शैक्षिक तकनीकी / Educational Technology

श्यापट्ट लेखन कौशल | श्यामपट्ट प्रयोग कौशल के घटक | श्यामपट्ट से प्राप्त होने वाले उद्देश्य | श्यामपट्ट प्रयोग में सावधानियाँ | श्यामपट्ट का प्रभावपूर्ण प्रयोग करने के कौशल

श्यापट्ट लेखन कौशल | श्यामपट्ट प्रयोग कौशल के घटक | श्यामपट्ट से प्राप्त होने वाले उद्देश्य | श्यामपट्ट प्रयोग में सावधानियाँ | श्यामपट्ट का प्रभावपूर्ण प्रयोग करने के कौशल | text writing skills in Hindi | Components of blackboard usage skills in Hindi | Objectives to be achieved from the blackboard in Hindi | Precautions in using blackboard in Hindi | Skills to use the blackboard effectively in Hindi

श्यापट्ट लेखन कौशल

(Skills of Black Board Writing)

महत्व- ब्लैकबोर्ड के बिना शिक्षण अधिगम की कल्पना नहीं की जा सकती। सी.एल. भल्ला ने अपनी पुस्तक ‘Audio Visual Aids in Education’ में इसका इस प्रकार महत्व बताया है, श्यामपट्ट शिक्षण संस्था में उतना ही आवश्यक है जितने डेस्क, रजिस्टर, कुर्सियां तथा अन्य वस्तुएं। यह शिक्षा का सबसे सस्ता तथा महत्वपूर्ण साधन है। यह शिक्षण का अभिन्न अंग है।’’

प्रोफेसर स्ट्रक के विचार में, “अध्यापक और छात्र द्वारा श्यापट्ट को प्रयुक्त विधा समझना चाहिए, क्योंकि अध्यापक इसकी सहायता से निर्देश देता है और बालक अभिव्यक्ति।”

कभी-कभी कहा जाता है कि श्यामपट्ट अन्धे की लकड़ी की भाँति शिक्षक का शिक्षण में एकमात्र सहारा है।

विद्युत के चमत्कारों के युग में भी श्यामपट्ट का सार्वभौमिक महत्व है। यह दृश्य साधनों में एक ऐसा साधन है जो समस्या के समाधान के लिए हर प्रकार से प्रयोग में लाया जा सकता हैं। प्रत्येक अध्यापक अपनी आवश्यकतानुसार इसका अनेक प्रकार से लाभ उठा सकता है। इस पर हर प्रकार के ग्राफ, मानचित्र, चार्ट बन सकते हैं, ड्राइंग की जा सकती है तथा इसका सुलेख के लिए प्रयोग किया जा सकता है। सफेद चाक के अतिरिक्त विज्ञान तथा सामाजिक ज्ञान जैसे विषयों में रंगीन चाक का प्रयोग करके प्रभावोत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। यद्यपि यह सस्ता है, इसको बनाये रखना बहुत सरल है इसको अनेक प्रकार से काम में लाया जा सकता है, तथापि अध्यापकों का पूरा ध्यान इसकी प्रभावोत्पादकता की ओर नहीं गया। यदि इसका उचित प्रयोग किया जाये तो यह सब बच्चों के ध्यान का केन्द्र बन सकता है। चाक तथा श्यामपट्ट, अध्यापक के शक्तिशाली तथा प्रभावशाली साधन हैं।

श्यामपट्ट प्रयोग कौशल के घटक

(Components of Skills of Using Blackboard)

