इतिहास / History

काबूर तथा इटली का एकीकरण | इटली के एकीकरण में काबुर का योगदान | प्लोबियर्स का समझौता | Cavour and unification of Italy in Hindi

काबूर तथा इटली का एकीकरण | इटली के एकीकरण में काबुर का योगदान | प्लोबियर्स का समझौता | Cavour and unification of Italy in Hindi

काबूर तथा इटली का एकीकरण (Cavour and unification of Italy)

काउन्ट काबूर (Count Camilo Benso Cavour) पीडमौण्ड का निवासी था और पेशे में इंजीनियर था। आरम्भ में वह सेना में भर्ती हुआ, लेकिन शीघ्र ही अपने उदार विचार के कारण सेना की नौकरी छोड़नी पड़ी। वह वैध राजतन्त्र में विश्वास रखता था। कुछ दिनों बाद वह पीडमौण्ट के प्रथम संसद के चुनाव में खड़ा हुआ और विजयी हुआ। 1850 ई. में वह मंत्रिमंडल में शामिल हुआ। और 1852 ई. में प्रधानमंत्री बना। प्रधानमंत्री बनते ही उसने अपनी राज्य की शक्ति बढ़ाने का प्रयल किया और एक राजनीतिज्ञ तथा एक अद्वितीय” राजनयिक का परिचय दिया। राजा विक्टर इमैनुएल की कृपा भी उसे प्राप्त थी, अतः पीडमेट- सार्डिनिया में संसदीय शासन प्रणाली का विकास किया और स्वायत्त संस्थाओं का निर्माण कर जनता को स्थानीय संस्था से अवगत कराया। उसने चर्च के विशेषाधिकारी को भी समाप्त किया और मठो को नष्ट कर धार्मिक प्रचार दूर करने का प्रयास किया। शिक्षा की उन्नति के लिये शिक्षण संस्थाओं की स्थापना भी की।

राज्य की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिये काबूर ने मुक्त व्यापार को प्रोत्साहित किया । व्यापार को बढ़ावा देने के लिए उसने विदेशी राज्यों से सन्धियां की। वस्तुओं के मूल्यों में भारी कमी कर दी गयी। व्यापारिक सामग्री के उत्पादन के लिये उसने सार्डीनिया में अनेक कल-कारखाने तथा आवागमन को आसान बनाने के लिए तत्सम्बन्धी साधनों का निर्माण किया। रेलवे लाइनें बनाई गयी और नहरों का विस्तार किया गया और बंजर एवं दलदली भूमि का सुधारकर उसे कृषि लायक बनाया गया। किसानों की सुख-सुविधा के लिये अनेक समितियों का गठन कर लिया गया। इस पर पीडमौण्ड आधुनिक राष्ट्र की श्रेणी में आ गया।

इटली के एकीकरण का पहला चरण-  

इटली के एकीकरण के सम्बन्ध में काबूर के कुछ खास सिद्धान्त थे। उसकी राय थी कि समस्त इटली में सार्डिनिया ही एक ऐसा राज्य था जो इटली को नेतृत्व प्रदान कर सकता था। उसके विधार से इटली के एकीकरण के लिए आस्ट्रिया को इटली से निकालना जरूरी था और वह वाह्य सहायता से सेना द्वारा ही सम्पादित हो सकता था। लेकिन इंग्लैण्ड ने यूरोपीय राजनीति में हिस्सा लेना छोड़ दिया था। अतः फ्रांस से ही कूटनीति एवं सैनिक सहायता की अपेक्षा की जा सकती थी। काबूर इटली के एकीकरण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहानुभूति प्राप्त करना चाहता था। जिसके लिए आवश्यक था इटली के प्रश्न को अन्तर्राष्ट्रीय बनाया जाए।

