शैक्षिक तकनीकी / Educational Technology

शैक्षिक तकनीकी के प्रमुख उपागम | साफ्टवेयर एवं हार्डवेयर | कठोर तकनीकी के मुख्य उपागम | शिक्षा में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर तकनीकी

शैक्षिक तकनीकी के प्रमुख उपागम | साफ्टवेयर एवं हार्डवेयर | कठोर तकनीकी के मुख्य उपागम | शिक्षा में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर तकनीकी | Major Approaches to Educational Technology in Hindi | Software & Hardware in Hindi | Main Approaches to Rigid Technology in Hindi | Software and Hardware Technology in Education in Hindi

शैक्षिक तकनीकी के प्रमुख उपागम

सर्वप्रथम किसी भी विषय पर उसके अंगों को समझने के लिए जिस तरीके या विधि को साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, वह उपागम कहलाता है। उपागम दो शब्दों के मेल से बना है। उपा आगम उप का अर्थ होता है समीप या पास में, आगम का अर्थ होता है पहुँचना। इस प्रकार इसके शाब्दिक अर्थ में उपागम को स्पष्ट करते हुए कहा जा सकता है। वे साधन, वे स्रोत किसी चीज के समीप या पास पहुँच जाता है वह उपागम कहलाता है। अतएव कहा जा सकता है कि जिस साधनों से शिक्षण एवं अधिगम सम्बन्धी ज्ञान, कौशल, क्रियाविधि की जानकारी सुलभ होती है। वहीं शैक्षिक तकनीकी उपागम है इन उपागमों में शिक्षण एवं अधिगम को रोचक, सरल एवं  प्रभावयुक्त बनाने में अत्यधिक सहायता मिलती है। शैक्षिक तकनीकी के प्रमुख उपागम निम्नवत हैं—

  1. कठोर उपागम या हार्डवेयर उपागम (Hardware Approach)
  2. मृदुल उपागम या साफ्टवेयर उपागम (Soft ware Approach)
  3. प्रणाली विश्लेषण उपागम (System Analysis Approach)

1. कठोर उपागम या हार्डवेयर उपागम (Hardware Approach)- वर्तमान समय में अनेक यंत्रों का आविष्कार किया जा चुका है। ये यंत्र शिक्षण एवं अधिगम प्रदान करने में भी बहुत सहायता करते हैं। जब अधिगम एवं शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए यंत्रीकरण युक्त सामग्री का प्रयोग किया जाता है तो वह कठोर उपागम से सम्बन्धित है।

कठोर उपागम को कई नामों से सम्बोधित किया जाता है। यथा यंत्रीकृत तकनीकी, दृश्य-श्रव्य तकनीकी आदि। आँगल भाषा में इसे हार्डवेयर एप्रोच (Hardware Approach) कहा जाता है। हार्डवेयर का अर्थ-धातु का पात्र और ‘एप्रोच’ का अर्थ समीप आना (to come near to) होता है। अतएव इस दृष्टिकोण से किसी धातु से बने यंत्र की सहायता से शिक्षण एवं अधिगम के निकट आना अथवा शिक्षण अधिगम से सम्बन्धित ज्ञान, कौशल की जानकारी प्राप्त करना ही हार्डवेयर एप्रोच या कठोर उपागम का मुख्य उक्ष्य है।

सामान्यतः शिक्षक द्वारा जब अपने शिक्षण अधिगम की प्रभावकारिता बढ़ाने के लिए, विषयवस्तु को सरल, रोचक, बनाने के लिए ट्रांजिस्टर, टेपरिकार्ड, टेलीविजन, शिक्षण मशीन, ओवर हेड प्रोजेक्ट एवं अन्य यंत्रों का जब प्रयोग किया जाता है तो वह कठोर उपागम से सम्बन्धित होता है।

कठोर तकनीकी के साधन (Equipment’s of Hardwar Technology)

