शैक्षिक तकनीकी / Educational Technology

अनुदेशनात्मक तकनीकी या प्रणाली | अनुदेशन तकनीकी की मान्यताएँ | अनुदेशन तकनीकी की विशेषताएँ | अनुदेश तकनीकी की विषय-वस्तु | अनुदेशन तकनीकी के सोपन

अनुदेशनात्मक तकनीकी या प्रणाली | अनुदेशन तकनीकी की मान्यताएँ | अनुदेशन तकनीकी की विशेषताएँ | अनुदेश तकनीकी की विषय-वस्तु | अनुदेशन तकनीकी के सोपन | instructional technology or system in Hindi | Assumptions of Instructional Technology in Hindi | Features of Instruction Technology in Hindi | Contents of Instruction Technical in Hindi| steps of instructional technology in Hindi

अनुदेशनात्मक तकनीकी या प्रणाली

(INSTRUCTIONAL TECHNOLOGY SYSTEM)

शिक्षण तकनीकी की भाँति अनुदेशन तकनीकी भी तकनीकी से पृथक नहीं है। सामान्यताया शिक्षण तथा अनुदेश तकनीकी में कोई अन्तर नहीं किया जाता है। अनुदेशन तकनीकी दो शब्दों से मिलकर बना है।-

(1) अनुदेशन (Instruction) तथा

(2) तकनीकी (Technology) अनुदेशन का मतलब है। सूचनाएँ प्रदान करना। अतः अनुदेशन तकनीकी एक ऐसा विषय है जो उपलब्ध साधनों के सन्दर्भ में स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। तथा छात्रों में विशेष व्यवहार परिमार्जन (Behaviour Modification) करता है। “यह शैक्षिक तकनीकी की कक्षागत या सीखने की परिस्थितियों में प्रयुक्त एक नयी शिक्षण व्यवस्था है। जो अभ्यासजनित परिस्थितियों के द्वारा शिक्षा सिद्धान्तों की पुष्टि करता है।

अनुदेशन तकनीकी ने शिक्षा क्षेत्र को अभिक्रमित अध्ययन (Programmed Instruction) का एक बहुत बड़ा उपहार प्रदान किया है, जिसके माध्यम से छात्र अपनी व्यक्तिगत विभिन्नताओं के आधार पर सीखते है। शर्मा (1980) के अनुसार-

“Instructional technology means a network of techniques or devices employed to accomplish certain defined set of learning objectives.

रॉबर्ट ए. कौक्स इस तकनीकी को, Subordinate Term of Educational Technology’ कहते हैं।

मैकमरिन (MeMurin) के अनुसार “अनुदेशन तकनीकी का प्रयोग कोमल एवं कठोर शिल्प के लिए ही नहीं वरन् इन विधियों के मूल में निहित सिद्धान्तों की व्यवस्था के लिए भी किया जाता है।” अतः इसमें अनुदेशन सिद्धान्त तथा अनुदेशन तकनीकी दोनों ही गुम्फित रूप में प्रदर्शित होते है। अतः कहा जा सकता है। कि अनुदेशन तकनीकी, शैक्षिक तकनीकी की यह शाखा है, जो हमें शिक्षण सामग्री तथा अन्य दृश्य-श्रव्य सामग्री के सही उपोगी के विषय में सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक दोनों प्रकार की ही सूचनाएँ प्रदान करती है। (कुलश्रेष्ठ 1987) शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में, जब मनोवैज्ञानिक तथा वैज्ञानिक सिद्धान्तों का समावेशन हो जाता है। तब वह अनुदेशन कहलाने लगती है।

अनुदेशन तकनीकी की मान्यताएँ

(ASSUMPTIONS OF INSTRUCTIONAL TECHNOLOGY)

