शैक्षिक तकनीकी / Educational Technology

वीडियो टेप का शिक्षा में उपयोग | रेडियों का शिक्षा में उपयोग | दूरदर्शन

वीडियो टेप का शिक्षा में उपयोग | रेडियों का शिक्षा में उपयोग | दूरदर्शन | Use of videotape in education in Hindi | Use of radio in education in Hindi | Doordarshan in Hindi

वीडियो टेप का शिक्षा में उपयोग

शैक्षिक प्रौद्योगिकी में हार्डवेयर या कठोर उपागमों में वीडियो का विशेष महत्व है। बाल, वृद्ध नर, नारी-सभी वीडियों टेप का मनोरंजनात्मक रूप से उपयोग करके आनन्दित होते हैं। वीडियो टेप का आज नर-नारी सभी मनोरंजनात्मक रूप से उपयोग करके आनन्दित होते हैं। यह बिजली या बैट्री से चलता है। इसमें एक कैसेट लगती है। और चित्र प्रदर्शित करता है। शिक्षा के शिक्षा में वीडियों टेप का बहुत महत्व है। छात्राध्यापक सूक्ष्म शिक्षण कार्यक्रमों में वीडियों का मदद लेकर प्रभावोत्पादक शिक्षण कला प्रदर्शन कर सकते हैं। इसलिए वीडियों टेप माध्यम से भी छात्र अच्छी प्राप्त कर सकते हैं।

रेडियों का शिक्षा में उपयोग

आज रेडियो (Radio) – श्रव्य प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम शक्तिशली एवं प्रभावशाली यान्त्रिक उपकरण रेडियों है। रेडियो एक ऐसा कठोर उपागम है जो अदृश्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में सन्देशों को विविध स्थनों पर बिना किसी तार एवं एन्टीना के भेजता है। इसके द्वारा विविध प्रकार के संगीत कार्यक्रम, कविता, नाटक, घटनाओं एवं खेलों का आँखों देखा हाल, समाचार आदि सुनने को मिलते हैं।

रेडियो संचार व्यवस्थाएँ विद्युत चुम्बकीय तरंगों द्वारा संचालित होती है। इसका आविष्कार 1860 में स्काटलैण्ड भौतिक शास्त्री जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने किया तथा 1895 ई. में इटली के वैज्ञानिक गुग्लील्मो मारकीनों ने इसे बेतार के तार (Wireless) क रूप में स्थापित किया।

मारकोनी ने 1901 में पहली बार रेडियों तरंगों द्वारा इंग्लैण्ड से अटलांटिक सागर के आर-पार सन्देश भेजने में सफलता प्राप्त की। मारकोनी को ही रेडियो का वास्तविक जन्मदाता माना जाता है। रेडियो प्रसारण के लिए 150 हजार हर्ट्ज से लेकर 30 हजार मेगा हर्ट्ज तक की रेडियों तरंगो में लायी जाती हैं। इस तरंगों के इस अन्ाल को तीन भागों में बाँटा गया है- मिडियम वेव, सार्टवेव, और अल्ट्रासाटवेव।

शिक्षा के क्षेत्र में रेडियों के प्रयोग की अत्यधिक सम्भावनाएँ हैं। वर्तमान समय में “ज्ञानवाणी” कार्यक्रम द्वारा विविध कक्षाओं में अध्ययनरत छात्रों के निमित्त विषयों का ज्ञानवर्धक प्रसारण किया जा रहा है। अब शिक्षण संस्थाओं एवं विश्वविद्यालयों हेतु अलग रेडियो स्टेशन खोलने पर भी विचार किया जा रहा है। ऐसी व्यवस्था सुलभ हो जाने पर छात्रों की ज्ञान-पिपांसा की तृप्ति हो सकेगी। वे ज्ञान का अधिकता लाभ उठाते हुए प्रतियोगिताओं में अफलता अर्जित करते हुए उच्च पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करने में समर्थ होगें। पत्राचार शिक्षा मुक्त विद्यालय एवं विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों का प्रसारण रेडियो द्वारा होने से घर बैठे छात्रों को विषय सम्बन्धी जानकारी सुलभ होती है। रेडियों से अभिभवकों को शिक्षा सम्बन्धी नवाचरों का ज्ञान मिलता है। छात्रों को नौकारी हेतु विज्ञापित पदों क जानकारी सुलभ होती है। व्यावसायिक निर्देशन प्राप्त कर बेरोजगार रोजगार की ओर उन्मुख होते हैं। प्रशिक्षण की नवीन विद्याओं की जानकारी प्राप्त करके अपनी शिक्षण प्रक्रिया की प्रभावकारिता में वृद्धि करते हैं। अतएव कहा जा सकता है कि शिक्षा के क्षेत्र में रेडियों का प्रयोग करने से शिक्षा से जुड़े सभी अंगों को फायदा होता है।

