अर्थशास्त्र / Economics

भारत में सामाजिक सुरक्षा की दिशा में उठाये गये कदम | Steps taken towards social security in India in Hindi

भारत में सामाजिक सुरक्षा की दिशा में उठाये गये कदम | Steps taken towards social security in India in Hindi

भारत में सामाजिक सुरक्षा की दिशा में उठाये गये कदम-

वर्तमान में श्रम सुरक्षा के लिए निम्नलिखित अधिनियम लागू हैं-

श्रमिक क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923-

भारत में श्रम सुरक्षा की दिशा में यह पहला प्रयत्न था, जबकि क्षतिपूर्ति अधिनियम वर्ष 1923 में पारित कर लागू किया गया। यदि कोई श्रमिक कार्य करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है और जिसमें उसकी मृत्यु हो जाती है या वह पूर्णतः या आंशिक रूप से कार्य करने के अयोग्य हो जाता है तो उसके या उसके आश्रितों को इस अधिनियम के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति करने की व्यवस्था है।

1984 इस अधिनियम में संशोधन किया गया जिसके अनुसार स्थायी अयोग्यता होने पर न्यूनतम 90.000रुपये व अधिकतम 4 लाख 56 हजार रुपये मिलेंगे यदि ड्यूटी पर तैनात होते हुए मृत्यू हो जाती है तो क्षतिपूर्ति की न्यूनतम रकम 80,000 रुपये व अधिकतम 5 लाख 48 हजार रुपये होगी इसमें क्षतिपूर्ति की दरें कर्मचारी की उम्र के आधार पर निर्धारित की गयी हैं।

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम में केन्द्र और राज्य सरकारों के अन्तर्गत अनुसूचित रोजगारों में नियोाजित श्रमिकों की मजदूरी के निर्धारण, समीक्षा, संशोधन और न्यूनतम मजदूरी लागू करने की व्यवस्था है।

वेतन भुगतान अधिनियम, 1936-

यह अधिनियम उद्योगों में कार्यरत कुछ विशेष वर्गों के कर्मचारियों के वेतन भुगतान को नियमित करने के लिए बनाया गया था। इसका उद्देश्य वेतन में गैर-कानूनी कटौती अथवा भुगतान के अकारण देरी से उठे विवाद को तेजी से निपटाना है। वर्तमान में यह अधिनियम 1,600 रुपये प्रति माह से कम मजदूरी पाने वालों पर ही लागू होता है।

बोनस भुगतान (संशोधन ) अधिनियम, 2007

इस अधिनियम में कर्मचारियों को कानून द्वारा परिभाषित बोनस का भुगतान करने का प्रावधान है। कानून के अनुसार ‘कर्मचारी’ से तात्पर्य वेतन या मजदूरी पर नियुक्त ऐसे कर्मचारी से है जो भाड़े या पुरस्कार के रूप में किसी उद्योग में 10,000 रुपये मासिक से अधिक वेतन या मजदूरी न पाता हो, आधार पर बोनस दिया जाएगा।

कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 –

यह अधिनियम उन सभी गैर- मौसमी कारखानों पर लागू होता है, जिसमें विद्युत के साथ (With power) 10 या इससे अधिक श्रमिक कार्य करते हैं या बिना विद्युत के 20 या इससे अधिक श्रमिक कार्य करते हैं। यह अधिनियम सिनेमाघरों, दुकानों, होटलों, मोटर परिवहन प्रतिष्ठान, समाचार-पत्र प्रतिष्ठान आदि पर लागू होता है। इस अधिनियम के अन्तर्गत उन कर्मचारियों को लाभ मिलता है, जिनका वेतन 15,000 रुपये मासिक से अधिक नहीं है । इस अधिनियम के अधीन कर्मचारियों को यह लाभ मिलते हैं-

(i) बीमारी लाभ- यदि श्रमिक 2 दिन से अधिक बीमार पड़ता तो 2 दिन के बाद 91 दिन तक उसको औंसत मासिक मजदूरी के लगभग आधे के बराबर भक्ता दिया जाता है।

(ii) प्रसूति लाभ- महिला श्रमिको को प्रसूति भक्ता 12 सप्ताह तक का दिया जाता है, जो प्रसव के लगभग 6 सप्ताह पूर्व पूर्व व 6 सप्ताह बाद हो सकता है। (iii) अयोग्यता- जो लाभ श्रमिक के स्थायी रूप से अयोग्य होने पर उसकी औसत मजदूरी का 70 प्रतिशत भाग पेन्शन के रूप में जीवन-पर्यन्त मिलने की व्यवस्था है। (iv) आश्रित लाभ- यदि कारखाने में कार्य करते समय श्रमिक की किसी दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो उसके आश्रितों को भत्ता इस प्रकार दिया जाता है : श्रमिक की विधवा को जीवन-पर्यन्त श्रमिक के आधे औसत वेतन का 2 / 5 भाग, प्रत्येक पुत्र को 15 वर्ष की आयु तक आधे औसत वेतन का 2 / 5 भाग।