कठोर तकनीकी में अनेक साधन या यंत्रों का प्रयोग निहित होता है। इन यंत्रों की रूपरेखा एवं क्रियाविधि की जानकारी करना ही कठोर तकनीकी का प्रतिपाद्य विषयवस्तु है। अतः कठोर तकनीकी के साधनों एवं यंत्रों को निम्नवत् व्यक्त किया जा सकता है-

(A) श्रव्य साधन (Audio-aids)-ऐसे साधन जिनके द्वारा व्यक्ति अपने श्रवणेन्द्रिय के माध्यम से किसी भी व्यक्ति के कंठ ने निकली हुई आवाज को सुनकर विचारों, तथ्यों की जानकारी प्राप्त करते हैं। साधन कहलाते हैं ऐसे साधन है

(i) रेडियो (Radio)

(ii) ग्रामोफोन (Gramophone)

(iii) टेपरिकार्डर (Tape Reorder)

(iv) लिंग्वाफोन (Linguaphone)

(v) स्टीरियो सिस्टम (Stereo System)

(vi) टेलीफोन सिस्टम (Telephone System)

(vii) दृश्य साधन (Visual-Aids)- ऐसे साधनों के अन्तर्गत वे उपकरण एवं सामग्रियाँ आती हैं जिसे दृश्य इन्द्रियाँ द्वारा साक्षात् देखकर ज्ञान, सूचना प्राप्त की जा सकती है ऐसे साधन हैं-

(i) अप्रक्षेपित तथा द्वि-वीमा वाले दृश्य साधन (non-projected and dimensional)

(a) ब्लैकबोर्ड, सूचनाबोर्ड, फ्लैनलबोर्ड, रोल-अप बोर्ड

(b) चाक, रंगीन, कलम, क्रेयान तथा उपकरण

(ii) अप्रक्षेपित तथा त्रि-बीमा वाले दृश्य साधन (non-projected and there-dimensional visual aids) –

(a) नाटक स्थल, प्रदर्शन स्थल, टेबल आदि।

(b) काँच की आलमारियाँ या संग्रहालय आदि।

(C) प्रक्षेपित अचल दृश्य साधन (Projected still visual aids)

(a) ओवर हेड प्रोजेक्टर या शिरोपरि प्रक्षेपक (O.H.P)

(b) स्लाइड प्रोजेक्टर (Slide Projector)

(c) माइक्रोमेज सिस्टम (MicroAge System)

(d) ओपेक प्रोजेक्टर या एपिडायास्कोप (opaque projector of Epidiascope)

(D) नीवन दृश्य साधन (New Visual aids)

(i) नवीन टेलीफोन सिस्टम (New telephone system)

(ii) सी. डी. प्लेयर (C.D. Player)

(iii) टेलीविजन सिस्टम (Television System)

(iv) कम्प्यूटर सिस्टम (Computer System)

(v) इण्टरनेट सिस्टम (Internet System)

  1. मृदुल उपागम या साफ्टवेयर उपागम (Software Approach) – कठोर उपागम में यंत्रों को महत्व दिया जाता है जबकि मृदुल उपागम यंत्रों के स्थान पर सामाजिक एवं मानविकी विषयों के सिद्धान्तों को महत्व देता है। मृदुल उपागम मुख्य रूप से मनोविज्ञान के सिद्धान्तों पर आधारित होता है, इसी के द्वारा शैक्षिक परिस्थिति में छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन लाया जाता है। मृदुल उपागम में यंत्रों को महत्व नहीं दिया जाता है बल्कि यंत्रों के संचालन तथा कार्यक्रम के प्रेषण से सम्बन्धित कार्यक्रमों का निर्माण एवं व्यवस्थित स्वस्थ्य से सम्पृक्त कैसेट आदि सॉफ्टवेयर के अन्तर्गत आते हैं।

