व्यूहरचनात्मक प्रबंधन / Strategic Management

स्वॉट विश्लेषण से आशय | स्वॉट विश्लेषण के तत्व | स्वॉट की विश्लेषण की महत्व

स्वॉट विश्लेषण से आशय | स्वॉट विश्लेषण के तत्व | स्वॉट की विश्लेषण की महत्व | Meaning of SWOT Analysis in Hindi | Elements of SWOT Analysis in Hindi | Importance of SWOT analysis in Hindi

स्वॉट विश्लेषण से आशय

Meaning of SWOT Analysis

SWOT एक ऐसी क्रिया है, जिसमें आन्तरिक तथा बाहरी वातावरण को पहचानने में सहायता मिलती है। SWOT विश्लेषण कार्यनीतिक सफलता के लिए कोई नियम या सिद्धान्त प्रदान नहीं करती है। इस प्रकार कुछ दिशा-निर्देश जैसी शक्ति का मूल्यांकन करने के लिए-उद्देश्य तथा शक्तियों, कमजोरियों, अवसरों और खतरों का खुला निर्धारण दूसरे कार्यनीतियों का सफलतापूर्वक चुनाव एवं क्रियान्वयन के लिए फर्म को चाहिए कि वह अपनी प्रतियोगी शक्ति का विकास करे तथा कमजोर वाले क्षेत्रों में प्रतियोगिता से दूर रहे।

अतः हम कह सकते हैं कि SWOT (शक्ति, कमजोरी, अवसर तथा खतरे) कई तकनीकों में से एक है, जो कम्पनी की शक्तियों तथा कमजोरियों का मूल्यांकन करता है तथा उन्हें पर्यावरण सम्बन्धी अवसरों एवं खतरों से मिलता है। ऐसा करने से कम्पनी अवसरों का लाभ उठा सकती है तथा खतरों को रोक सकती है। उदाहरण के लिए यदि कम्पनी की वित्तीय क्षेत्र में सुदृढ़ अवस्था है तो वह उत्पाद सुविधाओं में प्रसार करके तथा तकनीकी क्षमता का विस्तार करके अपने बाजार हिस्से में सुधार ला सकती है।

स्वॉट विश्लेषण के तत्व (Elements of SWOT Analysis):

स्वॉट विश्लेषण के निम्नलिखित तत्व हैं-

  1. शक्तियां- शक्ति से तात्पर्य प्रतिस्पर्धात्मक लाभ तथा मूल क्षमता से है जिससे कम्पनी बाजार में अपना स्थान बना सकती है। यह उत्कृष्ट तकनीकी ज्ञान, वितरण व्यवस्था, प्रोत्साहित, कर्मचारियों आदि में छिपा रहता है।
  2. दुर्बलताएँ- प्रत्येक व्यवसाय की अपनी कुछ सीमाएँ होती हैं, जिनमें बाहर आकर व्यवसाय नहीं किया जा सकता। ये सीमाएँ भी दुर्बलता का कारण बनती हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यापारी को अपने व्यापार के लिए कच्चे माल की आवश्यकता है तो उसे दूसरे व्यापारी पर निर्भर होना पड़ेगा। दुर्बलताएँ व्यवसायी के कार्य की सीमा का निर्धारण करती हैं तथा इन सीमाओं के द्वारा व्यापार को कभी-कभी हानि उठानी पड़ती है।
  3. क्षमताएँ- इसका आशय संस्था उपक्रम में मौजूद उन सभी तत्वों से है, जिनका प्रयोग करके व्यवसायी प्रतिस्पर्द्धा में हिस्सा लेता है तथा लाभ प्राप्त करता है। एक व्यवसाय को स्वयं में मौजूद सकारात्मक गुणों की सूची का निर्माण करना चाहिए, जो उनसे प्रत्यक्ष रूप से सम्बद्ध होती है। इन क्षमताओं के आधार पर व्यवसायी प्रतिस्पर्द्धा का सामना कर सकता है तथा अधिक से अधिक लाभ अर्जित कर सकता है।
  4. अवसर- इसका अभिप्राय व्यवसाय के वातावरण में स्थित समस्त अनुकूल परिस्थितियों से है। इन अनुकूल परिस्थितियों के कारण ही एक व्यवसायी बाजार में अपने प्रतिस्पद्धियों से सामना करता है तथा अधिकतम लाभ अर्जित करता है। ये परिस्थितयाँ ही व्यवसायी को स्वयं को मजबूत करने के लिए प्रेरित करती हैं।
  5. कठिनाइयाँ/चुनौतियाँ- जब व्यापार में प्रतिकूल परिस्थितयाँ विद्यमान होती हैं, तो उसे ही चुनौतियाँ अथवा कठिनाइयाँ कहते हैं। जब व्यापार की परिस्थितियाँ व्यापार के प्रतिकूल होती है तो व्यवसायी को अत्यन्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ये परिस्थितियाँ संगठन के लिए अत्यन्त ही हानिकारक सिद्ध होती हैं।

