अन्वेषणात्मक अभिकल्प की अवधारणा | निरूपणात्मक अभिकल्प की अवधारणा | अन्वेषणात्मक शोध अभिकल्प की अनिवार्यतायें | निरूपणात्मक अभिकल्प के कार्य या महत्व | अन्वेषणात्मक अभिकल्प के कार्य या महत्व
अन्वेषणात्मक अभिकल्प की अवधारणा | निरूपणात्मक अभिकल्प की अवधारणा | अन्वेषणात्मक शोध अभिकल्प की अनिवार्यतायें | निरूपणात्मक अभिकल्प के कार्य या महत्व | अन्वेषणात्मक अभिकल्प के कार्य या महत्व | Concept of Exploratory Design in Hindi | Concept of representational design in Hindi | Essentials of Exploratory Research Design in Hindi | Functions or importance of representational design in Hindi | Functions or Importance of Exploratory Design in Hindi
अन्वेषणात्मक अथवा निरूपणात्मक अभिकल्प की अवधारणा
(Concept of Exploratory or Formulative Design)
जब किसी अनुसन्धान कार्य का उद्देश्य किसी सामाजिक घटना के अन्तर्निहित कारणों को ढूँढ निकालना होता है तो उससे सम्बन्धित प्रारूप को अन्वेषणात्मक शोध अभिकल्प (Exploratory Research design) कहते हैं। अनुसन्धान कार्य का आरम्भ समस्या के चुनाव से होता है। समस्या का चुनाव करते समय उसके सामाजिक महत्व, व्यावहारिक स्वरूप, सैद्धान्तिक समन्वय, मापनीय (Measurable), विश्वसनीय एवं प्रमाणिक तथ्यों की उपलब्धि आदि का ध्यान रखना पड़ता है। यदि समस्या ऐसी है जिसके सम्बन्ध में उक्त सुविधायें प्राप्त न हो सकें तो ऐसी स्थिति में समस्या का चुनाव केवल अन्वेषणात्मक या निरूपणात्मक अध्ययन के द्वारा ही सम्भव हो सकता है। इसके अतिरिक्त समाज विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में जहाँ शोध सम्बन्धित सीमित है और जहाँ सिद्धान्त का विकास परीक्षणात्मक अनुसन्धान के निदेशन की दृष्टि से सीमित है और जहाँ सिद्धान्त का विकास परीक्षणात्मक अनुसन्धान के निर्देशन की दृष्टि से सीमित है, वहाँ एक उपयोगी उपकल्पना के निर्माण के लिये अन्वेषणात्मक अभिकल्प मूल रूप से अध्ययन की गईजाने वाली समस्या की खोज एवं अभिकल्पना के निर्माण से सम्बन्धित है। जहोदा, ल्यूक और कूक ने लिखा है, “अन्वेषणात्मक अध्ययन अनुभव की प्राप्ति के लिये आवश्यक है और वह एक अधिक निश्चित सर्वेक्षण के लिए उपकल्पनाओं के निरूपण में सहायक होगा।”
इस प्रकार स्पष्ट है कि अन्वेषणात्मक अनुसन्धान अभिकल्प एक विशिष्ट प्रकार का अनुसन्धान अभिकल्प है। इस अभिकल्प का मुख्य उद्देश्य किसी भी सामाजिक तथ्य या घटना के सम्बन्ध में सामान्य ज्ञान प्राप्त करना होता है। इस मुख्य उद्देश्य के अतिरिक्त इस अनुसन्धान अभिकल्प के अन्तर्गत इस प्रकार के सामान्य ज्ञान के आधार पर विस्तृत तथा गहन अध्ययन के लिय उपयुक्त उपकल्पनाओं (Hypothesis) का भी निर्माण किया जाता है।
अन्वेषणात्मक शोध अभिकल्प की अनिवार्यतायें
(Essentials of Exploratory Research Design)
अन्वेषणात्मक अध्ययनों के लिये कुछ अनिवार्यताओं का पालन करना आवश्यक होता है। ये अनिवार्यतायें निम्नलिखित हैं-
- सम्बन्धित साहित्य का अध्ययन (Review of the pertinent literature ) – अन्वेषणात्मक अभिकल्प में समस्या से सम्बन्धित साहित्य का गहन (Deep) और आलोचनात्मक (Critical) अध्ययन करना प्रथम अनिवार्यता है समस्या से सम्बन्धित प्राचीन तथा नवीनतम मूल पाठ्य-पुस्तकों, सन्दर्भ ग्रन्थों, समाचार पत्रों में प्रकाशित विचार तथा उससे सम्बन्धित पत्रिकाओं, शोध-विज्ञप्ति, पुस्तकों, विश्व ज्ञान कोष आदि के अध्ययन से सैद्धान्तिक ज्ञान पुष्ट होगा, अनेक जिज्ञासाओं की सन्तुष्टि होगी तथा उन विषय की समस्याओं का भी ज्ञान होगा।
