शिक्षाशास्त्र / Education

नवाचार का अर्थ | नवाचारों को लाने में शिक्षा की भूमिका | नवाचार की विशेषतायें

नवाचार का अर्थ
नवाचार का अर्थ

नवाचार का अर्थ | नवाचारों को लाने में शिक्षा की भूमिका | नवाचार की विशेषतायें

शिक्षा में नवीन प्रवृत्तियों पर संक्षिप्त लेख

नवाचार (Innovation) का अर्थ आक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार किसी नवीनता को लागू करना, किसी स्थापित वस्तु में परिवर्तन लाना, एक नवीन प्रचलन, स्थापित विधियों में परिवर्तन लाना इत्यादि है।

हिन्दी भाषा में नवाचार का अर्थ स्वतः स्पष्ट है। यह पद दो शब्दों ‘नव’ एवं ‘आचार’ के संयोग से बना है। ‘नव’ शब्द नवीनता का द्योतक है तथा ‘आचार’ परिवर्तन का। अतः ऐसा परिवर्तन जो स्थापित विधियों, परम्पराओं वस्तुओं आदि में नवीनता का समावेश करे, वही नवाचार है।

नवाचार के अर्थ एवं प्रकृति को भली-भांति समझने के लिए कुछ प्रख्यात समाजशास्त्रियों द्वारा दी गई परिभाषाओं का यहां उल्लेख करना समीचीन होगा।

(1) “कोई विचार, व्यवहार या वस्तु जो नया है एवं वर्तमान अवस्थित प्रारूप से जो गुणात्मक दृष्टि से भिन्न है……उसे नवाचार कहते हैं।’ -एच. जी. बार्नेट

(2) “नवाचार एक ऐसा विचार है जिसमें व्यक्ति नवीनता का अनुभव करता है।” -ई. एम. रोजर्स

(3) “एक नवाचार जानबूझ कर किया जाने वाला नवीन और विशिष्ट परिवर्तन है जिसे किसी प्रणाली के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक प्रभावकारी माना जाता है।” -एम. बी. माइक

(4) नवाचार सम्प्रत्यय, एक अभिवृत्ति, कौशलयुक्त एक उपकरण या इनमें से दो या दो से अधिक तथ्य जिन्हें एक व्यक्ति या संस्कृति द्वारा इसके पहले व्यावहारिक दृष्टि से न अपनाया गया हो। -एच. एस. भोला

उपर्युक्त परिभाषाओं पर विचार करने से यह स्पष्ट होता है कि विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों एवं समाजशास्त्रियों द्वारा दी गयी परिभाषाओं में कुछ समानताएं एवं विषमताएं भी हैं। नवाचार के सम्प्रत्यय को बड़े ही सहज ढंग से यह कहकर स्पष्ट किया जा सकता है कि नवाचार एक ऐसा विचार है जिसे उसको अपनाने वाला या इसका अंगीकारी (adopter) इस एक नयी चीज के रूप में देखता और अनुभव करता है। वैसे यह विचार अन्य लोगों के लिए पुराना भी हो सकता है।

नवाचारों को लाने में शिक्षा की भूमिका (Role of Education in Bringing Innovation)

वांछित परिवर्तन, राष्ट्रीय पुनरुत्थान और विकास के लिए सबसे पहली आवश्यकता है-मानव संसाधन का विकास। मानव के विकास का एकमात्र साधन है-शिक्षा का समुचित प्रचार और प्रसार।

हम एक नवीन और बेहतर समाज की रचना तथा एक कल्याणकारी एवं जन- आकांक्षाओं की पूर्ति करने वाले राज्य की रचना में लगे हुए हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें सबके लिए शिक्षा की सुविधाएं उपलब्ध करानी होगी क्योंकि शिक्षा उत्कृष्ट समाज रचना का सशक्त उपकरण या माध्यम है शिक्षा में सुधार लाने के निमित्त राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर अनेक संस्थाएं एवं शिक्षा आयोगों ने कार्य किये हैं। इस प्रक्रिया में गति लाने के लिए भारत सरकार ने ‘नयी शिक्षा नीति’ को अपनाया है। यदि हमें एक समाज और राष्ट्र के रूप में जीवित रहना है तो शैक्षिक परिवर्तन की गति को तेज करना होगा। यही कारण है कि हमें शैक्षिक नवाचारों को समझने और उनके प्रचार एवं प्रसार में मनोयोग एवं दृढ़ निश्चय के साथ लगना होगा।

जन आकाक्षाओं की पूर्ति के लिए पाठ्यक्रमों एवं शिक्षण की तकनीकी में आमूल परिवर्तन की आवश्यकता है। इस हेतु हमें प्रत्येक विषय के शिक्षकों को विशेषकर विज्ञान, गणित एवं तकनीकी विषय के शिक्षकों को एक नया दिशा बोध कराना होगा। ज्ञान का विस्फोट पुराने शिक्षकों को बहुत पीछे छोड़ चुका है। भावी नागरिकों की शैक्षिक प्रगति के लिए नवीन ज्ञान एवं शैक्षिक तकनीकी के ज्ञान की आवश्यकता को दृष्टि में रखते हुए शिक्षकों को प्रशिक्षित करना एक अनिवार्यता बन गयी है। शिक्षकों के प्रशिक्षण में नवाचारों का समावेश ही इस समस्या का समाधान कर सकता है।