मृदुल उपागम विषयवस्तु की सम्पूर्ण प्रक्रिया से सम्बन्धित होता है। इसमें छात्रों के व्यवहार परिवर्तन हेतु शिक्षण विधियों की रचना चुनाव एवं मूल्यांकन हेतु विविध प्रविधियों, परीक्षणों का निर्माण एवं चुनाव शैक्षिक उपागम (Constructive Educational Technology) के नाम से अभिहित किया है। इसे अन्य नामों से भी सम्बोधित किया जाता है, यथा-कोमल उपागम, नरम, उपागम, यंत्रेतर उपागम अनुदेशन उपागम इत्यादि।

मृदुल उपागम के कार्यों को स्पष्ट करते हुए डेविस (1970) ने लिखा है कि-“इस तकनीकी का सम्बन्ध अभिक्रमित अधिगम के आधुनिक सिद्धान्तों से हैं। इसके कार्यों में मुख्यतः उद्देश्यों की संक्षिप्त कार्य का विश्लेषण अधिगम कौशल का चयन, पुनर्बलन तथा मूल्यांकन सत्रिहित होते हैं।” इससे स्पष्ट है कि मृदुल उपागम शिक्षा प्रक्रिया की बहुत सहायता करता है। क्योंकि यह सीधे तौर पर शिक्षण के नियोजन संचालन, संगठन, मार्गदर्शन एवं मूल्यांकन से सम्बन्धित है।

मृदुल उपागम के अन्तर्गत हार्डवेयर या कठोर उपागम के संचालन हेतु कार्यक्रमों का निर्माण आता है। प्रायः रेडियो टी. वी. में शैक्षिक प्रसारण हेतु शिक्षा से सम्बन्धित विषय-वस्तु पर कार्यक्रमों का निर्माण तथा उसकी रूपरेखा मृदुल उपागम के अन्तर्गत आयेगा। साफ्टवेयर में यांत्रिक उपकरणों द्वारा प्रसारित शैक्षिक उद्ददेश्यों को व्यावहारिक रूप से लिखने एवं लोगों के मानव पटल तक उनको सरल ढंग से पहुँचाने हेतु युक्तियों के चयन् अनुदेशन प्रणाली का इस्तेमाल करने, पृष्ठपोषण प्रदान करने तथा कार्यक्रमों की उपादेयता का मूल्यांकन करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया निहित होती है। जैसे-एक शिक्षक का उद्देश्य रेडियो (हार्डवेयर साधन) द्वारा जनमानस में जनसंख्या को सीमित रखने से होने वाले लाभ से परिचित कराना है। तो इसके लिए वह जो कार्यक्रम बनायेगा वह साफ्टवेयर से सम्बन्धित होगा। बिना साफ्टवेयर के हार्डवेयर का संचालन असम्भव है। इसी प्रकार टेलीविजन पर जो भी कार्यक्रम दिखाये जाते हैं। वे साफ्टवेयर से सम्बन्धित होते हैं। कार्यक्रमों का निर्माण एक व्यवस्थित प्रक्रिया के अन्तर्गत होता है। इसमें विषयों के व्यावहारिक सिद्धान्तों परिस्थितियों को भी ध्यान रखा जाता है इस प्रकार टीवी हार्डवेयर है तो उसके कार्यक्रम साफ्टवेयर हैं,

