विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुख कार्य | Major Functions of University Grants Commission in Hindi
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुख कार्य | Major Functions of University Grants Commission in Hindi
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –
(1) शिक्षा स्तर में सुधार –
इस सम्बन्ध में कमीशन ने बहुत-सी समितियों का संगठन किया है। उन्हें परीक्षण हेतु नियुक्त किया है जोकि विभिन्नर स्तरों पर जाकर इस बात का अध्ययन करें और कमीशन को रिपोर्ट दें कि विश्वविद्यालय की शिक्षा का स्तर क्या है ? इस दृष्टि से विश्वविद्यालय शिक्षा स्तर पर जो कमेटी संगठित की गई है उसने इससे सम्बन्धित रिपोर्ट को कमीशन के समक्ष दे दिया है कमीशन उस पर विचार भी कर रहा है। इस दृष्टि से यू० जी० सी० ने कुछ विश्वविद्यालयों में ऐसे केन्द्र स्थापित किये हैं जो स्नातको्तर स्तर पर शोध कार्य को देख रहे हैं और शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं पर शोध कार्य के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त वे इस स्तर पर शोध कार्य में स्तर को और भी उन्नत करने का प्रयत्न कर रहे हैं जिससे कि गुणात्मक रूप में भी इस स्तर का विकास सम्भव हो सके। कुछ विश्वविद्यालयों में उसने विभागों को ही उच्च शिक्षा के अध्ययन के रूप कार्य करने को मान्यता दे दी है।
(2) ग्रीष्म कालीन संस्थायें व पाठशालायें –
कमीशन शिक्षकों को शिक्षा की नवीन विधियों से परिचित कराने के लिए गर्मियों में इस प्रकार की संस्थाएँ अथवा सेमिनार आदि का संगठन करता है जिससे कि शिक्षकों को आसानी से शिक्षा की आधुनिक विचारधाराओं एवं मौलिक प्रवृत्तियों से परिचित कराया जा सके। इसलिए यह विश्वविद्यालय को सहायता भी प्रदान करती है जिससे कि इस प्रकार की सुविधाओं की शिक्षकों को उपल्बध कराने में समर्थ हो सके।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का विरोध | University Grants Commission opposes in Hindi
(3) पुनरावलोकन समिति –
कई अवसरों पर कमीशन अवलोकन समितियों का संगठन करता है जो विशिष्ट विधियों से सम्बन्धित आवश्यकताओं का अध्ययन करती है उनके शिक्षण स्तरों व शोध कार्यों का विश्लेषण करती है तथा उनके पाठ्यक्रमों का समाज की परिवर्तित आवश्यकताओं के रूप में अध्ययन करती है, इस सम्बन्ध में फिर कमीशन को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है। कमीशन उनकी दी हुई रिपोर्ट पर विचार करता है साथ ही उनकी रिपोर्ट को प्रकाशित करता है जिससे कि विश्वविद्यालय को उससे समुचित लाभ उठाने का अवसर प्राप्त हो सके।
(4) परीक्षा प्रणाली में सुधार –
परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिये यू० जी० सी० प्रयत्नशील है और इस सम्बन्ध में भी इसने सन् 1965-66 में एक कमेटी संगठित की थी जिसका मुख्य उद्देश्य परीक्षा प्रणाली के दोषों का पता लगाकर उससे सम्बन्धित सुधार के विषय पर सलाह देना था। इस दृष्टि से कमेटी ने सुझाव दिए हैं कमीशन उन्हें व्यावहारिक रूप देने के लिए प्रयत्नशील है। कमीशन की सहायता से कुछ विश्वविद्यालयों ने परीक्षा सुधार यूनिट स्थापित कर लिए हैं।
(5) क्षेत्रीय अध्ययन – कमीशन क्षेत्रीय अध्ययन के लिए भी विश्वविद्यालयों को अधिक सहायता प्रदान करता है। इस योजना के अन्तर्गत उन क्षेत्रों या देशों की ऐतिहासिक, सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि का अध्ययन किया जाता है जिनसे भारत का सम्पर्क है। इसके अन्तर्गत सम्बन्धित क्षेत्र की भाषा का शिक्षण और योग्य विद्यार्थियों के मण्डल का उस क्षेत्र में शैक्षिक भ्रमण सम्मिलित है जिससे कि विद्यार्थी इस सम्बन्ध में व्यापक रूप से अध्ययन कर सके।
