इतिहास एक विज्ञान के रूप में | इतिहास एक कला के रूप में | इतिहास विज्ञान तथा कला-दोनों है

इतिहास एक विज्ञान के रूप में | इतिहास एक कला के रूप में | इतिहास विज्ञान तथा कला-दोनों है | History as a science in Hindi | History as an Art in Hindi | History is both a science and an art in Hindi
इतिहास एक विज्ञान के रूप में
इतिहास की वैज्ञानिकता के विषय में बड़ा सन्देह प्रकट किया जाता है। कुछ विद्वानों का मत है कि इतिहास एक विज्ञान नहीं है। वे लोग अपने मत के पक्ष में अधोलिखित तर्क प्रस्तुत करते हैं-
(1) इतिहास में हम किसी निश्चित सिद्धान्त का निर्माण नहीं कर सकते हैं जो प्रत्येक देश, काल एवं परिस्थिति में सत्य निकले। उसमें भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान आदि की भौति निश्चित नियम नहीं बना सकते; जैसे- गणित में दो और दो ‘चार’ होते हैं जो कि प्रत्येक काल एवं परिस्थिति में परिवर्तनहीन है। रसायन विज्ञान में जब हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन को 2 और 1 के अनुपात में मिलाया जाता है तो पानी बनता है।
(2) इतिहास की वैज्ञानिकता के विरुद्ध सबसे महत्वपूर्ण तर्क यह प्रस्तुत किया जाता है कि यह एक ऐसा विषय है जो मानव की इच्छा तथा उसके कार्यों की व्याख्या करता है; परन्तु मानव की इच्छाओं पर अंकुश नहीं जा सकता, क्योंकि वह अपने विचारों में पूर्ण स्वतन्त्र है। ऐसी स्थिति में इतिहास में किसी नियम का निर्धारण नहीं किया जा सकता।
उपर्युक्त तकों में सत्यता निहित है। उनकी वास्तविकता से हम विमुख नहीं हो सकते। इतिहास में भौतिक विज्ञानों की भाँति परीक्षण एवं प्रयोग नहीं कर सकते।
परन्तु जो विद्वान् इतिहास को एक विज्ञान कहते हैं, वे उस रूप में ग्रहण नहीं करते जिस रूप में कि भौतिकशास्त्र एक विज्ञान है । वे लोग अपने पक्ष में, अर्थात् इतिहास के एक विज्ञान होने के पक्ष में अधोलिखित तर्क प्रस्तुत करते हैं-
(3) उनका कहना है कि इतिहास अनेक घटनाओं का विवरण है। वह इन घटनाओं की वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्या करता है। उसमें इन बातों की विवेचना की जाती है कि अमुक घटना कब, क्यों, कैसे और कहाँ घटित हुई। इन बातों की विवेचना करने में उसे वैज्ञानिक विधि का सहारा लेना पड़ता है। इस कारण हम उसे एक विज्ञान कह सकते हैं, क्योंकि प्रकृति के किसी विभाग के सम्बन्ध में ज्ञान के क्रमबद्ध संग्रह को विज्ञान कहते हैं। इस दृष्टिकोण से उसको हम एक विज्ञान की श्रेणी में रख सकते हैं। हक्सले (Huxley) का कहना है कि –“मैं उस ज्ञान को विज्ञान मानता हूँ जो तर्क तथा प्रमाणों पर आधारित है।” इतिहास की सामग्री भी तर्क तथा तथ्यों पर आधारित है। इस कारण वह भी एक विज्ञान है।
(2) हरबर्ट स्पेन्सर, जो कि वैज्ञानिक प्रवृत्ति का जन्मदाता था, ने विज्ञानों का अधोलिखित वर्गीकरण प्रस्तुत किया-
(i) सूक्ष्म-विज्ञान (Abstract Sciences) – इनके अन्तर्गत उसने तर्क- शास्त्र तथा गणित को रखा।