स्वॉट की विश्लेषण की महत्व

SWOT विश्लेषण की महत्व को निम्नलिखत प्रकारों से स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. यह एक तार्किक ढांचे को प्रस्तुत करता है- SWOT विश्लेषण हमें एक सुदृढ़ एवं तार्किक ढाँचा प्रस्तुत करता है जिससे व्यावसायिक परिस्थितयों, विभिन्न कार्यनीतियों के निर्माण तथा उनके चुनाव में विभिन्न पहलुओं पर क्रमानुसार तथा पूर्ण रूप से विचार किया जाता है। प्रबन्धकीय अनुभूतियों (पूर्वानुमानों) में संगठनात्मक शक्तियों तथा कमजोरियों एवं वातावरण सम्बन्धी अवसरों तथा खतरों के बारे में आये उच्चावचनों (Variations) से विभिन्न विचारधाराओं की उत्पत्ति होती है जिससे विशेष कार्यनीतियों का निर्माण होता है तथा अन्त में श्रेष्ठ कार्यनीति का चुनाव आपसी विचार-विमर्श की प्रक्रिया द्वारा किया जाता है।
  2. यह तुलनात्मक खाता प्रस्तुत करता है- SWOT विश्लेषण ढाँचागत रूप में आन्तरिक तथा बाहरी दोनों ही परिस्थितियों के लिए सूचनाएं प्रदान करता है जिससे यह संभव हो पाता है कि बाहरी अवसरों तथा खतरों का मुकाबला आन्तरिक शक्तियों तथा कमजोरियों के साथ- किया जा सके। इससे बाहरी तथा अन्तरिक वातावरण के साथ मिलान करने में सहायता मिलती है जिससे कार्यनीतिज्ञ कुछ निश्चित सम्बन्धों के आदर्शों को विकासित करके उपयुक्त कार्यनीति का निर्माण कर सकता है। विभिन्न आर्दश एक संयोजन के रूप में होते हैं जैसे उच्च अवसर तथा उच्च शक्तियाँ, उच्च अवसर तथा निम्न शक्तियाँ उच्च खतरे (चुनौतियां) तथा उच्च शक्तियाँ उच्च खतरे तथा निम्न परिस्थितियों के अनुसार प्रत्येक अवस्था में अलग-अलग कार्यनीतियों की आवश्यकता पड़ती है।
  3. कार्यनीतियों के पहचान के लिए यह कार्यनीतिज्ञ का मार्गदर्शन कराता है- कार्यनीतिज्ञ के लिए यह स्वाभाविक है कि जब उसका संगठन चारों आदर्शों (Patterns) के साथ मेल नहीं खाता तो उसके लिए समस्या उत्पन्न हो जाती है।

यह सम्भव है कि संगठन के पास अनेकों अवसर हों तथा कुछ गम्भीर खतरे हों। यह समान रूप से सत्य है कि आवश्यक सफलता तत्वों के प्रकाश में संगठन के पास बहुत सी कमजोरियों के साथ-साथ मजबूत शक्तियाँ भी हो। ऐसी परिस्थितियों में SWOT विश्लेषण कार्यनीतिज्ञ को संगठन की सम्पूर्ण शक्तियों के बारे में सोचने के लिए मार्गदर्शन करे जो कार्यनीति के मुख्य उद्देश्यों को पहचानने में उसकी सहायता करता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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