मूल्यांकन की प्रविधियां | परिमाणात्मक प्रविधि | गुणात्मक प्रविधि
मूल्यांकन की प्रविधियां | परिमाणात्मक प्रविधि | गुणात्मक प्रविधि
मूल्यांकन की प्रविधियां
(Techniques of evaluation)
मूल्यांकन की प्रविधियां – परंपरागत परीक्षाओं के द्वारा सामान्यतया ज्ञानात्मक उद्देश्यों का ही मापन किया जाता है। किन्तु मूल्यांकन-प्रक्रिया का क्षेत्र अधिक व्यापक होता है। यह ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं क्रियात्मक तीनों प्रकार के उद्देश्यों की प्राप्ति के सम्बन्ध में प्रदत्तों का संकलन करती है। अतः इस कार्य हेतु विभिन्न प्रविधियों को प्रयुक्त किया जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में प्रयुक्त की जाने वाली प्रविधियों को दो प्रमुख वर्गों में रखा जा सकता है-
(क) परिमाणात्मक प्रविधि (Quantiative Technique)
(ख) गुणात्मक प्रविधि (Qualitative Technique)
(क) परिमाणात्मक प्रविधियाँ-
मुल्यांकन की परिमाणात्मक प्रविधियाँ अधिक विश्वसनीय वैध एवं उपयोगी होती हैं । इन परीक्षणों के तीन रूप हो सकते हैं- मौखिक, लिखित एवं प्रायोगिक। मौखिक परीक्षणों के अन्तर्गत मौखिक प्रश्न, वाद-विवाद प्रतियोगिता, नाटक आदि को प्रयुक्त किया जाता है। लिखित परीक्षाएँ निबन्धात्मक एवं वस्तुनिष्ठ, दो प्रकार की होती है। प्रायोगिक परीक्षाओं के अन्तर्गत कोई निर्धारित कार्य पूरा करना होता है।
(ख) गुणात्मक प्रविधियाँ-
मूल्यांकन प्रक्रिया की व्यापकता की दृष्टि से गुणात्मक प्रविधियाँ अधिक उपयोगी होती हैं। जहाँ पर परिमाणात्मक प्रविधियाँ सफल नहीं हो पाती हैं वहाँ गुणात्मक विधियों की ही सहायता लेनी पड़ती है। ये प्रविधियाँ सामान्यतया पाँच प्रकार की होती हैं-
(i) संचयी आलेख (Cumulative Records)
(ii) घटनाक्रम आलेख (Anecdotal Records)
(iii) निरीक्षण एवं साक्षात्कार (Observations and Interview)
(iv) जाँच सूची (Check List) या प्रश्नावली (Questionnaire)
(v) रेटिंग पैमाना (Rating Scale) ।
संचयी आलेख के अन्तर्गत छात्रों की आयु, अभिभावकों की स्थिति, शैक्षिक प्रगति, परीक्षाफल, उपस्थिति पाठ्य सहगामी क्रियाओं में भागीदारी, विशिष्ट योग्यताओं एवं कमजोरियों आदि का उल्लेख होता है।
घटनाक्रम आलेख में बालकों में व्यवहार से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण घटनाओं एवं कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया जाता है। इसमें छात्र की रुचियों, अभियोग्यताओं आदि का भी उल्लेख होता है। संचयी आलेख एवं घटनाक्रम आलेख के आधार पर विद्यार्थी के सम्बन्ध में सामान्यीकरण किया जा सकता है।
जिन बालकों के लिए हम दूसरे परीक्षणों का प्रयोग नहीं कर पाते हैं, उनके मूल्यांकन हेतु निरीक्षण प्रविधि का प्रयोग किया जाता है। यह प्रविधि छोटे बालकों के मूल्यांकन में उपयोगी होती है। उच्च कक्षाओं के विद्यार्थी इस प्रविधि को स्वतः मूल्यांकन में प्रयुक्त कर सकते हैं। बड़े बालकों के लिए साक्षात्कार विधि उपयोगी होती है।
जाँच सूची का प्रयोग अभिरुचियों, अभिवृत्तियों तथा भावात्मक पक्ष के अन्य पहलुओं के मूल्यांकन हेतु किया जाता है। इसमें सामान्यतया कुछ कथन दिये जाते हैं जिन्हें पढ़कर छात्रों को उन कथनों के बारे में अपनी राय ‘हाँ’ या ‘न’ या ‘पता नहीं’ के रूप में देनी होती है। ये कथन किसी एक विशिष्ट उद्देश्य से सम्बन्धित होते हैं। जाँच सूची या प्रश्नावली लिखित मौखिक दोनों रूपों में प्रयुक्त की जाती है।
रेटिंग स्केल में भी कुछ कथन दिये जाते हैं जिनके उत्तर कुछ निर्धारित बिन्दुओं (तीन, पाँच और सात) पर देने होते हैं। उदाहरण के लिए, पाँच बिन्दुओं की मापनी के निर्णय स्तर इस प्रकार के हो सकते हैं- पूर्ण सहमत, सहमत, कुछ नहीं, असहमत एवं पूर्ण असहमत। क्योंकि इन कथनों पर निर्णय हेतु उच्च निर्णय शक्ति की आवश्यकता होती है, अतः ये प्रविधि उच्च कक्षा के छात्रों के लिए उपयुक्त होती है।
उपर्युक्त सभी प्रविधियाँ परीक्षण या परीक्षा के रूप में ही होती है। अतः इन्हें हम कुछ सामान्य विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत भी कर सकते हैं अर्थात् दूसरे शब्दों में शैक्षिक मूल्यांकन में प्रयुक्त होने वाले ‘परीक्षणों के प्रकार’ के बारे में जान सकते हैं।
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