इतिहास / History

इतिहास के विभिन्न प्रकारों का संक्षेप में वर्णन। different kinds of history in Hindi

इतिहास के विभिन्न प्रकार
इतिहास के विभिन्न प्रकार

इतिहास के विभिन्न प्रकारों का संक्षेप में वर्णन । Discuss briefly the different kinds of History.

इतिहास के विभिन्न प्रकार

  1. राजनैतिक इतिहास
  2. आर्थिक इतिहास
  3. धार्मिक इतिहास
  4. सामाजिक इतिहास

इतिहास के विभिन्न प्रकार कोन-से हैं? प्रत्येक व्यक्ति को यह प्रश्न कुछ अटपटा-सा लगता है, क्योंकि इतिहास तो एक प्रकार का हो सकता है। यह मानवता के क्रमिक विकास के अतिरिक्त और कुछ नहीं हो सकता। इस प्र कार इतिहास हमारे सामने ‘मानवीय़ इतिहास’ के रूप में आता है। हमारी रुचि भी मानव में है बौर हम यह जानना चाहते हैं कि मानव पृथ्वी पर कब आया। उसने किस प्रकार सामाजिक जीवन का विकास किया? उसने हमारे लिए इतिहास किस प्रकार तैयार किया? इस रूप में इतिहास हमारे समक्ष ए क सम्पूर्ण ऐक्य के रूप में आता है; परन्तु इस सम्पूर्ण ऐक्थ का ज्ञान मानव निश्चित अवधि में प्राप्त नहीं कर सकता। इस का उस सम्पूर्ण ऐक्य से परिचित होने के लिए विद्वानों ने उसको विभिन्न खण्डों विभाजित कर दिया। ये खण्ड सामाजिक इतिहास राजनेतिक इतिहास आरधिक इतिहास, स्थानीय इतिहास, प्रान्तीय इतिहास, राष्ट्रीय इतिहास विश्व-इतिहास, गुप्तकालीन इतिहास, मुगलकालीन इतिहास आदि हैं;B परन्तु ये सब भेद पठन-पाठन की सुविधा, देश-काल एवं परिस्थिति के आधार पर किये गये। मानव का विकास विभिन्न युगों में निवास-स्थान के अनुसार हुआ। इसी निवास-स्थान के आधार पर स्थानीय, प्रान्तीय, राष्ट्रीय आदि प्रकार से इतिहास का धर्गीकरण किया गया। नीचे संक्षेप में इनका विवेचन किया जा रहा है –

  • राजनैतिक इतिहास-

अरस्तू ने इतिहास को मानव की कहानी माना था; परन्तु उसने इस कहानी का मुख्य आधार मानव के राजनैतिक कार्यों को माना; परन्तु फ्रीमन (Freeman) महोदय इतिहास को राजनं तिक घटनाओं का संग्रह मानते हैं। वह इतिहास को बतीत की राजनीति मानते हैं। उसने कहा कि इतिहास को समाज के राजनै तिक जीवन के विकास का वर्णन करना चाहिए। राजनीतिक घटनाओं के द्वारा इतिहास का निर्माण किया जाता है। इनके द्वारा सामाजिक तथा आथिक जीवन का भी निर्णय होता है। ये घटनाएँ काल-करम पैदा करने में भी सहायक हैं; परन्तु इतिहास को हम पूर्ण रूप से राजनीतिक घटनाओं का लेखा नहीं मान सकते। यदि ऐसा करते हैं तो भूल करेंगे; क्योंकि एक तो राजनैतिक इतिहास वैज्ञानिक इतिहास का लेखा देने में असमर्थ रहता है। ऐसा उसके द्वारा इस कारण नहीं हो पाता कि राजनैतिक-इतिहास में केवल शासकों एवं उनके कार्यों का ही विवरण दिया जाता है। राजमतिक इतिहास सामान्य व्यक्ति के कार्यों से सम्बन्ध नहीं रखता । यह सत्य है कि कभी-कभी राजनै तिक घटनाओं से सामाजिक तथा आर्थिक जीवन का निर्धारण होता है, परन्तु यह तथ्य सभी परिस्थितियों में सत्य नहीं हो पाता। फ्रांस की ऋंति की मुख्य कारण सामाजिक तथा आथिक परिस्थितियाँ थीं। इनके अतिरक्त कभी-कभी बहुत-सी षटनाएँ भौगोलिक परिस्थितियों के द्वारा भी निर्धारित की जाती हैं। यदि इतिहाग मानव के विकास की कहानी है तो उसको अपनी साथकता को मित्ध करने के लिए उसके सभी पक्षों के विकास का बर्णन करना पडेगा। यदि वह ऐसा नहीं करेगा तो वह अपने को इतिहास की संज्ञा नहीं दे सकता। राजनंतिक इतिहास के द्वारा समाज के केवल राजनीतिक अंग/ का ही वर्णन किया जाता है और उसमें समाज के अन्य अंगों का वर्णन नहीं होता।

स्थान के आधार पर इतिहास का वर्गकरण | Classification of history by location in Hindi

