ट्रान्समिशन मीडिया

ट्रान्समिशन मीडिया | ट्रान्समिशन मीडिया के प्रकार | ट्रान्समिशन मीडिया का महत्व

ट्रान्समिशन मीडिया | ट्रान्समिशन मीडिया के प्रकार | ट्रान्समिशन मीडिया का महत्व | Transmission Media in Hindi | Types of Transmission Media in Hindi | Importance of transmission media in Hindi

ट्रान्समिशन मीडिया

ट्रान्समिशन मीडिया से तात्पर्य सूचना को विभिन्न सूचना माध्यम द्वारा विभिन्न स्थानों, व्यक्तियों तक पहुंचाने, प्रेषित करने से है। वर्तमान समय में सूचना का विशेष महत्व है। सूचना के अभाव में व्यक्ति सम्पूर्ण विश्व से अलग-थलग पड़ जाता है। व्यक्ति के साथ-साथ देश के आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक व सांस्कृतिक वातावरण को उन्नतिशील एवं प्रसन्नचित करने के लिये सूचना व सूचना माध्यमों का सहारा लिया गया है। आजकल संदेशों व सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति व एक राष्ट्र तक पहुंचाने व मांगने के लिये आधुनिक तत्वों के रूप में विद्युत् चालित मशीनों का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है।

ट्रान्समिशन मीडिया के प्रकार एवं उनके महत्व

ट्रान्समिशन मीडिया के प्रकार एवं उनके महत्व निम्नलिखित हैं:-

(T ) रेडियो (Radio)- सूचना व संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने हेतु विद्युत चालित मशीनों के रूप में सबसे पहले रेडियो का प्रयोग किया गया। रेडियो व ट्रॉजिस्टर के माध्यम से संगीत, विज्ञापन, नाटक, समाचार, विदेशों के समाचार, वृत्तचित्र, संस्मरण आदि की निरंतर जानकारी प्राप्त होती रहती है। भारत में रेडियो प्रसारण का कार्य सन् 1927 से शुरू हुआ, जब मुम्बई व कोलकाता में प्राइवेट ट्रांसमीटरों ने कार्य करना शुरू किया। सन् 1930 में सरकार ने इसका संचालन अपने हाथ में ले लिया और इसका नाम इण्डियन ब्राडकास्टिंग सर्विस रखा। सन् 1936 में सरकार ने इसका नाम परिवर्तित कर ऑल इण्डिया रेडियो कर दिया। उसके बाद 1957 में इसे आकाशवाणी के रूप में जाना गया। वर्तमान समय में आकाशवाणी जनता को मनोरंजन प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें शिक्षित करने, विचारों का आदान-प्रदान करने, नई-नई जानकारियाँ प्रदान करने में उल्लेखनीय भूमिका अदा कर रही है।

(2) दूरदर्शन (Television)- दूरदर्शन दूरसंचार का अत्यन्त महत्वपूर्ण माध्यम है। भारतीय दूरदर्शन ट्रांसमीटर की आधारभूत सुविधाओं, कार्यक्रमों की विविधता, दूरदर्शन स्टूडियो, टी.वी. नेटवर्क व दर्शकों की संख्या के आधार पर विश्व के विशाल प्रसारण संगठनों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रयोग के तौर पर दूरदर्शन का प्रसारण सितम्बर 1959 में दिल्ली में हुआ। इसका नियमित प्रसारण सन् 1965 में शुरू हुआ। सूचनाओं के आदान-प्रदान का यह एक उपयोगी व आधुनिक माध्यम है। सन् 1982 में दिल्ली व विभिन्न ट्रान्समीटरों के मध्य उपग्रह द्वारा नियमित सम्पर्क के साथ राष्ट्रीय प्रसारण प्रारम्भ हुआ तथा दूरदर्शन से रंगीन प्रसारण प्रारम्भ कर दिया गया। वर्तमान समय में दूरदर्शन के कार्यक्रमों का प्रसारण न सिर्फ शहरों में ही होता है अपितु कई गाँवों में भी इसके प्रसारण का लाभ लोगों द्वारा लिया जा रहा है। शैक्षिक  कार्यक्रम, खेल-कूद, विज्ञापन, संगीत, नाटक व धारावाहिक वैज्ञानिक प्रगति, संसद की कार्यवाही आदि समस्त कार्यक्रम दूरदर्शन पर देखने को मिलते हैं।

(3) दूरभाष (Telephone)— सन् 2000 से पूर्व टेलीफोन का उपयोग बातचीत, व्यावसायिक क्रियाओं की जानकारी एवं अन्य आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त करने में किया जाता था। सम्बंधित व्यक्ति से बात तो की जाती थी, परन्तु महीनों एक दूसरे को चेहरा नहीं देख पाते थे। आज फोटो टेलीफोन के माध्यम से दोनों लोग एक दूसरे को चेहरा आधुनिक टेलीफोन पर देख सकते हैं। इसके अतिरिक्त मोबाइल फोन द्वारा वहीं बैठे व्यक्तियों व होने वाले कार्यक्रमों का फोटो भी लिया जा सकता है।