दुरदर्शन (Television)-

इस आधुनिकता में आज दूरर्शन का मानव जीवन को मनोरंजनात्मक तथा ज्ञानप्रद बनाने में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। सूचनाओं के सम्प्रेषण में दूरदर्शन से बहुत सहायता मिलती है। दूरदर्शन दृश्य-श्रव्य कठोर उपागम है। जब शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण एवं अनुदेशन की प्रक्रिया से दूरदर्शन का प्रयोगक किया जाता है तो उसे शैक्षिक दूरदर्शन (Educational Television) के नाम संज्ञापित किया जाता है।

शैक्षिक दूरदर्शन का अर्थ

(Meaning of Educational-ETV)

इस प्रकार दूरदर्शन का शाब्दिक अर्थ, “दूर से किसी वस्तु को देखना’ है। दूरदर्शन वह माध्यम है। जिसके द्वारा हम देश-विदेश में घटित घटनाओं, महत्वपूर्ण ज्ञानात्मक बातों, मनोरंजन करने वाले कार्यक्रमों का सजीव चित्र देखते हैं और उनकी आवाजों की भी सुनते हैं। दूरदर्शन को टेलीविजन या टी. वी. कहकर भी संबोधित किया जाता हैं प्रायः दूरदर्शन से मनोरंजनात्मक दृश्यों सिनेमा के अतिरिक्त ज्ञानवर्द्धक या शिक्षा सम्बन्धी कार्यक्रमों का भी प्रसारण किया जाता है। दूरदर्शन द्वारा प्रसारित शिक्षाप्रद कार्यक्रमों को ही शैक्षिक दूरदर्शन कहा जाता है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (1995) द्वारा “ज्ञानदर्शन” कार्यक्रम का प्रसारण विविध शिक्षा स्तर से सम्बन्धित से सम्बन्धित विविध पाठ्यक्रमों एवं विषयों से सम्बन्धित दिया जाता है। सच्चे अर्थों में शैक्षिक दूरदर्शन के अन्तर्गत रख जा सकता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) द्वारा की उच्च कक्षाओं से सम्बन्धित विविध विषयों के पाठ्यक्रमों का प्रसारण दूरदर्शन पर किया जाता है। ये सभी कार्यक्रम शैक्षिक दूरदर्शन के अन्तर्गत आते हैं।

शैक्षिक दूरदर्शन के उद्देश्य (Objective of Educational Television)-

शैक्षिक दूरदर्शन शिक्षा की पूरी व्यवस्था में अत्यन्त सहायक भूमिका का निर्वहन करता है।

इसके उद्देश्य को निम्नवत् व्यक्त व्यक्त किया जा सकता है।

(1) शिक्षा के प्रसार-प्रसार में योगदान देना।

(2) छात्रों में जनतांत्रित मान्यताओं एवं मूल्यों का विकास करना।

(3) सुविधाविहीन लोगों तक शिक्षा की ज्योति जगाना।

(4) शिक्षकों की सेवा के दौरान अद्यतन जानाकारी प्रदान करना।

(5) विद्यार्थियों में सामाजिक सेवा की भावना का विकास करना।

(6) विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना।

(7) जनमानस को राष्ट्रीय विकास हेतु संचालित योजनाओं से परिचित कराना।

(8) अवकाशकालीन समय को मनोरंजनात्मक बनाना।

(9) विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को उन्नव बनाने में योगदान देना।

निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?

