विपणन प्रबन्ध / Marketing Management

संवर्द्धन मिश्रण से अभिप्राय | संवर्द्धन मिश्रण के संघटव | संवर्द्धन के स्वरूप

संवर्द्धन मिश्रण से अभिप्राय | संवर्द्धन मिश्रण के संघटव | संवर्द्धन के स्वरूप | Meaning of enrichment mix in Hindi | Composition of Enhancement Mixture in Hindi | forms of promotion in Hindi

संवर्द्धन मिश्रण से अभिप्राय

(Meaning of Promotion Mix)

‘संवर्द्धन मिश्रण’ या ‘संवर्द्धन’ शब्द बहुत ही व्यापक शब्द है तथा इसमें विपणन संचार की अनेक क्रियाएँ सम्मिलित हैं। यह शब्द ‘विक्रय संवर्द्धन’ शब्द से भी व्यापक है। इतना ही नहीं, ‘संवर्द्धन मिश्रण’ या ‘संवर्द्धन’ में ‘विक्रय संवर्द्धन’ भी सम्मिलित हैं। संवर्द्धन मिश्रण की मुख्य परिभाषायें निम्नलिखित हैं

कोटलर तथा आर्मस्ट्रांग (Kotler and Armstrong) के अनुसार, “संवर्द्धन मिश्रण विज्ञापन, व्यक्गित विक्रय, विक्रय संवर्द्धन तथा जन सम्पर्क का एक विशिष्ट मिश्रण है जिससे एक संस्था अपने विज्ञापन एवं विपणन उद्देश्यों को पूरा करती है।”

प्राइड तथा फैरेल (Pride and Ferrele) के अनुसार, “संवर्द्धन से तात्पर्य व्यक्तियों, समूहों या संगठनों से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से संदेशों को आदान प्रदान करने की सुविधा प्रदान करना है ताकि लोगों को संस्था के उत्पादों के क्रय हेतु प्रेरित किया जा सके।”

स्टेन्टन (Stanton) के अनुसार, “संवर्द्धनात्मक मिश्रण व्यक्तिगत विक्रय, विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन, जन सम्पर्क तथा प्रचार का संयोजन है जो संस्था के विपणन उद्देश्यों को प्राप्त करने की नियत से बनाया गया है।”

निष्कर्ष रूप में संवर्द्धन मिश्रण या संवर्द्धन से तात्पर्य उन सभी क्रियाओं से है जिनसे किसी संस्था तथा उसके उत्पादों के प्रति ग्राहकों एवं भावी ग्राहकों में अनुकूल एवं सम्मोहक विचार उत्पन्न किये जाते हैं। इसके अन्तर्गत विज्ञापन, व्यक्तिगत विक्रय, विक्रय संवर्द्धन, प्रचार, जन सम्पर्क आदि सभी क्रियाएँ सम्मिलित हैं।

संवर्द्धन मिश्रण के संघटव

(Components of Promotional Mix)

अथवा

संवर्द्धन के स्वरूप

(Forms of Promotion)

विपणन संचार सम्मिश्रण से आशय विपणन सम्बन्धी सूचनाएँ देने वाले साधनों के सम्मिश्रण से है, जबकि संवर्द्धन से तात्पर्य क्रेताओं के ध्यान को आकर्षित करने, उन्हें सूचनाएँ देने, याद दिलाने या अनुनय से लगाया जाता है। इस प्रकार दोनों शब्दों का एक ही अर्थ है। दोनों में सूचनाएँ दी जाती हैं, जिससे कि क्रेता क्रय करने के लिए लालायित हो । विपणन संचार सम्मिश्रण के स्थान पर कुछ विद्वानों से संवर्द्धन सम्मिश्रण शब्द का ही प्रयोग किया है। अतः यह दोनों शब्द एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं। सवर्द्धन सम्मिश्रण या विपणन संचार सम्मिश्रण के प्रमुख अंग या संघटक निम्नलिखित हैं-

  1. विक्रय संवर्द्धन (Sale Promotion)- विक्रय संवर्द्धन में व्यक्तिगत विक्रय, विज्ञापन तथा प्रचार के अतिरिक्त वे सब क्रियाएँ आती हैं, जो क्रेता एवं विक्रेता की तत्परता को प्रेरित करती हैं। जैसे- सजावट तमाशें एवं नुमाइशें, प्रदर्शन तथा विभिन्न अनैत्यक विक्रय प्रयन्त जो साधारण जीवन में नहीं किये जाते हैं।
  2. वैयक्तिक विक्रय (Personal Selling)- वैयक्तिक विक्रय में एक विक्रेता मौखिक रूप में वस्तु की विशेषताओं को उन व्यक्तियों को बताता है जो ग्राहक तो नहीं हैं, लेकिन यदि उनको प्रभावित कर लिया जाता है तो वे ग्राहक बन सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को सम्भावित प्राहक कहा जाता है इस प्रकार एक या एक से अधिक सम्भावित ग्राहकों के साथ बिक्री करने के उद्देश्य से वार्तालाप में वस्तु की विशेषताओं को मौखिक रूप में प्रस्तुत करना वैयक्तिक विक्रय कहलाता है। सर्वर्द्धन के अंगों में वैयक्तिक विक्रय भी एक अंग है।
  3. विज्ञापन (Advertising)-विज्ञापन का अर्थ एवं परिचय प्राप्त प्रतिपादक द्वारा विचारों, वस्तुओं या सेवाओं का अवैयक्तिक प्रस्तुतीकरण व प्रवर्तन करने के ढंग से है जिसका भुगतान किया जाता है। इस प्रकार विज्ञापन प्रस्तुतकीकरण का ढंग है। उसमें व्यय होता है, जिसका भुगतान करना पड़ता है। इसके बहुत से साधन हैं- जैसे समाचार पत्र, डाक द्वारा विज्ञापन, बाह्य विज्ञापन, रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा व सिनेमा- स्लाइड, मेले व प्रदर्शनियाँ आदि।
  4. प्रचार (Publicity)- इसके अन्तर्गत निर्माता द्वारा वस्तु या सेवा के बारे में समाचार निकलवाये जाते हैं या किसी अन्य प्रकार से अनुकूल वातावरण बनाया जाता है, लेकिन इसके लिए कोई भुगतान नहीं करना पड़ता है और यह अवैयक्तिक होता है।
  5. जन सम्पर्क (Public Relation)- जन सम्पर्क भी संवर्द्धन या संचार सम्मिश्रण का एक स्वरूप है जिसके अन्तर्गत संस्था की एक चमकदार छवि बनाने का प्रयास किया जाता है। इससे संस्था की ख्याति बढ़ती है जो विक्रय वृद्धि में सहायक होती है।
  6. क्रय स्थान पर प्रदर्शन (Point of Purchase Display)- यह प्रदर्शन सामान्यतया निर्माता या विक्रेता द्वारा किया जाता है। यह एक पूरक विक्रयकर्ता की तरह है जो क्रेताओं को अपनी ओर आकर्षित करता है और उन्हें क्रय का निर्णय लेने में सहायक होता है। यह तरीका टेलीविजन या मोटरकार जैसी उपभोक्ता वस्तुओं में काफी पाया जाता है।
  7. पैकेजिंग (Packaging)- पैकेजिंग भी लोगों के ध्यान को आकर्षित करता है और अन्य वस्तुओं से भिन्नता उत्पन्न करता है। इसमें जो सूचनाएँ व अन्य आवश्यक बातें होती हैं वे क्रेता को क्रय करने के लिए उत्साहित करती हैं। यह एक प्रकार से छपे विज्ञापन की तरह कार्य करता है।
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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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