शैक्षिक तकनीकी / Educational Technology

कम्प्यूटर सामग्री का परिचय | कम्प्यूटर की परिभाषा | कम्प्यूटर व्यवस्था या प्रणाली | रेखाचित्र-कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम | रेखाचित्र-इनपुट आउटपुट डाटा प्रोसेसिंग | कम्प्यूटर हार्डवेयर की इकाइयाँ

कम्प्यूटर सामग्री का परिचय | कम्प्यूटर की परिभाषा | कम्प्यूटर व्यवस्था या प्रणाली | रेखाचित्र-कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम | रेखाचित्र-इनपुट आउटपुट डाटा प्रोसेसिंग | कम्प्यूटर हार्डवेयर की इकाइयाँ | Introduction to Computer Materials in Hindi | Definition of computer in Hindi | Computer system or system in Hindi | Sketch-Computer Software Program in Hindi | Graphic-input-output data processing in Hindi | units of computer hardware in Hindi

कम्प्यूटर सामग्री का परिचय (Introduction of Computer Aids) –

सामान्य शब्दों में कम्प्यूटर एक ऐसी युक्ति अथवा मशीन है, जो कि गणनाएँ, गणितीय क्रियाएँ तथा इसी प्रकार के अन्य कार्य कर सकते हैं कम्प्यूटर का मुख्य कार्य तथा कार्य विधि ऐसी ही है जैसी कि एक साधारण ‘कैलकुलेटर’ की होती है। वस्तुतः ‘कैलकुलेटर’ एक ऐसी युक्ति है, जो आपके द्वारा दी गयी संख्याओं पर चयन किया गया गणितीय कार्य करके आपके सामने परिणाम प्रस्तुत करती है। यही अवधारणा कम्प्यूटर की भी है। कम्प्यूटर का कार्यक्षेत्र तथा इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाएँ ‘कैलकुलेटर’ की तुलना में अत्यधिक विस्तृत है किन्तु दोनों की मूल अवधारणा एक समान ही है। कम्प्यूटर को प्रयोगकर्ता कुछ डाटा (डाटा में एक, संख्याएं, रिकॉर्ड एवं लेम्ब इत्यादि कुछ भी हो सकता है) देता है। इसके उपरान्त उस डाटा पर जो भी कार्य अथवा क्रिया होनी है, उसकी सूचनाएँ निर्देश अथवा कमाण्ड के रूप में कम्प्यूटर को ही दी जाती है अर्थात् डाटा पर किये जाने वाले कार्यो (ऑपरेशन) का चयन किया जाता है। इसके उपरान्त उस कार्य को पूर्ण कर प्राप्त परिणाम प्रयोगकर्ता के समक्ष प्रस्तुत कर देता है। कम्प्यूटर अनेक प्रकार का डाटा, जैसे-टैक्स्ट (Text) अथात् किसी भाषा में लिखित कोई लेख, संख्या, अंक, स्वर, चित्र तथा चलचित्र इत्यादि। ग्रहण कर सकता है तथा उस पर विभिन्न प्रकार की क्रियाएँ कर पृथक्-पृथक् स्वरूप तथा प्रारूप में परिणाम में प्राप्त डाटा प्रदान कर सकता है।

कम्प्यूटर का आविष्कार वैज्ञानिक, गणितीय समस्याओं तथा गणनाओं की शीघ्रता से पूर्ण हल करने के लिये किया गया था। आरम्भ में कम्प्यूटर भी मात्र सांख्यिक डाटा ग्रहण करता था तथा उन पर गणितीय ऑपरेशन करता था किन्तु समय के साथ-साथ उसमें सुधार होते चले गये। उसकी संरचना, कलपुर्जे तथा कार्यशैली में परिवर्तन किये गये और उसे सक्षम बनाया गया, जिस कारण  वर्तमान समय में कम्प्यूटर प्रत्येक प्रकार का डाटा ग्रहण करने में तथा उस पर गणितीय क्रियाओं के अतिरिक्त अन्य क्रियाएँ करने में समर्थ है। वर्तमान समय में कम्प्यूटर पर लिये जाने वाले 905 कार्य गणितीय नहीं हैं, जिस कारण इसका उपयोग लगभग प्रत्येक क्षेत्र में हो रहा हैं।