E.T.V., I.T.V., C.C.T.V., S.I.T., D.T.H.T.V.

(i) E.T.V. Educational Television E.T.H.T.V. के माध्य से निम्न प्रकार के कार्यक्रम प्रस्तुत कर सकते हैं-

(i) प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण और सुधार कार्यक्रम।

(ii) सतत् शिक्षा, औपचारिकेत्तर शिक्षा हेतु अनुदेशन कार्यक्रम प्रस्तुत करना।

(iii) कामकाजी महिलाओं, व्यवसाय में लगे हुए व्यक्तियों के लिए कार्यक्रम।

(iv) बालपयोगी कार्यक्रमों का प्रसारण करना।

(v) शिक्षक, प्राचार्य प्रशसकों हेतु अनुदेशन कार्यक्रम।

(vi) विभिन्न स्तर के बालकों हेतु अनुदेशन कार्यक्रम

(vii) सामाजिक सुधार, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय परिवर्तनों सम्बन्धी अनुदेशन कार्यक्रम।

(ii) निर्देशात्मक दूरदर्शन (Instructional Television – I.T.V)- दूरदर्शन का प्रयोग जब वांछित जनसमूह तक किसी सूचना को पहुँचाने, शैक्षिक गतिविधियों को पहुँचाने, तत्समबन्धी निर्देश या अनुदेशन पहुंचाने के लिए किया जाता है। तो उसे निर्देशात्मक दूरदर्शन कहा जाता है। यह किसी खास शैक्षिक प्रयोजन का पूरा करने में सहयोग देता है। प्रौढ शिक्षा सतत् शिक्षा के अलावा यह औपचारिक शिक्षा में भी प्रयोग होता है।

निर्देशात्मक दूरदर्शन (I.T.V.) का उपयोग शिक्षक की अनुपस्थिति में सम्पूर्ण अधिगमकर्ता को अनुदेशन देने के लिए भी किसी जो सकता है। दूरदर्शन की इस प्रक्रिया को सम्पूर्ण दूरदर्शन शिक्षण (Total Television Teaching) कहा जाता है।

कभी-कभी शिक्षण देने के दौरान कठिन और जटिल तथ्य आते हैं। इन तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए जब दूरदर्शन का उपयोग किया जाता है। तो उसे परिपूरक दूरदर्शन (Complementary Television) कहा जाता है। प्रायः कक्षा का आकार बड़ा होने पर शिक्षक अपनी बातों का दूरदर्शन द्वारा समस्त छात्रों को दिखाता भी रहता है। जिससे जीछे बैठे छात्र भी शिक्षक द्वारा बताये जा रहे तथ्यों तथ्यों का अवलोकन कर सीखते है। दूरदर्शन की इस कार्य प्रणाली को दूरदर्शन पूरक साधन के रूप में अनुप्रयोग कहा जा सकता है।

(iii) बन्द परिपथ दूरदर्शन (Closed Circuit Television – C.C.TV)- दूरदर्शन का प्रयोग जब कुछ विशेष समूह, विशेष स्थान तक सीमित रूप में कार्यक्रमों सूचनाओं, अनुदेशन अनुदेशन, पहुँचाने के लिए किया जाता है। तो उसे बन्द परिपथ दूरदर्शन या सी. टी. वी. कहा जाता है।

बन्द परिपथ दूरदर्शन का प्रयोग सर्वप्रथम सन् 1955 में दिल्ली, बम्बई, मद्रास तथा  कलकत्ता में किया गया था। अब तो इसका प्रयोग विवाह समारोहों, बड़े मेलों, उत्सवों में स्थान विशेष तक जनमानस तक समस्त गतिविधियों की पहुँचाने के लिए किया जाता है। अब तो बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी अपने यहाँ इस्तेमाल कर रहे हैं। चिकित्सीय आपरेशन की समस्त गतिविधियाँ आपरेशन थियेटर बाहर बैठे लोग बन्द परिपथ के माध्यम से देख सकते हैं।

