शिक्षाशास्त्र / Education

निकष संदर्भित परीक्षण से तात्पर्य | Criterion-Referenced Test in Hindi

निकष संदर्भित परीक्षण से तात्पर्य | Criterion-Referenced Test in Hindi

निकष संदर्भित परीक्षण से तात्पर्य

(Criterion-Referenced Test)

आधुनिक समय में बालक के कक्षीय व्यवहार के अन्तिम उत्पाद (Terminal Output) अथवा व्यावहारिक उद्देश्यों को प्राप्ति पर सर्वाधिक बल प्रदान किया जाता है, इसकी प्रोन्नति के लिए वैयक्तिक परोक्षण, अनुदेशन, क्रमिक अधिगम प्राग्राम्ड विषय वस्तु का चयन एवं निर्माण तथा सर्वश्रेष्ठ अभिगम प्रक्रिया आदि नवीन प्रत्ययों ने जन्म लिया। अब इनमें विकास के साथ ही  मनोवैज्ञानिकों एवं शिक्षाविदों ने ऐसा मानना शुरू कर दिया है कि प्रतिमान सन्दर्भित परीक्षण बालकों में घातक प्रतिस्पर्धा तथा अन्य दोष उत्पन्न करते हैं जिसके फलस्वरूप ये परीक्षण विशेष रूप से उन बालकों के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं, जोकि निम्न मानसिक योग्यताओं के अनुरूप ही निम्न अंक श्रेणी के होते हैं।

अभी तक मूल्यांकन की प्रचलित विधि चलो आ रही थी, उसमें विशेष बालक की स्थिति की विवेचना उसके समकक्ष समूह, कक्षा, विद्यालय, राज्य आदि के सन्दर्भ में की जाती थी। ये सभी अभिकरण बालक के मूल्यांकन को कसौटी माने जाते थे जो कि बालक की उपलब्धि सम्बन्धी मूल्य का निर्धारण करते थे। इस प्रकार एक प्रारूपिक निष्पादन अथवा सामूहिक प्रतिमान को बालक अधिगम के मूल्यांकन हेतु प्रयोग में लाया जाता था। इसी प्रकार के परीक्षण को प्रचलित रूप में मानक सन्दर्भित परीक्षण को संज्ञा प्रदान की गयी है। किन्तु इसके ठीक विपरीत जब हम किसी पूर्व निर्धारित मानक का चयन कर लेते हैं, जिसके आधार पर बालक के उपलब्धि निष्पादन का मापन किया जा सकता है। ऐसा मापन जिसके अन्तर्गत विशिष्ट कसौटो को निर्धारित किया जाता है और यह देखा जाता है कि बालकों को शैक्षिक लब्धि उस कसौटी पर कहाँ तक खरी उतरती है, तो इस प्रकार के परीक्षण का निकष सन्दर्भित परीक्षण कहते हैं।

पोफम (Popham) ने निकष सन्दर्भित परीक्षण को परिभाषित करते हुए लिखा है-

“निकष सन्दर्भित परीक्षण से तात्पर्य बालक के व्यावहारिक उत्पादों के उस परीक्षण से है जिसके आधार पर बालक के स्तर को सुनिश्चित किया जाता है तथा इसके लिए व्यावहारिक उद्देश्यों एवं व्यवहार के विभिन्न पक्षों को स्पष्ट वैज्ञानिक पद्धति को प्रयोग में लाया जाता है।”

यहाँ पर व्यवहार की वैज्ञानिक परिभाषा से तात्पर्य कक्षीय परिस्थितियों में बालक के व्यवहार की वैज्ञानिक, विशुद्ध विवेचना से है जिसे हम मापित कर सकते हैं तथा जो परिवर्तन बालक के बाह्य व्यवहार में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं। जैसे कि बालक किसी विशेष कौशल (हस्तांतरण) को अपने व्यवहार में प्रदर्शित कर सकेगा, बालक किसी चित्र को सावधानीपूर्वक तथा स्वच्छ रूप से बना सकेगा आदि। इस प्रकार निकष’ या ‘क्राइटेरियन’ शब्द क्राइटेरियन रेफरेंस्ड “टेस्टिंग में निम्नलिखित अर्थों को अपने में संजोए हुए रखता है-

  1. एक अनुदशात्मक उद्देश्य

(An Instructional Objective)

  1. एक वांछनीय पश्च अनुदेशनात्मक व्यावहारिक उद्देश्य

(An Expected Post-Instructional Learning Outcome)

  1. छात्रों का ज्ञात निष्पादन स्तर

(An Intended Level of Students Performance)

  1. छात्रों की उपलब्धि का एक स्वीकृत स्तर

(An Accepted Level of Learners Achievement)