कम्प्यूटर की परिभाषा (Definition of Computer)-

वस्तुतः कम्प्यूटर एक ऐसी युक्ति है, जिसे परिभाषित करना सुगम कार्य नहीं है। कोई भी एक परिभाषा इसे परिभाषित करने के लिये अपूर्ण होगी। इसके उद्देश्यों तथा कार्यों को संज्ञान में रखते हुए हम इसे निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं-

(1) “कम्प्यूटर विद्युतीय तथा यान्त्रिक कलपुर्जो से बनी एक ऐसी युक्ति है, जिसमें अनेक निर्देश समाहित (Store) रहते हैं। किसी समस्या के समाधान के लिये कम्प्यूटर में प्रयोगकर्ता से आवश्यक डाटा ग्रहण करता है, उस डेटर पर समस्या से सम्बन्धित निर्देशों को पूर्वनिर्धारित क्रम में पालन करते हुए ऑपरेशन (Work) करता है तथा प्राप्त परिणाम को उपयुक्त प्रारूप में परिवर्तित कर प्रयोगकर्ता के समक्ष प्रस्तुत करता है।”

(2) “कम्प्यूटर विद्युतीय तथा यान्त्रिक कलपुर्जो से निर्मित एक ऐसी मशीन अथवा युक्ति है, जो कि प्रयोगकर्ता से डाटा ग्रहण करती है, उस पर प्रयोगकर्ता की इच्छानुसार विभिन्न क्रियाएँ करती हैं तथा परिणाम में प्राप्त डाटा को व्यवस्थित कर प्रयोगकर्ता को प्रदान करती है।”

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन की भाँति कार्य करता है तथा बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के ऐसे-ऐसे कार्य क्षणभर में कर सकता हैं, जो कि किसी कुशाग्र बुद्धिमान व्यक्ति के लिये भी अत्यन्त जटिल हो।

कम्प्यूटर व्यवस्था या प्रणाली

हम जब कम्प्यूटर का नाम लेते है तो हमारे सामने एक ऐसी मशीन की छवि उभरती है, जिसमें एक टेलीविजन के समान स्क्रीन, टाइपराइटर के समान एक की-बोर्ड तथा एक बॉक्स के साथ परस्पर जुड़े रहते हैं। इस मशीन अथवा युक्ति को हम एक कम्प्यूटर व्यवस्था, जो कि अनेक कार्य कर सकता है, समय लेते है किन्तु ये युक्ति अथवा आपस में जुड़ी कुछ युक्तियाँ आत्मनिर्भर कार्य करने में असमर्थ है। ये युक्तियाँ जो कि इलेक्ट्रॉनिक तथा यान्त्रिक कलपुर्जों से बनी होती हैं, कम्प्यूटर व्यवस्था या कहा जाये तो कम्प्यूटर व्यवस्था का एक अंग मात्र है। एक कम्प्यूटर सिस्टम तभी अपने उद्देश्य पूर्ण कर सकता है, जब उसके सभी अंग उसमें उपस्थित हो तथा आपस में  लयबद्ध होकर कार्य करें। एक कम्प्यूटर व्यवस्था में पाँच अंग होते हैं, जिसे हम निम्न रेखाचित्र के माध्यम से समझ सकते हैं-

उपरोक्त रेखाचित्र में वर्णित बिन्दु निम्नलिखित है-

(1) हार्डवेयर (Hardware)।

(2) सॉफ्टवेयर (Software)

(3) सामग्री (Material)

(4) डाटा (Data)

(5) व्यक्ति (People)

