शैक्षिक तकनीकी / Educational Technology

शैक्षिक तकनीकी का महत्व | शैक्षिक तकनीकी की उपयोगिता

शैक्षिक तकनीकी का महत्व | शैक्षिक तकनीकी की उपयोगिता | Importance of Educational Technology in Hindi | usefulness of educational technology in Hindi

शैक्षिक तकनीकी का महत्व एवं उपयोगिता (Importance and Utility of Educational Technology)-

आज के आधुनिक युग में शैक्षिक व्यवस्था को समय सापेक्ष एवं अद्यतन बनाने में शैक्षिक तकनीकी का असीम महत्व है। इसके प्रकटन से इक्कीसवीं सदी में शिक्षा को नवीन कलेवर प्राप्त हुआ है तथा शिक्षा के विविध अंगों एवं पहलुओं में नवीन क्रान्ति का सूत्रपात हुआ है। शैक्षिक तकनीकी शिक्षा के गिरते हुए स्तरों एवं मानकों में गुणात्मक उन्नयन का कार्य किया है। दूरस्थ शिक्षा पत्राचार शिक्षा, मुक्त, विद्यालयों/विश्वविद्यालयों की सफलता का आधार स्तम्भ शैक्षिक तकनीकी ही है। शिक्षण अधिगम व्यवस्था को परिवर्तित मान्यताओं के अनुकूल बनाने तथा गुणता-वर्धन में शैक्षिक तकनीकी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। एकीकृत पाठ्यचर्या एवं अन्तरानुशासनिक उपागम को व्यवस्थित स्वरूप प्रदान करने तथा इसमें व्यावहारिकता लाने में शैक्षिक तकनीकी का अतिशय महत्व परिलक्षित हो रहा है। अधिगमित तथ्यों का अधिगम कर्ता कितना अधिगम किया गया हैं? इसकी जानकारी प्राप्त करने तथा छात्रों को प्रबलित करने में भी शैक्षिक तकनीकी की अत्यधिक उपयोगिता है। शिक्षकों को इससे नवीन विधाओं की जानकारी मिल रही है। जिसके सदुपयोग द्वारा वे कम समय व कम श्रम में अधिक प्रभावात्मक शिक्षण देने में समर्थ हो रहे हैं। अतः कहा जा सकता है कि इक्कीसवीं सदी में शैक्षिक तकनीकी शिक्षा को नवीन आयामों से सम्पृक्त करने वाली शैक्षिक प्रवृत्ति है। इसके प्रमुख उपयोगिता एवं महत्व को व्यवस्थित रूप में निम्नवत् उद्घाटित किया जा सकता है-

(1) शिक्षा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास-

शैक्षिक तकनीकी के शिक्षा में अनुप्रयोग से शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों को वैज्ञानिक विधाओं एवं आविष्कारों को जानने-समझने संचालन करने तथा प्रयोग करने की कार्यकारी पहलुओं की जानकारी सुलभ हुई है। इसके इस्तेमाल से उन्हें विविध विषयों में हुए नवीन शोधों को जानकारी होती हैं जिसका इस्तेमाल कर वे समसामयिक दृष्टि से सामाजिक एवं शैक्षिक समायोजन करके विकास पथ का वरण करने में समर्थ होते हैं नवीन शिक्षण विधियों के प्रयोग में छात्रों को क्लिष्ट, जटिल, विषय वस्तु को सरलता से सीखने में भी सहायता देने का कार्य शिक्षण तकनीकी करता है।

(2) शिक्षण के लिए उपयोगी-

एक शिक्षक को सफलता उसकी प्रभावकारी शिक्षण पर निर्भर करता है। केवल सैद्धान्तिक ज्ञान प्राप्त कर लेने से कोई भी शिक्षक प्रभावोत्दक शिक्षण नहीं दे सकता है, इसीलिए शिक्षक-प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है। इसमें शैक्षिक तकनीकी का ज्ञान छात्राध्यापकों को अनिवार्य रूप से दी जाती है जिसके अनुप्रयोग से वे अपने शिक्षण को व्यावहारिक ढंग से प्रकट कर छात्रों के लिए प्रभावकारी शिक्षक के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं।

