अनुदान प्रणाली के प्रमुख आधारभूत सिद्धान्त | अच्छी अनुदान प्रणाली के गुण
अनुदान प्रणाली के प्रमुख आधारभूत सिद्धान्त | अच्छी अनुदान प्रणाली के गुण
अनुदान प्रणाली के प्रमुख आधारभूत सिद्धान्त निम्न प्रकार हैं-
(1) हमारे देश में अनुदान प्रणाली सन् 1854 में वुड के शिक्षा सम्बन्धों को अमली रूप देने के प्रयासों से प्रारम्भ हुई थी। आज केन्द्रीय, राज्य तथा स्थानीय शासन के संयुक्त प्रयास इस सन्दर्भ में आवश्यक हैं। हमारे देश में शिक्षा के लिए स्थानीय प्रयास सन्तोषजनक नहीं है इस सन्दर्भ में स्थानीय प्रयासों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
(2) किसी भी शैक्षिक संस्था को वैधानिक समानता के आधार पर अनुदान दिया जाता है।
(3) किसी भी संस्था को अनुदान देने का उद्देश्य संस्था का मात्रात्मक तथा गुणवत्ता की दृष्टि से विकास करना है। संस्था को वेतन, फर्नींचर, पुस्तकों, प्रयोगशालाओं आदि के रूप में जो अनुदान दिया जाता है उसका लक्ष्य संस्था का शैक्षिक विकास करना है।
(4) शिक्षा में व्यक्तिगत प्रयास तथा स्थानीय प्रयास प्रमुख रूप से महत्व रखते हैं। वित्तीय सहायता प्राप्त न होने पर शिक्षण संस्थायें या तो अपेक्षित गति से धीमी रफ्तार से चलती हैं या फिर धनाभाव के कारण बन्द हो जाती हैं। केन्द्र सरकारों, राज्य सरकारों तथा स्थानीय प्रशासन को चाहिये कि वे निजी तथा स्थानीय प्रयासों को प्रोत्साहित करें जिससे उन्हें वित्त समस्या का सामना ने करना पड़े तथा वे अपना सही प्रकार से विकास कर सकें।
(5) हमारे देश में सभी प्रकार के व्ययों को पूरा करने के लिए केन्द्र,राज्य व स्थानीय प्रशासन के द्वारा निश्चित मात्रा में अनुदान दिया जाता है तथा प्रत्येक राज्य का केन्द्र से प्राप्त होने वाला अनुदान, राज्य से प्राप्त होने वाला अनुदान तथा स्थानीय प्रशासन द्वारा अनुदान का अनुपात अलग-अलग है।
अच्छी अनुदान प्रणाली के गुण-:
एक अच्छी अनुदान प्रणाली में निम्न प्रकार के गुण होने चाहिये।
- अनुदान निर्धारित करने तथा उसे देने की प्रक्रिया सरल होनी चाहिये।
- शिक्षण संस्थाओं की आवश्यकताओं, परिस्थितियों एवं साधनों को दृष्टि में रखते हुए अनुदान निर्धारित करना चाहिये।
- अनुदान प्रणाली इस प्रकार की लचीली हो कि यदि किसी संस्था को अधिक धन की आवश्यकता है तो उसे तत्काल धन उपलब्ध हो जाये।
- अनुदान इतना हो कि शैक्षिक संस्थाओं की आर्थिक समस्यायें हल हो जायें।
- अनुदान निश्चित उद्देश्यों के आधार पर दिया जाना चाहिए।
- अनुदान से हमारे लोकतन्त्र तथा संस्कृति का पर्याप्त विकास होना चाहिये।
- सरकार को यह भी देखना चाहिये कि अनुदान का सही उपयोग हो रहा है अथवा नहीं।
- अनुदान से संस्था की कार्यक्षमता तथा उसके स्तर में वृद्धि होनी चाहिये।
- जो भी संस्था अनुदान प्राप्त करें उसे अपना कार्य करने की स्वतन्त्रता होनी चाहिए।उनके ऊपर किसी प्रकार का प्रतिबन्ध होने से उनकी प्रगति में बाधा उत्पन्न होगी।
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