कृषि वित्त प्रणाली में सुधार के सुझाव | Suggestions for improvement in agricultural finance system in Hindi
कृषि वित्त प्रणाली में सुधार के सुझाव | Suggestions for improvement in agricultural finance system in Hindi
कृषि वित्त प्रणाली में सुधार के सुझाव—
स्वतंत्रता के 55 वर्षों में कृषकों को ऋण ग्रस्तता से मुक्त करने के उपायों में कृषि वित्त के लिए अनेक प्रयास हुए हैं, लेकिन कृषि वित्त के स्रोतों को राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है। अतः एक अच्छी कृषि वित्त प्रणाली के लिए निम्न सुझाव दिए जा सकते हैं-
(1) संस्थागत ऋणों का विस्तार (Expansion of Institutional Debts)-
व्यक्तिगत ऋणों की अपेक्षा संस्थागत ऋणों का विस्तार होना चाहिए, क्योंकि संस्थागत ऋण कृषकों को धोखा नहीं देते हैं। अंतः इस बात का विशेष आवश्यकता है, बैंकिंग संस्थाओं की शाखायें प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर स्थापित होनी चाहिए।
(2) ऋण का सदुपयोग (Proper Use of Loans)-
कृषकों को ऋण मिलने के बाद वे ऋणों का सदुपयोग कर रह हैं या दुरुपयोग ? इसके लिए एक सर्वेक्षण समिति होनी चाहिए, जो ऋणों का उत्पादक कार्यों में प्रयोग होने पर वैधता का प्रमाणपत्र होने पर वैधता का प्रमाणपत्र. जारी करें। इस परिप्रेक्ष्य में कृषकों को नकद ऋण के बजाय उन्हें वस्तुओं के रूप में ऋण देना चाहिए।
(3) ब्याज व ऋण वापसी (Interest and Deposit of Loans)-
कृषि वित्त के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग व्याज व ऋण वापसी है। अतः कृषक को प्रदत्त ऋण न्यून ब्याज पर भुगतान होने चाहिए, लेकिन लघु व सीमान्त कृषक का प्रदत्त ऋण पर व्याज दर न्यूनतम अथवा व्याज मुक्त ऋण भी दिए जाने चाहिए जिससे कृषि में नवीन उत्पादन तकनीक का प्रयोग हो।
(4) वित्तीय संस्थाओं में समन्वय (Co-ordination of Financial Institutions)-
वित्तीय संस्थाओं के विस्तार के समय विभिन्न वित्तीय संस्थाओं में समन्वय होना चाहिए। यह व्यवस्था दोषपूर्ण है कि कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समिति, बैंकिग संस्था, व्यापारिक बैंक आदि सभी के कर्यालय हों, लेकिन दूसरे ग्रामीण क्षेत्र वंचित रहें।
(5) सरकार के ऋणों का विस्तार (Expansion of Government Loans)-
कृषि-वित्त सुधार हेतु सरकार को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष ऋणों का विस्तार करना चाहिए। प्रत्यक्ष ऋण देते समय गरीब कृषकों को आर्थिक सहायता प्राप्त हो, इसका सर्वेक्षण होना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)-
कृषि – वित्त में एक अच्छी वित्त व्यवस्था विकसित हो, इस पर ध्यान देना होगा, क्योंकि गाँवों के कृषकों में अशिक्षा एवं अज्ञानता के कारण ऋण ग्रस्तता एक भीषण समस्या है। इसलिए कृषि-वित्त के लिए संस्थागत, त्रहण का आधार, ब्याज व ऋण वापसी, ऋण का प्रयोग व प्रशिक्षित व समर्पित कर्मचारियों का प्रयोग होना चाहिए।
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