(ii) सूक्ष्म-स्थूल विज्ञान (Abstract-Concrete Sciences) – इस श्रेणी के अन्तर्गत भौतिक तथा रसायन शास्त्रों को स्थान प्रदान किया ।
(iii) स्थूल विज्ञान (Concrete Sciences)- इसमें जीव-विज्ञान, नक्षत्र- विज्ञान, मनोविज्ञान तथा समाजशास्त्र को माना। उसने इतिहास को समाजशास्त्र के अन्तर्गत रखा।
इस वर्गीकरण से भी इतिहास की वैज्ञानिकता स्पष्ट हो जाती है। प्रो० घाटे ने इतिहास की वैज्ञानिकता के विषय में कहा है, “यह एक आलोचनात्मक विज्ञान है जिसके द्वारा हम किसी तथ्य, किसी घटना अपवा किसी वस्तु की छानबीन करते हुए किसी वास्तविक निर्णय पर पहुंचते हैं और उसका उसी के अनुरूप अर्थ निकालते हैं।”
(3) ऐतिहासिक विधि जो निरीक्षण, तुलना तथा नियमीकरण से बनता है, वह विज्ञान की सजातीय है।
(4) इतिहासकार इतिहास के निर्माण के लिए सर्वप्रथम तथ्यों का संकलन करता है। इनके संकलन के पश्चात् वह निष्पक्षता एवं सतर्कता से इनका विश्लेषण करता है। दह देखता है कि ये तथ्य सत्य या असत्य है । अन्त में वह विश्लेषण एवं तुलनात्मक निरीक्षण के आधार पर सत्यता पर पहुंचता है और सामान्य निष्कर्षो का निर्माण करता है। यह सत्य है कि ये नियम भौतिक विज्ञान के नियमों की भाँति अटल न हों; परन्तु उसका निर्माण वैज्ञानिक विधि से किया जाता है। इसके अति- रिक्त जिन परिस्थितियों में उनका निर्माण किया गया है, उनमें सत्य हो सकते हैं । अतः इतिहास के नियमों द्वारा सम्भाव्यता का प्रदर्शन किया जाता है।
अन्त में हम कह सकते हैं कि इतिहास संकीणं अर्थ में विज्ञान की कसौटी पर खरा भले ही नहीं उतरे, परन्तु विज्ञान की उदार परिभाषा के अनुसार वह एकव है जिसकी प्रयोगशाला समस्त विश्व है तथा जिसकी सामग्री स्वयं मानव है जो कि अस्थि-चर्म-रुधिर पिण्ड है, जबकि भौतिक शास्त्र की सामग्री मानव के अधिकार में रहती है।
इतिहास एक कला के रूप में
कुछ विद्वान ऐसे हैं जो इतिहास को एक कला मानते हैं। जब इतिहास एक विज्ञान है तो वह कला नहीं हो सकता। यदि कला है तो विज्ञान नहीं हो सकता, परन्तु जो विद्वान इसे कला मानते हैं, उनका कहना है कि इसके द्वारा इतिहास के सत्य तथ्यों के अस्थि-पिजर को जीवन-प्रदान किया जाता है। कला का शाब्दिक अर्थ है कि वैज्ञानिक अनुसन्धानों का उपयोग मानव की समस्याओं को हल करने में किया जाय इसी कारण इतिहास का महत्व है। इसलिए उसको एक कला माना जाता है।
इतिहास विज्ञान तथा कला-दोनों
वास्तविकता यह है कि इतिहास विज्ञान तथा कला— दोनों ही है। जब यह सत्य की खोज करता है तब वह एक विज्ञान है, और जब उन सत्य तथ्यों के प्रति पादन एवं वर्णन का विषय है तब वह कला है। इस प्रकार इतिहास बहु माध्यम है जिसमें ज्ञान तथा क्रिया अविभाजित एकता प्राप्त करते हैं। गीतों में एक स्थान पर कहा गया है कि विद्वान ज्ञान तथा क्रिया को एक मानकर खोजते हैं। इतिहास में विद्वान ज्ञान तथा क्रिया-दोनों की प्राप्ति कर सकता है।
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