समाज शास्‍त्र / Sociology

भारत में आतंकवाद का स्वरूप | आतंकवाद की तकनीक | आतंकवाद के दुष्परिणाम

भारत में आतंकवाद का स्वरूप | आतंकवाद की तकनीक | आतंकवाद के दुष्परिणाम

भारत में आतंकवाद का स्वरूप

आतंकवाद अपने वर्तमान स्वरूप में भारत में स्वतन्त्रता की प्राप्ति के साथ ही उपस्थित हो गया था। इसके प्रथम लक्षण स्वतन्त्रता की प्राप्ति के साथ ही तब उजागर हुए जब तेलंगाना में साम्यवादियों ने हिंसक विद्रोह कर दिया। बाद में तेलंगाना आन्दोलन असफल हो गया लेकिन देश के अन्य भागों में और विशेषकर भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में आतंकवाद उभरने लगा। संगठित रूप से आतंकवाद नागालैंड में सामने आया जब फिलो ने ‘नागा राष्ट्रीय परिषद’ (Naga National Council) का गठन किया और अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रशिक्षित गुरिल्ला दस्तों का गठन किया। अपने इस कार्य में नागाओं को अनेक सीमावर्ती विदेशी राज्यों से सुविधाएं तथा साधन प्राप्त हुए। इसी प्रकार बाद में मिजोरम में लालडेगा ने ‘मिजो नेशनल फ्रंट (M.N.F.) तथा विश्वेसर सिंह ने मणिपुर में ‘पीपुल्स लेबरेशन आर्मी’ (P.L.A.) के रूप में आतंकवादी संगठनों की स्थापना की। हाल के वर्षों में मिजोरम में गुरिल्ला संगठन को समाप्त कर दिया गया और एक समझौते के द्वारा लालडेगा ने मिजोरम को भारत का अंग माना तथा भारतीय संविधान के अन्तर्गत कार्य करने का निश्चय किया।

भारत में आतंकवाद का सबसे भयावह स्वरूप पंजाब में खालिस्तान के समर्थकों ने प्रस्तुत किया। सिख आतंकवाद प्रारम्भ करने का श्रेय जरनैल सिंह भिंडरवाले को दिया जा सकता है। भिंडरवाले की गतिविधियों के कारण सिखों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल अमृतसर का स्वर्ण मंदिर उग्रवादियों का गढ़ बन गया और वहाँ से हिंसा की कार्यवाहियों का संचालन होने लगा।

आतंकवाद की तकनीक

आतंकवाद वह विचारधारा अथवा कार्य पद्धति है जो बल प्रयोग द्वारा आतंक कर सरकारों को अपनी मांगों की पूर्ति के लिये बाध्य करते हैं। इस दृष्टि से आतंकवाद में अग्रलिखित तकनीक पायी जाती हैं –

  1. आतंकवाद अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिये हिंसा और बल प्रयोग में विश्वास रखता हैं।
  2. आतंकवाद का उद्देश्य हिंसा के द्वारा सामान्य जनता में भय और असुरक्षा की भावना उत्पन्न करना है।
  3. असुरक्षा की भावना के द्वारा आतंकवाद समाज में अस्थिरता उत्पन्न करना चाहता है जिससे शासन के प्रति अविश्वास कि भावना उत्पन्न हो सके।
  4. सरकार के प्रति असन्तोष उत्पन्न कर आतंकवाद ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देता है जिसमें वह स्वयं ही अपने उद्देश्यों की पूर्ति का सके अथवा सरकार कमजोर होकर उसकी माँगों को स्वीकार कर ले।

आतंकवाद के दुष्परिणाम

आतंकवाद के दुष्परिणाम निम्नलिखित है:

(1) जनता में असुरक्षा की भावना- आतंकवाद से किसी सामाजिक व्यवस्था को पूरी तरह नहीं तोड़ा जा सकता है और न ही आतंकवादियों द्वारा की जाने वाली हत्याओं से राजनीतिक ढाँचे में आमूल परिवर्तन होता है यह सार्वजनिक जीवन को असुरक्षित बनाने में बड़ी भूमिका निभाती है। आतंकवाद बढ़ने से अधिकांश व्यक्तियों का सरकार और प्रशासन के प्रति अविश्वास बढ़ने लगता है। कानून और व्यवस्था का प्रभाव कम होने से अपराधी और अराजक तत्वों को अपने स्वार्थ पूरा करने के लिए अवसर मिल जाते हैं।

