भारत में निर्धनता के कारण | Causes of Poverty in India in Hindi
भारत में निर्धनता के कारण | Causes of Poverty in India in Hindi
भारत में निर्धनता के कारण (Causes of Poverty in India) –
भारत में निर्धनता के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
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जनसंख्या की तीव्र वृद्धि (Rapid Growth of Population)-
भारतीय अर्थव्यवस्था में गरीबों में जो वृद्धि हो रही है, इसके पीछे जनसंख्या की तीव्र वृद्धि है । जनसंख्या की वृद्धि से गरीब परिवारों के उपभोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि आय में उस गति में वृद्धि नहीं हो पाती है, जिस गति से परिवार के सदस्यों की संख्या बढ़ जाती है। फलतः बचत व निवेश का स्तर शून्य हो जाता है और गरीबी का साम्राज्य स्थापित हो जाता है।
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रोजगार अवसरों में मन्द वृद्धि (Low Increase in Employment Opportunities)-
भारत में गरीबी बढ़ने का दूसरा कारण रोजगार अवसरों में अपेक्षाकृत कम वृद्धि है, क्योंकि श्रमिक की संख्या जिस दर से बढ़ रही है, उस दर से रोजगार सृजित नहीं हो रहा है, क्योंकि विकास की दर अत्यन्त मन्द है। विकास की दर मन्द होने के कारण नये उद्योग स्थापित नहीं हो रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप बेकारी एक गम्भीर समस्या हो गई है। दूसरी ओर पूंजी प्रधान उत्पादन तकनीक या मशीनीकरण पर विशेष बल दिया जा रहा है। अतः बेरोजगारी का साम्राज्य स्थापित होना स्वाभाविक है।
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सामाजिक कारण (Social Causes)-
भारतीय अर्थव्यवस्था में गरीबी का कारण सामाजिक परिस्थितियाँ हैं, क्योंकि देश में गरीबी के लिए जाति प्रथा, संयुक्त परिवार प्रथा, उत्तराधिकार के नियम, चिकित्सा सुविधाओं का अभाव, शिक्षा व मानव कल्याण के प्रति उदासीनता आदि अनेक कारण हैं, जो देश में गरीबी बना रहे हैं।
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धन व सम्पत्ति का केन्द्रीयकरण (Centralisation of Wealth Property)-
भारत में धन व सम्पत्ति का असमान वितरण हैं, जिससे एक छोटा जन-समुदाय धनी व सम्पन्न है, जिसके अधिकार में भूमि, भवन, मशीन, उद्योग, शेयर आदि हैं, जबकि जनसमुदाय के लिए धन व संपत्ति का पूर्ण अभाव है। फलत: जनसंख्या का एक बड़ा भाग गरीब है, जो काम के बदले निम्न मजदूरी प्राप्त करके गरीबी रेखा के नीचे है।
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निम्न उत्पादन (Low Production)-
देश में कृषि का उत्पादन अपेक्षित रूप में नहीं बढ़ रहा है, इसी प्रकार औद्योगिक उत्पादनों में 75% सार्वजनिक उपक्रम घाटे में हैं। इसके अलावा साहसियों का अभाव, कच्चे माल की कमी, पूजी का अभाव, श्रम संघर्ष व शक्ति की अनियमित पूर्ति आदि से उद्योग अविकसित है। अतः देशवासियों की न्यून उत्पादकता के कारण न्यून आय व गरीबी में बढ़ोत्तरी हो रही है।
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भ्रष्टाचार व शोषण (Corruption and Exploitation)-
भारत में आर्थिक ‘भ्रष्टाचार व शोषण बढ़ रहा है, इस कारण धन कुछ लोगों में ही केन्द्रित हो रहा है। आज देश के विभिन्न कार्यालयों में 40% कार्यालय भ्रष्टाचार की चपेट में हैं, इसी प्रकार शोषणकारी प्रवृत्तियाँ मुखर हैं, क्योंकि उद्योगपति ही श्रमिक का शोषण नहीं कर रहा है, बल्कि कृषक वर्ग भी भूमिहीन श्रमिकों का शोषण कर रहा है, जिससे आय का संचलन वेग एक वर्ग विशेष तक ही सीमित है। अतः गरीब निरन्तर और गरीब होता जा रहा है।
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गरीबों के लिए अपर्याप्त जनसेवाएँ (Inadequate Public Services for the Poor’s)-
स्वतंत्रता के बाद गरीबी उन्मूलन व बेरोजगारी निराकरण क उद्देश्य से बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना हुई, लेकिन गरीबों के लिए आवश्यक सेवाएँ जैसे- पेयजल, सफाई, चिकित्सा सुविधाएँ, प्राथमिकता के आधार पर पोषित हुए इससे गरीबों के उत्थान का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सका।
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राजनैतिक कारण (Political Causes) –
स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश शासन ने किसानों से ऊँचे लगान वसूल किये, जिससे भारत का सम्पन्न कृषक ऋणग्रस्त हो गया, शनै:- शनैः जनसंख्या में वृद्धि हुई तो उत्तराधिकार के नियमों के कारण भूमि विखंडित हो गई। इसका ग्रामीण जनसंख्या पर कुप्रभाव यह रहा कि वे गरीबी की कगार पर खड़े हो गये।
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