विपणन प्रबन्ध / Marketing Management

वैयक्तिक विक्रय की विशेषताएँ | विक्रय संवर्द्धन की विशेषताएँ | विक्रय संवर्द्धन की सीमाएँ | “वैयक्तिक विक्रय मात्र विक्रय कला नहीं है।” स्पष्ट कीजिए।

वैयक्तिक विक्रय की विशेषताएँ | विक्रय संवर्द्धन की विशेषताएँ | विक्रय संवर्द्धन की सीमाएँ | “वैयक्तिक विक्रय मात्र विक्रय कला नहीं है।” स्पष्ट कीजिए। | Features of Personal Selling in Hindi | Features of Sales Promotion in Hindi | Limitations of Sales Promotion in Hindi | “Personal selling is not a mere selling art.” Explain in Hindi

वैयक्तिक विक्रय की विशेषताएँ

(Characteristics of Personal Selling)

वैयक्तिक विक्रय में निम्नलिखित विशेषतायें पायी जाती हैं –

  1. विक्रयकर्ता एवं ग्राहक के बीच प्रत्यक्ष सम्पर्क होता है।
  2. व्यक्तिगत रूप से वस्तुओं का विक्रय किया जाता है।
  3. वस्तु के गुणों का वर्णन मौखिक रूप से किया जाता है।
  4. इसमें व्यक्तिगत एवं सामाजिक व्यवहार दोनों का समावेश होता है।
  5. इसमें ग्राहक एवं विक्रयकर्ता एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।

विक्रय संवद्धन की विशेषताएँ

(Characteristics of Sales Promotion)

विक्रय संवर्द्धन की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. विक्रय संवर्द्धन में व्यक्तिगत विक्रय, विज्ञापन एवं प्रचार को सम्मिलित नहीं किया जाता।
  2. विक्रय संवर्द्धन की क्रियायें व्यवसाय की दैनिक क्रियायें नहीं होती, अपितु ये अनियमित क्रियायें होती हैं जो विक्रय में वृद्धि करने के लिए सम्पन्न की जाती है जैसे सजावट, तमाशें, नुमाइशें, क्रियात्मक प्रदर्शन, प्रतियोगिताओं का आयोजन, मौसमी छूट, मुफ्त उपहार आदि।
  3. विक्रय संवर्द्धन क्रियाओं से विज्ञापन और व्यक्तिगत विक्रय में सहायता मिलती है एवं इनको प्रभावी बनाया जाता है।
  4. विक्रय संवर्द्धन क्रियायें वितरकों को उत्पादों का अधिक विक्रय करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
  5. विक्रय संवर्द्धन की क्रियायें उपभोक्ताओं को उत्पादों को क्रय करने के लिए प्रेरित करती हैं।

विक्रय संवर्द्धन की सीमायें

(Limitations of Sales Promotion)

विक्रय संवर्द्धन बिक्री को बढ़ाने, नये बाजारों का विस्तार करने, मौसमी कमी को दूर करने, नयी वस्तु की जानकारी देने, मध्यस्थों को अधिक विक्रय करने तथा विक्रयकर्त्ता के लिए बिक्री आसान करने में सहायक होता है। लेकिन इन सबके होते हुए भी इसकी कुछ सीमाएँ हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  1. विक्रय संवर्द्धन कार्यक्रम केवल अल्पकाल के लिए ही बनाये जा सकते हैं, दीर्घकाल के लिए नहीं।
  2. अकेला विक्रय संवर्द्धन कुछ नहीं कर सकता, इसके साथ विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय भी आवश्यक है।
  3. विक्रय संवर्द्धन के द्वारा उत्पाद की कमियों को दूर नहीं किया जा सकता।
  4. विक्रय संवर्द्धन के द्वारा विज्ञापन कार्यक्रम सबन्धी दोषों को दूर नहीं किया जा सकता।

वैयक्तिक विक्रय मात्र विक्रय कला नहीं है।

(Personal Selling is not only Salesmanship)

वैयक्तिक विक्रय केवल विक्रय कला ही नहीं अपितु इससे भी कहीं अधिक है क्योंकि विक्रय कला के अन्तर्गत मानवीय इच्छाओं को मानवीय आवश्यकताओं में बदल कर वस्तु का संतोषजनक रूप से विक्रय किया जाता है अर्थात यह एक व्यक्तिगत सेवा है जो कि विक्रय कार्य के सम्बन्ध में समाज को प्रदान की जाती है जबकि व्यक्तिगत विक्रय के अन्तर्गत इन सभी विशेषताओं के अतिरिक्त प्राहकों को स्थायी बनाने, उनकी पसंद को उत्पादकों तक पहुँचाने, ग्राहकों को वस्तु की कार्यप्रणाली समझाने, विक्री का रिकार्ड रखने तथा अपने साथ विक्रेताओं को प्रशिक्षित करने आदि से सम्बन्धित क्रियायें भी की जाती हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि वैयक्तिक विक्रय विक्रय कला की अपेक्षा अधिक प्रभावपूर्ण विक्रय अस्त्र होता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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