(4) प्रोजेक्टर (Projector)— पहले इस मशीन का प्रयोग गाँव में फिल्म दिखाने के काम में किया जाता था। गाँव में खुले मैदान में बड़ा सा पर्दा लगातार उस पर प्रोजेक्टर के द्वारा फिल्म व अन्य कार्यक्रम प्रदर्शित किये जाते थे। इस प्रोजेक्टर का आकार भी काफी बड़ा था। धीरे-धीरे इसमें अनेक परिवर्तन हुए तथा इसका स्वरूप भी छोटा किया गया। आज प्रोजेक्टर काफी छोटे आकार में उपलब्ध है। यह कॉन्फ्रेंस मीटिंग्स आदि में प्रस्तुतीकरण देने में काफी उपयोगी है। आजकल शादी विवाह में भी इसका प्रयोग खूब हो रहा है।

(5) कम्प्यूटर (Computer)– कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस है। यह निर्देशों के समूह (प्रोग्राम) के नियंत्रण में लक्ष्य (डेटा) पर क्रिया (प्रोसेस) करके सूचना उत्पन्न करता है। कम्प्यूटर में डेटा को स्वीकार करके प्रोग्राम को क्रियान्वित करने की क्षमता होती है। यह डेटा पर गणितीय और तार्किक क्रियाओं को करने की क्षमता रखता है। कम्प्यूटर में डेटा को स्वीकार करने के लिये इनपुट डिवाइस होती है जबकि प्रोसेस से प्राप्त परिणाम को प्रस्तुत करने के लिये आउटपुट डिवाइस होती है। प्रोसेसिंग का कार्य कम्प्यूटर की सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट में होता है। यही CPU कम्प्यूटर का दिमाग कहलाता है। आज कम्प्यूटर की मदद से क्रेडिट कार्डों के माध्यम से किसी भी प्रकार का क्रय सम्भव हो गया है। वर्तमान समय में, कम्प्यूटर कार्यालयों, उद्योगों, विद्यालयों, घरों तथा अस्पतालों तक में अपना स्थान बना चुका है। इसके द्वारा वायुयान, रेलवे और होटलों तक में सीटों का आरक्षण कराया जा सकता है। निःसंदेह कम्प्यूटर का आविष्कार आंकिक गणनाओं के लिये ही किया गया था। मनुष्य के लिये हमेशा से ऐसी तकनीक की जरूरत थी जिसके द्वारा वह मानसिक और शारीरिक कार्यों को शीघ्रता और सुगमता से पूर्ण कर सके। कम्प्यूटर में तीव्र गति से कार्य करने की विलक्षण क्षमता है। इसने अपने उपयोगिता को मानव के प्रत्येक कार्यकारी क्षेत्र में सिद्ध किया है।

(6) पेजर- सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में व्यापारिक रूप से परिवर्तन लाने में पेजर का विशेष योगदान है। इस प्रणाली में संदेश भेजने के लिए रेडियो तरंगों का प्रयोग किया जाता है। वर्तमान में इस प्रणाली में ‘वैप’ तकनीक का समायोजन कर इसे और भी अधिक सक्षम बना दिया गया है। पेजर एक छोटा-सा यंत्र होता है, जो आने वाले संदेशों को लिखित रूप में यंत्र की स्क्रीन पर दिखाता है। संदेश आने पर पेजर ‘पीप-पीप’ की ध्वनि करता है तथा पेजर धारक  बटन दबाकर संदेश प्राप्त कर लेता है। पेजर को लेकर व्यक्ति निर्धारित परिधि में कहीं भी घूम सकता है।

(7) इलेक्ट्रॉनिक मेल- इलेक्ट्रॉनिक मेल सेवा, कम्प्यूटर आधारित ‘स्टोर एण्ड फॉरवर्ड’ संदेश प्रणाली हैं। इसमें प्रेषक और प्रेषित दोनों को एक साथ उपस्थित रहने की आवश्यकता नहीं होती। यह सेवा डाटा संचार नेटवर्क के माध्यम से विभिन्न प्रकार के पत्रों का संचारण करती है। इस सेवा में कोई भी पत्र, स्मरण-पत्र, टेण्डर या विज्ञापन आदि टंकित कर उसे किसी भी व्यक्ति को उसके निर्धारित पते पर भेजा जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि पत्र भेजने तथा प्राप्त करने वाले दोनों नेटवर्क से जुड़ने के लिए उपयोगकर्ता को एक डाक बॉक्स (Mail-Box) किराये पर लेना पड़ता है, तभी वह डाटा ले सकता है या भेज सकता है।