ज्ञान के विस्फोट एवं औद्योगीकरण की प्रक्रिया ने विशिष्टीकरण (specialization)की मांग को जन्म दिया है। नवीन यन्त्रों एवं तकनीकी का संचालन विशिष्ट शिक्षण एवं प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति ही कर सकते हैं। यह कार्य पुराने सांचे में नयी पीढ़ी को ढालकर सम्मव नहीं होगा। शिक्षण व प्रशिक्षण की तकनीकी को नित्य नवीन रूप लेने वाले ज्ञान और उससे उत्पन्न मांगों के अनुरूप बदलना होगा। इस बदलाव को जानने के लिए पहले हमें परिवर्तन और नवाचार के सम्बन्ध को जाननी होगा।

परिवर्तन की चर्चा करते समय हममें इसकी प्रकृति को समझना होगा, क्योंकि परिवर्तन का सीधा सम्बन्धा नवाचार (Innovation)से है। नवाचार और परिवर्तन की प्रक्रिया के परस्पर घात-प्रतिघात से नवीन सम्भावनाएं जन्म लेती हैं, विकसित होती हैं और मानव जीवन को सुखी एवं समृद्ध बनाती हैं।

शिक्षा के सन्दर्भ में परिवर्तन और नवाचार का सम्बन्ध परस्पर एक-दूसरे को प्रभावित करने वाला है। शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो छात्रों के व्यवहार को पूर्व नियोजित करने का प्रयास करती है। परिवर्तन का अर्थ है कि समय के अन्तराल के दो छोरों में स्पष्ट अन्तर दिखायी देना । दूसरे शब्दों में परिवर्तन का अर्थ होगा-

  • परिवर्तन की आवश्यकता का अनुभव एव निदान करना।
  • क्रिया-कलापों में वैकल्पिक या ऐच्छिक परिवर्तन लाने के लिए वर्तमान मे पाये जाने वाले नवाचारों में से किसी एक का चुनाव करना।
  • परिवर्तन की दिशा में कार्य करने के लिए उपलब्ध साधन और स्रोतों का पता लगाना।

अतः शैक्षिक परिवर्तन में सुधार की कामना, उसके लिए नवाचार वा चुनाव और नवाचार को कार्यान्वित करने के लिए संसाधनों की व्यवस्था ये तीनों ही बातें ससम्मिलित हैं।

इससे स्पष्ट होता है कि शैक्षिक परिवर्तन एवं नवाचार में अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है। शिक्षा में नवाचार को गुणात्मक सुधार के लिए अपनाया जाता है। शैक्षिक परिवर्तन हेतु नवाचार आधारशिला का कार्य करता है। अंतः इन दाना ही सम्प्रत्ययों का परसर घनिष्ठ सम्बन्ध स्वयंसिद्ध है।

शैक्षिक परिवेश में विभिन्न प्रकार के परिवर्तनों की अपनी भूमिकाएं हैं। किन्तु अधिकांश नवाचार जिन्हें शिक्षा जगत में अपनाया गया है वे सभी नव-गतिमानात्मक श्रेणी में आते हैं। कक्षाओं में बढ़ती हुई संख्या, ज्ञान का विस्फोट, प्रगति की दौड़ की चुनौती आदि ने शिक्षा को ऐसे मौड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां भविष्य में व्यक्ति समाज एवं राष्ट्र के नाते जीवित व विकसित होने के लिए उपलब्ध सर्वोत्तम बुद्धि सृजनशीलता और उससे उत्पन्न नवाचारों के समुचित प्रयोग की आवश्यकता है।

नवाचार की विशेषतायें बताइयें

नवाचार या नवीन प्रवृत्तियों की प्रमुख विशेषतायें निम्न हैं-

(1) नवाचार को एक नवीन विचार माना जाता है।

(2) गुणात्मक दृष्टि से वर्तमान परिस्थितियों की तुलना में नवाचार उन्नत या श्रेष्ठ होता है।

(3) नवाचार जानबूझ कर किया जाने वाला एक नियोजित प्रयास है।

(4) नवाचार में हमेशा विशिष्टता के तत्व विद्यमान रहते हैं।

(5) कोई भी व्यक्ति नवाचार जान-बूझकर अपनाता हैं। अतः इसकी उपयोगता स्वयंसिद्ध है।

(6) नवाचार वर्तमान परिस्थितियों में सुधार का नवीन प्रयास है।

अतः इसे मूलतः एक नवीन विचार मात्र न मानकर विचारों का समुच्चय मानना चाहिए, क्योंकि जब भी कोई नवाचार घटित होता है तब इसका संयोग या मिलन दो-चार तत्व से होता है जो पहले से ही विद्यमान हों। अतः नवाचार नूतन और पुरातन का ऐसा सम्मिलन हैं जो एक नवीन इकाई के रूप में अपनी निराली विशेषताओं के साथ प्रकट होता है।

अन्ततः हम कह सकते हैं कि किसी विधि, तौर-तरीके या सामग्री जिनका उपयाग पहले किया जाता था, उनमें सुधार की प्रक्रिया ही नवाचार है। नवाचार कुछ ऐसा लागू करना है जी नया और पहले से भिन्न हो।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

1 Comment

  • बदलती दुनिया में शिक्षा का नवाचार होना बहुत ही आवश्यक कदम है जिसको आपने सरल एवं संयोजित ढंग से व्याख्यायित किया है। ऐसे तथ्यों से अवगत कराते रहे,,,
    धन्यवाद।

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