शिक्षक के लिए शैक्षिक तकनीकी के महत्व एवं उपयोगिता को संक्षेप में निम्नवत् व्यक्त किया जा सकता है—(i) शैक्षिक तकनीकी शिक्षक के लिए व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों प्रकार के शिक्षण में प्रभावकारी भूमिका अदा करता है। (ii) शैक्षिक तकनीकी की अनुप्रयोग से शिक्षण को वैज्ञानिक आधार प्राप्त होता है। (iii) शैक्षिक तकनीकी से शिक्षण एवं अनुदेशन की गुणवत्ता का उन्नयन और विकास होता है। (iv) शैक्षिक तकनीकी से उपचारात्मक एवं प्रभावोत्पादक शिक्षण देने में सहायता मिलती है। (v) शैक्षिक तकनीकी के अनुप्रयोग में शिक्षक छात्रों को पृष्ठपोषण एवं अभिप्रेरणा देकर वांछित अधिगम की ओर मोड़कर वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति में सफल होता है।

(3) सभी को शिक्षा की सुलभता में उपयोगी-

भारतीय संविधान की धारा 45 में 14 वर्ष की आयुवय तक सभी बालिका बालक की शिखा की सर्वसुलभता की जिम्मेदारी राज्य को सौंपी गयी है। इस जिम्मेदारी की पूर्ति में शैक्षिक तकनीकी का अत्यधिक महत्व है। जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति/986 में कहा भी गया है कि-“शैक्षिक तकनीकी की सहायता से दूर दराज के क्षेत्रों तक शिक्षा का प्रसार किया जा सकता है।” आज इसका प्रयोग दूरस्थ शिक्षा पत्राचार शिक्षा, मुक्त विद्यालयो/ विश्वविद्यालयों में करके असंख्य लोगों में शिक्षा की अलख जगायी जा रही है। दूरदर्शन, रेडियो के द्वारा ज्ञान दर्शन एवं ज्ञानवाणी कार्यक्रमों से विषयगत तथ्यों की जानकारी विद्यार्थियों को दी जा रही है। दूर करने तथा अभिभावकों में शिक्षा की महत्ता तथा अपने पाल्यों को विद्यालय भेजने हेतु जागरुकता का प्रचार प्रसार तकनीकी माध्यमों द्वारा किया जा रहा है। अतः कहा जा सकता है कि शिक्षा की सर्वसुलभता में शैक्षिक तकनीकी एक महत्वपूर्ण अभिकरण है।

(4) शैक्षिक प्रबन्धन में उपयोगी-

शैक्षिक तकनीकी के द्वारा शिक्षा का उचित प्रबन्ध करने में सहायता मिलती है। शिखा के उद्देश्यों का व्यवस्थित प्रबन्धन, पाठवचर्या प्रबन्धन, शिक्षण विधि प्रबन्धन, विद्यालयी अनुशासन प्रबन्धन, मूल्यांकन प्रबन्धन में शैक्षिक तकनीकी के अनुप्रयोग में पक्षताप रहित दृष्टिकोण अपनाकर कार्य करने में सहूलियत मिलती है। इसके अलावा शैक्षिक तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में नवीन प्रयोगों, शोध कार्यों व अध्ययनों के लिए अवसर प्रदान करती है। इसके माध्यम से आधुनिक युग में आँकड़ों का संकलन करना तथा उनका विश्लेषण करना अत्यन्त सरल हो गया है। इस प्रकार शोध प्रबन्धध व्यवस्था के निर्माण में उन्नयन में भी शैक्षिक तकनीकी की उपादेयता है।

(5) शिक्षा में यंत्रों के अनुप्रयोग करने की कला का विकास-

वर्तमान सूचक तकनीकी के बढ़ते संजाल तथा वैज्ञानिक आविष्कारों के परिणामस्वरूप अनेक यंत्रों का विकास किया जा रहा है। रेडियो, दूरदर्शन, कम्प्यूटर, इण्टरनेट, टेलीकान्फ्रेसिंग ई-मेल आदि का प्रसार होता जा रहा है। इन संयंत्रों को जानने समझने तथा संचालन की क्रियाविधि का ज्ञान प्राप्त करना शिक्षा से जड़े व्यक्तियों के लिए अनिवार्य बनता जा रहा है। शिक्षा में इन यंत्रों के अनुप्रयोग करने की कला का विकास करने में शैक्षिक तकनीकी की महत्ता एवं उपयोगिता असीम है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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