श्यामपट्ट प्रयोग कौशल के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं-

  1. श्यामपट्ट पर लिखे अक्षरों की स्पष्टता (Legibility)।
  2. श्यामपट्ट कार्य में स्वच्छता (Neatness in Blackboard Work ) ।
  3. अक्षरों का सीधा होना।
  4. अक्षरों का सीधी रेखा में होना।
  5. 5. श्यामपटट् पर समानान्तर पंक्तियाँ।
  6. शब्दों तथा अक्षरों के बीच में समुचित स्थान का होना।
  7. अक्षरों के आकार का कक्षा के अनुरूप होना।
  8. पाठ से सम्बन्धित बातों को क्रमबद्ध ढंग से लिखना।
  9. अनावश्यक बातों को मिटाना।
  10. सभी बिन्दुओं (Points) को निरन्तरता से लिखा जाना।
  11. मुख्य बिन्दुओं को रेखांकित (Underline) करना।
  12. आवश्यकतानुसार रेखाचित्र बनाना।
  13. आवश्यकतानुसार रंगीन चाकों का प्रयोग।
  14. रेखाचित्रों की स्पष्टता और सुन्दरता।
  15. श्यामपट्ट कार्य का कक्षा में औचित्य

श्यामपट्ट से प्राप्त होने वाले उद्देश्य (Objectives of Merits of Black Board)

कक्षा में श्यामपट्ट निम्नलिखित उद्देश्यों को सिद्ध कर सकता है-

  1. बच्चों के ध्यान को आकर्षित करता है- बच्चों के ध्यान को आकर्षित करने में सहायता देता है। अध्यापक पाठ के सभी महत्वपूर्ण अंशों को श्यामपट्ट पर लिखता जाता है। बच्चों जो कुछ कान से सुनते हैं उसे श्यामपट्ट पर देखकर ग्रहण करते हैं।
  2. पाठ को दोहराने में सहायता देता है- पाठ के मुख्य अंश श्यामपट्ट पर लिखने के पश्चात् उसे सफलतापूर्वक दोहराया जा सकता है। श्यामपट्ट से पाठ की पुनरुक्ति भी बहुत सरल हो जाती है क्योंकि पाठ के मुख्य-मुख्य अंश तो पहले ही इस पर लिखे होते हैं।
  3. श्यामपट्ट कठिन अंशो की व्याख्या में भी बहुत सहायक सिद्ध होता है- पाठ में कई ऐसे शब्द या अंश आ जाते हैं जिन्हें श्यामपट्ट की सहायता से अधिक सरलतापूर्वक तथा अच्छी प्रकार से समझाया जा सकता है।
  4. अध्यापक में विभिन्नता लाता है- श्यामपट्ट बच्चों को सुनते ही रहने तथा अध्यापक को केवल बोलते ही रहने की नीरस क्रिया से छुटकारा दिलाता है। यह अध्यापक को क्रियाशीलता का अवसर देता है। अतः श्यामपट्ट नीरसता को दूर करने में सहायक होता है।
  5. यह बच्चों को सीखने में सहायता देता है- बच्चे अध्यापक के सुन्दर लेख की नकल करके अपने लेख को सुन्दर बनाते हैं। इसी उद्देश्य के लिए श्यामपट्ट का सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।
  6. रुचि पैदा करता है- श्यामपट्ट बच्चों की श्रव्य इंद्रियों के प्रयोग के साथ दृश्य इंद्रियों को व्यस्त रखकर पाठ में रुचि का विकास करता है।
  7. अनुशासन में सहायक होता है- कोरा भाषण पाठ को नीरस बना देता है। श्यामपट्ट का प्रयोग अनुशासन बनाए रखता है।

श्यामपट्ट प्रयोग में सावधानियाँ

(Precautions of Using Blackboard)

