संगठनात्मक व्यवहार / Organisational Behaviour

नेतृत्व का महत्व | नेतृत्व के मार्ग में बाधाएं | Importance of Leadership in Hindi | Obstacles to Leadership in Hindi

नेतृत्व का महत्व | नेतृत्व के मार्ग में बाधाएं | Importance of Leadership in Hindi | Obstacles to Leadership in Hindi

नेतृत्व का महत्व अथवा लाभ अथवा भूमिका अथवा महत्ता

(Importance or Advantages or role or Significance of Leadership)

प्रबन्ध के क्षेत्र में नेतृत्व की महिमा अपरम्पार है। इसका दिग्दर्शन निम्नलिखित संक्षिप्त विवरण से हो जाता है-

(1) अभिप्रेरणा का स्रोत- नेतृत्व अभिप्रेरणा का स्रोत हैं इसकी जड़ें मानवीय सम्बन्धों से जुड़ी हुई हैं, और मानवीय सम्बन्धों का विकास कुशल नेतृत्व के द्वारा ही होता है। नेतृत्व एक ऐसा गुण है जो व्यक्तियों के समूह के उद्देश्यों एवं प्रयत्नों को एकता प्रदान करता है, सदस्यों को प्रेरणा देता है तथा उनका मार्गदर्शन करता है। इसके द्वारा अधीनस्थों के व्यक्तिगत गुण उभरते हैं तथा उन्हें अपनी योग्यता दिखाने का सुअवसर मिलता है।

(2) सहयोग प्राप्त की आधारशिला- नेतृत्व विभिन्न व्यक्तियों के मध्य सहयोग की आधारशिला है। इसके अभाव में कर्मचारियों में द्वेष की भावना जाग्रत होती है तथा छोटे छोटे कार्यों को लेकर आपस में विवाद उठ खड़े होते हैं।

(3) सामूहिक क्रियाओं का संचालन करने हेतु- सामूहिक क्रियाओं का संचालन करने हेतु कुशल नेतृत्व की आवश्यकता पड़ती है जिसके अभाव में समूह व्यवस्थित नहीं रह सकता। अव्यवस्थित समूह के सदस्य पृथक-पृथक व्यक्तिगत रूप से कितना भी अच्छा कार्य क्यों न करें, सामूहिक उद्देश्यों की पूर्ति कुशलता के साथ नहीं की जा सकती।

(4) समूह को उपक्रम के उद्देश्यों के प्रति निष्ठावान बनाए रखने हेतु- कुशल नेतृत्व किसी व्यावसायिक उपक्रम में कार्य करने वाले कर्मचारियों को उसके उद्देश्यों के प्रति निष्ठावान बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उनके प्रयत्नों में निष्क्रियता के स्थान पर सक्रियता लाता है। यही कारण है कि किसी उपक्रम का आधार जितना अधिक बड़ा होगा, उसके संचालन के लिए उतने ही अधिक ऊँचे स्तर के नेतृत्व की आवश्यकता होती है। कुशल संरचना खण्डित हो सकती है तथा शीर्ष प्रबन्ध के शुभेच्छापूर्ण प्रयास भी व्यर्थ सिद्ध हो सकते हैं।

(5) प्रबन्ध को सामाजिक प्रक्रिया के रूप में परिवर्तित करने हेतु- कुशल नेतृत्व के माध्यम से प्रबन्ध एक सामाजिक प्रक्रिया के रूप में परिवर्तित हो जाता है। परिणामस्वरूप जहाँ एक ओर कर्मचारी उपक्रम की प्रगति के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तत्पर होते हैं, वहाँ दूसरी ओर, प्रबन्ध भी उनके लिए हर सम्भव सुविधाएँ (जैसे- आवास, शिक्षा, विद्युत, यातायात, पानी, चिकित्सा, भविष्य निधि आदि) प्रदान करने को सहर्ष तैयार हो जाता है।

