शैक्षिक तकनीकी / Educational Technology

शैक्षिक तकनीकी की प्रकृति | शैक्षिक तकनीकी की परिभाषा | शैक्षिक तकनीकी की मान्यतायें

शैक्षिक तकनीकी की प्रकृति | शैक्षिक तकनीकी की परिभाषा | शैक्षिक तकनीकी की मान्यतायें | Nature of Educational Technology in Hindi | Definition of Educational Technology in Hindi | Educational Technology Assumptions in Hindi

शैक्षिक तकनीकी की प्रकृति (Nature of Educational Technology) –

शैक्षिक तकनीकी के बारे में जानने के लिए शैक्षिक तकनीकी की परिभाषा अनेक विद्वानों ने दी है जो निम्न है।

(1) जैकोटा ब्लूमर के अनुसार-“शैक्षिक तकनीकी को व्यावहारिक अधिगम की परिस्थितियों ।में वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान का विनियोग कहा जाता है।”

(2) रिचमण्ड के अनुसार-“शैक्षिक तकनीकी सीखने की उन परिस्थितियों की समुचित व्यवस्था के प्रस्तुत करने से सम्बन्धित है, जो शिक्षण एवं परीक्षण के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर अनुदेशन को सीखने का उत्तम साधन बनाती है।”

(3) रॉबर्ट ए. कॉक्स के अनुसार-“मानव की सीखने की परिस्थितियों में वैज्ञानिक प्रक्रिया के प्रयोग को शैक्षिक तकनीकी कहा जाता है।”

(4) डीसीको के अनुसार- “सीखने के मनोविज्ञान का व्यावहारिक शैक्षिक समस्याओं पर गहन विनियोग शैक्षिक तकनीकी है।”

(5) रॉबर्ट एम. गेने के अनुसार-“शैक्षिक तकनीकी से तात्पर्य है कि व्यावहारिक ज्ञान की सहायता से सुनियोजित प्राविधियों का विकास करना, जिससे विद्यालयों की शैक्षिक प्रणाली की परीक्षण तथा शिक्षा कार्य की व्यवस्था की जा सके।”

(6) एस. एस. कुलकर्णी के अनुसार-“तकनीकी तथा विज्ञान के आविष्कारों तथा नियमों का शिक्षा की प्रक्रिया में प्रयोग को ही शैक्षिक तकनीकी कहा जाता है।”

शैक्षिक तकनीकी की ग्राह्य परिभाषाएँ-

इस श्रेणी में लीथ, साकामातों तथा शिव के0 मित्रा की परिभाषाएं वर्गीकृत की जा सकती हैं-

(1) जी.ओ.एम. लीथ के अनुसार- “शैक्षिक तकनीकी सीखने और सिखाने की दिशाओं में वैज्ञानिक ज्ञान का प्रयोग है, जिसके द्वारा शिक्षण एवं प्रशिक्षण की प्रक्रिया की प्रभावपूर्णता एवं दक्षता का विकास कर उसमें सुधार लाया जाता हैं।”

(2) तक्शी साकामाटो के अनुसार- “शैक्षिक तकनीकी वह व्यावहारिक या प्रयोगात्मक अध्ययन है जिसका उद्देश्य कुछ आवश्यक तत्वों, जैसे-शैक्षिक उद्देश्य, पाठ्य-वस्तुतः शिक्षण सामग्री, शिक्षण विधि वातावरण, विद्यार्थियों व निर्देशकों का व्यवहार तथा उसके मध्य होने वाली अन्त प्रक्रिया को नियन्त्रित करके अधिकतम शैक्षिक प्रभाव उत्पन्न करना है।”

(3) शिव के. मित्रा के अनुसार- “शैक्षिक तकनीकी को उन पद्धतियों तथा प्रविधियों का विज्ञान माना जा सकता है जिनके द्वारा शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।”

शैक्षिक तकनीकी की कार्यात्मक परिभाषा-

हेडान के अनुसार की परिभाषा कार्यात्मक परिभाषा कही जाती है। इसमें शैक्षिक तकनीकी के सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक दोनों ही पक्षों को समावेशित किया गया है। हेडान के अनुसार शैक्षिक तकनीकी, शैक्षिक सिद्धान्त एवं व्यवहार की वह शाखा है जो मुख्यतः सूचनाओं के उपयोग एवं योजनाओं से सम्बन्धित होती है और सीखने की प्रक्रिया पर नियन्त्रण रखती है।

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर हम शैक्षिक तकनीकी की प्रकृति के निम्नांकित निष्कर्षो पर पहुँचते हैं—(1) विज्ञान, शैक्षिक तकनीकी का आधारभूत विषय है।

