भूगोल / Geography

जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय | EFFORTS TO CHECK POPULATION GROWTH in Hindi

जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय | EFFORTS TO CHECK POPULATION GROWTH in Hindi

जनसंख्या की तीव्र वृद्धि को रोकने के निम्नलिखित उपाय हैं :

(1) विवाह की आयु में वृद्धि करना- लड़के और लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र बढ़ायी जाए। जितनी देर से विवाह किया जाता है वैवाहिक जीवन में उतने ही कम बच्चे उत्पन्न होते हैं। अधिक उम्र में विवाह होने से लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने और अन्य सांस्कृतिक कार्यों में भाग लेने की ओर रुचि बढ़ेगी, इससे अपरोक्ष रूप में सन्तानोत्पत्ति को प्रोत्साहन नहीं मिलेगा।

(2) नारी शिक्षा, नारी स्वतन्त्रता एवं स्वास्थ्य दशा में सुधार आवश्यक- यद्यपि 2001 में शिक्षा का प्रतिशत 64.8 रहा, किंन्तु नारी शिक्षा का प्रतिशत तो 53.6 रहा। अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में नारी शिक्षा का प्रतिशत मात्र 15 से 20 ही है। अधिकांश ग्रामीण व अल्पविकसित क्षेत्रों में नारी आज भी मात्र बच्चा पैदा करने वाली मशीन है। वे चाहते हुए भी धार्मिक-सामाजिक, अशिक्षा एवं पुरुषों की क्रूरता जैसे कारणों से इस चक्र से नहीं निकल पातीं। अतः शिक्षित एवं स्वतन्त्र नारी के कार्यक्रम की ग्रामीण क्षेत्रों में क्रियान्विति ही जनसंख्या की बाढ़ को रोक सकती है।

(3) उत्पादन में वृद्धि करने से मनुष्य की रुचि बढ़ जाती है और उसका रहन-सहन का स्तर ऊंचा हो जाता है और भविष्य के लिए योजनाएं बनाने लगता है। अस्तु, कृषि और औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि करना आवश्यंक है। कृषि की पुनर्व्यवस्था निम्न प्रकार से की जा सकती है :

(i) (क) काम में आने वाली भूमि की गहरी जुताई करना। यह कार्य उन्नत बीज और कृषि के आधुनिकतम साधनों का प्रयोग करके किया जा सकता है। (ख) कृषि क्षेत्र का विस्तार करने के लिए नयी और पड़ती भूमि का उपयोग किया जाए तथा सिंचाई के साधनों का विस्तार किया जाए। (ग) जिन भागो में अभी तक औद्योगिक उन्नति नहीं हुई है उनका औद्योगीकरण किया जाय। इस हेतु अधिकतर छोटे और घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाहिए क्योंकि छोटे उद्योग जब व्यवस्थित किए जाते हैं तो कृषि और बड़े पैमाने के उद्योगों के बीच एक आवश्यक सम्वन्ध स्थापित कर लेते हैं।

(i) (अ) औद्योगिक विकास देश में जनसंख्या की वृद्धि को रोकता है क्योंकि औद्योगिक क्षेत्रों में कई विषम परिस्थितियों के पैदा हो जाने से मानव की प्रजनन क्षमता घट जाती है। (ब) धन कमाने हेतु व दिन पर व्यस्त रहने अथवा सामाजिक कार्यों में लिप्त रहने से प्रजनन शक्ति का प्रयोग पूरे प्रकार से नहीं हो पाता, फूलत: सन्तानोत्पत्ति, भी कम होने लगतेी है। (स) नगर व औद्योगिक क्षेत्रों में यीन सम्बन्ध के अतिरिक्त भी मानसिक सन्तुष्टि के कई अन्य साथन उपलब्ध हो जाते हैं। अतः यौन मिलन की अवधि कम होती है। इससे सन्तानोत्पत्ति कम होती है।

