आर्थिक नियोजन के उद्देश्य

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नियोजन के अन्तर्गत लक्ष्यों का एक क्रम सम्मिलित होता है। नियोजन का संचालन एवं कार्यक्रम उसके उद्देश्यों के अधीन होता है। कोई भी कार्यक्रम व्यवस्था अथवा निर्माण कार्य नियोजन है अथवा नहीं इसका ज्ञान उस कार्यक्रम, व्यवस्था अथवा निर्माण कार्य के उद्देश्यों के निरीक्षण द्वारा ही संभव है।

आर्थिक नियोजन के उद्देश्य

आर्थिक नियोजन हमेशा किन्हीं निश्चित उद्देश्यों के लिए किया जाता है। बिना उद्देश्यों के जो नियोजन किये जाते हैं वे संसाधनों के उपयोग का एक राजनैतिक दिखावा होते हैं। वास्तव में नियोजन एक उद्देश्यपूर्ण क्रिया है। इसका उपयोग किन्हीं निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जा सकता है। आर्थिक नियोजन के विभिन्न उद्देश्य होते हैं इसके उद्देश्यों के सम्बन्ध में कुछ प्रमुख विद्वानों ने निम्न प्रकार से अपने विचार प्रस्तुत किये हैं-

डॉ. जॉन ई० इलियट के अनुसार, “नियोजन क्रिया स्वयं में एक सोद्देश्य क्रिया है। किन्हीं पूर्व निश्चित उद्देश्यों के बिना नियोजन की कल्पना करना कठिन है। यह वह साधन है। जिसका प्रयोग किन्हीं निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति के सन्दर्भ में किया जाता है।

ई.एफ.एम. डार्विन के अनुसार, “आर्थिक नियोजन का एकमात्र उद्देश्य आर्थिक समानता के लक्ष्य को प्राप्त करना है।”

वाडिया एवं मर्चेन्ट के अनुसार, “मनुष्य के रहन-सहन के सतर को ऊंचा उठाना, आर्थिक साधनों का समुचित उपयोग करके उनका बहुमुखी विकास करना, सुखी एवं समृद्ध जीवन की सम्भावनाओं को बढ़ाना, देश में परिवहन साधनों का समुचित प्रबन्ध करना, गृह उद्योगों को विकसित करना, ग्रामीण जीवन को सुविधाजनक बनाना एवं विस्तृत बाजारों का विकास करना यही आर्थिक नियोजन के प्रमुख उद्देश्य हैं।”

आर्थिक नियोजन के प्रमुख उद्देश्यो को निम्न वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

आर्थिक नियोजन के आर्थिक उद्देश्य

सामान्यतः आर्थिक नियोजन के अंतर्गत आर्थिक उद्देश्यों का सबसे अधिक महत्त्व होता है। वास्तव में आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ही आर्थिक नियोजन का विकास किया गया है। आर्थिक नियोजन के कुछ प्रमुख आर्थिक उद्देश्य निम्न हैं-

  1. पूर्ण रोजगार- बेरोजगार व्यक्ति समाज का दुश्मन होता है तथा बेरोजगारी अनेक समस्याओं को जन्म देती है। अतः पूर्ण रोजगार प्राप्त किया जाना बहुत जरूरी होता है। आर्थिक नियोजन के द्वारा देश के बेकार साधनों का सदुपयोग करके रोजगार के अवसरों में वृद्धि की जा सकती है। अब तक बेरोजगारी की समस्या का समाधान नहीं होगा तब तक जनता के जीवन स्तर को ऊंचा नहीं उठाया जा सकता। वास्तव में बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने के लिए औद्योगिकरण पर जोर देना बहुत जरूरी होता है।
  2. आय का समान वितरण- पूँजीवादी देशों में आय का असमान वितरण एक प्रमुख समस्या होती है। अतः आय का समान वितरण भी आर्थिक नियोजन के एक प्रमुख उद्देश्य होता है। सरकार इसके लिए अमीरों पर अधिक करारोपण करके उसे गरीबों के कल्याण पर खर्च करती है।
  3. आत्म निर्भरता- नियोजन की सहायता से प्रत्येक देश आत्म-निर्भरता की ओर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है। इस प्रकार आत्म-निर्भरता को प्राप्त करने के उद्देश्य से भी कमआर्थिक नियोजन के मार्ग का चुनाव किया जा सकता है।
  4. अधिकतम उत्पादन- लोगों के जीवन स्तर में वृद्धि करना तथा समाज का अधिकतम कल्याण करने के लिए अधिक उत्पादन करना बहुत जरूरी होता है। उत्पादन में वृद्धि करना या अधिकतम उत्पादन भी नियोजन का एक आर्थिक उद्देश्य होता है। प्रो. मीड के अनुसार, “आर्थिक नियोजन का प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय उत्पादन को अधिकतम करना है।” उत्पादन को अधिकतम करने के लिए अनेक उपाय करने पड़ते हैं।
  5. पिछड़े क्षेत्रों का विकास- भारत जैसे विकासशील देशों में पिछड़े क्षेत्रों का विकास करना देश की एक मौलिक आवश्यकता है। संसार के प्रायः सभी देशों में नियोजन का उद्देश्य अविकसित एवं पिछड़े हुए क्षेत्रों का आर्थिक विकास करना होता है।
  6. देश के बेकार साधनों का पूर्ण उपयोग- अनेक देशों में प्राकृतिक साधनों का तो बाहुल्य होता है लेकिन वह उनका पूर्ण विहोदन न कर पाने के कारण वे गरीब बने रहते हैं। आज भारत की भी यह एक प्रमुख समस्या है। नियोजन का उद्देश्य यह भी होता है कि देश के बेकार साधनों का पूर्ण उपयोग किया जाय ताकि आर्थिक विकास की गति में तीव्रता लायी जा सके।
  7. अवसर की समानता- देश के प्रत्येक नागरिक को अवसर की समानता प्रदान करना भी नियोजन का एक आर्थिक उद्देश्य होता है। इससे उत्पादन, विनिमय एवं वितरण की स्थिति को सुधारा जा सकता है। तथा अर्थव्यवस्था के दोषों को दूर किया जा सकता है।
  8. आर्थिक सुरक्षा- आर्थिक नियोजन के कारण अवसर की समानता आती है और प्रत्येक साधन को उसके श्रम का उचित प्रतिफल प्राप्त होता है। हम यह भी कह सकते हैं कि नियोजन में मजदूरों को पर्याप्त मजदूरी, पूँजीपति को उचित ब्याज, भूस्वामी को उचित लगान तथा साहसी को लाभ प्राप्त हो ताकि संपूर्ण समाज को आर्थिक सुरक्षा प्राप्त हो सके।
  9. उच्च जीवन स्तर- नियोजन के माध्यम से इस बात का प्रयास किया जाता है कि जनता के जीवन स्तर में सुधार हो। आर्थिक साधनों का प्रयोग इस ढंग से किया जाता है कि समाज के अधिकतम लोगों का कल्याण हो। आजकल प्रजातांत्रिक देशों में जनता के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाया जाता है तथा नवीन नेवस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
  10. औद्योगिकीकरण को बढ़ावा- तौर से अविकसित देशों में औद्योगिकीकरण करना भी नियोजन काएक प्रमुख उद्देश्य होता है। आजकल तो औद्योगिकीकरण नियोजन का एक प्रमुख अंग बन गया है। वैसे संतुलित विकास के लिए औद्योगिकीकरण को प्रधानता देनी ही पड़ती है।

