शिक्षाशास्त्र / Education

प्रकृतिवाद की विशेषताएँ | Characteristics of naturalism in Hindi

प्रकृतिवाद की विशेषताएँ | Characteristics of naturalism in Hindi

प्रकृतिवाद की विशेषताएँ

नीचे हम प्रकृतिवाद की कुछ विशेषताएँ बतायेंगे जिनसे इसके बारे में और भी ज्ञान होगा। ये विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

(i) प्रकृतिवाद प्रकृति को ही सम्पूर्ण तत्व मानता है- इसके अनुसार ईश्वर की सत्ता, संकल्प की स्वतन्त्रता, आत्मा की अमरता, दूसरे जगत की इस जीवन के बाद सत्ता ये सब कुछ नहीं है। दृष्टिगोचर प्रकृति का ही अस्तित्व है।

(ii) प्रकृति में विभिन्न प्रकार की शक्ति होती है— ये शक्तियाँ हैं गर्मी, प्रकाश, गति, विद्युत, तथा आकर्षण की, ये एक दूसरे में परिवर्तनशील हैं। इनके गुण में ही परिवर्तन होता है न कि परिमाण में। पुद्गल या पदार्थ भी एक शक्ति है। अतएव प्रकृतिवाद शक्ति-संरक्षण और शक्तिवाद में विश्वास रखता है।

(iii) प्रकृति सर्वोच्च और स्वयं निर्भरशााली है- प्रकृति की शक्तियां सर्वोच्च होती हैं। इसमें एक लय होती है जिससे उनमें एक अच्छाई मिलती है। यह लय समयानुसार प्रकट होती है जैसे ऋतुओं का क्रम है।

(iv) प्रकृतिवाद विकास के सिद्धान्त में विश्वास करता है—सभी पौधों-पशुओं के सभी जातियों वर्गों में विकास होता है। विकास नियम से समयानुसार होता रहता है। पौधों और पशुओं में सरल से जटिल की ओर विकास होता है। निष्प्रयोजन स्वयमेव विकास होता है।

(v) प्रकृतिवाद यांत्रिक कारणवाद में विश्वास करता है- प्रकृति के नियम और उसकी क्रिया कारण परिणाम को प्रकट करते हैं। मनुष्य का मन मस्तिष्क की सह-क्रिया है जिसमें स्वतन्त्रता तथा स्वाभिप्रेरण का अभाव होता है। इच्छाएँ एवं कार्य पूर्व व्यवस्था के फलस्वरूप होते हैं।

(vi) पदार्थ सत्य होता है, अस्तित्व वाला होता है— इस दर्शन ने पाँच पदार्थ माने हैं जिनके एक निश्चित अनुपात से जीवन धारण होता है। इस अनुपात का विघटन होने से जीवन समाप्त होता है। यह सभी पौधों व पशुओं के बारे में सत्य होता है।

(vii) पदार्थ जीवनहीन होते हुए भी जीवन देने में सक्षम होता है— जीवन भौतिक तथा रासायनिक शक्तियों के संयोग से होता है शरीर के भौतिक एवं रासायनिक पदार्थ से बना है फिर भी उसमें जीवन पाया जाता है, जीवन का विकास होता है। मन इस शरीर के अंग मस्तिष्क की गौण उपज है, चेतना परस्पर क्रिया करने वाली शक्तियों से उत्पन्न होती है। प्राकृतिक घटना में किसी का हस्तक्षेप नहीं होता है।

(vii) अलौकिकता में प्रकृतिवाद विश्वास नहीं करता है- प्रकृतिवाद दैवी चमत्कार, स्वर्ग, भाग्य, अदृश्य वस्तुओं, व्यक्तियों एवं क्रियाओं में विश्वास नहीं करता। क्योंकि ये सब इस लोक की चीजें नहीं हैं।

(ix) धर्म के मूल्यों में प्रकृतिवाद का विश्वास पाया जाता है— यद्यपि ईश्वर आत्मा आदि में प्रकृतिवाद का कोई विश्वास नहीं होता है फिर भी धर्म-कर्त्तव्य के मूल्यों में प्रकृतिवाद विश्वास रखता है। कुछ प्रकृतिवादी धर्म की अवहेलना भी करते हैं।

(x) मनुष्य, पशु, पक्षी सभी जीवधारी प्रकृति की रचना हैं—बर्ट्रेण्ड रसेल जैसे दार्शनिक ने पशु और मनुष्य की रचना को समान बताया है। जीव विज्ञान की दृष्टि से यह सही है। मनुष्य अन्य जीवधारियों से अधिक विकसित होता है। सभी प्राणी प्रकृति से उत्पन्न हैं और उसमें ही पुनः समा जाते हैं।

(xi) प्रकृतिबाद मनुष्य को प्रकृति के समीप लाने की कोशिश करता है- रूसो, वईसवर्थ, टैगोर आदि दार्शनिकों ने मनुष्य को जीवन के वास्तविक सुख-शान्ति और आनन्द प्राप्त करने के लिए प्राकृतिक जीवन बिताने को कहा है, प्रकृति की सादगी, सरलता, सुन्दरता एवं सौम्यता सच्चा सुख देती है अतएव प्रकृतिवाद मनुष्य की प्रकृति के साथ व समीप रहने के लिए कोशिश करता है।

(xii) इन्द्रियों के माध्यम से सत्य ज्ञान का अनुभव होता है—आदर्शवाद इन्द्रियों को भ्रमपूर्ण ज्ञान देने वाला मानता है। इसके विपरीत प्रकृतिवाद का विश्वास है कि प्रकृतिवाद इन्द्रियों के माध्यम से ही सभी ज्ञान सच्चाई के साथ मिलने का दावा करना है।

(xiii) प्रकृति-विज्ञानों से वास्तविक ज्ञान मिलता है- प्रकृतिवाद का विश्वास है कि सभी ज्ञान का मुख्य स्रोत विज्ञान है। विज्ञान के द्वारा प्रकृति के नियम प्रकट होते हैं और इन नियमों से मनुष्य को वास्तविक ज्ञान मिलता है।

(xiv) जगत का विधान यंत्र के समान हुआ है प्रकृतिवाद का ऐसा विश्वास है- प्रकृति विज्ञान के अनुसार परमाणु एकत्र होकर अणु बनकर अणुओं के एकत्र होने से पदार्थ बन गया। पृथ्वी की ठंडी सतह से संश्लिष्ट कार्बन डाइ-ऑक्साइड शरीर के कोष्ठों की उत्पत्ति भी इन्हीं से हुई। परिवर्तन और चुनाव के कारण विकास होता है। अधिक विकसित होने पर स्नायु मण्डल बन गया और इसके द्वारा अनुभव तथा ज्ञान मिलना सम्भव हुआ। यह क्रम सभी पशु-पौधों में पाया जाता है। अस्तु, जगत का विधान यंत्रवत होता है।

शिक्षाशास्त्र महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!