विपणन प्रबन्ध / Marketing Management

विपणन नियन्त्रण से आशय | विपणन नियन्त्रण की प्रक्रिया

विपणन नियन्त्रण से आशय | विपणन नियन्त्रण की प्रक्रिया | Meaning of marketing control in Hindi | Marketing control process in Hindi

विपणन नियन्त्रण से आशय

(Meaning of Marketing Control)

विपणन नियन्त्रण एक ऐसा कदम है जिसके द्वारा विपणन प्रयासों की सफलता आँकी जाती है और वर्तमान व भावी समस्याओं तथा कमियों का पता लगाया जाता है और उनके निवारण के सामयिक प्रयास किये जाते हैं, ताकि विपणन लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सके। विपणन नियन्त्रण या विपणन क्रियाओं का नियन्त्रण वस्तुतः विपणन प्रयासों का निरीक्षण, अवलोकन, नियन्त्रण और नियमन है। यह विपणन स्थितियों के सम्बन्ध में उपलब्ध सूचनाओं तथा विपणन कार्यक्रमों में संशोधन की आवश्यकताओं को बतलाता है।

विपणन नियन्त्रण की प्रक्रिया

(Process of Marketing Control)

विपणन प्रक्रिया अग्र चरणों में लागू की जाती है –

(I) निष्पादन प्रमापों की स्थापना

(Establishment of Performance Standards),

निष्पादन प्रमापों की स्थापना विपणन नियन्त्रण कार्य का प्रथम कदम है। इसमें प्रमापों का निर्धारण करते समय दो बातों पर ध्यान दिया जाता है – एक तो फर्म के विपणन उद्देश्य क्या हैं व दूसरे किन परिस्थितियों में फर्म का विपणन कार्य किया जायेगा। निष्पादन प्रमापों की स्थापना निम्न तथ्यों के आधार पर की जा सकती है।

  1. फर्म की विपणन योजना (Marketing Man)- एक संस्था की विपणन योजना निष्पादन प्रमापों के निर्धारण में अच्छा आधार बन सकती है लेकिन यह आवश्यक है कि विपणन योजना खूब सोच-विचार कर बनायी गयी हो, जिसमें वस्तुओं, ग्राहकों, व बाजारों का साफ-साफ उल्लेख हो ।
  2. विपणन बजट (Marketing Budget)- विपणन बजट विपणन लक्ष्यों का संख्यात्मक रूप है जिसमें प्रत्येक विभाग का बजट तैयार किया जाता है। निष्पादनों के मापन व तुलना के लिए ये बजट एक अच्छा मापदण्ड प्रदान करते हैं।
  3. विगत बिक्री अभिलेख (Past Sales Records)- प्रमापों की स्थापना के पिछली बिक्री को भी ध्यान में रखा जाता है जिससे कि पिछली व वर्तमान बिक्री की तुलना की जा सके।
  4. बाजार सम्भाव्यता (Marketing Potentiality)- बाजार सम्भावना से आशय अनुमानित भावी बिक्री से है जिसे एक संस्था एक निश्चित समय में कर सकती है। एक संस्था वास्तविक बिक्री व बिक्री सम्भावना से अनुपात निकालकर विपणन सफलता का मूल्यांकन कर सकती है।
  5. क्रियाएँ (Activities)- अनेक बार फर्म के प्रमाप उनके कार्यों की संख्या में भी व्यक्त किये जा सकते हैं जैसे विक्रयकर्ताओं द्वारा प्रतिदिन ग्राहक सम्पर्क संख्या, ग्राहकों के प्रति की जाने वाली सेवाओं की संख्या आदि।
  6. विपणन लागत विश्लेषण (Marketing Cost Analysis)- एक फर्म बिक्री निष्पादन का मूल्यांकन विभिन्न प्रकार की विपणन लागतों व बिक्री के अनुपातों के आधार पर भी कर सकती है।

(II) निष्पादनों की प्रमापों से तुलना

(Comparison of Performance with Standards)

विपणन क्रियाओं को नियन्त्रित करने में दूसरा चरण निष्पादनों की प्रमापों से तुलना करना है जिसके लिए अनेक प्रतिवेदनों को मांगा जाता है, जिनमें अनेक महत्वपूर्ण बातें होती हैं। यह प्रतिवेदन दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक वार्षिक हो सकता है। निष्पादनों की प्रमापों से तुलना करने में सूचनाओं का विश्लेषण किया जाता है फिर वास्तविक निष्पादन की निर्धारित प्रमापों से तुलना की जाती है।

(III) वास्तविक निष्पादनों की कमियाँ दूर करना व निष्पादन प्रमापों को सुधारना

(Removal of Actual Performance Deficiencies and Revision of Standards Performance)

यह विपणन नियन्त्रण प्रक्रिया का तीसरा चरण है। इसमें वास्तविक निष्पादन की प्रमापों की तुलना के आधार पर प्राप्त सूचनाओं पर विचार किया जाता है और यह पता लगाया जाता है कि प्रमापों को प्राप्त न करने के क्या कारण रह है? उन्हें किस प्रकार दूर किया जा सकता है जिससे कि उनकी पुनरावृत्ति को रोका सके। उन सूचनाओं व अनुभवों के आधार पर पुराने निष्पादन प्रमापों में आवश्यक सुधार कर नवीन प्रमाप निर्धारित कर दिये जाते हैं।

विपणन प्रबन्ध – महत्वपूर्ण लिंक

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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