श्यामपट्ट के प्रयोग में निम्नलिखित सावधानियों का प्रयोग किया जाना चाहिए-

  1. श्यामपट्ट पर लिखने से पहले यह देख लेना चाहिए कि श्यामपट्ट की स्थिति कैसी है?
  2. श्यामपट्ट पर प्रकाश उचित ढंग से पड़े।
  3. श्यामपट्ट अधिक चिकना न हो।
  4. शिक्षक के पास चॉक पर्याप्त मात्रा में हों।
  5. श्यामपट्ट पर लिखते समय शिक्षक को एक तरफ खड़े होकर लिखना चाहिए। छात्रों की ओर पीठ रखना अनुचित होगा।
  6. चॉक पर अधिक दबाव देकर नहीं लिखना चाहिए अन्यथा चॉक टूट जाएगा।
  7. श्यामपट्ट पर यदि चॉक लिखे न या किर-किर की आवाज करे तो आगे से थोड़ा चॉक तोड़ लेना चाहिए।
  8. श्यामपट्ट पर लिखते समय कक्षा की ओर भी ध्यान देते रहना चाहिए।
  9. श्यामपट्ट पर अक्षर मिटाने के लिए हाथ की उंगली का प्रयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि अपने पास एक झाड़न (Duster) रखना आवश्यक है, क्योंकि हाथ या उँगली से मिटाने से श्यामपट्ट पर चॉक के निशान रह जाते हैं।
  10. श्यामपट्ट पर अशुद्धियाँ नहीं होनी चाहिए।
  11. श्यामपट्ट पर लिखने के बाद चॉक को हाथ में नहीं रखना चाहिए।
  12. झाड़न का प्रयोग इस तरह से करें कि चॉक के कण सारे कमरे में न फैलें।

श्यामपट्ट के लिए उचित स्थान (Proper Place of the Black Board)

श्यामपट्ट ऐसे स्थान पर रखा जाए कि प्रत्येक विद्यार्थी इसे आसानी से देख सके। यह कदापि भी खिड़की में नहीं रखना चाहिए। न ही इसका पिछला भाग रोशनी की तरफ होना चाहिए, अन्यथा इसका लिखने का भाग अंधेरे की ओर होगा और उस पर से पढ़ाना आँखों के लिए हानिकारक हो सकता है।

ऊँचाई- इसकी ऊंचाई बच्चों के अनुसार 27 या 31 इंच के बीच होनी चाहिए। इसकी चौड़ाई चार फुट होनी चाहिए।

रंग- इसका रंग काला अथवा हरा होना चाहिए जिस पर चिकनाई बिल्कुल भी न हो अन्यथा इसका प्रभाव बच्चों की आँखों पर बहुत बुरा पड़ेगा।

श्यामपट्ट की सफाई- श्यामपट्ट को साफ करने के लिए झाड़न नमीदार होना चाहिए अन्यथा इसका चूर्ण साँस द्वारा शरीर में प्रवेश कर जाएगा जिससे कभी-कभी क्षय रोग भी हो सकता है।

श्यामपट्ट का प्रभावपूर्ण प्रयोग करने के कौशल (Skills in the Efficient Use of Black Board)-

श्यामपट्ट का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  1. जब नया पाठ आरम्भ किया जाये तो अध्यापक यह देखे कि श्यामपट्ट पर पूर्व पठित पाठ के अंश तो नहीं हैं अन्यथा वे बच्चों के ध्यान को बाँट देंगे। जब पाठ समाप्त हो जाए तो श्यामपट्ट तुरन्त साफ कर देना चाहिए।
  2. श्यामपट्ट पर जहाँ तक संभव हो सके साफ-साफ तथा मोटा-मोटा लिखा जाए।
  3. श्यामपट्ट-लेख इस प्रकार से आयोजित किया जाये कि उसमें पाठ के क्रम को ही अपनाया जाये। अर्थात् पाठ जिस क्रम से बढ़े उसी क्रम से उसके अंश भी श्यामपट्ट पर लिखे जायें।
  4. पाठ का सांरांश संक्षिप्त हो तथा उसमें से केवल आवश्यक अंश ही श्यामपट्ट पर लिखे जाए।
  5. श्यामपट्ट पर सीधी पंक्तियों में लिखना चाहिए।
  6. अध्यापक इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उसके लेख में अशुद्धियों न हों, क्योंकि इसका बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
  7. श्यामपट्ट पर लिखते समय अध्यापक बच्चों पर भी यदा-कदा दृष्टि रखे और अनुशासन को बिगड़नेन दें।
  8. अध्यापक श्यामपट्ट के बिल्कुल निचले हिस्से पर न लिखें।
  9. 9. श्यामपट्ट पर लिखते समय अध्यापक एक ओर खड़ा हो ताकि बच्चों को श्यामपट्ट देखने में बाधा न आये।
  10. अध्यापक को थोड़ी-बहुत ड्राइंग भी आती हो तथा श्यामपट्ट पर इसका प्रयोग किया जाये।
  11. श्यामपट्ट को हाथ से साफ नहीं करना चाहिए।
  12. जो बच्चे पिछली बेंचों पर बैठे हों वे भी श्यामपट्ट पर लिखे हुए को पढ़ सकें।
  13. साधारण सफेद चाक प्रयोग में लाना चाहिए, परन्तु विशेष अंशों पर बल देने के लिए रंगीन चाक भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
  14. कमजोर नजर वाले बच्चों को आगे बिठाया जायें।

