्य में भी सहायता प्रदान करता है तथा पूर्व में जो व्यक्ति किसी कारण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं उन्हें शैक्षिक अवसर प्रदान करता है। दूरदर्शन एक ऐसा सशक्त माध्यम है जो बालकों को प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करता है, तथा शिक्षण को प्रेरणादायक एवं सुरुचिपूर्ण बनाता है। एलन हैनमोक (Allen Hanmock) ने दूरदर्शन के निम्नलिखित शैक्षिक उपयोगों का वर्णन किया है-

  1. विभिन्न शिक्षण साधनों के समायोजन से विभिन्न विषयों में स्तरीय शिक्षण प्रदान करता है।
  2. उन प्रयोग प्रदर्शनों के लिए जिन्हें कक्षा में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता उनके लिए इसका प्रयोग सराहनीय रहता है।
  3. दृश्य एवं विशिष्ट तकनीकी के रूप में जैसे आंख से न दिखाई देने वाली वस्तुओं को बड़े रूप में दिखाना बहुत तेज गति से होने वाली गतिविधियों एवं कार्यों को धीमी गति से स्पष्ट दिखाने की व्यवस्था करना ।

शैक्षिक दूरदर्शन (Educational Television)-

दूरदर्शन जनसंचार साधनों के अन्तर्गत उपलब्ध सभी साधनों में सबसे सशक्त माध्यम है, क्योंकि इसमें श्रव्य सम्मेषण के साथ-साथ दृश्य साधन भी उपलब्ध है। फिल्म के सभी लाभ दूरदर्शन के कार्यक्रमों में निहित है।

भारत में दूरदर्शन का प्रारम्भ 1955 में हुआ माना जाता है तथा तभी से शैक्षिक समस्याओं के निराकरण के लिए इसका प्रारम्भ हुआ। दूरदर्शन के पाठ्यक्रम अथवा सामान्य शैक्षिक संकल्पनाओं से सम्बन्धित कार्यक्रम शैविक दूरदर्शन का अंग है।

भारत में दूरदर्शन का उपयोग सबसे पहले दिल्ली में शैक्षिक दूरदर्शन के रूप में प्रारम्भ हुआ जिसका उद्देश्य शिक्षा के प्रसार, अच्छे अध्यापकों की कमी, विद्यालयों में शैक्षिक सुविधाओं की कमी के कारण गिरते हुए शैक्षिक स्वरों के उन्नयन के रूप में प्रारम्भ हुआ। इसके पश्चात् बम्बई, पूना, श्रीनगर, अमृतसर, कलकता, महास; वचा लखनऊ में टी० बी० रिले स्टेशन स्थापित किये गये। साइट (SITE) कार्यक्रम की सफलता ने शैविक दूरदर्शन के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित किए। 1975-76 के साइट कार्यक्रम की सफलता के परिणामस्वरूप की इन्सेट (INSAT) के माध्यम से दूरदर्शन के शैक्षिक उपयोग की सम्भावनाओं का समुचित प्रयोग प्रारम्भ हुआ है।

दूरदर्शन कार्यक्रम के प्रकार-दूरदर्शन कार्यक्रमों का वर्गीकरण उनके उपयोग के आधार पर निम्नलिखित है :

  1. शैक्षिक दूरदर्शन (Educational Television)- जब दूरदर्शन कार्यक्रम सामान्य रूप से शैक्षिक समस्याओं से सम्बन्चित हो तो उसे शैक्षिक दूरदर्शन कार्यक्रम कह सकते हैं; जैसे-स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रम, सांस्कृतिक विकास, जीवन स्तर के उन्नयन सम्बन्धी कार्यक्रम, सामान्य ज्ञान संवर्धन सम्बन्धी कार्यक्रम आदि।
  2. शैक्षणिक दूरदर्शन (Instructional TV)- यह शब्द अभी जनसामान्य के लिए नया है तथा शैक्षिक दूरदर्शन (ETV) की तुलना में कम प्रचलित है। शैक्षणिक दूरदर्शन कार्यक्रम पाठ्यक्रम से सम्बन्धित नियोजित तथा क्रमबद्ध दूरदर्शन कार्यक्रमों की श्रृंखला को शैक्षणिक दूरदर्शन कार्यक्रम कहते हैं। शैक्षणिक दूरदर्शन कार्यक्रम वीडियो पर, व्यावसायिक रूप में तथा बन्द परिपय दूरदर्शन पर उपलब्ध है। इनके उपयोग के आधार पर हम इन्हें निम्न प्रकार वर्गीकृत कर सकते हैं-