  1. छात्रों के निष्पादन का एक वांछनीय स्तर

(A Desired Standard of Product of Performance)

एक कसौटी या निकष का सर्वश्रेष्ठ आधार यह है कि हमारा व्यावहारिक उद्देश्य कितना सत्य, शुद्ध तथा विवेचना के लिए स्वतन्त्र है।

मगर (Mager) ने 1962 में स्पष्ट किया था कि एक उद्देश्य को केवल यही स्पष्ट नहीं करना चाहिए कि बालक को क्यों करना चाहिए परन्तु यह बताना चाहिए कि कितनी सामर्थ्य के साथ वह किसी कार्य का सम्पादित कर सकता है।

निकष सन्दर्भित परीक्षण के व्यापक अर्थ को समझने के लिये इसकी पृष्ठभूमि एवं विभिन्न परिभाषाओं की व्याख्या करना आवश्यक है। हम यहाँ इसी दृष्टिकोण से निकष सन्दर्भित परीक्षण के इन दोनों पहलुओं पर विचार कर रहे हैं।

यद्यपि निकष सन्दर्भित परीक्षण की उत्पत्ति अभी हाल में हुई है किन्तु यह प्रत्यय थोड़े समय में ही अत्यधिक प्रचलित हो गया है, क्योंकि इस क्षेत्र में जितने भी व्यक्ति कार्य कर रहे हैं, सभी ने अपनी-अपनी पदावली प्रयुक्त की है, जिसके अनुरूप इसके स्वरूप में भी अलग-अलग पक्षों को उजागर किया गया है। यद्यपि मापन में क्राइटेरियन’ शब्द अपेक्षाकृत सन्देहास्पद लगता है. क्योंकि इनको पूर्व प्रचलित मानक सन्दर्भित परीक्षणों से पृथक् करके उनके साथ तुलना करने के लिये, इन्हें यह नाम देना आवश्यक हो गया है। मानक सन्दर्भित परीक्षण बालक की शैक्षिक उपलब्धि का मापन किसी समूह, समाज या विद्यालयी प्रतिदर्श के आधार पर करते हैं, जबकि निकष सन्दर्भित परीक्षणों के अन्तर्गत मापन का आधार निकष (क्राइटेरियन) को बनाया जाता है। इसलिये मानक सन्दर्भित परीक्षणों का मूल ढाँचा बालकों के व्यावहारिक उत्पादों से सम्बन्धित नहीं होता. उसमें तो केवल एक समूह के अंकों के सन्दर्भ में बालक की योग्यताओं का मापन कर लिया जाता है। उदाहरण के लिये यदि एक बालक के अंक 20 प्रतिशतांक पर आते हैं तो केवल इतना कहा जा सकता है कि वह अपनी कक्षा या समूह के 20 प्रतिशत बालकों से किसी योग्यता के सन्दर्भ में श्रेष्ठ है। किन्तु निकष सन्दर्भित परीक्षण के अन्तर्गत मान लीजिए एक बालक 10 शब्दों में से 8 शब्द ठीक प्रकार से उच्चरित करता है तो यह कहा जा सकता है कि अपनी कक्षा में प्रयुक्त भाषिक शब्दावली के सन्दर्भ में उसको उच्चारण योग्यता सन्तोषजनक है। यहाँ पर स्पष्ट है कि बालक की उच्चारण योग्यता की तुलना सम्पूर्ण समूह अथवा अन्य किसी छात्र से करने की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है।

विभिन्न विद्वानों ने निकष सन्दर्भित परीक्षण की पृथक्-पृथक् परिभाषाएँ दो हैं। यहाँ इनके मूल अर्थ को समझने के उद्देश्य से कुछ परिभाषाएँ दो जा रही हैं-

  1. “एक निकष सन्दर्भित परीक्षण, वह परीक्षण है जिसे स्वतन्त्र रूप से निर्मित किया जाता है जिसका उद्देश्य बालकों की अधिगम योग्यताओं का मापन करना होता है तथा जिसकी विवेचना विशिष्ट निष्पादन मानकों के अनुकूल की जा सकती है।”

-ग्लेसर एवं निटको (Glasser & Nitco, 1917)

  1. एक शुद्ध निकष सन्दर्भित परीक्षण से तात्पर्य है ऐसे कार्यों का उत्पादन करना जो कि एक बड़ा जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती है तथा उस जनसंख्या का एक प्रतिनिधित्व प्रतिदर्श उन कार्यों का ठीक से सम्पादित करने में समर्थ हो।”

— हैरिस एवं स्टीवार्ट (Harris & Stewart, 1917)

  1. ” निकष सन्दर्भित परीक्षण से हमारा तात्पर्य छात्रों के व्यावहारिक उद्देश्यों के अनुरूप पदों का संरचना करने में है।”
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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