  • आर्थिक इतिहास-

माक्सवादियों के अनुसार आयिक आवश्यकता समाज के समस्त आचरण की जड़ है । आ्षिक परिस्थितियाँ युद्ध एवं सान्धि का निर्णय करती हैं। इन परिस्थितियों के का०ण अनेक राजनै तिक समस्याएँ उठ खड़ी होती हैं। यहा तक कि राज्य, समाज, संस्कृति आदि का उत्थान एवं पतन बहुत कुछ सीमा तक इन्हीं आर्थिक परिस्थितियों पर आधारित है। इस कारण वे लोग इतिहास में आर्थिक प्रश्नों को प्रधानता देने के लिए कहते हैं। यह सत्य है कि इतिहास में आर्थिक कारण अत्यन्त महत्वपूर्ण है परन्तु इसको ही समस्त विकास का आधार मान लेना उपयुक्त नहीं है। मानव केवल रोटी के लिए जीवित नहीं रहता वरन् उसमें पर-सेवा की भी भावमा होती है जिसकी सन्तुष्टि करना आवश्यक है। इतिहास हमे मानव में त्याग के कार्यों के भी बहुत-से उदाहरण प्रस्तुत करता है जिससे मनुष्य स्वार्थ त्याग करने की भावना अपने में उत्पन्न करने पें समर्थ होता है। बहुत से ऐसे भी परिवर्तन हैं जो कि आर्थिक कारणों के अभाव में हुए है। इस प्रकार आर्थिक इतिहास, इतिहास का पूर्ण चित्र प्रस्तुत करने में असमर्थं रहता है। अत: आधिक कारणों को ही इतिहास का भूलाधार नहीं मान सकते।

  • धार्मिक इतिहास-

कुछ विद्वान् धार्मिक इतिहास के अध्ययन पर बल देते हैं। वे धर्म को मानव समाज में परिवर्तन का प्रमुख कारण गानते हैं धार्मिक कारणों के कारण मानव समाज में विभिन्न क्षेत्रों में उथल-पृथल होती है। धर्म को ही मूल रूप में राजनैतिक इतिहास का निमर्माता मानते हैं। परन्तु धर्म को संकीर्णंता ने धार्मिक इतिहास के महत्त्व को कम कर दिया। परन्तु हमें यह ध्यान रक्षना चाहिए कि यदि धर्म को मानव-धर्म के रूप में ग्रहण किया जाय तो मानवता की उन्नति एवं प्रगति के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है।

  • सामाजिक इतिहास-

सामाजिक इतिहास का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। सामाजिक जीवन के अंतर्गत कृषि, उद्योग, शिक्षा, पारिवारिक जीवन साहित्य, धर्म रीति-रिवाज, रहन-सहन भाषा आदि सब कुछ आ जाता है। एक प्रकार से आथिक तथा राजनेतिक परिवर्तन भी सामाजिक जीदन के अंग हैं, परन्तु इसका यह व्यापक क्षेत्र इतिहासकारों तथा शिक्षाशास्त्रियों के समक्ष बहुत -सी समस्याएँ उत्पन्न कर देता है कि इसकी सामग्री का अध्ययन हेतु चयन किस प्रकार किया जाय? किस स्तर पर किन सामाजिक घटनाओं को पढ़ाने के लिए निर्धारित किया जाय? दूसरे शब्दों में इसमें पाठ्यक्रम निर्धारित करने में कठिनाई उस्पन्न होती है। दूसरे इसके विरुद्ध एक तर्क यह भी प्रस्तुत किया जाता है कि सामाजिक इतिहास के द्वारा बालकों में समय ज्ञान विकसित करना कठिन है। इसी कारण विद्वान् पाठ्यक्रम में सामाजिक इतिहास को स्थान देने के पक्ष में नहीं हैं।

इतिहास का जो उपर्युक्त विभाजन प्रस्तुत किया है, वह परिस्थिति के आधार पर है, परंतु इतिहास के इन विभिन्न विभागों में समन्वय होना आवश्यक है; क्योंकि इसके अभाव में इतिहास का शिक्षण ठीक रूप से नहीं किया जा सकता। इनमें समन्वय स्थापित करने के लिए यह उपयुक्त होगा कि इतिहास को राष्ट्र के हृष्टिकोण से विभाजित किया जाय और उसका विभाजन काल-विशेष की दृष्टि से किया जाय; परंतु यह विभाजन बड़ी सतर्कता के साथ किया जाना चाहिए। जिस काल-विशेष को शिक्षण के लिए चुना जाय; उसके महत्वपूर्ण अंगों की विवेचना उसकी महत्ता के अनुसार की जानी चाहिए। इसके साथ-साथ यह भी छ्योन रखना चाहुए कि उसका कोई अंग अछूता न रह जाय। इस विभाजन में यह भी ध्यान रखा जाय कि उसके वर्णित घटनाओं का क्रम भ न टूटने पाये; अर्थात काल-क्रम के अनुसार उन घटनाओं की प्रस्तुत किया जाय।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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