(क) पूर्ण दूरदर्शन शिक्षण (Total Television Teaching. T T T)- इस प्रकार के दूरदर्शन शिक्षण में दूरदर्शन कार्यक्रम द्वारा ही पूरा शिक्षण होता है। अध्यापक केवल कक्षा की क्रियाएँ ही सम्पन्न करता है। वह दूरदर्शन से प्राप्त ज्ञान अथवा अन्य साधनों से प्राप्त ज्ञान के आधार पर छात्रों की समस्या को हल करता है।,

(ख) पूरक दूरदर्शन शिक्षण (Supplemented Television Teaching, ST T)- इस प्रकार के दूरदर्शन कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षण के अस्पष्ट स्थलों का स्पष्टीकरण अथवा उच्च स्तर का ज्ञान प्रदान करना है। यह कार्यक्रम आवश्यकतानुसार सप्ताह में एक बार या पाक्षिक रूप से प्रसारित होते हैं। इनका उद्देश्य शिक्षण नहीं अपितु कक्षा में पूरक सामग्री उपलब्ध कराना है।

(ग) दूरदर्शन शिक्षण साधन के रूप में (Television used as Teaching Aid, T TA)- यह कार्यक्रम छात्रों को अच्छे प्रेक्षण (observation) का अवसर प्रदान करते हैं; जैसे- बड़ी कक्षा में विज्ञान के पाठों में अथवा मेडीकल में किसी गम्भीर आप्रेशन की प्रक्रिया दिखाने में यह बन्द परिपय दूरदर्शन के रूप में भी उपलब्ध होते हैं।

(घ) दूरदर्शन अधिकांश शिक्षप्प साधन के रूप में (Television as a Major Teaching Resource, TMTR)- इस प्रकार के दूरदर्शन कार्यक्रम में अधिकांश शिक्षण दूरदर्शन द्वारा किया जाता है। अध्यापक का कार्य दूरदर्शन शिक्षण से सम्बन्धित शिक्षण सामग्री को पुनर्बलन प्रदान करना होता है।

(ङ) अनौपचारिक दूरदर्शन (Non-Formal Teaching Through TV, NT T) – इस प्रकार के दूरदर्शन कार्यक्रम जनसामान्य के लिए होते हैं जिनका शैक्षिक मूल्य भी होता है; जैसे-परिवार नियोजन सम्बन्धी कार्यक्रमों द्वारा जनसामान्य की अभिवृत्ति में परिवर्तन।

दूरदर्शन के शैक्षिक उपयोग-

दूरदर्शन शिक्षण का बहुत ही शक्तिशाली माध्यम है। नई शिक्षा नीति (1986) के अनुसार, “इस माध्यम ने न केवल औपचारिक शिक्षा के क्षेत्र में वरन्  अनौपचारिक शिक्षा के क्षेत्र में भी नये आयाम खोल दिये हैं।” एलन हेनमोक के अनुसार दूरदर्शन के निम्नलिखित शैक्षिक उपयोग हैं-

(1) दृश्य और विशिष्ट तकनीकों के रूप में (जैसे आँख से न दिखने वाला, वस्तुओं को बड़े रूप में दिखाना, बहुत तेज गति से होने वाली गतिविधियों एवं कार्यों को धामी गति में स्पष्ट दिखाना)।