आर्थिक नियोजन के सामाजिक उद्देश्य

हम नियोजन के सामाजिक उद्देश्यों को आर्थिक उद्देश्यों से अलग नहीं कर सकते। यह एक दूसरे के विरोधी न होकर पूरक हैं। नियोजन के सामाजिक उद्देश्य सामाजिक कल्याण की विचारधारा को लेकर आगे बढ़ते हैं। नियोजन के कुछ प्रमुख सामाजिक उद्देश्य निम्नांकित हैं –

  1. सामाजिक सुरक्षा- देश के नागरिक पूरी मेहनत तथा लगन से कार्य करें, इसके लिए यह भी जरूरी है कि वह किसी आकस्मिक विपत्ति के समय पूर्ण रूप से सुरक्षित रहें। समाज के व्यक्तियों की सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था करना भी आर्थिक नियोजन का उद्देश्य होता है। सामाजिक सुरक्षा के अन्तर्गत बेरोजगारी बीमा, चिकित्सा सुविधा, पेन्शन सुविधा, आश्रितों को रोजगार की व्यवस्था आदि को शामिल किया जा सकता है।
  2. समाजवादी समाज की व्यवस्था- आर्थिक नियोजन का उद्देश्य समाजवादी समाज की स्थापना करना भी है। इसके लिए आय की असमानता को दूर करना, लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास करना, शक्ति, परिवहन व अन्य सामाजिक सेवाओं का विस्तार करना, सामाजिक संगठन में सुधार करना तथा उत्पादन में वृद्धि करना सम्मिलित है।
  3. कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना- नियोजन का उद्देश्य देश में कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना भी होता है।

आर्थिक नियोजन के राजनीतिक उद्देश्य

आज के युग में आर्थिक नियोजन के माध्यम से कुछ राजनीतिक उद्देश्यों को भी पूरा किया जा सकता है। राजनीतिक उद्देश्यों में राज्य की सुरक्षा, शक्ति एवं सम्मान की वृद्धि पर अधिक ध्यान दिया जाता है। आर्थिक नियोजन के कुछ प्रमुख राजनीतिक उद्देश्य निम्न हैं-

  1. सुरक्षा- संसार का कोई भी देश हो, वह अपनी सुरक्षा पर सबसे अधिक ध्यान देना चाहता है। अपनी राजनैतिक सुरक्षा को बनाये रखने के लिए सैन्य बल को उच्च प्राथमिकता देना बहुत जरूरी है। अधिकांश देश अपनी सैनिक शक्ति का विस्तार करने के लिए युद्ध सामग्री का स्वयं निर्माण करते हैं तथा कुछ सामग्री विदेशों से आयात करते हैं। आर्थिक नियोजन की प्रक्रिया का संचालन इस ढंग से किया जाता है कि देश की सुरक्षातमक शक्ति में निरंतर वृद्धि हो। आज के युग में सुरक्षा के बिना आर्थिक विकास करना संभव भी नहीं है। चीन तथा पाकिस्तान के आक्रमण के बाद भारतीय नियोजन का प्रमुख उद्देश्य भी देश की सुरक्षा करना हो गया है।
  2. आन्तरिक राजनीतिक शान्ति- आज के युग में शासक दल आन्तरिक राजनीतिक शान्ति बनाए रखने के लिए भी आर्थिक नियोजन का उपयोग करते हैं। जब तक देश में आंतरिक शान्ति नहीं रहेगी तब तक तीव्र गति से आर्थिक विकास नहीं हो सकेगा। अब तो विश्व शान्ति आर्थिक विकास का महत्त्वपूर्ण अंग बन गई है। जिन देशों में आन्तरिक शान्ति अधिक होती है उन देशों को सभी विकसित राष्ट्र तकनीकी एवं आर्थिक सहायता देना पसन्द करते हैं।
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