(2) शैक्षिक तकनीकी शिक्षा पर विज्ञान तक तकनीकी के प्रभाव का अध्ययन करती है।

(3) शैक्षिक तकनीकी में व्यावहारिक पक्ष को महत्व दिया जाता है।

(4) शैक्षिक तकनीकी निरन्तर विकासशील विषय है।

(5) इसका उद्देश्य सीखने की प्रक्रिया में विकास करना है।

(6) यह मनोविज्ञान, इन्जीनियरिंग आदि विज्ञानों से सहायता लेती है।

(7) इसमें क्रमबद्ध उपागम (Systematic Approach) को प्रधानता दी जाती है।

(8) इसमें शिक्षक, छात्र तथा तकनीकी प्रक्रियायें एक साथ समावेशित रहती है।

(9) शैक्षिक-तकनीकी के विकास के फलस्वरूप शिक्षण में नवीन शिक्षण विधियों तथा नव शिक्षक-तकनीकियों का प्रवेश हो रहा है।

(10) यह शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अधिगम-परिस्थितियों में आवश्यक परिवर्तन लाने में समर्थ है।

(11) शैक्षिक-तकनीकी, शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक तथा तकनीकी आवश्यकताओं के अनुरूप उपकरणों के निर्माण में सहायता प्रदान करती है।”

उपर्युक्त परिभिाषाओं तथा विशेषताओं के आधार पर यह स्पष्ट है कि शैक्षिक तकनीकी अति विस्तृत शब्द है। इसका तात्पर्य सम्पूर्ण शैक्षिक प्रक्रिया को योजनाबद्ध कर, कार्यान्वित करने में वैज्ञानिक सिद्धान्तों को प्रयोग में लाना है। डॉ0 आनन्द (1996) के शब्दों में इसमें वह बात शामिल है। जिसकी सहायता से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सुधार लाने का प्रयास किया जाता है। शैक्षिक तकनीकी शिक्षण, प्रशिक्षण तथा शिक्षा की लगभग सभी महत्वपूर्ण क्रियाओं से सम्बन्धित है-जैसे अनुदेशात्मक उद्देश्यों को निर्धारित करना, अधिगम सम्बन्धी वातावरण की योजना बनाना, शिक्षण एवं अधिगम सामग्री को तैयार करना शिक्षण हेतु उपयुक्त युक्तियों तथा अधिगम के माध्यमों का चयन करना एवं शिक्षण तथा अधिगम प्रणालियों का मूल्यांकन करना, इत्यादि।

एक समय था जब शैक्षिक तकनीकी का अर्थ केवल श्रव्य-दृश्य साधनों के शिक्षण से समझा जाता था। आज के युग में शैक्षिक-तकनीकी अत्यन्त विस्तृत धारणा युक्त हो गयी है। अब शैक्षिक तकनीकी की धारणा का प्रयोग उन सभी विधियों, प्राविधियों, व्यूह रचनाओं तथा यान्त्रिक उपकरणों की अभिव्यक्ति हेतु किया जा रहा है जिनका प्रयोग शिक्षण एवं अधिगम की प्रभावशीलता में वृद्धि करने के लिए किया जाता है। शैक्षिक-तकनीकी, शैक्षिक एवं शैक्षणिक प्रक्रियाओं को नियोजन करने, संगठित करने, अग्रसारित करने तथा उनके प्रभावों को भली-भाँति नियन्त्रित करने के लिये एक सुव्यवस्थित तथा वैज्ञानिक प्रयास कहलाता है।

शैक्षिक तकनीकी की उपर्युक्त विवेचना के आधार पर लेखक ने अपनी परिभाषा इस प्रकार दी हैं— “शैक्षिक तकनीकी, विज्ञान पर आधारित एक ऐसा विषय है जिसका उद्देश्य शिक्षण तथा छात्रों के कार्य को निरन्तर सरल बनाना है। जिससे कि शिक्षा के ये तीनों अंग मिलकर भली-भाँति समायोजित रहें और अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में क्रमबद्ध उपागमों के माध्यम से सक्षम और समर्थ रहें। इस विषय के अन्तर्गत शिक्षा के अदा, प्रदा तथा प्रक्रिया (Input, Output and Process) तीनों ही पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए।”

शैक्षिक तकनीकी की मान्यतायें

(ASSUMPTIONS OF EDUCATIONALTECHNOLOGY)

शैक्षिक-तकनीकी निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित हैं-

(1) प्रत्येक मानव, मशीन की भाँति कार्य करता है अतः शिक्षा के क्षेत्र में मानव व्यवहार में परिमार्जन तथा परिष्करण हेतु इसके वैज्ञानिक सिद्धान्तों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा सकता है।

(2) शिक्षण कला तथा विज्ञान दोनों ही है। अतः शिक्षण का विश्लेषण किया जा सकता है या शिक्षक को इसके छोटे-छोटे तथ्यों, तथ्यों, तत्वों एवं अवयवों में विभाजित किया जा सकता है। फिर बाद में इन तथ्यों, तत्वों एवं अवयवों का भी गहन प्रेक्षण, निरीक्षण तथा अध्ययन सम्भव है। अतः शैक्षिक तकनीकी, वैज्ञानिक उपागमों पर आधारित है।

शैक्षिक तकनीकी – महत्वपूर्ण लिंक

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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