उपरोक्त बिन्दुओं का विस्तृत विवरण निम्नलिखित हैं-

(1) हार्डवेयर (Hardware)– एक कम्प्यूटर के सभी कलपुर्जों को हार्डवेयर कहते हैं। कम्प्यूटर व्यवस्था (System) के निर्माण में अनेक युक्तियों का प्रयोग किया जाता है, जैसे- इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, माइक्रोप्रोसेसर, की-बोर्ड, चिप, मॉनीटर तार एवं प्लग स्विच बोर्ड तथा इंलिग पैन इत्यादि। ये सभी युक्तियाँ आपस में उचित प्रकार से संगठित होकर एक कम्प्यूटर का निर्माण करती है। कम्प्यूटर का प्रत्येक भाग हार्डवेयर ही कहलाता है।

(2) सॉफ्टवेयर (Software)-‘सॉफ्टवेयर’ शब्द से उन निर्देशों के समूह को सम्बोधित किया जाता है, जिनके द्वारा हार्डवेयर को संचालित तथा नियन्त्रित किया जाता है। कम्प्यूटर के अभाव में कम्प्यूटर कोई भी कार्य नहीं कर सकता है, कम्प्यूटर ही हार्डवेयर को जानकारी देते हैं कि कौन-सा कार्य कैसे करना है? कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के अन्तर्गत अनेक तत्वों को सम्मिलित किया जाता है। इनका विवरण निम्नलिखित हैं-

(i) निर्देश (Instruction)- निर्देश को ‘कम्प्यूटर निर्देश’ भी कहा जाता है। एक कम्प्यूटर निर्देश ऐसा वाक्या या कथन होता हैं, जो कम्प्यूटर को कोई ‘विशेष ऑपरेशन’ करने को कहता है। उदाहरण के लिये यदि कम्प्यूटर को दो अंकों 3 तथा 5 का योग करने के लिये कहा जाता है तो उसके लिये कम्प्यूटर को दिया गया निर्देश निम्नलिखित रूप में होगा-

‘3 तथा 5 को जोड़ो’ (Add 3 + 5)

यदि हमें कम्प्यूटर से कोई फाइल प्रिन्ट करानी है तो निर्देश कुछ इस प्रकार से होगा-

‘फाइल प्रिन्ट करो’ (Print File)

(ii) कम्प्यूटर प्रोग्राम (Computer Programme)- यहाँ कम्प्यूटर स्वयं ही कार्यक्रमों को संचालित करता रहता है अर्थात् कम्प्यूटर प्रोग्राम को प्रारम्भ से निर्देशित करना आरम्भ करता है तथा निर्देशों का पूर्वनिर्धारित क्रम में पालन करना आरम्भ कर देता है।

यदि हमें तीन अंकों 3, 5 एवं 2 का औसत निकालना है तो उसके लिये कम्प्यूटर प्रोग्राम निम्नलिखित रूप से होगा-

(1) जोड़े (Add) = 3, 5, 2

(2) A=3+5+2

(3) B = A/3

(4) Print B

अनेक कम्प्यूटर प्रोग्रामों को जोड़कर एक सॉफ्टवेयर बनता है अर्थात् सॉफ्टवेयर अनेक कम्प्यूटर प्रोग्रामों का व्यवस्थित समूह है, जो अनेक प्रकार के ऑपरेशन करने में समर्थ होता है।

रेखाचित्र-कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम (Computer Software Programme)

  1. सामग्री (Material)- किसी भी यन्त्र को गतिमान करने से पूर्व ‘ऑपरेटर’ को यह पूर्णरूप से ज्ञात हो कि उसके कौन-कौन से कुलपुर्जे क्या-क्या कार्य करते हैं? कम्प्यूटर ऑपरेट करने वाले व्यक्ति के पास सभी प्रकार की सूचनाएँ होती हैं, जैसे-पुस्तकें सी.डी., गाइड, चिप, मैन्युअल तथा चित्र इत्यादि।
  2. डाटा (Data) – कम्प्यूटर को प्रदान की गयी किसी सूचना को ‘डाटा’ शब्द से सम्बोधित किया जाता है। कम्प्यूटर को दिये गये किसी भी प्रकार के तथ्य, आँकड़े तथा सूचनाएँ इत्यादि सब डाटा ही कहलाती हैं। डाटा के प्रमुख प्रकारों का वर्णन निम्नलिखित है-

