इतिहास / History

मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर | बाबर का मूल्यांकन मुगल साम्राज्य के संस्थापक के रूप

मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर | बाबर का मूल्यांकन मुगल साम्राज्य के संस्थापक के रूप

मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर

जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर, जिसने भारत में अनेक युद्धों में विजय प्राप्त की और भारत के बहुत बड़े भाग पर अधिकार कर लिया, मध्य एशिया में स्थित फरगाना नामक छोटे से राज्य का शासक था। यदि वुह मध्य एशिया में ही लड़ता रहता तो अधिक सम्भावना यही है कि वह विजेता होने का गौरव प्राप्त न कर सकता।

बाबर महान् विजेता था- परन्तु भाग्य ने उसका साथ दिया। उसने अपना मुख भारत की ओर मोड़ा, जहाँ लोदी सल्तनत उसके सरदारों की विश्वासघात के कारण दुर्बल हो गयी थी। इब्राहीम लोदी के शासन से सब लोग असन्तुष्ट थे। इसका लाभ उठाकर और दौलत खाँ लोदी तथा राणा सांगा से सहायता का आश्वासन पाकर बाबर भारत पर आक्रमण किया। पर उसे इन दोनों से ही सहायता नहीं मिली। पानीपत का युद्ध उसे अपने ही भरोसे लड़ना पड़ा। अपने उत्तम तोपखाने के कारण उसे विजय मिली और उसने अपनी से चार गुनी सेना को आधे ही दिन में तहस-नहस कर दिया। उसके बाद खानवा या कानवाह के में उसने लगभग सभी राजपूतों, महमूद लोदी और हसन खाँ मेवाती को सम्मिलित सेना को पराजित कर दिया इस युद्ध में भी बाबर ने अपने विरोधियों को अपनी से कई गुनी सेना पर विजय प्राप्त की। अतः इसमें कोई सन्देह नहीं कि महमूद गजनवी, चंगेज और तैमूर की भाँति बाबर भी एक महान विजेता था।

बाबर साम्राज्य निर्माता था या नहीं ?

परन्तु इतिहासकारों का कथन है कि केवल साम्राज्य पर अधिकार कर लेने से ही कोई व्यक्ति साम्राज्य-निर्माता नहीं बन जाता। वीरता तथा रणकौशल से युद्ध जीत लेना एक बात है और राज्य का शासन-प्रबन्ध ठीक ढंग से चला सकना दूसरी बात । युद्धों में विजय प्राप्त करने के बाद बाबर ने चार-पाँच वर्ष तक जिस ढंग से शासन-प्रबन्ध चलाया और अपनी मृत्यु के समय अपने पुत्र हुमायूँ के लिए जैसा दुर्बल तथा अव्यवस्थित साम्राज्य छोड़ा, उसे देखते हुए बहुत से इतिहासकार बाबर को साम्राज्य निर्माता मानने को तैयार नहीं हैं। किन्तु रशबुक विलियम्स और डॉ. एस. एम. जफर जैसे विद्वानों का मत है कि बाबर साम्राज्य-निर्माता भी था। अतः इस प्रश्न के पक्ष-विपक्ष पर विचार कर लेना उचित होगा।

बाबर साम्राज्य निर्माता नहीं था

पानीपत, खानवा, चंदेरी और घाघरा के युद्धों में अपने से कहीं अधिक बड़ी सेनाओं को पराजित करने के कारण बाबर को एक महान् विजेता तो मानना ही पड़ेगा। यह ठीक है कि उसकी विजय का कारण उसका तोपखाना था, जिसका कोई उत्तर उसके विरोधियों के पास नहीं था, परन्तु प्रत्येक विजेता की विजय का कोई न कोई कारण तो होता ही है। इससे उस विजय का या विजेता का महत्व कम नहीं हो जाता।

डॉ. ईश्वरी प्रसाद ने लिखा है, “बाबर के शासन की एक बात उल्लेखनीय है कि राज्य की आर्थिक स्थिति बहुत बुरी थी, जिसका कारण था देश की अव्यवस्थित दशा और बाबर की मुक्त हस्त उदारता, बाबर ने अपने नव-निर्मित राज्य के लिए कोई नयी शासन-व्यवस्था नहीं चलायो। अपितु अफगान काल की दोषपूर्ण जागीरदारी प्रथा को ही जारी रखा।

बाबर ने प्रशंसकों का कथन है कि उसमें प्रशासन की योग्यता तो थी, किन्तु उसे प्रदर्शित करने का उसे अवसर नहीं मिला। सन् 1526 से सन् 1530 तक केवल चार-पाँच वर्ष उसे राज्य करने का अवसर मिला। इसमें भी बहुत सा समय युद्धों में बीता। यदि वह कुछ समय और जीवित रहा होता, तो अपनी प्रशासन-कुशलता प्रदर्शित कर सकता था।

