राष्ट्रीय प्रतीक (National Symbol) क्या है और ये कौन कौन से हैं

राष्ट्रीय प्रतीक (National Symbol) क्या है और ये कौन कौन से हैं

राष्ट्रीय प्रतीक क्या है और ये कौन कौन से हैं

प्रत्येक राष्ट्र की अपनी पहचान होती है तथा इस पहचान के लिए प्रत्येक राष्ट्र अपने लिए कुछ प्रतीकों का निर्धारण करता है। प्रत्येक राष्ट्र द्वारा निर्धारित ये प्रतीक चिन्ह उसके अपने इतिहास, वहां के वातावरण, व्यक्तित्व और विशिष्टता इत्यादि के स्वरूप द्वारा ही निर्धारित किए जाते हैं। प्रत्येक राष्ट्र के उनके प्रतीक चिन्हों में उनके राष्ट्र की एक झलक या प्रतिबिंब दिखाई पड़ती है। अतः हम साधारण अर्थों में यह कह सकते हैं कि प्रतीक चिन्ह प्रत्येक राष्ट्र की पहचान कराने में मदद करता है।

भारत जैसे राष्ट्र में भी बहुत सारे प्रतीक चिन्हों का निर्धारण किया गया है। इन प्रतीक चिन्हों का निर्धारण मुख्यतः सरकारी क्रियाकलापों हेतु किया जाता है। इन प्रतीक चिन्ह द्वारा प्रत्येक क्षेत्र में उन्हें एक राष्ट्रीय चिन्ह प्राप्त हो जाता है। इन प्रतीक चिन्हों का प्रयोग मुख्य रूप से सरकारी कागजों, दस्तावेजों, अभिलेखों इत्यादि में किया जाता है।

भारत के प्रतीक चिन्हों का वर्णन नीचे किया गया है

राष्ट्रीय ध्वज

भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप 22 जुलाई, 1947 को अपनाया। ध्वज का प्रयोग और प्रदर्शन एक संहिता द्वारा नियमित होता है।

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में समान अनुपात में तीन आड़ी पट्टियाँ हैं, गहरा केसरिया रंग ऊपर, सफेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है। ध्वज की लम्बाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है । सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का एक चक्र है। इसका प्रारूप सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तम्भ पर बने चक्र से लिया गया है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई जितना है और इसमें 24 तीलियाँ

राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग- हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा राष्ट्र का प्रतीक है। अतः प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह प्रत्येक क्षण उसका सम्मान करे। राष्ट्रीय ध्वज का अपमान सम्पूर्ण राष्ट्र का अपमान और दण्डनीय अपराध माना जाता है।

भारत सरकार ने राष्ट्रीय ध्वज के प्रयोग के सम्बन्ध में अनेक नियम बनाये हैं, जिनमें कुछ निम्न प्रकार हैं-

(1) ध्वज फहराते समय केसरिया रंग ऊपर की ओर रहना चाहिए।

(2) राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर और दाहिनी ओर कोई अन्य ध्वज नहीं लगाना चाहिए।

(3) जब कभी किसी जुलूस में राष्ट्रीय ध्वज ले जाया जाय तो यह ध्वज वाहक के दाहिने कन्धे पर रहना चाहिए और जुलूस के आगे रहना चाहिए ।

(4) सामान्यतया राष्ट्रीय ध्वज समस्त महत्त्वपूर्ण सरकारी भवनों; जैसे-संसद भवन, सर्वोच्च न्यायालय, विधानसभाओं, सचिवालयों, कमिश्नरों, कलैक्टरों के कार्यालयों, जेलों, जिला परिषदों एवं नगर महापालिकाओं के कार्यालयों पर फहराया जाना चाहिए । घरों तथा अन्य व्यक्तिगत स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर प्रतिबन्ध है।

(5) गणतन्त्र दिवस, स्वतन्त्रता दिवस, महात्मा गांधी के जन्म दिवस और राष्ट्रीय महत्व के अन्य अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज के प्रयोग पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है।

(6) यदि ध्वज को किसी दरवाजे, खिड़की या छज्जे पर झुकी हुई स्थिति में फहराया जाय ती केसरिया भाग सबसे अगली ओर ही रहना चाहिए।

(7) मोटरकारों पर राष्ट्रीय ध्वज केवल वही लोग फहरा सकते हैं जो इसके अधिकारी हैं ।

(8) केन्द्र सरकार की आज्ञा लिए बिना किसी व्यापारिक उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय झण्डे का या उसकी रंगीन नकल का प्रयोग करना अपराध है।

उपर्युक्त नियमों का पालन करना प्रत्येक नागरिक का परम कर्तव्य है।

राष्ट्रगान

रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा मूल बंगला में रचित और संगीतवद्ध ‘जन गण- मन’ के हिन्दी संस्करण को संविधान सभा ने भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी, 1950 को अपनाया था । यह सर्वप्रथम 27 दिसम्बर, 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कमिस के कलकत्ता-अधिवेशन में गाया गया था पूरे गीत में पाँच पद हैं।

प्रथम पद, राष्ट्रगान का पूरा पाठ है, जो निम्न प्रकार है-

जन-गण-मन अधिनायक, जय हे भारत-भाग्य विधाता।

पंजाब-सिन्धु-गुजरात-मराठा-द्राविड़ उत्कल बंग

विध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा उच्छल-जलमि तरंग

तव शुभ नामे जागे, तब शुभ आशिष मांगे,

गाहे तब जय-गाथा

जन-गण-मंगलदायक जय हे, भारत-भाग्य विधाता ।

जय हे, जय हे, जय है, जय जय जय जय है।

राष्ट्रगान हमारा दूसरा राष्ट्रीय प्रतीक है इसे राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद अथवा विशेष अवसरों पर सावधान की स्थिति में खड़े होकर गाया जाता है । राष्ट्रीय ध्वज के समान ही इसका आदर करना चाहिए।