(2) जनसाधारण के जान-माल की क्षति- आतंकवाद का एक प्रमुख दुष्परिणाम जन साधारण के जान-बाल का भारी नुकसान होना है। बम्बई में 12 मार्च 1993 को आतंकवाद ने तीन घण्टों के अन्दर 11 स्थानों पर जो बम विस्फोट किये, उनमें 235 व्यक्तियों की मृत्यु हुई तथा 1,200 से अधिक लोग घायल हो गये। अनेक प्रमुख व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। इसी तरह कलकत्ता में 1993 में होने वाले बम विस्फोट में 86 लोग मारे गये।

(3) वैयक्तिक स्वतन्त्रता का उल्लंघन- वैयक्तिक स्वतन्त्रता लोगों का मौलिक अधिकार है। आतंकवाद वैयक्तिक स्वतन्त्रता का विरोधी है। किसी समाज में जब आतंकवाद में वृद्धि होती है तो अधिकांश लोगों को अपनी इच्छा के विरुद्ध आतंकवादी संगठनों द्वारा दिए गये निदेर्शों का पालन करना आवश्यक हो जाता है। आतंकवादियों द्वारा औद्योगिक प्रतिष्ठान तथा सम्पन्न लोगों से भारी रकम वसूल के कारण उनके सम्पत्ति अधिकार बाधित होने लगते हैं। निरंकुश राज्यों में आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ने से लोगों को मौलिक अधिकारों से ही वंचित कर दिया जाता है।

(4) सत्ता का अनुचित प्रयोग- जब कोई लोकतन्त्र दुर्बल होता है तो सत्ता में बने रहने के लिए शासक वर्ग द्वारा आतंकवादी संगठनों से साठ-गाँठ या इस तरह समझौता किया जाने लगता है जिससे जनता के बढ़ते हुए असंतोष को दबाए रखा जा सके। अनेक राजनीतिक दल वोट पाने के लिए उन समुदायों का समर्थन करने लगते हैं जिनकी आतंकवाद में विशेष भूमिका होती है। उदाहरण के लिए पाकिस्तान सैनिक सरकारों ने सत्ता पर कब्जा करने और बाद में अपनी सत्ता को बलाए रखने के लिए लादेन क्ले अलकायदा तथा तालिवानी आतंकवादी संगठनों की सहायता ली तथा इसके बदले में उन्हें हथियारों तथा धन से भारी मदद दी।

(5) आर्थिक विषमता में वृद्धि- एक ओर आर्थिक विषमताओं से आन्तरिक आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है, तो दूसरी ओर आतंकवाद बढ़ने से आर्थिक विषमताओं में और अधिक वृद्धि होने लगती है। आतंकवाद यह जोर देते हैं कि वे शोषण के खिलाफ लड़ रहे हैं, उनका उद्देश्य आर्थिक विषमताओं को कम करना है अथवा यह कि उनके द्वारा एक विशेष समुदाय की गरिमा और पहचान को बनाए रखने का प्रयत्न किया जा रहा है। इसके लिए विपरीत, आतंकवाद के द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष से उनके द्वारा प्राप्त किये जाने वाले आर्थिक लाभ का हिस्सा केवल उन्हीं को मिलता है।

(6) युद्ध की सम्भावना- आन्तरिक आतंकवाद से जहाँ विद्रोह की सम्भावना रहती है, वहीं बाह्य आतंकवाद के फलस्वरूप युद्ध की आंशका भी पैदा हो जाती है। वर्तमान युग में, जब अनेक देशों के पास परमाणु आयुध है, एक छोटा या युद्ध भी लाखों के सामने अस्तित्व का खतरा पैदा कर सकता है। तालिबान आतंकवाद के कारण अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान के खिलाफ की जाने वाली सैनिक कार्यवाही में हजारों निरपराध अफगानी नागरिक मारे गये। लाखों अफगानियों को सीमावर्ती इलाको में जाकर शरणार्थियों की जिन्दगी व्यतीत करनी पड़ी।

(7) जानलेवा बीमारियाँ- आज आतंकवाद का रूप केवल विस्फोटक, अपहरणों और हिंसाओं तक ही नहीं बंधा है बल्कि आज आतंकवादी संगठनों ने रसायनिक पदार्थो का भी आतंकवाद के रूप में प्रयोग करना शुरू कर दिये हैं जिससे किसी समुदाय में ‘एय का वातावरण पैदा करके विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त किये जा सके। एंथ्रेक्स का खतरा अक्टूबर 2001 में अमेरिका के साथ ब्रिटेन और फ्रांस में भी देखने को मिला। एंथ्रेक्स के विषाणु एक विशेष प्रकार के सफेद पाउडर का स्पर्श कर लेने मात्र से शरीर में प्रवेश करके व्यक्ति की जान ले लेते हैं। बुबोनिक प्लेग तथा एनसिफैलाइटिस वे दूसरी महामारियाँ हैं जो रासायनिक आतंकवाद से फैलायी जाती हैं।

समाज शास्‍त्र – महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!