शैक्षिक तकनीकी / Educational Technology

कम्प्यूटर की सहायता से अनुदेशन | कम्प्यूटर सह-अनुदेशन | Computer Assisted Instruction in Hindi

कम्प्यूटर की सहायता से अनुदेशन | कम्प्यूटर सह-अनुदेशन | Computer Assisted Instruction in Hindi

कम्प्यूटर की सहायता से अनुदेशन (Computer Assisted Instruction : CAI)-

अन्य संचार तकनीकियों (Communication Technologies) की तुलना में अनुदेशात्मक नम्यता (Instructional Flexibility) और उच्चस्तरीय अंतर्क्रिया (High Level Interaction) के कारण कम्प्यूटर सबसे अच्छा अनुदेशन सहायक यंत्र (Instructional Aid) माना जाता है। आज अनुदेशन/शिक्षण का सबसे प्रभावशाली और सक्षम साधन सिद्ध हो रहा है।

कम्प्यूटर की सहायता से अनुदेशन (CAI) के लिए एक पर्सनल कम्प्यूटर (PC) की या एक टर्मिनल (Terminal) की आवश्यकता होती है जो होस्ट कम्प्यूटर (Host Computer) से जुड़ा (Linked) होता है। CAI के लिए कोर्स वेयर या शिक्षण सामग्री का निर्माण और लेखन एक योग्य और अनुभवी शिक्षकों की टीम के द्वारा किया जाता है जिसमें इस बात का ध्यान रखते है कि कोर्स वेयर की सामग्री में उपयुक्त क्रम (Proper Sequencing) पारदर्शिता, पठनीयता और बोधगम्यता बनी रहे।

CAI में कुछ आवश्यक सुविधाएं, समाविष्ट होनी चाहिए जैसे कि स्पष्ट प्रलेख (Documentation), युक्ति संचालन क्षमता (Manoeuvrability), ऑन-लाइन हेल्प (On-line Help) तथा उपलब्ध विकल्पों से सम्बन्धित आदेश (Commands) आदि। शिक्षण-प्रक्रिया में दृश्यगत नीरसता (Visual Monotony) दूर करने के लिए ‘प्रिन्टर्स टूल्स’ (Printers Tools) जैसे कि इटैलिक्स, बोर्ड, फ्रन्टवेरियेशन आदि का प्रयोग हो सकता है, जहाँ सम्भव हो एनीमेशन का भी प्रयोग हो सकता है।

कोर्सवेयर/शिक्षण सामग्री, छोटे-छोटे टुकड़ों (Small Blocks) में प्रस्तुत की जाती है ये टुकड़े एक क्रम (Sequence) में व्यवस्थित या सूची-बद्ध रहते हैं। एक अच्छे CAI की शिक्षण सामग्री में विद्यार्थी को डायनेमिक ब्रांचिंग (Dynamic Branching) या ऑप्शनल ब्रान्चिंग (Optional Branching) में से अपनी रुचि के अनुसार किसी एक के चुनाव की सुविधा रहती है।

‘डायनेमिक ब्रांचिंग’ में विद्यार्थी की प्रतिक्रिया (Response) के आधार पर उसे विभिन्न वर्गों (Sections) में भेजा जाता है, तात्पर्य यह है कि अनुदेशन प्रस्तुत करने की गति विद्यार्थी के सीखने की गति (Learning Speed) पर निर्भर करती है। जो विद्यार्थी एडवान्स कोर्स (Advance Course) करते हैं उनकी गति काफी बढ़ जाती हैं और वे अपनी पाठ्य सामग्री जल्दी समाप्त कर लेते हैं जबकि वे  विद्यार्थी जिनकी गति धीमी है वे पाठ्य सामग्री को छोटे-छोटे सोपानों (Small Steps) में पूरा करते हैं।

‘आप्शनल ब्रांचिंग’ में विद्यार्थी कम्प्यूटर के स्क्रीन-मेन्यू (Screen Menu) में से वर्गों का चुनाव स्वतः ही कर लेता है। विभिन्न स्तरों पर, विद्यार्थी की प्रतिक्रिया (Response) ग्रहण करने के पश्चात्, कम्प्यूटर सही-गलत का विश्लेषण कर मूल्यांकन करता है।

विद्यार्थियों की प्रगति व्यक्तिगत रूप से CAI के कोर्स वेयर में रिकॉर्ड कर ली जाती है। प्रगति का विश्लेषण कर विद्यार्थी को अवगत कराया जाता है कि पाठ्य वस्तु के किस भाग (इकाई) में उसे अधिक अध्ययन की आवश्यकता है। रिकॉर्ड में यह भी सूचना रहती है कि विद्यार्थी के किस पाठ की परीक्षा (Test) कितनी बार ली गई है विद्यार्थी को क्रमशः कितने प्राप्तांक मिले हैं और प्रत्येक पाठ पर विद्यार्थी ने कितना समय खर्च किया है? यह कार्य कम्प्यूटर अभ्यास और ड्रिल (Practice and Drill) के द्वारा करता है। विद्यार्थी की प्रगति के अनुसार अभ्यासात्मक प्रश्न व्यवस्थित रहते हैं। सम्भावित गलतियों को दूर करने के लिए क्रमशः विषय-सामग्री प्रस्तुत की जाती है और कम्प्यूटर प्रतिपुष्टि (Feedback) प्रदान करता जाता है।