बन्द परिपथ दूरदर्शन का प्रसारण एक विशेष केवल एन्टीना के माध्यम से किया जाता है। जहाँ तक केबिल उपलब्ध रहता है। वहीं तक इसका लोग लाभ उठा पाते हैं। बन्द परिपय दूरदर्शन में विडियों टेपरिकार्डर तथा दूरदर्शन संयंत्र की आवश्यकता पड़ता है। बन्द दूरदर्शन का उपयोग कक्षा गत परिस्थितियों में एक केन्द्रीय स्थान पर बैठकर छात्रों को निर्देशन देने में किया जा सकता है। कठिन प्रसंगों के प्रस्तुतीकरण, छात्रों को प्रतिपुष्टि (Feadback) ट्रेने, विविध पाठ्यक्रमों को दोहराने में C.C. TV का प्रयोग किया जा सकता है।

शिक्षा के क्षेत्र में बन्द परिपथ दूरदर्शन का उपयोग निम्नवत् है।

(i) कक्षा एवं कक्षा के बाहर शैक्षिक कार्यक्रमों को प्रसरित करने में।

(ii) कठिन, जटिल तथा संदेहास्पद तथ्यों विचारों घटनाओं के सरलतम एवं व्यावहारिक प्रस्तुतीकरण में।

(iii) विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त शिक्षण के स्वरूप गुण-दोष के मूल्यांकन में

(iv) शिक्षकों को स्वतन्त्र मौलिक चिन्तन का अवसर प्रदान करने में।

(v) यथार्थ जानकारी एवं कौशल के विकास में

(vi) छात्रों को पृष्ठपोषणा एवं प्रेरणा प्रदान करने में।

(vii) विभिन्न पाठ्यक्रमों एवं क्रियाओं की पुनरावृत्ति करने में।

(iv) उपग्रह निर्देशित दूरदर्शन (Satellite Instruction Television) S.I.T- आज देश- विदेश में विविध नामों जैसे स्टार टीवी, अलजजीरा, पाक टीवी, डी डी. एक. डी. डी. 2, मैट्रो चैनल आदि से जो दूरदर्शन में स्थायित्व प्राप्त दुरदर्शन चैनल है इन सबका प्रसारण उपग्रह द्वारा ही किया जा रहा है। इस प्रकार के दूरदर्शन का सर्वप्रथम प्रयोग 1965 में यूनेस्कों (UNESCO) ने किया था। यह दूरदर्शन केवल शिक्षाप्रद कार्यक्रमों का ही प्रसारण नहीं करता, अपितु जीन के सभी क्षेत्रों से सम्बन्धित कार्यक्रमों का यह प्रसारण करता है। इस दूरदर्शन में उपग्रह के माध्यम से टेलीविजन संकेतों का प्रसारण किया जाता है। इन सकतों को जमीन पर लगे डिश-डिश एंटीना की सहायता से ग्रहण करके केबलों के माध्यम से विविध टी. वी. सेटों तक पहुंचाया जाता है। ये उपग्रह भूमध्यम रेखा के ऊपर 3600 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाते हैं।

(v) डायरेक्टर टू होम दूरदर्शन (Direct to Home Television-D.T.H.TV) – यह दूरदर्शन के नवीन आविष्कारों में डायरेक्टर टू होम दूरदर्शन अर्थात् सीधे घर के अन्दर टीवी प्रसारण मुख्य है। इस दूरदर्शन का प्रसारण उच्चता आधारित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके मल्टी चैनलों एवं डिश एन्टीना की मदद से बिना किसी केबल आपरेटर का सहयोग लिए उपग्रह के माध्यम से सीधे घर के अन्दर टी. वी. पर देखे जा सकते हैं। मनचाहे टीवी स्टेशनों द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों का रसास्वादन कराने में यह दूरदर्शन अत्यन्त उपयोगी है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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