व्यूहरचनात्मक प्रबंधन / Strategic Management

व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाई से आशय | व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाइयों की विशेषताएँ | व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाई के लाभ | व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाई के हानि

व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाई से आशय | व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाइयों की विशेषताएँ | व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाई के लाभ | व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाई के हानि | Meaning of creative business unit in Hindi | Characteristics of Strategic Business Units in Hindi | Advantages of Array Creative Business Unit in Hindi | Disadvantages of Strategic Business Unit in Hindi

व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाई से आशय

Meaning of Strategic Business unit

यदि कोई कम्पनी या निगम विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में लगा हुआ है तो यह उचित होता है कि वह अपने सम्पूर्ण व्यवसाय को विभिन्न व्यूह रचनात्मक इकाइयों में विभक्त कर दे। व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाई एक प्रकार से किसी संगठन या फर्म का परिचालन विभाग होता है। यह एक विशिष्ट उत्पाद, बाजारखण्ड अथवा सुपरिभाषित उपभोक्ता समूहों की सेवा करता है। इस प्रकार की व्यूहरचनात्क इकाइयों के निर्माण की आवश्यकता ऐसी फर्मों को पड़ती है जो विभिन्न प्रकार के व्यावसायों से सम्बन्ध रखते हैं। प्रत्येक व्यवसाय किसी न किसी दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। अतः फर्म अपने विभिन्न व्यवसायों को विभागों में विभाजित कर देता है। विभागों को इस प्रकार निर्मित किया जाता है कि एक प्रकार का व्यवसाय एक व्यावसायिक इकाई बन जाये। इस प्रकार कार्य की विशेषता के आधार पर बनाये गये ये विभाग ही व्यूह रचनात्मक इकाई कहलाते है। इन्हें लाभ केन्द्रों के नाम से भी जाना जाता है।

व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाइयों की विशेषताएँ (Characteristics)-

व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाइयों की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-

(1) प्रत्येक इकाई विशिष्ट प्रकार के ग्राहकों को सेवाएँ प्रदान करती है।

(2) निगम स्तर पर इकाइयों को मार्गदर्शन प्राप्त होता है तथा उनकी व्यूह रचनाओं तथा योजनाओं के अनुरूप उन्हें संसाधनों का आवंटन किया जाता है।

(3) प्रत्येक इकाई का पोर्टफोलियो संगठन द्वारा स्पष्टतः परिभाषित होता है।

(4) प्रत्येक इकाइयों का एक प्रबन्धक नियुक्त किया जाता है जो कि इकाई के कार्यों के लिये उत्तरदायी होता है और इकाई का लाभ अथवा हानि को प्रभावित करने वाले घटकों का नियंत्रण करता है।

(5) प्रत्येक इकाई निगम या संगठन स्तर की व्यूह रचनाओं को ध्यान में रखते हुए अपनी स्वयं की व्यूह रचनाओं का निर्माण करती हैं।

व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाई के लाभ (Advantages)

व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाइयों के प्रमुख लाभ निम्न हैं

(1) इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रत्येक इकाई को अपनी स्वयं की व्यूह रचना तथा योजनाएँ बनाने की छूट होती है, अतः निगम से उसके टकराव की कम सम्भावना होती है।

(2) निगम स्तर पर इकाइयों को मार्गदर्शन प्राप्त होते हैं। फिर भी आवश्यकतानुसार इकाइयाँ अपने उद्देश्यों की प्राप्ति नीतियों का निर्धारण कर सकती हैं। अतः व्यवसाय में लाभ की सम्भावना अधिक होती है।

(3) निगम को बाजार क्षेत्र की छोटी-छोटी कठिनाइयों से जूझना नहीं पड़ता क्योंकि इकाइयाँ स्वयं अपने स्तर पर इनका समाधान कर लेती हैं।

(4) इकाइयाँ स्थानीय आवश्यकताओं तथा संसाधनों में बेहतर समन्वय स्थापित करने में सफल होती हैं जिससे उन्हें अधिक लाभ की सम्भावना बनी रहती है।

(5) बहुराष्ट्रीय निगम अपनी व्यावसायिक इकाइयों के प्रबन्ध के लिये बेहतर प्रबन्ध करते हैं।

(6) दिये गये वातावरण के अनुसार प्रत्येक इकाई अपने संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करती है जिससे सम्पूर्ण व्यवसाय को लाभ होता है।

व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाई के हानि (disadvantages)

व्यूह रचनात्मक व्यावसायिक इकाइयों के दोष निम्नलिखित है-

(1) चूँकि इस व्यवस्था में इकाइयों को निगम स्तर पर ही निर्देशित किया जाता है। अतः ये पूर्व स्वतंत्र नहीं कही जा सकती हैं।

(2) ये व्यावसायिक इकाइयाँ व्यक्तिगत लाभ के लिये निगम के संसाधनों का दुरुपयोग कर सकती हैं।

(3) अक्सर यह देखा जाता है कि निगम स्तर की व्यूह रचना तथा इकाई स्तर की व्यूह रचनाओं में विरोधाभास होता है।

(4) इस अवस्था में प्रबन्धकीय समस्याओं की वृद्धि होती है।

(5) चूँकि निगम को प्रत्येक इकाई के लिये संसाधनों की आवश्यकता की पूर्ति करनी आवश्यक होती है, अतः निगम की समग्र लागत में वृद्धि हो जाती है।

व्यूहरचनात्मक प्रबंधन – महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!