(2) छात्रों के सृजनात्मक सहयोग के रूप में।

(3) छात्रों को प्रेरित करने में।

(4) कठिनाई से उपलब्ध शिक्षण साधनों को उपलब्ध कराना।

(5) अधिकांश छात्रों को उच्चस्तरीय शिक्षण प्रदान करना।

(6) उन छात्रों को जो विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं प्राप्त कर सकते उन्हें शैक्षिक अवसर प्रदान करना।

(7) साक्षरता कार्यक्रमों के लिए।

(8) औद्योगिक श्रमिकों एवं किसानों के लिए विशिष्ट कार्यक्रम के लिए।

(9) अध्यापकों के लिए सेवाकालीन कार्यक्रम के प्रसारण हेतु।

(10) अध्यापन शिक्षा के मदर्शन पाठ (Demonstration lesson) के लिए।

(11) उन प्रयोग प्रदर्शनों के लिए जिन्हें कथा में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है।

(12) विभिन्न शिक्षण साधनों के समायोजन से विभिन्न विषयों में स्वरीय शिवन के लिए।

गुण

(1) दूरदर्शन का आर्थिक, सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक मूल्य है। इसमें फिल्म के सभी लाभ निहित हैं।

(2) इसके द्वारा प्रशिक्षित तथा विशेषज्ञ गुणी अध्यापकों की कमी का निराकरण सम्भव

(3) प्रभावी शिक्षण अनुभवों को प्रदान करने के लिए आवश्यक भौतिक सुविधाओं के अभाव को दूर करना सम्भव है, क्योंकि एक ही अध्यापक दूरदर्शन कार्यक्रम लाखों छात्रों तक पहुंचाता है।

(4) स्वयं अध्यापक की शिक्षण तकनीकों में सुधार लाने में सहायक है, क्योंकि पूर्व में रिकार्ड किये गये शिक्षण को देखकर अध्यापक को शिक्षण के शिथिल स्थलों का पता लग जाता है।

दोष

(1) छात्र मात्र निष्क्रिय श्रोता होते हैं उन्हें कल्पना की आवश्यकता भी नहीं होती, क्योंकि हर चीज पर्दे पर दिखायी पड़ती है।

(2) उन्हें अपने विचारों को श्रृंखलाबद्ध करने का अवसर नहीं मिल पाता।

(3) उन्हें अपनी जिज्ञासाओं को शान्त करने का तुरन्त अवसर नहीं मिलता जिससे ज्ञान का पुनर्बलन सम्भव नहीं है।

(4) यह व्ययसाध्य साधन है।

(5) यह छात्र की मानसिक स्थिति, ज्ञान, अधिगम क्षमता के अनुरूप नहीं होता।

बन्द परिपथ दूरदर्शन (Closed Circuit Television)-

प्रसारण अनुक्रिया के आधार पर दूरदर्शन निम्न प्रकार के होते हैं :

(1) खुला परिपथ दूरदर्शन (Open Circuit TV),

(2) बन्द परिपथ दूरदर्शन (Closed Circuit TV),

(3) उपग्रह दूरदर्शन (Satellite TV)।

सामान्यतः दूरदर्शन प्रसारण में टी०वी० स्टूडियो में रिकार्ड किये कार्यक्रम को ट्रान्समीटर द्वारा रिले किया जाता है। टी०वी० रिसीवर एन्टीना के माध्यम से प्रसारित कार्यक्रम को प्राप्त कर दूरदर्शन पर प्रदर्शित करता है।

बन्द परिपथ दूरदर्शन में रिले के एक्सिल केबिल द्वारा सीधे टी०वी० सेट या मानीटर तक आता है। इसी कारण इसे बन्द परिपथ दूरदर्शन कहते हैं। बन्द परिपथ कार्यक्रम सीधे ही प्रसारित किये जा सकते हैं अथवा पहले से रिकार्ड किये कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं। इनका उद्देश्य विशिष्ट दर्शकों को ही कार्यक्रम प्रसारित करना होता है। यह एक व्ययसाध्य साधन है। अध्यापक प्रशिक्षण में शिक्षण के सुधार में छात्रों को पृष्ठपोषण प्रदान करने का सक्षम तथा सशक्त साधन है, क्योंकि सहयोगी छात्र-शिक्षक साथी छात्र शिक्षक की कमियों को पुनः देखकर कार्यकारी सुझाव दे सकते हैं। स्वयं प्रशिक्षणार्थी भी अपने शिक्षण का आलेखन कर त्रुटियों का निराकरण कर सकता है।