सॉफ्टवेयर उत्पादन प्रशिक्षण प्रायः लोगों में यह धारणा प्रचालित है कि हार्डवेयर अर्थात् शैक्षिक माध्यमों (रेडियों, टी. वी. टेपरिकार्डर) के लिए कार्यक्रमों अर्थात् साफ्टवेयर का उत्पादन तथा विकास केवल उत्कृष्ट कलाकारर फोटोग्राफर, कैमरामैन तथा ध्वनि रिकार्ड करने वाले कर सकते हैं‌ यह भ्रान्ति पूर्ण धारणा है। आज के शैक्षिक परिवेश में रेडियो और टेलीविजन जैसे हार्डवेयर का शिक्षा में अनुप्रयोग करने हेतु यह आवश्यक है कि शिक्षक प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम में छात्रअध्यापकों को साफ्टवेयर उत्पादन अर्थात् विविध कार्यक्रमों के निर्माण, (कैसेट, सी. डी. के निर्माण का) उचित प्रशिक्षण दिया जाए। आकाशवाणी द्वारा ज्ञानवाणी कार्यक्रम तथा दूरदर्शन द्वारा ‘ज्ञान दर्शन’ कार्यक्रमों का प्रसारण शिक्षा से जुड़े लोगों के लिए अत्यन्त लाभकारी संस्थिति प्रदान कर रहा है। वर्तमान में शैक्षिक साफ्टवेयर उत्पादन का कार्य निम्नलिखित संस्थानों में किया जा रहा है-

(1) नई दिल्ली में केन्द्री शैक्षिक प्रौद्यागिकी संस्थान

(2) पूना, मुम्बई, अहमदाबाद, हैदराबाद, पटना, भुवनेश्वर तथा लखनऊ में स्थापित एस. आई. ई. टी. द्वारा।

(3) जामिया मिलिया इस्लामिया, गुजरात वि.वि., पूना वि. वि. सी.आई.ई.एफ.एल.।

(4) चंडीगड़, मद्रास, गोपाल के टी.टी.टी.आई.

सॉफ्टवेयर उत्पादन के लिए छात्राध्यापकों को अपने विषय का गहरा ज्ञान होने के साथ-साथ माध्यम की उत्पादन तकनीक तथा सम्प्रेक्षण की रणनीति का उचित ज्ञान होना परमावश्यक है। साफ्टवेयर उत्पादन के पहले छात्राध्यापकों या सेवारत शिक्षकों को निम्नवत् मूलभूत प्रश्नों को ध्यान में रखना आवश्यक है।

(1) साफ्टवेयर का उत्पादन के लिए किया जा रहा है।

(2) आवश्यकता किस प्रकार की है।

(3) उद्देश्य क्या है।

(4) साधन या माध्यम क्या है।

(5) सम्प्रेषण करने वाला कौन है।

(6) उसने कितनी तैयारी पहले से कर रखी है।

(7) उसका संगठनात्मक प्रशासनिक ढाँचा किस तरह का है।

(8) गुणवत्ता वाली सामग्री के उत्पादन के लिए समय और धन की दृष्टि से क्या लक्ष्य सम्भव है।

वस्तुतः साफ्टवेयर उत्पादन की प्रक्रिया दीर्घ कालिक होती है। इसके लिए लक्षित श्रोता और माध्यम के लिए कार्यक्रमों का निर्माण हेतु अन्तर्दृष्टि की अत्यन्त आवश्यकता पड़ती है।

मृदुल उपागम में प्रयुक्त होने वाली सामग्री या साधन

(Materials used as software)

(i) ग्रामोफोन रिकार्ड (Gramophone records)

(ii) स्टीरियो टेप रिकार्ड (Stereotape records)

(iii) रेडियो में प्रसारित होने वाले शैक्षिक कार्यक्रम (Educational Programmes to be telecasted through radio)

(iv) सहायक पुस्तकें अभिक्रमिक अधिगम हेतु (guid book)

(v) संदर्भ पुस्तकें, विश्व कोष, ज्ञानकोष (reference books encyclopaedia and books)

(vi) समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ (News papers and Magazines)

(vii) दस्तावेज (documents)

(viii) ब्लैक बोर्ड पर लिखित सामग्री (Written materials on black board)

(ix) मानचित्र या नक्शे (Maps)

(x) फ्लॅनल बोर्ड पर चिपकाने वाले सामग्रियाँ (Flat pictures cut-outs fanned board materials)

