अधिगम की प्रकृति क्या है? | अधिगम की सम्पूर्ण प्रकृति का वर्णन | What is the nature of learning in Hindi? | Description of the entire nature of learning in Hindi
अधिगम की प्रकृति क्या है? | अधिगम की सम्पूर्ण प्रकृति का वर्णन | What is the nature of learning in Hindi? | Description of the entire nature of learning in Hindi
अधिगम एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जो सामाजिक सन्दर्भ में संचालित एवं सम्पन्न होती है। मनोवैज्ञानिकों द्वारा अधिगम की प्रकृति को निम्नलिखित रूपों में व्यक्त किया गया है-
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अधिगम मानव की एक प्रवृति है
मनुष्य बहुत अधिक जिज्ञासु होता है। वह अपने वातावरण में पड़ने वाली अनेक प्रकार की वस्तुओं एवं परिस्थितियों के बारे में जानना और समझना चाहता है। वह किसी वस्तु या परिस्थिति के सम्बन्ध में क्या? कैसे? तथा क्यों ? जैसे प्रश्नों के उत्तर को प्राप्त करना चाहता है। इन उत्तरों की प्राप्ति या जानकारी ही अधिगम है।
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अधिगम एक सार्वभौमिक क्रिया है
संसार का प्रत्येक प्राणी कुछ-न-कुछ सीखता है।
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अधिगम एक मानसिक प्रक्रिया है
अधिगम प्रक्रिया के अन्तर्गत बालक सर्वप्रथम ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से वस्तुओं, तथ्यों, गुणों अथवा सम्बन्धों के बारे में जानकारी प्राप्त करता है। तत्पश्चात उसे धारण करता है तथा बाद में उसका प्रत्यास्मरण करता है। इस प्रकार अधिगम में विभिन्न क्रियाओं एवं प्रक्रियाओं का पुनर्गठन मानसिक प्रक्रिया द्वारा होता है। अधिगम के विभिन्न रूपों, नियमों एवं सिद्धान्तों के अध्ययन से भी यह स्पष्ट होता है कि यह एक मानसिक प्रक्रिया है।
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अधिगम एक सामाजिक प्रक्रिया है
बालक परिवार एवं समाज में रहते हुए अपने से बड़े लोगों के कार्यों एवं व्यवहारों को देखकर अनेक बातों को सीखता है तथा इस प्रकार उसका सामाजीकरण होता है। इसे सामाजिक अधिगम भी कहा जाता है। इसी तरह विद्यालय में समाज के आदर्शों, मूल्यों एवं मान्यताओं के अनुसार ही बालक के व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता है। अतः बालक के समाजीकरण में विद्यालय भी एक महत्त्वपूर्ण अभिकरण है। इससे स्पष्ट है कि अधिगम मनोवैज्ञानिक या मानसिकप्रक्रिया के साथ-साथ एक सामाजिक प्रक्रिया भी है।
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अधिगम विकास की एक सतत् प्रक्रिया है
अधिगम जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। व्यक्ति अपनी क्रियाओं एवं अनुभवों के द्वारा हर समय एवं किसी भी स्थान परकुछ न-कुछ अवश्य सीखता रहता है जिससे उसका शारीरिक, मानसिक सामाजिक एवं चारित्रिक विकास होता है। दूसरे रूप में अधिगम प्रक्रिया उद्दीपन-अनुक्रिया सम्बन्ध से प्रारम्भ होकर चिन्तन एवं समस्या समाधान स्तर तक चलती है तथा इस प्रक्रिया की पुनरावृत्ति भी होती रहती है।
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अधिगम एक विवेकपूर्ण क्रिया है
अधिगम क्रिया यन्त्रवत् नहीं होती है अपितुइसमें बुद्धि एवं विवेक का प्रयोग होता है। प्रयोगों एवं अनुभवों से यह स्पष्ट है कि बुद्धिमान प्राणी कम बुद्धि वाले की तुलना में किसी कार्य को शीघ्रता से सीख लेता है। अतः बुद्धि एवं विवेक किसी कार्य को सरलता एवं शीघ्रता से सीखने में महत्त्वपूर्ण होती हैं।
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अधिगम एक उद्देश्यपूर्ण क्रिया है
व्यक्ति उस क्रिया को बहुत शीघ्रता से सीखने का प्रयास करता है जो उसके किसी उद्देश्य को पूर्ण करने वाली होती है। ऐसी क्रियाओं को वह शीघ्र सीख भी लेता है। इस प्रकार उद्देश्य के निश्चित एवं प्रबल होने पर अधिगम में भी तीव्रता आती है। अत: अधिगम की सफलता के लिए उद्देश्य निश्चित होने चाहिए।
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अधिगम एक सक्रिय प्रक्रिया है
अधिगम के लिए अधिगमकर्ता का सक्रिय होना बहुत ही आवश्यक होता है। क्रियाशील एवं तत्पर रहने पर ही बालक अधिक सीखता है। इसके साथ ही सिखाने वाले (शिक्षक) की सक्रियता भी अधिगम की सफलता के लिए आवश्यक होती है। इसीलिए अधिगम एक सक्रिय प्रक्रिया है।
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अधिगम का अपना स्वरूप होता है
राबर्ट गेने ने अधिगम के आठ स्वरूप बतलाये हैं। ये हैं-संकेत अधिगम, उद्दीपन-अनुक्रिया अधिगम, श्रृंखला अधिगम, शाब्दिक सम्बन्ध अधिगम, बहुभेदीय अधिगम, सम्प्रत्यय अधिगम, सिद्धान्त अधिगम एवं समस्या समाधान अधिगम। अधिगम का विस्तार संकेत अधिगम से लेकर समस्या समाधान तक परिस्थिति के अनुसार होता है।
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अधिगम व्यवहार परिवर्तन है
नवीन अधिगम से व्यक्ति के पूर्व व्यवहार में परिवर्तन होता है। इसीलिए क्रियाओं एवं अनुभवों से व्यक्ति के व्यवहार में जो परिवर्तन होता है, उसे अधिगम की संज्ञा दी जाती है।
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अधिगम प्रक्रिया तथा परिणाम दोनों हैं
अधिगम एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति नये अनुभवों, व्यवहारों, तथ्यों प्रत्ययों एवं सिद्धान्तों को सीखता है। सीखने के साथ व्यक्ति इन्हें अर्जित एवं ग्रहण भी करता है। इस प्रकार सीखने के ये अनुभव अधिगम के परिणाम भी होते हैं।
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अधिगम अनुकूलन है
अधिगम वातावरण एवं परिस्थितियों में अनुकूलन या समायोजन करने की प्रक्रिया है। अधिगम के प्रमुख अंग- बालक, शिक्षक एवं अधिगम परिस्थितियां हैं। जो बालक अधिगम परिस्थितियों से जितनी जल्दी अनुकूलन कर लेता है, वह उतनी ही तीव्रता से सीखता है। इस प्रकार अधिगम से व्यक्ति में अनुकूलन वा समायोजन की क्षमताओं का विकास होता है।
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अधिगम खोज या अन्वेषण है
व्यक्ति किसी क्रिया को करने में विभिन्न प्रकार से प्रयास करता है तथा अन्तत: एक निश्चित लक्ष्य पर पहुंच जाता है अर्थात् अधिगम सम्पन्न हो जाता है। इस दृष्टि से अधिगम एक खोज की प्रक्रिया है।
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