(6) शिक्षकों का कल्याण –
इस दृष्टि से कमीशन ऐसी बहुत-सी क्रियाओं को संगठित करता है जिनसे शिक्षकों का हित सम्भव हो सके । जैसे शिक्षकों के लिए नये वेतनमानों का निर्धारण करना, उनकी स्थिति में सुधार लाने के लिए विभिन्न सुझावों को भारत सरकार और राज्य सरकारों को देना।
(7) शोध-कार्यों में सहायता –
सन् 1963-64 में कमीशन ने शोधात्मक कार्या के लिए भी एक योजना निर्मित की थी जिसका उद्देश्य विभिन्न लोगों को शोधात्मक कार्य के लिए प्रत्साहन देना था इसके लिए यू0 जी0 सी० विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
(৪) शिक्षकों के आमन्त्रण हेतु –
इसके अन्तर्गत एक विश्वविद्यालय से शिक्षकों को दूसरे विश्वविद्यालय में बुलाया जाता है जिससें कि उन शिक्षकों की विद्वता, योग्यता और अनभव से दूसरे विश्वविद्यालय के शिक्षक लाभ उठा सकें। ऐसा करने के लिए यO जी० सीo विश्वविद्यालयों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है जिससे कि एक विश्वविद्यालय दूसरे विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को आमन्त्रित कर सकें।
(9) अवकाश ग्रहण शिक्षकों की सेवाओं को संगठित करना –
शिक्षा के विकास की दृष्टि से ही यू० जी0 सी0 अवकाश प्राप्त शिक्षकों के लिए इस प्रकार की योजना संगठित करती है जिससे कि उसकी सेवाओं का लाभ शिक्षा के क्षेत्र में उनके अवकाश के बाद भी प्राप्त किया जा सके। ऐसे शिक्षक शिक्षा से सम्बन्धित सम्सयाओं में शोधात्मक कारयों के लिए ही। इसके लिए वह अवकाश ग्रहण शिक्षकों को 6 हजार रुपये साल में देने की व्यवस्था करती है साथ ही शोध कार्य में दूसरे स्थान पर जाने का जो यात्रा व्यय आता है उसे भी प्रदान करती है और उनकी रहने, खाने-पीने तथा अध्ययन सम्बन्धित आवश्यकताओं को
(10) विद्यार्थियों का हित –
यह केवल शिक्षकों के कल्याण सम्बन्धी कार्यों को ही संगठित नहीं करती बल्कि ऐसी क्रियाओं को भी हाथ में लेती है जिनके द्वारा विद्यार्थियों का हित भी सम्बन्धित है, जैसे यह विभिन्न संस्थाओं की ऐसी योजनाओं के लिए छात्रावास बनवाना, स्वास्थ्य सम्बन्धित केन्द्र स्थापित करना आदि बातों के लिए अनुदान प्रदान करती है।
(11 ) छात्रवृत्तियाँ –
विभिन्न क्षेत्रों में योग्य विद्यार्थी शोधात्मक कार्य के लिए प्रोत्साहित किये जा सकें और उनके द्वारा शिक्षा की उन्नति हो सके। इस दृष्टि से यह छात्रवृत्तियों की व्यवस्था भी करती है।
यू0 जी0 सी० शिक्षण संस्थाओं और विश्वविद्यालयों को विदेशी विनिमय भी प्रदान करती है जिससे वे शिक्षा के विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों को अथवा पुस्तकों को बाहर से मंगा सकने में समर्थ हो सकें।
इनके अतिरिक्त यूoजी०सी० शिक्षण संस्थाओं, उनकी अपनी योजनाओं को और अपनी विभिन्न क्रियाओं को पूरा करने के लिए भी पर्याप्त आर्थिक सहायता देती रहती है। इस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में यू0 सी० जी० आजकल महत्वपूर्ण कार्य कर रही है जिससे न केवल शिक्षा का उत्थान सम्भव है बल्कि शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न स्तरों पर व्यक्ति कार्य कर रहें हैं उनका भी व्यावसायिक रूप से उत्थान व अन्य प्रकार से हित सम्भव है।
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