विदेशी सहायता-  

काबूर अपनी योग्यता अनुसार इटली के एकीकरण के लिए विदेशी सहायता प्राप्त करने के लिये उद्यत हुआ संयोगवश इसी समय 1854 ई. में रूस और तुर्की के बीच युद्ध में भाग लिया। जब लड़ाई शुरू अब लड़ाई शुरू हुयी तो काबुर ने सार्डिनिया की तरफ सेना भेजकर इंग्लैण्ड और फ्रांस की मदद की। एक जोखिम भरा काम था क्योंकि यह लड़ाई बहुत दिनों तक चली जिसमें दोनों तरफ से मरने वालों और हताहतों की संख्या काफी थी। फिर भी क्रीमियां की इस लड़ाई से फ्रांस और इंग्लैण्ड में सार्डिनिया के प्रति सहानुभूति की  भावना आई। युद्ध की समाप्ति के बाद पेरिस शान्ति सम्मेलन में आस्ट्रिया के विरोध के बावजूद फ्रांस और इंग्लैण्ड के कारण अन्य मित्र राष्ट्रों की कतार में सार्डिनिया को भी बैठने का मौका मिला। वहां उसने इटली की दुरावस्था को सबके सामने उजागर करने में सफलता प्राप्त की। इटली की दुर्दशा के लिए उसने आस्ट्रिया को जिम्मेदार ठहराया। सारे यूरोप का ध्यान इस समस्या की ओर आकर्षित हुआ और यूरोप के सभी राज्यों की सहानुभूति इटली के साथ थी और 1856 ई. में पेरिस कांग्रेस में ऑस्ट्रिया ने स्पष्ट कर दिया कि सेना द्वारा पराजित कर ही इटली से हटाया जा सकता है। कास्टोजा और नोवोरा के युद्धों ने यह स्पष्ट कर दिया कि अकेले पीडमौण्ड के लिये ऑस्ट्रिया को पराजित करना सम्भव नहीं था। इसलिए पीडमौण्ड को यूरोप में इटली की राजनीतिक एकता के लिए विदेशी मित्रों की खोज थी। यह तय था कि काबुर इंग्लैण्ड से मदद लेना ज्यादा पसन्द करता था, क्योंकि इंग्लैण्ड उदारवाद एवं राष्ट्रवाद का समर्थक समझा जाता था, और वह इटली से किसी चीज की अपेक्षा भी नहीं करता था लेकिन दुर्भाग्य बस ब्रिटिश सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह इटली के एकीकरण के लिए सैनिक सहायता नहीं प्रदान करेगी। वास्तव में पामर्टन को विदेशी नीति से स्वयं सिद्ध सिद्धान्त कि फ्रांस और रुस के शक्ति सन्तुलन को बरकरार रखने के लिए आस्ट्रिया साम्राज्य को जीवित रहना आवश्यक है, अब भी ब्रिटिश सरकार को मान्य था। जब 1857 ई. में आर्कड्यूक मैक्सिमिलियन लोम्बार्डो का वायसराय नियुक्त हुआ और उसने मेलभाव और समझौता वाद नीति अपनाई तो इससे ब्रिटिश सरकार सन्तुष्ट हो गयी। ऐसी स्थिति में काकुर इंग्लैण्ड से युद्ध की हालत में तटस्थता ही अधिक से अधिक आशा कर सकता था।

ऐसी हालत में फ्रांस ही एक ऐसा देश था जिस पर काकुर आशा भरी निगाह से देख सकता था। वास्तव में नैपोलियन तृतीय के कार्बोनरी संगठन का अपने प्रवास के दिनों में सदस्य रह चुका था, अतः उससे कुछ आशा करना काबुर के लिए तर्क संगत था इसके अलावा उसे प्रादेशिक प्रलोभन देकर भी मदद के लिए तैयार किया जा सकता था। नेपोलियन तृतीय विदेशों में प्रतिष्ठा अर्जित करने के लिए भी लालायित था, और इटली के एकीकरण आन्दोलन में शरीक होकर अपने देशवासियों के उदार एवं प्रसारवादी वर्ग के लोगों का समर्थन प्राप्त कर सकता था। नेपोलियन क्रीमिया के युद्ध से सीखा था कि विजय के बाद विजयी देश की प्रतिष्ठा बढ़ती है। इसके अलावा वह मूलतः षड्यन्त्रकारी था। और आस्ट्रिया के विरुद्ध षड्यन्त्र करना उसे अच्छा लगता था। यदि नेपोलियन पीडमौण्ट सार्डिनिया को सैनिक मदद देकर अनुग्रहीत करता तो निश्चित रूप से फ्रांस की सीमा पर उत्तरी इटली का यह राज्य उसके प्रति वफादार होता तो बाद में लाभप्रद हो सकता था। 1815 ई. की अपमानजनक स्थिति को भुनाने के लिए नीस और सेवाय लेना भी उसे फायदेमंद लगता था। अन्जाने में इटली के एकीकरण की प्रक्रिया शुरूआत नेपोलियन प्रथम ने शुरू की थी। जिसकी नेपोलियन तृतीय पूरी कर खुश होने का दम भर रहा था। 1856 ई. के चुनाव में फ्रांसीसी जनता ने एक कमजोर विपक्ष को संसद में भेजा जिससे नेपोलियन का आत्म विश्वास और बढ़ा और प्रसारवादी नीति को अख्तियार करने के लिये उद्धत हुआ। इसी बीच ओसोनी नामक इटली के एक देशभक्त ने ओपेरा जाते समय नेपोलिन तृतीय पर जानलेवा हमला कियाऔर जब उस पर मुकदमा चला तो उसने नेपोलियन को इटली के एकीकरण में मदद नहीं करने के कारण अपने हमले को जायज बताया। नेपोलियन तृतीय ओरसीनी द्वारा अपनी (नेपोलियन की) हत्या के प्रयास से प्रभावित  हुआ और इटली के एकीकरण के लिए पीडमौष्ट-सार्डिनिया को मदद करने के लिए तैयार हो गया।