(xi) चार्ट, पोस्ट, ग्राफ (Charts. Poster. Graphs)

(xii) कामिक्स तथा कार्टून (Comics and Cartoons)

(xiii) मॉडल या प्रतिमान (Models)

(xiv) एटलस या ग्लोब (globe)

(xv) कठपुतली (Puppets)

(xvi) स्लाइड्स (Slides)

(xvii) फिल्म पट्टी (Film Strips)

(xviii) फिल्म (Film)

(xix) दूरदर्शन कार्यक्रम (Educational Programmes to be telecasted thought Television)

(xx) वीडियो कैसेट (Video cassettes)

(xxi) टेली कान्फ्रेंसिंग (टेलीफोन पर परिचर्या) (Tele Conferencing)

(xxii) कम्प्यूटर फ्लापी एवं काम्पेक्ट डिस्क (Computer floppy and C.D.)

(xxiii) इण्टरनेट कार्यक्रम (Internet Programmes)

(xxiv) प्रयोगशाला सामग्री (Laboratory)

  1. प्रणाली उपागम (System Approach)- वर्तमान समय की वैज्ञानिक व्यापकता एवं अन्वेषणों के आधार पर द्वितीय विश्व युद्ध के समय सैन्य विज्ञान और अभियांत्रिकी के मंतव्यों से प्रणाली उपागम का अभ्युदय किया गया। तदुपरान्त यह उपागम अपनी विशेषताओं के आधार पर विभिन्न विषयों में भी प्रयुक्त की जाने लगी। शिक्षा के क्षेत्र में जब इस उपागम का प्रयोग किया गया तो इससे मनवंछित सफलता की प्राप्ति हुई। प्रणाली उपागम की सफलता को ध्यान में रखते हुए, वंगघर्ट तथा केनिथ ने इसे व्यवस्थित रूप प्रदान करते हुए शिक्षा के लिए इसे कार्योपयुक्त बनाया।

प्रणाली उपागम द्वारा शिक्षा/शिक्षण का नियोजन, संगठन, संचालन एवं मूल्यांकन करने में बहुत सहायता मिलती है। शिक्षा/शिक्षण की विविध समस्याओं का अध्ययन गणितीय एवं वैज्ञानिक आँकड़ों के आधार पर इस उपागम द्वारा वस्तुनिष्ठ, विश्लेषण युक्त एवं वैज्ञानिकता से परिपूर्ण किया जा सकता है।

अतएव यह उपागम संख्यात्मक मात्रात्मक एवं वैज्ञानिक से युक्त होता है।

अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definitions)

सामान्यतः प्रणाली से तात्पर्य उस तरीके अथवा तत्वों के संगठन से लगाया जाता है। जो किसी विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। हिन्दी मानक कोष (रामचन्द्र वर्मा) में भी प्रणाली को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि- “वह सारी व्यवस्था और उसके सब अंग जिनसे, कोई निश्चित या विशिष्ट कार्य होता है प्रणाली कहलाती है।”

शिक्षा में प्रणाली उपागम का विश्लेषण किया जाय तो स्पष्ट होता है कि शिक्षा अनेक तथ्यों एवं प्रक्रिया के समूह द्वारा संचालित होती है। जिसमें मुख्य रूप से व्यक्ति, यंत्र सामग्री एवं माध्यम का योगदान होता है। यद्यपि ये सभी स्वतन्त्र अस्तित्व रखते हैं फिर भी बिना एक-दूसरे के सम्मिलित योगदान के शिक्षा शिक्षण की प्रक्रिया नहीं चल पाती है। इसमें से किसी भी तथ्य में खराबी आ जाने पर शिक्षण की प्रक्रिया अस्त-व्यस्त हो जाती है। अतएव शिक्षा में प्रणाली उपागम का अर्थ शिक्षा प्रक्रिया में योगदान देने वाले प्रमुख अवयवों के संगठन से लगाया जाता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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