(8) ई-फैक्स- संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ई-फैक्स एक नवीन प्रणाली है। ई-फैक्स मुख्यतया दस्तावेजों को भेजने में किया जाता है। ई-फैक्स की सुविधा इलेक्ट्रॉनिक डाटा इण्टरनेट माध्यम से प्राप्त होती है। जब कोई दस्तावेज ई-फैक्स मशीन पर रखा जाता है, तो वह स्वयं उसे ढूँढ़ लेता है, जहाँ उस दस्तावेज को प्रेषित करना होता है। इसकी सहायता से किसी दस्तावेज के स्थान पर बिल्कुल उसी प्रकार से भेजा जाता है जिस प्रकार से हम किसी दस्तावेज की फोटोस्टेट प्रतिलिपि प्राप्त करते हैं। ई-फैक्स की प्रणाली अत्यन्त त्वरित है।

(9) सेल्युलर फोन– सेल्युलर टेलीफोन पद्धति में एक बड़े क्षेत्र को छोटे-छोटे क्षेत्रों में विभक्त दिया जाता है। इसमें प्रत्येक क्षेत्र का अपना अलग-अलग ट्रांसमीटर होता है। उपभोक्ता के रिसीवर एक विशेष प्रकार का एण्टीना लगा होता है, का बटन दबाते ही उसका सम्पर्क अपने क्षेत्र के ट्रांसमीटर स्थापित हो जाता है। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सेल्युलर फोन वरदान सिद्ध होता है। व्यवसायियों के लिए उपयोगी है जो अपने व्यवसाय को निरंतर गति देने के लिए यात्रा करते हैं। उन्हें फोन के द्वारा इण्टरनेट से जुड़ाव कायम किया जा सकता है। इसमें फैक्स व ई-मेल की सुविधाएँ भेजी जा सकती है।

(10) सैटेलाइट फोन- मोबाइल अथवा सेल्युलर फोन की भाँति सैटेलाइट फोन भी दूर प्रौद्योगिकी की अनुपम देन है। उपग्रह आधारित मोबाइल फोन का क्षेत्र सेल्युलर फोन से कहीं अधिक किया तथा व्यापक आधार वाला होता है। सैटेलाइट फोन के माध्यम से उपभोक्ता विश्व के किसी भी स्थान किसी भी अन्य स्थान पर तुरंत सम्पर्क कायम कर सकता है। इस प्रणाली की विशेषता यह है कि एक हैण्डसेट से फोन, फैक्स तथा पेजिंग सेवा का उपयोग किया जा सकता है।

(11) सिटीजन बैण्ड रेडियो- सिटीजन बैण्ड रेडियो तकनीक लगभग 20 किलोमीटर के व्यापक क्षेत्र में कार्य करती है। इसमें लगभग 27 MHz पर मौखिक संदेशों को सम्प्रेषित किया जा सकता है। पिछड़े हुए क्षेत्रों में संदेश पहुँचाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

(12) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सचित्र सम्प्रेषण का एक महत्वपूर्ण साधन है। इन्हें विभिन्न स्थानों पर उपस्थित लोग एक वास्तविक सभा की तरह की सम्प्रेषण करते हैं। इस तकनीक के माध्यम से केवल संदेशों को ही सम्प्रेषित नहीं किया जाता, बल्कि विभिन्न सम्बंधित व्यक्तियों से सजीव वार्ता की जा सकती है। वर्तमान में भारत के लगभग सभी जिले वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से सम्बद्ध हैं।

(13) वर्ल्ड वाइड वेब- ई-मेल के बाद इण्टरनेट पर प्राप्त सर्वाधिक लोकप्रिय सुविधा वर्ल्ड वाइड वेब है। इसे www कहा जाता है। पहले www में केवल लिखित सामग्री ही उपलब्ध थी, किन्तु वर्तमान में इस वेब पर चित्र, कार्टून, ध्वनि इत्यादि के माध्यम से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

(14) इण्टरनेट- यह कम्प्यूटर प्रणाली की सबसे नवीनतम तकनीक है। इस तकनीक के द्वारा विश्व के विभिन्न स्थानों पर स्थापित कम्प्यूटर नेटवर्क को टेलीफोन लाइन की सहायता से जोड़कर एक आधुनिक अन्तर्राष्ट्रीय सम्प्रेषण मार्ग तैयार किया गया है, जिसके द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान को सूचनाओं तथा संदेशों को शीघ्रता से भेजा जा सकता है। इण्टरनेट की सुविधा प्राप्त करने के लिए एक टेलीफोन लाइन, कम्प्यूटर, मोडेम तथा इण्टरनेट तक पहुँचाने वाला सॉफ्टवेयर जिसे ‘ब्राउजर’ कहते हैं, की आवश्यकता होती है। इण्टरनेट का कनेक्शन मिलने के बाद उपभोक्ता इण्टरनेट पर उपलब्ध हर प्रकार की सूचना को इच्छानुसार प्राप्त कर सकता है। ये सूचनाएँ शिक्षा, विज्ञान, राजनीति, व्यापार से लेकर खेलकूद, चिकित्सक से परामर्श नौकरी आदि में आवश्यक होती है।

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