(1) शाब्दिक डाटा (Alphabetic data) ।

(2) सांख्यिकी डाटा (Numeric data) ।

(3) चित्र (Image)।

(4) चलचित्र (Moving image )।

(5) ध्वनि (Voice) तथा

(6) सांख्यिकीय-शाब्दिक डाटा, इनपुट आउटपुट एवं डाटा प्रोसेसिंग इत्यादि।

इनपुट डाटा

3 + 5

प्रोसेसिंग

3 + 5 = 8

आउटपुट डाटा

8

रेखाचित्र-इनपुट आउटपुट डाटा प्रोसेसिंग

(Input Output Data Processing)

i. व्यक्ति (People)- कम्प्यूटर सिस्टम के साथ अनेक व्यक्ति सम्बन्धित होते हैं, जिनके अभाव में कम्प्यूटर सिस्टम कोई भी कार्य करने में असमर्थ होता है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित व्यक्तियों को सम्मिलित किया जा सकता है-

(1) कम्प्यूटर प्रयोग करने वाला (User)।

(2) कम्प्यूटर ऑपरेटर (Computer Operator ) ।

(3) कम्प्यूटर प्रोग्रामर (Computer Programmer)

(4) हार्डवेयर इंजीनियर (Hardware Engineer)

(5) सॉफ्टवेयर इंजीनियर (Software Engineer) |

कम्प्यूटर सिस्टम की कार्यप्रणाली

Function of Computer System

मानवीय कार्य हो अथवा मशीनी कार्य, सभी कार्य का एक व्यवस्थित क्रम होता है। उसी प्रकार से कम्प्यूटर सिस्टम का भी एक व्यवस्थित क्रम होता है। कम्प्यूटर सिस्टम तीन चरणों से व्यवस्थित होता है। इसे हम निम्नलिखित उदाहरण से भी समझ सकते हैं-

उदाहरण- मान लीजिए आप को कोई कार्य (जैसे-बाजार से सामान क्रय करना) करना है। सर्वप्रथम इस कार्य को सम्बोधित करने के लिये आपको बाजार (Market) जाना होगा, वहाँ आप ‘दुकानदार’ (Shopkeeper) को वस्तुओं की सूची देंगे, दुकानदार वस्तुएँ एकत्र करेगा तथा उसका ‘बिल’ बनायेगा। अतः आप बिल का भुगतान दे देंगे।

बाजार जाना तथा दुकानदार को वस्तुओं की सूची प्रदान करना ‘इनपुट’ कहलाता है। दुकानदार द्वारा सामान एकत्र करना तथा बिल बनाना ‘प्रोसेसिंग’ कहलाता है तथा आपके द्वारा सामान प्राप्त करना ‘आउटपुट’ कहलाता है।

इनपुट डाटा (Input Data) → डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) → आउटपुट डाटा (Output Data) + सूचनाएं (Information)

रेखाचित्र-इनपुट आउटपुट प्रोसेसिंग (Input Output Processing)

I P O चक्र (IP O Cycle)- इस प्रकार किसी भी कार्य पूर्ण करने के लिये सर्वप्रथम कुछ ‘इनपुट’ कार्य किये जाते हैं, उन पर प्रोसेसिंग अर्थात् किसी प्रकार की क्रियाएँ की जाती हैं तथा कार्य पूर्ण हो जाने पर उनका आउटपुट या परिणाम प्राप्त होता है। इनपुट, प्रोसेसिंग तथा आउटपुट इन तीन चरणों को सम्मिलन का एक चक्र बनता हैं, जिसे इनपुट प्रोसेसिंग आउटपुट चक्र (Input Processing output cycle) कहते हैं। यही संक्षेप में IPO चक्र ही कहा जाता है।