परन्तु उसने लोदी वंश की दूषित शासन प्रणाली को ही जारी रहने दिया। न्याय-व्यवस्था और भूमि कर व्यवस्था में उसने कोई सुधार नहीं किया। उसने अपने राज्य को अपने सरदारों में बाँट दिया। मुगल साम्राज्य का वास्तविक निर्माता बाबर नहीं अकबर था। परन्तु स्टेनले लेनपूल ने उसे इतना श्रेय अवश्य दिया है कि भले ही वह मुगल साम्राज्य के भव्य महल का निर्माता न हो, किन्तु उस महल की आधारशिला उसी ने रखी थी, जिसे उसके पौत्र अकबर ने पूरा किया।

बाबर साम्राज्य-निर्माता था

रशब्रुक विलियम्स ने लिखा है, “बाबर को एक प्रशासक के रूप में नहीं, अपितु एक विजेता के रूप में मुगल साम्राज्य का प्रवर्तक समझना चाहिए।” भोपाल में मिली पांडुलिपि के आधार पर डॉ. एस. एम. जफर ने यह सिद्ध करने की चेष्टा की है कि बाबर में शासन की प्रतिभा थी। उसने अपने पुत्र हुमायूँ को अपने अन्तिम समय में सलाह दी थी कि वह धार्मिक कट्टरता से दूर रहे और हिन्दुओं के साथ न्यायपूर्ण बर्ताव करे। यह उसकी कुशलता का प्रमाण है।

सत्यता यह है कि अकबर ने जिस साम्राज्य को सुदृढ़ किया, वह वही मुगल साम्राज्य था, जिसकी स्थापना बाबर ने की थी। हुमायूँ के समय उस साम्राज्य की जो दुर्दशा हुई, उसका दोष बाबर के सिर नहीं मढ़ा जाना चाहिए । हुमायूँ की दुर्बलताएँ भी उस अवनति का कारण हो सकती थी।

कुछ इतिहासकारों का कहना है कि बाबर ने धन का अपव्यय करके अपने राज्य की नींव को खोखली कर दिया। वह खुले हाथों इतना अपव्यय करता था कि उसका राजकोष रिक्त हो गया। उसका फल उसके पुत्र हुमायूं को भुगतान पड़ा.

इस प्रकार विचार करने के पश्चात् इस मत से सहमत होना कठिन हो जाता है कि बाबर साम्राज्य-निर्माता नहीं था।

मुगल साम्राज्य का संस्थापक-

बाबर भारत में मुगल साम्राज्य का संस्थापक था अथवा नहीं। इस विषय में विद्वान् एकमत नहीं हैं। कुछ इतिहासकारों का मत है कि बाबर केवल एक वीर सैनिक तथा योद्धा था, वह भारतीय विजित प्रदेशों का न तो संगठन ही कर पाया और न सुदृढ़ शासन व्यवस्था की स्थापना । अतः उसे मुगल साम्राज्य का संस्थापक नहीं माना जा सकता। लेकिन हम इस मत से सहमत नहीं है क्योंकि बाबर जब मध्य एशिया में अपने साम्राज्य की स्थापना नहीं कर सका तो उसने भारत को अपना लक्ष्य बनाया। उसने एक सुनियोजित उद्देश्य से भारत पर आक्रमण किया। वह भारत में रहकर अपने शासन की स्थापना करना चाहता था। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि जब खानवा’ के युद्ध से पूर्व बाबर के सैनिक युद्ध करने के लिए तैयार नहीं थे और वे काबुल लौट जाने के लिए उत्सुक थे तो बाबर ने कुशल नेतृत्व का परिचय देते हुए सैनिकों को लड़ने तथा भारत में रहकर शासन करने के लिए राजी कर लिया। उसने अपने बाहुबल से समस्त उत्तरी भारत पर अधिकार कर लिया। यह सही है कि उसकी शासन व्यवस्था दृढ़ नहीं थी लेकिन वास्तविकता यह है कि उसे इस ओर ध्यान देने का अवसर ही नहीं मिला। यदि बाबर दो-चार वर्ष और जिन्दा रहता तो निश्चय ही वह एक सुदृढ़ शासन व्यवस्था की स्थापना करने में सफल होता। इतिहासकार लेनपूल ने लिखा है, “बाबर ने एक साम्राज्य की आधारशिला रखी जिस पर आगे चलकर

अकबर ने एक शानदार इमारत खड़ी की। उसका इतिहास में स्थान उसकी भारतीय विजयों के कारण हैं, जिन्होंने एक राजवंश की नींव डाली।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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