समाज शास्‍त्र / Sociology

आतंकवाद की व्याख्या | आतंकवाद के प्रकार | आतंकवाद के कारण | आतंकवाद से आप क्या समझते है?

आतंकवाद की व्याख्या | आतंकवाद के प्रकार | आतंकवाद के कारण | आतंकवाद से आप क्या समझते है?

आतंकवाद की व्याख्या

आतंकवाद का आधार अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बल प्रयोग में निहित है।

जब कोई छोटा समूह या कुछ व्यक्ति यह अनुभव करने लगते हैं कि वह अपने उद्देश्यों की पूर्ति शान्तिपूर्वक तथा संवैधानिक तरीकों से नहीं कर पायेंगे तब वह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बल प्रयोग, शक्ति तथा हिंसा का सहारा लेते हैं। संगठित शक्ति का प्रयोग करने में वह व्यक्ति अपना व्यक्ति-समूह अनेक कारणों से अक्षम होते हैं। ऐसी स्थिति में वह व्यक्तिगत स्तर पर अथवा छोटे गुट के रूप में अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शक्ति का प्रयोग करने लगते हैं और इस प्रकार आतंकवाद का जन्म होता है।

आतंकवाद को परिभाषित करते हुए समाज विज्ञान विश्वकोष में लिखा गया है कि “आतंकवाद एक ऐसा तरीका है जिसके द्वारा कोई संगठित समूह अथवा दल अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हिंसा का योजनाबद्ध रूप से उपयोग करता है।” पॉल विलकिंसन के अनुसार, “राजनीतिक की भाषा में आतंकवाद बहुसंख्यक लोगों के खिलाफ कतिपय लोगों या उनके संगठन द्वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करवाने का एक हिंसक औजार है।”

हेंज फूलान के शब्दों में, “आतंकवाद एक साधन के रूप में अवपीड़न हेतु आतंक का व्यवस्थित प्रयोग है।” ग्रान्ट वार्डला के शब्दों में, “राजनीतिक आतंकवाद किसी व्यक्ति या किसी समूह द्वारा सत्ता के पक्ष अथवा विरोध में हिंसा का प्रयोग या हिंसा के प्रयोग की धमकी है।”

आतंकवाद के प्रकार

सामान्यतया आतंक के कई रूप होते हैं, परन्तु विद्वानों ने इसे तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया है।

(1) राज्य द्वारा आयोजित आतंकवाद-  राज्य द्वारा आयोजित आतंकवाद वह है जो एक देश द्वारा किसी दूसरे देश को कमजोर बनाने हेतु आयोजित किया जाता है। साधारणतया एक कमजोर देश द्वारा अपने से अधिक शक्तिशाली देश के विरुद्ध ऐसे सहारा लिया जाता है।

(2) अलगाववादी गुट द्वारा आयोजित आतंकवाद- अलगाववादी गुट द्वारा आयोजित आतंकवाद देश के ही किसी भाग पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने हेतु किसी ऐसे गुट या संगठन द्वारा फैलाया जाता है जिसे चुनाव में जनता का समर्थन प्राप्त नहीं हो पाता।

(3) आर्थिक आतंकवाद- आर्थिक आतंकवाद का उद्देश्य किसी क्षेत्र में आतंकवाद फैलाकर इस तरह अव्यवस्था फैलाना है जिससे कोई देश या संगठन मादक पदार्थों की तस्करी या दूसरी कानून-विरोधी गतिविधियों के द्वारा आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकें।

आतंकवाद के कारण

आतंकवाद एक ऐसी विश्वस्तरीय समस्या है, जिसकी उत्पत्ति एवं विकास के पीछे कई कारण विद्यमान रहे हैं, परन्तु यहाँ हम कुछ सामान्य कारणों की चर्चा करेंगे जिनसे आतंकवाद को बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण भूकिा निभाई है, जैसे –

(1) युवा-असंतोष- आतंकवाद को बढ़ावा देने में युवा असंतोष ने भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। आज दुनिया में जहाँ भी आतंकवाद पनप रहा है, वह युवाओं के सहारे ही आगे बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, वर्तमान समय में विश्व में 9 – 10 लाख लोग आतंकवादी गतिविधियों में सम्मिलित हैं जिनमें 75% से अधिक युवा वर्ग शामिल हैं। डॉ. हाफमैन का कहना है कि विभिन्न घटनाओं में जो आतंकवादी मारे जाते हैं, उनमें 90% आतंकवादी युवा होते हैं। आतंकवादी संगठन केवल उन्हीं युवाओं के सहारे चलते हैं जिनमें किसी न किसी तरह का विचलन या असंतोष पाया जाता है।

(2) आर्थिक असमानताएँ- साधारणतया साम्प्रदायिकता, क्षेत्रवाद या भाषावाद को आतंकवाद का कारण मान लिया जाता है लेकिन आतंकवाद का मूल कारण यहाँ विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के बीच भारी आर्थिक असमानताएं होना है। जब कुछ लोग कालाबाजारी, तस्करी और भ्रष्टाचार के द्वारा बहुत सम्पन्न बन जाते हैं, जबकि अनेक क्षेत्र में अधिकांश लोगों को पेट भर खाना भी नसीब नहीं हो पाता तो लोगों के बढ़ते हुए असंतोष से वर्ग विशेष अशांति और संघर्ष को प्रोत्साहन मिलने लगता है। ऐसा असंतोष जब संगठित रूप लेने लगता है तो इसी से देश के अन्दर आतंकवाद में वृद्धि होने लगती है।