कम्प्यूटर हार्डवेयर की इकाइयाँ

(Units of Computer Hardware)

कम्प्यूटर की मशीन अनेक इलेक्ट्रॉनिक सर्किटों तथा युक्तियों के सम्मिलन से निर्मित होती है। कम्प्यूटर के प्रत्येक भाग के पृथक्-पृथक उत्तरदायित्व होते हैं तथा सभी भाग संयुक्त रूप से कार्य का सम्पादन करते हैं। प्रायः कम्प्यूटर के भी अनेक प्रकार होते हैं। प्रत्येक प्रकार के कम्प्यूटर की आन्तरिक संरचना, उससे जुड़ी हुई युक्तियाँ अन्य प्रकार से भित्र हो सकती हैं परन्तु यह भिन्नता उनकी संरचना या डिजायन इत्यादि में होती हैं, उनकी कार्यप्रणाली में नहीं। प्रत्येक प्रकार की मूल संरचना को चार कार्यकारी इकाइयों या चार ब्लॉक में विभाजित किया जा सकता है। प्रत्येक इकाई का एक पृथक कार्य होता है। कम्प्यूटर के प्रकार के अनुसार उसकी इकाई विशेष के अन्तर्गत पृथक्-पृथक् युक्तियाँ/कलपुर्जे तो हो सकते हैं किन्तु उनका मूल उद्देश्य समान ही रहता है।

जैसा कि हमने पूर्व में कहा है कि कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली चक्र पर आधारित हैं, जिसमें तीन चरण होते हैं, इन्हीं पुराणों के आधार पर कम्प्यूटर को चर इकाइयों में विभक्त किया गया है, ये चार इकाइयाँ निम्नलिखित हैं-

(1) इनपुट यूनिट (Input unit ) |

(2) सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing unit)।

(3) स्टोरेज यूनिट (Storage unit) ।

(4) आउटपुट यूनिट (Output unit) ।

उपरोक्त इकाइयों का विस्तृत विवरण निम्नलिखित हैं-

(1) कम्प्यूटर की प्रथम इकाई ‘इनपुट यूनिट’ का चक्र प्रथम चरण ‘इनपुट’ पूर्ण करता है। यह यूनिट प्रयोगकर्ता से डाटा प्राप्त करने का कार्य करती है।

(2) द्वितीय इकाई ‘सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट’ है, जो इनपुट यूनिट से डाटा प्राप्त कर उसे ‘प्रोसेस’ करती है अर्थात् उस पर विभिन्न गणनाएँ करती हैं तथा उसे संग्रहीत करती हैं।

(3) तृतीय इकाई ‘स्टोरेज यूनिट’ है, जिसका कार्य डाटा को संग्रहीत (Store) करना है। वस्तुतः स्टोरेज यूनिट डाटा का भण्डार ग्रह है। स्टोरेज यूनिट में डाटा को संग्रहीत करने का कार्य ‘सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट’ करती है, जिसे संक्षेप में सी.पी.यू. कहा जाता है। सी.पी.यू. तथा स्टोरेज यूनिट संयुक्त रूप से चक्र के द्वितीय चरण ‘प्रोसेसिंग’ का अनुसरण करती है।

(4) इस चक्र के अन्तिम चरण ‘आउटपुट’ का पालन कम्प्यूटर की चौथी यूनिट ‘आउटपुट यूनिट’ द्वारा किया जाता है। आउटपुट यूनिट सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट से प्राप्त आउटपुट डाटा को प्रयोगकर्ता तक पहुँचाती है।

उपरोक्त के अतिरिक्त कम्प्यूटर का एक और भाग है, जिसे हम किसी चरण अथवा इकाई में नहीं रखते हैं क्योंकि वह सभी यूनिटों में समाहित होता हैं, इन्हें हम संचार लाइन अथवा बस (Bus) कहते हैं।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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