(4) सन्तति सुधारशास्त्र (Eugenics)-  सामाजिक अर्थव्यवस्था, पारिवारिक सुख और राष्ट्रीय नियोजन के हित से परिवार नियोजन और सन्तान की सीमा तो आवश्यक है ही, किन्तु इसके साथ-ही-साथ सन्तति सुधार कार्यक्रम में भयंकर प्रकृति के छूत या संक्रामक रोगों (मिरगी, उन्माद, शरीर से अयोग्य, मस्तिष्क के खोखलेपन एवं नैतिक पतन तथा परम्परागत बीमारियों के बीज समाहित करने वाले रोगों) से ग्रस्त व्यक्तियों के विवाह और सन्तानोत्पत्ति पर पूर्ण प्रतिबन्ध भी होना चाहिए। क्रूर अपराधियों एवं अवांछित व्यक्तियों के सम्बन्ध में भी यही रास्ता अपनाना चाहिए कि कानून द्वारा उनको बन्ध्य बना दिया जाए।

(5) स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार– देशवासियों की आर्थिक क्षमता को बनाये रखने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा सफाई पर ध्यान देना आवश्यक है। यद्यपि आधुनिक विज्ञान ने कई रोगों (लाल जूड़ी, कुष्ठ, हैजा, प्लेग, आदि) का अस्तित्व ही मिटा दिया है, किन्तु फिर भी उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में हुकवर्म, गिनीवर्म, मलेरिया, क्षय, पेचिस, आदि बीमारियों के कारण मृत्यु अधिक होती है। “ये बीमारियां स्थानीय प्रचलित बीमारियों के उस दुखान्त नाटक की दुष्ट अभिनेत्रियां है जिन पर कभी पर्दा नहीं गिरता । ” ये बीमारियां जितने व्यक्तियों को मारती नहीं उससे दुगुने-तिगुने व्यक्तियों को अपना शिकार बनाकर शक्तिहीन कर देती हैं। अतः इन्हें दूर करना आवश्यक है।

(6) सामाजिक सुरक्षा का विकास- देश के सभी आर्थिक क्रियाओं में लगे व्यक्तियों के लिए सामाजिक सुरक्षा का होना भी आवश्यक है क्योंकि इसके बिना वे भविष्य में विकास नहीं कर सकते। बुढ़ापे, बेरोजगारी अथवा दुर्घटना, आदि से सुरक्षा होने पर ही साधारण व्यक्ति बड़े परिवार की इच्छा रखता है जिससे उसके बाद परिवार की देख-रेख उचित ढंग से हो सके। वास्तव में “बच्चे दरिद्र लोगों की सम्पत्ति हैं और एक प्रकार का बीमा भी। अतः इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए सामाजिक सुरक्षा का होना आवश्यक है। इस सम्बन्ध में भृमि का पुनः वितरण, वृद्धावस्था पेंशन, विशेष दुर्घटना बीमा, पारिवारिक बीमा व पेंशन जैसे कार्यक्रम स्वागत योग्य है। साथ ही सहकारी कृषि तथा जाति में समानता, आदि लाने का कार्यक्रम सफल सिद्ध होगा।

(7) मनोरंजन के साधनों का विकास- हमारे देश में सस्ते तथा सर्वसुलभ मनोरंजन के साधनों की कमी है जिससे जनसंख्या में सन्तानोत्पत्ति की प्रवृत्ति में वृद्धि होती है। अतः ग्रामीण एवं नगरीय दोनों ही क्षेत्रों में सर्वसुलभ सस्ते मनोरंजन के साधन विकसित किए जाने चाहिए जिससे उत्पादक जनसंख्या की मनोवृति में मनोवैज्ञानिक परिवर्तन किया जा सकता है।

(৪) परिवार नियोजन- उपरोक्त सुझावों को कार्यान्वित करने में समय लग सकता है, अतः इस बीच में जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए अल्पकालीन उपाय काम में लाने चाहिए क्योंकि विज्ञान और तान्त्रिक सहायता द्वारा भारतीयों के स्वास्थ्य में सुधार होने के फलस्वरूप मूत्यु-दर में कमी हो गयी, किन्तु यदि जन्म-दर को न रोका गया तो जनसंख्या में वृद्धि और भी तीव्रता से होगी। अतएव मृत्यु-दर में कमी करने के साथ जन्म-दर में कमी करना आवश्यक होगा। इस हेतु परिवार नियोजन के कार्यक्रमों को ग्रामीण स्तर पर व सभी वर्गों में प्रचलित कर सफल बनाना होगा।

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Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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