चिकित्सा सुविधा- प्रत्येक श्रमिक व उसके परिवार को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा दी जाती है।

मार्च 2008 में इस अधिनियम के अन्तर्गत 144 ESI अस्पताल, 42 एनेक्सीज, 1,397 ESI डिस्पेन्सरीज तथा 1,753 क्लीनिक कार्यरत थे। कुल 27,727 पलंगों की सुविधा उपलब्ध थी। कुल बीमित व्यक्तियों की संख्या 1,21 करोड़ थी, जिनमें 20.09 लाख महिलाएँ थी। योजना के अन्तर्गत लाभार्थियों की कुल संख्या 468.33 लाख थी।

कोयला खान भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1947 –

यह योजना जम्मू एवं कश्मीर राज्य को छोड़कर समस्त भारत की कोयला खानों पर अनिवार्य रूप से लागू है। इस योजना के अन्तर्गत कोयला खानों के नियमित श्रमिक या ठेके पर कार्य करने वाले श्रमिक आते हैं, जिन्होंने तीन महीनों में 60 दिन तक खान के बाहरी हिस्से में या 48 दिन तक खान के भीतरी हिस्से में कार्य किया हो। इस योजना में भविष्य निधि बनायी गयी है, जिसमें प्रत्येक श्रमिक कुल वेतन का 8 प्रतिशत जमा करता है।

खान मालिक द्वारा भी इतनी ही राशि इस कोष में जमा की जाती है। यदि श्रमिक चाहे तो इस कोष में अपना हिस्सा 8 प्रतिशत से भी अधिक दे सकता है, लेकिन मालिकों का हिस्सा 8 प्रतिशत तक ही सीमित होता है। यदि नौकरी के मध्य किसी श्रमिक की मृत्यु हो जाती है तो उस श्रमिक के परिवार को कुछ आर्थिक सहायता भी दी जाती है, जिसके लिए राहत कोष अलग से बनाया गया है।

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961-

इस अधिनियम में यह व्यवस्था है कि महिला श्रमिक के 160 दिन के सेवा काल के पूरा कर लेने पर 12 सप्ताह की छुट्टी वेतन पर दी जायेगी। इसके अतिरिक्त मालिक द्वारा 1,000 रुपये चिकित्सा भत्ते के रूप में और दिए जायेंगे। जब तक बच्चा 15 दिन का न हो जाय तब तक महिला श्रमिक को दिन में दो बार बच्चे को देखने के लिए कुछ समय की छुट्टी और दी जायेगी।

इस अधिनियम को 1963 से खानों पर भी लागू कर दिया गया है। यह अधिनियमं सभी कारखानों पर लागू होता है, जो कारखाना अधिनियम, 1948 तथा खान अधिनियम व बागान अधिनियम की परिधि के अन्तर्गत आते हैं, लेकिन यह अधिनियम कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत आने वाले कर्मचारियों को छोड़कर खानों, कारखानों, सर्कस, उद्योग और बागान तथा दुकानों और प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, जहाँ 10 या उससे अधिक व्यक्ति कार्य करते हैं । इस अधिनियम के अन्तर्गत आने के लिए कोई वेतन सीमा निर्धारित नहीं है।

कर्मचारी भविष्य निधि एवं प्रकीर्ण उपबन्ध अधिनियम, 1952-

यह अधिनियम उन कारखानों पर लागू होता है, जिनमें 20 या इससे अधिक श्रमिक कार्य करते हों। इस प्रकार के कारखानों के सभी श्रमिक एवं कर्मचारी इस भविष्य निधि के सदस्य होते हैं, जिनको कुल मिलाकर 6,500 रुपये से अधिक पारिश्रमिक (वेतन, महँगाई व अन्य भत्तों को मिलाकर) नहीं मिलता है। इस निधि में प्रत्येक श्रमिक कर्मचारी को अपने कुल वेतन का न्यूनतम 12 प्रतिशत भाग जमा करना पड़ता है तथा मालिक द्वारा भी उतनी ही रकम जमा करायी जाती है। इस निधि का उद्देश्य अवकाश प्राप्त करने के बाद वृद्धावस्था में श्रमिकों व कर्मचारियों के लिए धन की व्यवस्था करना है। मार्च 2008 में इस योजना के अन्तर्गत 5,32, 702 प्रतिष्ठान एवं फैक्ट्रियाँ शामिल थीं, जिनकी सदस्य संख्या 449.19 लाख थी।

उपरोक्त के अतिरिक्त मृत्यु सहायता कोष 1971, ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1947, बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधनियम 1976, जमा समृद्ध बीमा योजना 1976, सामाजिक सुरक्षा सर्टीफिकेट 1982 , व्यक्ति दुर्घटना बीमा विशेष सुरक्षा 1985, कर्मचारी पेंशन योजना 1995, राजीव गाधा श्रामक याजना 2005, आम आदमी बीमा योजना 2007, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा याजना 2007 एवं असगठित कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008 आदि अधिनियम लागू किये गये हैं।

अर्थशास्त्र महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimersarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

Leave a Comment

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
close button
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
error: Content is protected !!