(6) व्यावसायिक सफलता हेतु – किसी व्यावसायिक संस्था की सफलता अथवा असफलता बहुत हद तक नेतृत्व की प्रकृति पर निर्भर करती है। जहाँ एक ओर कुशल नेतृत्व व्यवसाय को प्रगति पर ले जाता है, वहाँ दूसरी ओर, अकुशल नेतृत्व व्यवसाय को पतन अथवा असफलता की ओर ले जाता है। पीटर एफ. ड्रकर के अनुसार, ” व्यावसायिक नेता किसी व्यावसायिक उपक्रम का आधारभूत एवं दुर्लभ साधन है। अनेक व्यावसायिक उपक्रमों की असफलता का मूल कारण अकुशल नेतृत्व है।”

(7) अन्य क्षेत्रों में महत्व – (i) समन्वय स्थापित करने के लिए (ii) अधिकारी वर्ग को सुविधा प्रदान करने के लिए, (iii) अधीनस्थों के व्यक्तितत्व का विकास करने के लिए तथा (iv) संगठन को क्रियाशील बनाने के लिए। “नेतृत्व रूपी घोड़ा दबने पर ही संगठन की क्रिया रूपी बन्दूक चल सकती हैं, अन्यथा नहीं।

नेतृत्व के मार्ग में बाधाएं

(Hindrances To Leadership)

श्री अल्फोर्ड एवं बीटी (Alford & Beatty ) के अनुसार नेतृत्व के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाएँ हैं-

(1) कुछ नेता अपने अनुयायियों को यथासम्भव पता नहीं लग पाता।

(2) कुछ नेता पूर्ण रूप में परिपक्व नहीं होते जिसके परिणामस्वरूप वे कष्टदायक स्थिति में अपना सन्तुलन खो देते हैं।

(3) कुछ में मानवीय अवरोध की कमी होती है जिसके परिणामस्वरूप वे अपने सहयोगियों के साथ मित्रता के स्थान पर शत्रुता उत्पन्न कर लेते हैं।

(4) कुछ में दूरदर्शिता का अभाव होने के कारण अपने समूह का भावी कार्यक्रम ठीक प्रकार से बनाने में कठिनाई का आभास होता है।

(5) कुछ नेता अपने कृत्यों (Jobs) के लिए योग्य नहीं होते जिससे उनमें दीनता की भावना जाग्रत हो जाती है। वे इसकी क्षतिपूर्ति अपने अधीनस्थों के प्रति वरिष्ठ (Senior) दृष्टिकोण से करते हैं।

(6) कुछ अपने अधीनस्थों के समुख अपने दृष्टिकोण को सही रूप में प्रस्तुत करने में असमर्थ रहते हैं। अथवा अपने साथियों से उनके विचार आमन्त्रित करने में असमर्थ रहते हैं।

(7) कुछ नेता अभिप्रेरणा के रूप में दण्ड अथवा पुरस्कार की प्रेरणा को आवश्यकता से अधिक महत्व देते हैं। इसके विपरीत, प्रशंसा तथा सम्मान जैसी महत्वपूर्ण अभिप्रेरणाओं की उपेक्षा करते हैं।

(8) कुछ अन्य व्यक्तियों के प्रति अपने व्यवहार में दृढ़ रहने में असफल रहते हैं। परिणामस्वरूप उनके साथी उनके भावी व्यवहार के बारे में सही अनुमान नहीं लगा पाते और इसीलिए अपनी स्थिति को बहुत अनिश्चित एवं असुरक्षित समझते हैं। कुछ नेता सभी के लाभ के लिए कार्य करने में अन्यों के साथ सहयोग करने में असफल रहते हैं।

उपर्युक्त बाधाओं को दूर करने के लिए एक अच्छे नेता को समय- समय पर अपने आचरण की परीक्षा करते रहना चाहिए तथा उपर्युक्त कमियों के प्रति सदैव सतर्क रहना चाहिए, ताकि उनके उत्पन्न होते ही तुरन्त उन्मूलन किया जा सके।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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