विपणन संगठन की मुख्य विशेषताएँ | विपणन संगठन के उद्देश्य | विपणन मध्यस्थ
विपणन संगठन की मुख्य विशेषताएँ | विपणन संगठन के उद्देश्य | विपणन मध्यस्थ | Salient Features of Marketing Organization in Hindi | Objectives of Marketing Organization in Hindi | marketing intermediary in Hindi
विपणन संगठन की मुख्य विशेषताएँ
(Main Characteristics of Marketing Organisation)
एक विपणन संगठन में निम्नलिखित विशेषतायें विद्यमान होती हैं-
- विपणन संगठन संपूर्ण संस्था के कुल संगठन का एक भाग है।
- यह विपणन विभाग से संबंधित व्यक्तियों का समूह है।
- विपणन संगठन विपणन विभाग के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए बनाया जाता है।
- विपणन संगठन का उद्देश्य विपणन कार्यों को न्यूनतम लागत पर अधिकतम कुशलता के साथ पूरा करना है।
- विपणन संगठन के सभी व्यक्तियों के मध्य औपचारिक एवं अनौपचारिक संबंध पाए जाते हैं।
- विपणन संगठन विपणन कर्मचारियों के दायित्वों एवं अधिकारों की स्पष्ट व्याख्या करता है।
- विपणन संगठन के सभी सदस्य अपने विपणन प्रबन्धक के नेतृत्व में कार्य करते हैं।
विपणन संगठन के उद्देश्य
(Objectives of Marketing Organisation)
विपणन संगठन का निर्माण कई उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया जाता है। कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नानुसार हो सकते हैं –
- विपणन संगठन के विभिन्न उद्देश्यों को प्राप्त करना।
- प्रबन्धकीय समय एवं क्षमता का पूर्ण उपयोग करना।
- अधिकारों का प्रत्यायोजन करना।
- अधिकार एवं दायित्व निश्चित करना।
- विभाग के कार्यों तथा संस्था के अन्य विभागों में समन्वय स्थापित करना ।
- विपणन विभाग के व्यक्तियों में पारस्परिक सम्बन्ध निर्धारित करना।
- अधिकारियों का विकास करना।
- निर्धारित प्रक्रिया से कार्य करते हुए उनमें प्रवाह उत्पन्न करना।
- आपसी मतभेद समाप्त करना।
- कार्यों के दोहराव को रोकना।
- संगठन के भावी विकास की सम्भावनओं से कर्मचारियों को अवगत कराना और उन्हें अधिक प्रयासों के लिए प्रेरित करना।
- कर्मचारियों को अभिप्रेरणा देना।
- नियोजन एवं नियोजन के क्रियान्वयन की उचित व्यवस्था करना।
- विपणन कार्यों के पुनरीक्षण की उचित व्यवस्था करना।
विपणन मध्यस्थ कौन है?
विपणन मध्यस्थ- विपणन विधियों या मध्यस्थ भी विपणन संगठन संरचना को प्रभावित करते हैं। एक संस्था अपने माल को थोक व्यापारियों, फुटकर व्यापारियों अथवा अन्य माध्यम से अथवा प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्तओं का माल विक्रय कर सकती है। यदि संस्था प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं को माल का विकय कर सकती है। यदि संस्था प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं के माल का विक्रय भी करती है तो उसका विपणन संगठन विस्तृत एवं काफी बड़ा होता है। जैसे- बाटा शू कम्पनी प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं को माल विक्रय करती है। अतः इसका विपणन संगठन विस्तृत है। दूसरी ओर, यदि संस्था वितरण माध्यमों के द्वारा (थोक व्यपारी, फुटकर व्यापारी आदि) माल का विक्रय करती है तो विपणन संगठन सरल एवं सीमित होगा। इस प्रकार विपणन विधियाँ भी विपणन संगठन को प्रभावित करती हैं।
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