  1. अनुदेशन में कुछ सूचनाएँ दी जानी आवश्यक हैं।
  2. किसी भी विषय-वस्तु को छोटे-छोटे तत्वों में विभाजित किया जा सकता है। और उन तत्वों को स्वतन्त्रता रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है।
  3. इन तत्वों को इस प्रकार से तार्किक क्रम (Logical Arrangement) में बाँधा जा सकता है, जिससे कि वांछित सीखने की बाहा परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकें।
  4. मानवीय विकास के लिए पृष्ठ पोषण (Cybernetic) का सिद्धान्त अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
  5. मानव का प्रत्येक व्यवहार संगठित प्रणाली के अंगों के रूप में कार्य करता है।
  6. छात्रों को उनकी आवश्यकता और गति के अनुसार पढ़ने का अधिकार है।
  7. शिक्षण की प्रक्रिया शिक्षक के बिना भी सम्पादित की जा सकती है।
  8. शिक्षण की प्रक्रिया में सीखने के व्यवहारों को नियन्त्रित तथा परिमार्जित किया जा सकता है।

अनुदेशन तकनीकी की विशेषताएँ

(CHARACTERISTICS OF INSTRUCTIONAL TECHNOLOGY)

  1. अनुदेशन तकनीकी का प्रमुख कार्य हैं सूचनाएँ प्रदान करना।
  2. अनुदेशन तकनीकी के माध्यम से ज्ञानात्मक (Cognitive) उद्देश्यों को अधिक प्रभावशाली विधि से प्राप्त किया जा सकता है।
  3. छात्रों को इस तकनीकी के प्रयोग से अपनी गति के अनुसार सीखने के अवसर मिलते हैं।
  4. अनुदेशन तकनीकी मे सही उत्तरों का पुनर्बलन होता है।
  5. अनुदेशन तकनीकी, मनोविज्ञान दर्शन तथा विज्ञान के सिद्धान्तों तथा अविष्कारों का उपयोग करती है।
  6. इसके माध्यम से अनुदेशन सिद्धान्तों का निर्माण किया जाता है।
  7. यह तकनीकी पाठ्य-वस्तु का विश्लेषण कर विषय के विभिन्न प्रकरणों में तरातम्य बनाये रखती है।
  8. यह कक्षागत परिस्थितियों में (Terminal Bechaviour) का मूल्यांकन करती है।
  9. यह शिक्षकों के अभाव के भी शिक्षण प्रक्रिया जारी रखती है।
  10. यह पाठ्य-वस्तु तथा इसके तत्वों के तार्किक क्रम पर बहुत ध्यान देती है।
  11. वह शिक्षण व सीखन की प्रक्रिया को प्रेरित करने में सहायक है।
  12. इसके द्वारा उद्देश्यों की प्राप्ति का मूल्यांकन करके शिक्षण प्रक्रिया को आवश्यकतानुसार सुधारा जा सकता है।
  13. शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए शिक्षण तकनीकी मानवीय तथा अमानवीय दोनों साधनों का उपयोग करती है।

मैकमरिन (Me Murin,) 1970 ने अनुदेशन तकनीकी की व्याख्या करते हुए लिखा है-

“Instructional Technology is a systematic way of designing, carrying out and evaluating the total process of earning and teaching in terms of specific objective hased on research, on human learning and communication and employing a combination of human and non-human resources to bring about more effective instruction.”

अनुदेश तकनीकी की विषय-वस्तु

(Content of Instructional Technology)

  1. अनुदेश तकनीकी का अर्थ एवं स्वरूप।
  2. अभिक्रमित अनुदेशन के प्रकार, उनकी विशेषताएँ, सिद्धान्त सरचानाएँ तथा आधारभूत मान्याताएँ एवं उपयोग।
  3. अभिक्रमित अनुदेशन के प्रकार, उनकी विशेषताएं, सिद्धान्त संरचनाएँ तथा आधारभूत मान्यताएँ एवं उपयोग।
  4. अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री निर्माण करने के विभिन्न सोपान तथा उनका वर्णन।
  5. अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री निर्माण।
  6. अभिक्रमित अनुदेशन के क्षेत्र में शोध एवं प्रयोग तथा नवीन विचारधाराएँ।

अनुदेशन तकनीकी के सोपन (Steps of Instructional Technology)

  1. अनुदेशन सामग्री का चयन करना (उद्देश्यों के अनुसार) ।
  2. विभिन्न विधियों, प्रविधियों, युक्तियों तथा श्रव्य-दृश्य का प्रयोग करके पाठ को प्रस्तुत करना।
  3. मूल्यांकन करना ।
  4. सुधार के लिए सुझाव प्रदान करना।
शैक्षिक तकनीकी – महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!