शैक्षिक तकनीकी के कार्य

शैक्षिक तकनीकी के कार्य | Tasks of educational technology in Hindi

शैक्षिक तकनीकी के कार्य | Tasks of educational technology in Hindi

शैक्षिक तकनीकी के कार्य

आधुनिक समय में जितनी तीव्र गति से सामाजिक, राजनैतिक, औद्योगिक एवं वैज्ञानिक  प्रगति हो रही है उतनी ही तोव गति से शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन भी हो रहा है। ऐसी स्थिति में शिक्षा में आज जो कुछ भी नवीन दिखाई यह रहा है वह दूसरे दिन पुराना या अनुपयुक्त दिखाई देता है। ऐसी स्थिति में शैक्षिक तकनीकों की विशेष आवश्यकता महसूस की जा रही है, क्योंकि यदि इस क्षेत्र में हम पिछड़ गये तो शिक्षा के क्षेत्र में भी पिछड़ जायेंगे। इस प्रकार शैक्षिक तकनीकी के कार्य निम्नलिखित है-

(1) शिक्षण- अधिगम के उद्देश्यों की प्राप्ति- शैक्षिक तकनीकी का सबसे बड़ा एवं प्रमुख कार्य उचित प्रभावी एवं अधिकतम अधिगम की प्राप्ति करना है जिससे बालक का व्यवहार अपेक्षित स्तर तक परिवर्तित हो सके। इसमें जितनी भी प्रक्रिया अथवा क्रिया अपनायी जाती है सबका एक ही लक्ष्य होता है कि उच्चतम स्तर तक अभिगम की प्राप्ति हो ।

(2) मशीन एवं सहायक सामग्री को एक जगह एकत्रित करना- इसमें विषय वस्तु के आधार पर मशीनी उपकरणों एवं शिक्षण सामग्री को एक जगह एकत्रित करना होता है जिससे अधिगम-शिक्षण को सुव्यवस्थित एवं मुनियोजित ढंग से किया जा सके।

(3) शिक्षा के उद्देश्यों का निर्धारण करना- शिक्षक जब तक शिक्षा के उद्देश्यों को निर्धारित नहीं कर लेता तब तक वह उचित तकनीक, विधियों एवं युक्तियों का चयन नहीं कर सकता। अतः शैक्षिक तकनीकों का एक प्रमुख कार्य यह भी है कि वह शिक्षा के उद्देश्यों को सुनिश्चित करें।

(4) शिक्षकों को प्रशिक्षण देना- शैक्षिक तकनीकी के जहाँ अनेक कार्य हैं वहीं उसमें एक कार्य नवीन शिक्षकों को प्रशिक्षित करना भी है तथा इसके साथ हो सेवारत शिक्षकों को भी प्रशिक्षित करना जिससे उन्हें नवीन विधियों एवं तकनीकों का ज्ञान होता रहे।

(5) वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करना- यह खेद का विषय है कि आज भी हमारे शैक्षिक जगत में वैज्ञानिक विधियों का उस सीमा तक उपयोग नहीं किया जा रहा है जितना कि करना चाहिए। अतः आवश्यकता इस बात की है कि अधिकतम स्तर तक वैज्ञानिक विधियों का उपयोग किया जाय जिससे उच्चतम स्तर तक शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया लागू हो सके।

(6) शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का विश्लेषण- शिक्षण के अन्तर्गत इस तथ्य की गहराई से जांच करना कि कौन सो युक्ति अथवा विधि कितनी सफल अथवा असफल है, इसका विश्लेषण करना भी शैक्षिक तकनीकी का कार्य है। इसके साथ ही अन्य विधियों से उसका क्या सम्बन्ध है इसको जानकारी करना भी शैक्षिक तकनोको का ही कार्य है।

(7) पाठ्यक्रम को विकसित करना- सम्पूर्ण पाठ्यक्रम में कौन सी पाठ्यवस्तु आज के वातावरण में उपयोगी अथवा अनुपयोगी है इसका पता लगाकर, उन पाठ्यवस्तुओं को विकसित करना जिनकी आज के समय में अधिक उपयोगिता है। इसके अतिरिक्त उसमें नवीन चीजों को सम्मिलित करना भी शैक्षिक तकनीकी का एक कार्य है।

(8) दृश्य-श्रव्य एवं सहायक सामग्री को विकसित करना- पाठ्यक्रम के अनुसार दृश्य-श्रव्य सामग्री एवं सहायक सामग्री की व्यवस्था करना और उसमें भी इस बात का ध्यान रखना कि स्थानीय आवश्यकता एवं उपलब्धता कैसी है ? तद्नुसार इनका विकास करना शैक्षिक तकनीकी का कार्य है।

(9) वर्तमान शिक्षण प्रक्रिया को सुधारना- आज आवश्यकता इस बात की है कि शिक्षण प्रक्रिया की सम्पूर्ण व्यवस्था का बराबर मूल्यांकन एवं प्रतिपुष्टि की जाती रहे जिससे उसमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन एवं परिमार्जन किया जा सके। इसके द्वारा बालक में बराबर रुचि एवं अभिरुचि बनी रहेगी।

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