भारत में स्थानीय शासन की संवैधानिक स्थिति क्या है | What is the constitutional status of local government in India in Hindi

भारत में स्थानीय शासन की संवैधानिक स्थिति क्या है | What is the constitutional status of local government in India in Hindi
भारत में स्थानीय शासन की संवैधानिक स्थिति
भारत के संविधान में कहीं भी ‘स्थानीय शासन’ की परिभषा नहीं दी गयी है। सातवें शेड्यूल (सूची II, आयटम 5 ) में कहा गया है : “स्थानीय शासन, अर्थात् म्यूनिसिपल कारपोरेशन, इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट जिला परिषदों, खदान अधिकरणों, और स्थानीय स्व-शासन तथा ग्राम प्रशासन के हेतु अन्य स्थानीय अधिकरणों का गठन एवं शक्तियाँ।” इससे केवल उन स्थानीय निकायों के प्रकारों की व्याख्या है जो संविधान को वैधानिक रूप प्रदान किये जाने के दौरान विद्यमान थे। दूसरे इस व्याख्या में निर्वाचित निकायों एवं नामित निकायों को एक ही स्तर पर रखा गया है, जो स्पष्ट रूप से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
इस प्रकार, 1993 तक भारत में स्थानीय शासन राज्यों के विवेक पर निर्भर था और इसलिए उसे अपने अधिकार से अस्तित्व में बने रहने का अधिकार नहीं था। संविधान का तिहत्तरवां संशोधन, जो 1993 से लागू हुआ, इन कमियों को दूर कर देता है। संविधान के अनुच्छेद 243 में ग्राम सभा की शक्तियों पंचायतों के गठन, सीटों के आरक्षण, पंचायत की अवधि, वित्त आयोग के गठन, पंचायत की लेखा-परीक्षण और लेखा का उल्लेख है।
संविधान में अब एक नयी सूची है- दसवीं सूची के बाद ग्यारहवीं सूची। संविधान के भाग नौ में, जो 1992 में जोड़ा गया, पंचायती राज के ढांचे सम्बन्धी, संगठनात्मक, क्रियात्मक एवं वित्तीय पहलुओं का उल्लेख हैं राज्यों की विधायिकाओं को इन कार्यों के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है:
(1) पंचायत को कतिपय प्रकार के कर, ड्यूटी, चुंगी तथा शुल्क उगाहने, संग्रह करने और विनियोग करने के लिए।
(2) पंचायत के लिए कतिपय प्रकार के कर, ड्यूटी, चुंगी निर्धारित करना, जो राज्य सरकार द्वारा उगाहे और संग्रह किये जायें।
(3) राज्यों की संचित निधि से पंचायतों के लिए सहायक अनुदान प्रदान करने का प्रावधान करना।
(4) पंचायतों रा प्राप्त समस्त धन credit करने तथा ऐसे धन को निकालने के लिए निधियों के गठन का प्रावधान करना।
भारत में स्थानीय शासन को- ग्रामीण पंचायती राज संस्थाओं तथा नगरीय दोनों को- 1993 से, जब 1992 में पारित तिहत्तरवां एवं चौहत्तरवां संविधान संशोधन लागू हुए, संवैधानिक दर्जा, प्रदान किया जाता है। यह अनुपम विशिष्टता है, क्योंकि अधिकांश देश अपने स्थानीय शासन को वैधानिक कानूनों द्वारा शासित होने देने से सन्तुष्ट हैं। भारत अपने संविधान में ही स्थानीय शासन का समावेश करने वाला पाँचवाँ देश है, अन्य चार देश जर्मनी, जापान, ब्राजील एवं नाइजीरिया हैं। जर्मनी और जापान को स्थानीय शासन को संवैधानिक मान्यता प्रदान करने के लिए मित्र राष्ट्रों द्वारा विवश किया गया था। यह तथ्य भी ध्यान में रखना चाहिए कि ‘काउन्सिल आफ यूरोप’ के सदस्य राज्यों द्वारा अपनाये जाने को तैयार किये गये ‘ड्राफ्ट यूरोपियन चार्टर आफ लोकन सेल्फ गवर्नमेण्ट’ में यथोष्ट कानूनी संरक्षण का प्रावधान है।
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