(3) धार्मिक मान्यताओं को बढ़ावा देना-  धर्म का स्थान समाज में सर्वोपरि होता है। यही कारण है कि धार्मिक नेता लोगों में एक विशेष धर्म, सम्प्रदाय, अथवा पंथ के प्रति धार्मिकता को बढ़ावा देते हैं और उन्हें आतंकवादी गतिविधियों में भाग लेने की प्रेरणा देते रहते हैं। ऐसे धार्मिक नेताओं का उद्देश्य स्वयं तस्करी, हथियारों की दलाली और जासूसी के द्वारा अपनी शक्ति को बढ़ाना होता है। अमेरिका की गुप्तचर एजेन्सी सीआईए का मानना है कि विश्व में लगभग 300 से अधिक ऐसे धार्मिक नेता हैं जो धार्मिक उन्माद को बढ़ावा देकर अपने स्वार्थो की पूर्ति करते हैं। वे अपने संगठनों में जिन लोगों को शामिल करते हैं, उन्हें धर्म के नाम पर केवल एक साधन के रूप में प्रयोग करते हैं।

(4) पृथकवादी आन्दोलन- पृथकवादी आन्दोलन किसी राज्य या देश का आन्तरिक समस्या होती है। इस आन्दोलन का उद्देश्य धर्म, क्षेत्र, भाषा के आधार पर अपनी-अपनी अलग पहचान बनाये रखना है। यह आंदोलन किसी विशेष संगठन द्वारा आयोजित किये जाते हैं। सरकार द्वारा यदि ऐसे संगठनों के आन्दोलन को दबाये जाने का कार्य किया जाता है तो आन्दोलन से जुड़े अनेक समूह हिंसा और आतंक के द्वारा सरकार पर दबाव बढ़ाने का प्रयत्न करने लगते हैं।

(5) राजनैतिक कूटनीति- राज्य समर्थित आतंकवाद राजनीतिक कूटनीति की ही देन है। एक देश या राज्य जब अपनी सैन्य शक्ति द्वारा दूसरे देश को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में नहीं होता, तब वह आतंकवादी संगठनों को प्रशिक्षित करके तथा उन्हें हथियारों, विस्फोटक पदार्थो तथा धन की मदद देकर उनसे हिंसा और तोड़-फोड़ करवाता है। तालिबान को अमेरिका की सहायता, इजरायल में आतंक फैलाने के लिए फिलिस्तीन की सहायता, कश्मीर के आतंकवाद को पाकिस्तान संरक्षण, नेपाल के नक्सलवादी आतंकवाद को कुछ दूसरे देशों की मदद राजनीतिक कूटनीति का ही परिणाम है।

(6) हथियारों एवं मादक पदार्थो की तस्करी- जब किसी देश की सरकार के पास आर्थिक संसाधन जुटाने हेतु प्राकृतिक स्त्रोत नहीं मिल पाते तब वह अपनी शक्ति को बढ़ाने तथा आर्थिक संसाधन प्राप्त करने हेतु मादक पदार्थो, हथियारों आदि की तस्करी का सहारा लेते हैं। ऐसी तस्करी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की होती है, जिसके लिए एक संगठन की आवश्यकता होती है। अफगानिस्तान इसका एक ज्वलंत उदाहरण है, वहाँ एक तरफ कृषि एवं उद्योगों का अभाव है तो दूसरी तरफ, विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले कबीलों अनेक पीढ़ियों से लूटमार के द्वारा ही अपनी जरूरतों की पूर्ति करते रहे हैं। यही वजह है कि आज अफीम, हेरोइन और दूसरे मादक पदार्थों के साथ हथियारों की कुल तस्करी का लगभग 60% भाग अफगानिस्तान द्वारा संचालित होता है।

(7) राजनीतिक भ्रष्टाचार- वर्तमान समय में अधिकांश देशों में जनता द्वारा किसी विशेष राजनीतिक दल को शासन के लिए चुना जाता है। ऐसे सभी देशों में विभिन्न राजनीतिक दल जनता का अधिक से अधिक समर्थन पाने का प्रयत्न करते हैं। समर्थन पाने की यह प्रक्रिया स्वाभाविक नहीं होती। अधिकांश दशाओं में विभिन्न राजनीतिक दल धर्म, जाति, क्षेत्र, प्रजाति अथवा वर्ग के आधार पर लोगों को बाँट कर उसका राजनीतिक लाभ लेने का प्रयत्न करने लगते हैं। अनेक भ्रष्ट राजनीतिक दलों का अन्तिम हथियार आतंकवाद और दबाव के द्वारा अपने विरोधी लोगों को वोट देने से रोकना और समर्थन लोगों से जाली वोट डलवाना होता है। इस काम के लिए अपराधी प्रवृत्ति के संगठित गिरोहों की जरूरत होती है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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