राजचिह्न

भारत का राजचिह्न सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तम्भ की अनुकृति है, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किये हुए हैं। इनके नीचे घण्टे के आकार के पद्म के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक साड़ तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियों हैं, जिनके बीच- बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काटकर बनाये गये इस सिंह के स्तम्भ के ऊपर ‘धर्म चक्र’ रखा था।

भारत सरकार ने यह चिह्न 26 जनवरी, 1950 को अपनाया। इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नहीं देता। पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दायीं ओर एक साड़ और बायीं ओर एक घोड़ा है। दायें तथा बायें छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं। आधार का पद्म छोड़ दिया गया है। फलक के नीचे ‘मुंडकोपनिषद’ का सूत्र ‘सत्यमेव जयते’ देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है-सत्य की विजय होती है।

इस चिह्न में बने सिंह अशोक की वीरता के प्रतीक हैं। चक्र हमें गतिशील रहने और जीवन में सदा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

राष्ट्रगीत

बकिमचंद्र चटर्जी ने ‘वंदे मातरम्’ गीत की रचना की, जिसे ‘जन-गण-मन’ वे समान दर्जा प्राप्त है। यह गीत स्वतन्त्रता-संग्राम में जन-जन का प्रेरणा स्रोत था । वह पहला राजनीतिक अवसर, जम यह गीत गाया गया था, 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन था।

इसका प्रथम पद अग्र प्रकार है-

वंदे मातरम् ।

सुजलाम, सुफलाम, मलयज-शीतलाम्,

शस्यश्यामलम्, मातरम् ।

शुभज्योत्सना, पुलकितयामिनीम्

फुल्लकुसुमित ध्रुवदल शोभिनीम्

सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्

सुखदाम्, वरदाम्, मातरम्

राष्ट्रीय पंचाग (कैलेंडर)

ग्रिगेरियन कैलेंडर के साथ-साथ देश भर के लिए शक संवत् पर आधारित एकरूप राष्ट्रीय पंचाग जिसका पहला महीना चैत्र है और सामान्य वर्ष 365 दिन का होता है.22 मार्च 1952 को इन सरकारी उद्देश्यों के लिए अपनाया गया-(1) भारत का राजपत्र, (2) आकाशवाणी के समाचार प्रसारण, (3) भारत सरकार द्वारा जारी किए गए केलेंडर, और (4) भारत सरकार द्वारा नागरिकों को संबोधित पत्र ।

राष्ट्रीय पंचांग और ग्रिगेरियन कैलेंडर की तारीखों में स्थायी सादृश्य है। चैत्र का पहला दिन सामान्यतया 22 मार्च को और अधिवर्ष में 21 मार्च को पड़ता है।

राष्ट्रीय पशु

राष्ट्रीय पशु ‘बाघ’ (पैंथरा टाइमिस- लिन्नायस) पीले रंगों और धारीदार लोमचर्म वाला एक पशु है। अपनी शालीनता, दृढ़ता, फुर्ती और अपार शक्ति के लिए बाघ को राष्ट्रीय पशु कहलाने का गौरव प्राप्त है। इसकी आठ प्रजातियों में से भारत में पाई जाने वाली प्रजाति को ‘रायल बंगाल टाइगर’ के नाम से जाना जाता है उत्तर-पश्चिम भारत को छोड़कर बाकी सारे देश में यह प्रजाति पाई जाती है भारत के अतिरिक्त यह नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है। देश के बाघों की घटती हुई संख्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए अप्रैल 1973 में ‘बाघ परियोजना’ शुरू की गई। बाघ परियोजना के अन्तर्गत देश में अब तक 27 बाघ अभयारण्य स्थापित किए गए हैं, जिसका क्षेत्रफल 37,761 वर्ग किमी है।

राष्ट्रीय पक्षी

भारत का राष्ट्रीय पक्षी ‘मयूर’ (पावो क्रिस्टेटस) है। हंस के आकार के इस रंग-बिरंगे पक्षी की गर्दन लम्बी, आँख के नीचे एक सफेद निशान और सिर पर पंखे के आकार की कलंगी होती है। मादा की अपेक्षा नर मयूर अधिक सुंदर होता है। उसकी चमचमाती नीली गर्दन, वक्ष और कांस्य हरे रंग की लगभग 200 पंखुड़ियों वाली भव्य पूँछ हमेशा से आकर्षण का केन्द्र रही है मादा मयूर का रंग भूरा होता है। वह नर मयूर से थोड़ी छोटी होती है और उसकी पूँछ बड़ी नहीं होती।

मयूर भारतीय उप-महाद्वीप में सिंधु नदी के दक्षिण और पूर्व से लेकर जम्मू और कश्मीर, असम के पू्व, मिजोरम के दक्षिण तक पूरे भारतीय प्रायद्वीप में व्यापक रूप से पाया जाता है। मयूर को लोगों का पूरण संरक्षण मिलता है। इसे धार्मिक या भावात्मक आधार पर कभी भी परेशान नहीं किया जाता। भारतीय वन्य प्राणी (सुरक्षा अधिनियम), 1972 के अंतर्गत इसे पूर्ण संरक्षण प्राप्त है।

राष्ट्रीय पुष्प

भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल (नेलम्बो न्यूसिफेरा) है यह एक पवित्र पुष्प है तथा प्राचान भारतीय कला और पुराणों में इसका एक महत्त्वपूर्ण स्थान है । प्राचीनकाल से ही इसे भारतीय संस्कृति का शुभ प्रतीक माना जाता रहा है ।

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