क्लोज्ड सर्किट दूरदर्शन के उपयोग- 1. इस यन्त्र के द्वारा एक ही पाठ्यवस्तु को, अनेक कक्षाओं में एक साथ प्रस्तुत किया जा सकता है।

  1. सम्पूर्ण विश्व को यथार्थताओं को इसके द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है।
  2. इसके माध्यम से जटिल तथ्यों का सरलतापूर्वक प्रस्तुतीकरण किया जा सकता है।
  3. इस यन्त्र की सहायता से अनुदेशन का विस्तार किया जा सकता है।
  4. शिक्षक व्यवहार में अपेक्षित सुधार करने हेतु भी इसका प्रयोग प्रभावपूर्ण सहायक सिद्ध हो सकता है।
  5. तत्काल घटित होने वाली सामयिक घटनाओं को इसके द्वारा प्रत्यक्ष रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है।
  6. यह अन्य संस्थाओं के साथ पारस्परिक सम्पर्क स्थापित करने में सहायता प्रदान करता है।
  7. इसके द्वारा माइक्रो टीचिंग का प्रभावपूर्ण प्रयोग किसा जा सकता है।
  8. इस यन्त्र में वीडियो टेप का भी उपयोग किया जा सकता है।

क्लोज्ड सर्किट दूरदर्शन की सीमाएँ- 1. यह एक अत्यन्त व्ययपूर्ण साधन है, जिसे प्रत्येक द्वारा क्रय नहीं किया जा सकता है।

  1. इसके प्रयोग के समय छात्रों को क्रियाशील रहने का अवसर प्राप्त नहीं होता है।
  2. यह केवल ज्ञानात्मक उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक है।
  3. इसमें सम्प्रेषण प्रक्रिया एकांगी होती है तथा छात्रों को केवल श्रवण का अवसर प्राप्त होता है।

क्लोज्ड सर्किट एवं खुले सर्किट दूरदर्शन में अन्तर- क्लोज्ड सर्किट में केबुलों की सहायता से सूचना दी जाती है, जबकि खुले सर्किट में केमिलों को सहायता नहीं ली जाती। क्लोज्ड सर्किट टेलीविजन की दूरी केबिल के विस्तार पर आधारित होती है, जबकि खुले सर्किट टेलीविजन अधिक व्यय साध्य और वृक्षा शिक्षण अधिक उपयोगी है, जबकि खुले सर्किट वाला नभ व्यय वाल वृक्षा में भीतर एवं बाहर भी उपयोग किया जाता है। क्लोज्ड सर्किट दूरदर्शन में संप्रेसरण एकांकी होता है।

शैक्षिक दूरदर्शन कार्यक्रम की आधारभूत प्रक्रिया

(Basic Procedures in T.V. Programming)

शैक्षिक दूरदर्शन कार्यक्रम के विकास के निम्नलिखित सोपान होते हैं-

  1. विशिष्ट क्षेत्र का चुनाव
  2. कार्यक्रम के उद्देश्यों का चुनाव।
  3. शिक्षण बिन्दुओं का पूर्व निर्धारण ।
  4. प्रक्रिया विधि।
  5. सहायक सामग्री को तैयार करना।
  6. कैमरे का स्थान निर्धारण करना तथा रिहर्सल करना।
  7. अन्तिम रिहर्सल करना।
  8. कार्यक्रबम का उत्पादन करना।
  9. सुविधानुसार रिकार्डिंग की तैयारी करना।

इन उपर्युक्त नौ पदों को आरेख के रूप में इस प्रकार समझाने का प्रयास किया गया है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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