
उत्तर प्रदेश के अल्प विकास के कारण | उत्तर प्रदेश के विकास की समस्यायें
उत्तर प्रदेश के अल्प विकास के निम्नलिखित कारण हैं-
कृषि विकास सम्बन्धी समस्यायें-
उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है। उत्तर प्रदेश में 13.15 करोड़ जनसंख्या ग्रामों में निवास करती है। उत्तर प्रदेश में कृष क्षेत्रों का अध्ययन करने पर यह पता चलता है कि यहाँ पर 60 प्रतिशत कृषि प्राचीन एवं परम्परागत ढंग से आज भी की जा रही है और केवल 40 प्रतिशत कृषि ही आधुनिक तकनीकी से की जा रही है। यही कारण हैं कि कृषि उत्पादन अधिक नहीं हो पा रहा हैं।
व्यापार सम्बन्धी समस्यायें-
किसी भी प्रदेश का आर्थिक विकास उसकी व्यापारिक क्रियाओं पर निर्भर करता है। अतः तकनीक के माध्यम से व्यापारिक क्रियाओं को तीव्र करना चाहिए। उत्तर प्रदेश में व्यापारिक क्रियाओं को तीव्र करने के लिए अनेकों महत्वपूर्ण प्रयोग किये गये हैं।
खनिज सम्बन्धी समस्याएँ-
उत्तर प्रदेश में खनिजों का अभाव है, जिसमें चुना पत्थर, जिंक, ग्रेनाइट, मार्बल, सीसा, सोपस्टोन, डोलोनाइट एवं जिप्सम आदि बहुत कम मात्रा में पाये जाते हैं। खनिजों की ओर ध्यान देने पर यह पता चलता है कि इसके विकास की भी अत्यन्त आवश्यकता है। अत: इसके विकास के लिए खनिज क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए तथा उद्योगों को कच्चे माल की पूर्ति की जानी चाहिए।
कृषि की समस्यायें-
उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य हैं। उत्तर प्रदेश में 15.16 करोड़ जनसंख्या ग्रामों में निवास करती हैं। उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्रों का अध्ययन करने पर यह पता चलता है कि यहाँ पर 60 प्रतिशत कृषि प्राचीन एवं परम्परागत ढंग से आज भी की जा रही है और केवल 40 प्रतिशत कृषि ही आधुनिक तकनीकी से की जा रही है। यहीं कारण है कि कृषि उत्पादन अधिक नहीं हो पा रहा है।
उत्तर प्रदेश में विकास की आवश्यकता इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है। भारत में कृषि उत्पादन कार्य 18585 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में हो रहा है। जिसमें 27.42 प्रतिशत भूमि नहरों द्वारा 67.15 प्रशित भूमि ट्यूबवेल द्वारा एवं 7.45 प्रतिशत भूमि तालाबों द्वारा सींची जाती है।
औद्योगिक विकास की समस्यायें-
उत्तर प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तृत अध्ययन करने पर यह पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के इन क्षेत्रों में सबसे बड़ी कठिनाई वित्त की हैं। इसके साथ ही साथ कच्चे माल का अभाव, ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक वातावरण का सृजन न होना, औद्योगिक विवाद हैं। माल विक्रिय के लिए बाजारों का अभाव, प्रदेशवासियों में उद्यमी बनने की प्रेरणा का अभाव, प्रतिव्यक्ति आय की कमी एवं व्यापारियों का शोषण आदि ऐसी अनेकों समस्यायें हैं, जिसके कारण उत्तर प्रदेश का औद्योगिक विकास अवरूद्ध हो रहा है।
अन्य समस्यायें-
उपरोक्त समस्याओं के अतिरिक्त प्रदेश में अनेकों क्षेत्रों जैसे-समाज कल्याण, परिवार कल्याण, श्रम कल्याण, शिल्प उद्योग एवं मत्स्य पालन उद्योग के साथ-साथ अल्पसंख्यकों में अनेकों समस्यायें उपलब्ध हैं, जिसके विकास की ओर राज्य सरकार को शीघ्र ही ध्यान देना होगा।
उ0 प्र0 के विकास की रणनीति में सर्वप्रथम औद्योगिक विकास हेतु वित्तीय वर्ष 1999-2000 में निम्न ‘ व्यूह रचना’ घोषित हुई-
- प्रदेश की प्रथम “सूचना प्रौद्योगिकी नीति” प्रथम “फिल्म नीति” घोषित की गई।
- औद्योगिक स्वीकृतियों तथा अनुमोदनों हेतु “एकल मेज ” की नवीन व्यवस्था प्रारम्भ हुई।
- प्रदेश के निवेशकों के लिए ‘वी0आई0पी0’ गोल्ड कार्ड, एवं V.I. P. Green Card व्यवस्था लागू की गई।
- प्रदेश की सीमाओं पर व्यापार कर की चौकियाँ समाप्त करके औद्योगिक इकाइयों हेतु ‘ग्रीन चैनल’ की सुविधा घोषित हुई।
- निर्यात प्रोत्साहन हेतु निर्यातित माल में प्रयुक्त कच्चे माल एवं पैकिंग मैटेरियल पर छूट दी गई, जिससे निर्यातक प्रोत्साहित हों।
- प्रदेश में बन्दरगाह दूर हैं, अतः निर्यातकों के माल को ‘परिवहन क्षतिपूर्ति’ सुविधा दी गई।
- निर्यातकों को अन्तर्राष्ट्रीय बाजार के उत्पादनों के प्रचार-प्रसार पर “विपणन विकास सहायता” की सुविधा दी गई।
- लघु उद्योगों के लिए स्थापित औद्योगिक आस्थानों की अवस्थापना सुविधाओं के रख-रखाव एवं विकास के लिए धनराशि चार गुनी राज्य सरकार की ओर से देने का निर्णय किया गया।
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