CAI में निहित अभ्यास कार्य तो विद्यार्थी के लिए सरल है लेकिन मूल्यांकन प्रक्रिया उसके लिए कठिन, क्योंकि उसे स्वयं ही निर्णय लेना पड़ता है कि अपनी गलतियों को दूर करने के लिए किस परिस्थिति में किस प्रकार की विषय-सामग्री या पाठ्य वस्तु का वह चयन करें।

कोर्स वेयर तैयार करने वाली शिक्षकों की टीम को इस प्रकार से पाठ्य वस्तु अभिक्रमित (Programmed) करनी पड़ती है जिससे कि विद्यार्थी को आवश्यकतानुसार विभिन्न विकल्प मिल सकें। सभी सम्भावित परिस्थितियों के लिए विकल्प विषय-सामग्री अभिक्रमित कर कम्प्यूटर में फीड कर दी जाती है। जिससे कि विद्यार्थियों की आवश्यकतानुसार स्वचालित पाठ्य-वस्तु/विषय सामग्री प्रस्तुत की जा सके।

CAI में पाठ को रुचिकर बनाने तथा विद्यार्थी को अभिप्रेरित करने के लिए पाठ्य-वस्तु या शिक्षण सामग्री को एक खेल के रूप में भी प्रस्तुत किया जा सकता है या कम्प्यूटर और विद्यार्थी के मध्य प्रतियोगिता भी हो सकती है।

CAI की व्यवस्था घर में, क्लब या मनोरंजन गृह (Recreation Centres) में अधिगम संसाधन केन्द्र (Learning Resource Centres) में औपचारिक कक्षाओं में या पुस्तकालयों में भी हो सकती है।

कम्प्यूटर की सहायता से अनुदेशन (CAI)

(प्राथमिक एवं पूर्व प्राथमिक स्तर पर)

(At Primary and Pre-Primary Level)

छोटे बालकों व शिशुओं के लिए कम्प्यूटर गेम्स विकसित किए गए है, जैसे अप-डाउन- लेफ्ट राइट (Up-down-left Right) जिससे कि बालक स्थान (Space) का बोध करते है। अमेरिका, इंग्लैण्ड तथा यूरोपीय देशों में पिछले अनेक वर्षों से गणित व भाषा शिक्षण में कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है। लॉजिक गेम्स (Logic Games) विकसित किए गये हैं, जिनसे बच्चे समस्या- समाधान की तकनीक खेल में ही सीख लेते हैं। भारतवर्ष में भी सन् 1900 के पूर्वार्द्ध से ही कम्प्यूटर गेम्स का प्रचलन शुरू हो गया, लेकिन ये खेल विदेशों से ही उपलब्ध होते रहे है। अभी छोटे बालकों के लिए कक्षा-शिक्षण में कम्प्यूटर का प्रयोग प्रचलित नहीं है।

कम्प्यूटर की सहायता से अनुदेशन (CAI) (माध्यमिक स्तर पर)

(At Secondary Level)

माध्यमिक स्तर पर गणित, भाषा, इतिहास, विज्ञान आदि विषयों में कक्षा-शिक्षण के लिए कम्प्यूटर प्रोग्राम तैयार किए गए हैं जिसमें एक सामान्य शिक्षक के पढ़ाने के तरीके का अनुसरण (Simulation) किया गया है। ये प्रोग्राम पाठ्यवस्तु को प्रस्तुत करते हैं और उत्तरों की जाँच करके प्रतिपुष्टि प्रदान करते है।

कम्प्यूटर की सहायता से अनुदेशन (CAI) ( उच्च शिक्षा में)

(At Higher Level)

विकसित देशों में विभिन्न विश्वविद्यालय अनेक विषयों के शिक्षण में कम्प्यूटर का प्रयोग वर्षों से कर रहे है। इलिनायस विश्वविद्यालय (Illinois University, U.S.A.) ने सबसे पहले PLATO (Programmed Logic for Automatic Teaching Operation) नाम का शैक्षिक कम्प्यूटर सिस्टम (Educational Computer System) विकसित किया था, जो एक साथ विश्वविद्यालय के 100 उपयोगकर्ताओं (Users) को एक साथ अनुदेशन प्रदान कर सकता था। माइक्रो कम्प्यूटर के आगमन के साथ इन देशों में शायद ही कोई विश्वविद्यालय हो, जो शैक्षिक कम्प्यूटर सिस्टम से अछूता हो।

आज उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों को कम्प्यूटर के कारण एक विशाल संदर्भ व्यवस्था उपलब्ध हो रही है। (जो इनका प्रयोग करना चाहते हैं)।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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