आर्थिक विकास क्या है? | आर्थिक विकास की अवधारणा | What is Economic Development in Hindi | Concept of economic development in Hindi

आर्थिक विकास क्या है? | आर्थिक विकास की अवधारणा | What is Economic Development in Hindi | Concept of economic development in Hindi
आर्थिक विकास क्या है?
आर्थिक विकास एक व्यापक धारणा है, जो किसी राष्ट्र की प्रगति का दर्पण होता जिसमें विकास हेतु उपयोगी नीतियों एवं उचित कार्यक्र्म बनाये जाते हैं। इसमें आर्थिक वृद्धि तथा प्रगति का समावेश होता है। इसलिए आर्थिक विकास में अधिक उत्पादक, नवीन तकनीकि व संस्थागत समन्वय आदि को भी सम्मिलित किया जाता है। आर्थिक विकास एक सतत् प्रक्रिया है। जो अनवरत् चलती रहती है अर्थात् यह प्रावैगिक व संरचनात्मक परिवर्तन का सामूहिक निष्कर्ष है। आर्थिक विकास में किसी देश के कुल उत्पादन, उपभोग, विनिमय, वितरण, जीवनस्तर, नियोजन, रोजगार, राष्ट्रीय आय व प्रति व्यक्ति आय आदि में वृद्धि को मूल्यांकित किया जाता है, परिणाम स्वरूप आर्थिक विकास की दर में शनै: शनैः वृद्धि होती जाती है, जिससे देशवासियों को सुखद अनुभूति होती है।
आर्थिक विकास को परिभाषाओं के आधार पर और अच्छे ढंग से समझा जा सकता है। ये परिभाषाएँ प्रमुख रूप से तीन आधारों पर आधारित हैं।
राष्ट्रीय आय में वृद्धि से सम्बन्धित परिभाषाएँ
पाल एलबर्ट के अनुसार- आर्थिक विकास एक प्रक्रिया है जिसके लिये किसी देश को अपनी वास्तविक आय में वृद्धि करने के लिये सभी उत्पादक साधनों का कुशलतम प्रयोग करना चाहिए।
प्रो. मेयर व बाल्डविन के अनुसार- आर्थिक विकास वह प्रक्रिया होती है, जिसके द्वारा एक अर्थव्यवस्था की वास्तविक राष्ट्रीय आय में दीर्घकाल में वृद्धि होती है।
प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि से सम्बन्धित परिभाषाएँ- इस आधार पर अर्थशास्त्रियों का विचार है कि “जब प्रति व्यक्ति आय में निरन्तर वृद्धि हो रही हो तो समझ लेना चाहिए कि राष्ट्र आर्थिक विकास कर रहा है।” अन्य अर्थशास्त्रियों में प्रो. रोस्टोव, प्रो. हार्वे लिबेन्सर्टान, प्रो. क्राउन आदि है।
जीवन स्तर में सुधार से सभ्बन्धित परिभाषाएँ
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार- विकास मनुष्य की केवल भौतिक आवश्यकताओं से ही नहीं बल्कि उनके जीवन की सामाजिक दशाओं में उन्नति से भी सम्बन्धित है अर्थात् इसमें सामाजिक सांस्कृतिक व आर्थिक परिवर्तन भी सम्मिलित होते हैं।
ओफेन तथा रिचर्डसन के अनुसार- “आर्थिक विकास का अर्थ वस्तुओं एवं सेवाओं को अधिकाधिक मात्रा में उपलब्ध कराने से है, ताकि जन साधारण के भौतिक कल्याण में निरन्तर व दीर्घकालीन उन्रति हो सके।”
इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास में मानव जीवन की सामाजिक दशाओं में उन्नति के साथ-साथ उनकी मौद्रिक आय, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा सुखमय जीवन को भी शामिल किया गया है।
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