श्यामपट्ट अध्यापक का सच्चा मित्र और सहायक है। यह एक ऐसा साधन है जो पाठ को सजीव बनाता है। श्यामपट्ट के बिना श्रेणी की कल्पना अधूरी है। यह बात निर्विवाद-सी है कि वह अध्यापक कभी सफल नहीं हो सकता जिसे श्यामपट्ट लेखन कला नहीं आती शिक्षण में शिक्षक की सफलता का एक बहुत बड़ा रहस्य है श्यामपट्ट लेखन कला में पूर्ण कौशल।

श्यामपट्ट प्रयोग कौशल के घटक

(Components of Blackboard Skill)

  1. श्यामपट्ट पर लिखे अक्षर स्पष्ट थे।
  2. श्यामपट्ट कार्य स्वच्छ था।
  3. अक्षर सीधे थे।
  4. अक्षर सीधी रेखा में थे।
  5. पंक्तियाँ समानान्तर थीं।
  6. शब्दों तथा अक्षरों के बीच समुचित स्थान था।
  7. अक्षरों का आकार कक्षा के अनुरूप था।
  8. पाठ से सम्बन्धित विन्दुओं को क्रमबद्ध ढंग से लिखा गया।
  9. सभी बिन्दुओं (Points) को निरन्तरता से लिखा गया।
  10. अनावश्यक बातों को मिटा दिया गया।
  11. मुख्य बिन्दुओं को रेखांकित (Underline) किया गया।
  12. आवश्यकतानुसार रेखाचित्र बनाए गए।
  13. आवश्यकतानुसार रंगीन चॉकों का प्रयोग किया गया।
  14. रेखाचित्र स्पष्ट और सुन्दर थे।

ये श्यामपट्ट कार्य का कक्षा में औचित्य था।

श्यामपट्ट लेखन कौशल का विश्लेषण (Analysis of Skill of Black Board Writing)

  1. क्या श्यामपट्ट को उचित स्थान पर रखा गया?
  2. क्या श्यामपट्ट पर अध्यापक का लेख पढ़ा जाता था?
  3. क्या श्यामपट्ट पर अध्यापक की विषय सामग्री की भाषा शुद्ध थी?
  4. क्या श्यामपट्ट ऐसे स्थान पर था जहाँ से सभी छात्र देख सकते हो?
  5. क्या पाठ की मुख्य बातों को श्यामपट्ट पर लिखा गया है?
  6. क्या श्यामपट्ट पर लिखाई सीधी पंक्तियों में थीं?
  7. क्या श्यामपट्ट पर अध्यापक ने निचले हिस्से पर तो नहीं लिखा?
  8. क्या अध्यापक ने झाड़ से श्यामपट्ट साफ किया? हाथ से तो नहीं।
  9. क्या विशेष अंशों पर बल देने के लिए अध्यापक ने रंगीन चाक का प्रयोग किया ?
  10. क्या अध्यापक ने कमजोर नजर वाले छात्रों का आगे बैठाया?
  11. क्या अध्यापक की दृष्टि कक्षा के छात्रों पर भी थी जब वह श्यामपट्ट पर लिखता था?
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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