प्लोबियर्स का समझौता-

नेपोलियन तृतीय इटली की पदद के लिये उन्मुख हुआ लेकिन उसका ध्येय एक संगठित मजबून इटली नहीं होकर आस्ट्रिया के प्रभाव से मुक्त इटली था। इस बात को ध्यान में रखकर उसने इटली के प्रधानमंत्री से प्लोबियर्स नामक जगह पर 1858 ई. में भेंट की और उसके साथ समझौता किया इस समझौते के अनुसार यह तय हुआ कि-

(1) पोडमौण्ट के राजा विक्टर इमैनुएल की पुत्री राजकुमारी क्लोटाइल्ड ने पोलियन तृतीय के चचेरे भाई जैरम से शादी करेगी और इस प्रकार के सम्बन्ध से पीडमौण्ट और नेपोलियन तृतीय के सम्बन्ध और प्रगाढ़ होगे।

(2) फ्रांस पोडमौण्ट को 2 लाख सेना से ऑस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध में मदद करेगा।

(3) युद्ध के बाद समझौता होते समय लोम्बार्डो और वेनेशिया से लेकर पीडमोण्ट को दिया जायेगा और इस तरह उपरी इटली का राज्य बनेगा।

(4) इसके बदले पीडमौण्ट फ्रांस को नीस और सेवाय देगा। यह 20वीं शताब्दी की एक घृणित सौदेबाजी श्री जिसमें ऑस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध के लिए उपयुक्त कारण ढूंढना था। काकुर इटली के एकीकरण के पक्ष में था, न कि आस्ट्रिया से मुक्ति पाकर सन्तुष्ट होने वाला था। फिर भी परिस्थिति वश होकर उसने चुप रहकर प्लोवियर्स के समझौते को स्वीकार करना पड़ा। समझौते के अनुसार सार्डिनिया को युद्ध का कारण ढूढ़ना था।

राजकुमारी बलौटाइल्ड की शादी जेरोम से सितम्बर, 1858 में सम्पन्न हुई, जिससे फ्रांस और पीडमौण्ड का सम्बन्ध और गहरा हुआ। जनवरी 1859 ई. में प्लोबियर्स के समझौते को संन्धि का रुप दे दिया गया। रूस को 1856 ई. की पेरिस की संधि में परिवर्तन करने के आश्वासन पर नेपोलियन ने अपने पक्ष में लेठ लिया। रुसी जार सन् 1815 ई. की वियना कांग्रेश के इटली से संबंध समझौते में फेरबदल पर सहमत हो गया और इस तरह ऑस्ट्रिया के विरुद्ध रूसी हस्तक्षेप की संभावना को टाल दिया गया। ब्रिटेन इटली की उदारवादी-राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रति सहानुभूति रखता था। अतः आशा की जाती थी कि वह ऑस्ट्रिया के पक्षमैं इटली में हस्तक्षेप नहीं करेगा। प्रशा आस्ट्रिया की पराजय की कामना करता था। क्योंकि उसकी हस्तक्षेप कारी उपस्थिति के कारण ही जर्मनी का एकीकरण सम्भव नहीं हो पा रहा था।

इतिहास – महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!