- अनुभव सर्वेक्षण (Experience Survey) – अनुभव सर्वेक्षण का अर्थ उन व्यक्तियों से सम्पर्क स्थापित करना है जिन्हें सामाजिक व्यवहार के विषय में बहुत अनुभव होता है किन्तु जो अवसर के अभाव में अपने अनुभूत ज्ञान को लिखित स्वरूप नहीं दे सकते। इन व्यक्तियों के मौखिक ज्ञान से लाभ उठाना अनुसन्धानकर्त्ता के लिये आवश्यक है। इस कार्य में सबसे पहली जरूरत अनुभवी व्यक्तियों का चुनाव है। सूचनादाताओं का चुनाव इस ढंग से करना चाहिये कि समस्या से सम्बन्धित अनुभव और ज्ञान रखने वाले सभी व्यक्ति चुने जा सकें, चाहे वे समस्या के क्षेत्र में कार्य करने वाले उत्तरदायी अधिकारी या कर्मचारी हों अथवा समस्या को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने वाले आलोचक या समर्थक हों। ऐसा करने से ही समस्या के विषय में वास्तविक जानकारी प्राप्त हो सकेगी। इन सूचनादाताओं से प्रश्न करके अनुभव सिद्ध ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। अतः प्रश्नों से सम्बन्धित समस्त धारणाओं का स्पष्ट ज्ञान अध्ययनकर्ता को होना चाहिये।
- अन्तर्दृष्टि-प्रेरक घटनाओं का विश्लेषण (Analysis of insight stimulating cases) – सामाजिक अनुसन्धान एक कठिन प्रक्रियाहै। यदि अनुसन्धानकर्ता का उत्साह निरन्तर प्रेरित होता रहे तो वह सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। अतः अन्वेषणात्मक अध्ययन के लिये ऐसी घटनाओं का अनुशीलन तथा विश्लेषण अत्यन्त आवश्यक और उपयोगी है, जो अध्ययनकर्ता की अन्तर्दृष्टि (Insight) को प्रेरित करती हैं और उपकल्पना के निर्माण के लिये उपयोगी विचार प्रस्तुत करती हैं। सामान्यतः निम्नलिखित घटनायें अनुसन्धानकर्ता को प्रेरित करती हैं-
(i) सीमानत व्यक्तियों से प्राप्त विवरण (Information from the last persons)
(ii) अपरिचितों की प्रतिक्रियायें (Reactions of unknown persons)
(iii) संक्रमणकालीन घटनायें (Incubational events)
(iv) व्याधिकीय घटनायें (Pathological events)
(v) स्पष्ट धारणायें (Clear Conceptions)
(vi) व्यक्तियों की विशेषतायें (Specialities of men)
(vii) सामाजिक ढाँचे में विभिन्न स्थितियाँ (Different Situations of Social Structure)
अन्वेषणात्मक या निरूपणात्मक अभिकल्प के कार्य या महत्व
(Functions of Exploratory or Formulative Research Design)
सामाजिक अनुसन्धान में अन्वेषणात्मक अध्ययन का महत्व उसके कार्यों के कारण है। अन्वेषणात्मक अध्ययन के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं-
- पूर्व निर्धारित उपकल्पना का तात्कालिक स्थितियों के सन्दर्भ में परीक्षण (Verification) करना।
- विभिन्न अनुसन्धान प्रणालियों के प्रयोग की सम्भावनाओं का स्पष्टीकरण करना।
- सामाजिक महत्व की समस्याओं की ओर अनुसन्धानकर्ता को प्रेरित करना।
- विस्तृत अनुसन्धान के लिये अपरिचित क्षेत्र में व्यवस्थित उपकल्पना का आधार प्राप्त करना।
- अनुसन्धान कार्य को प्रारम्भ करना।
- विज्ञान की सीमाओं में विस्तार करके उसके क्षेत्र का विकास करना।
- समस्या के व्यवस्थित अध्ययन के लिये अध्ययन केन्द्र निर्धारित करना अर्थात् यह निश्चित करना कि समस्या के किस पक्ष पर ध्यान केन्द्रित किया जाना है।
अन्वेषणात्मक अनुसन्धान अध्ययन की प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के लिये नवीन सिद्धान्तों की खोज तथा पूर्व निर्धारित उपकल्पनाओं के परीक्षण के लिये अत्यन्त उपयोगी है। यही कारण है कि सामाजिक अनुसन्धान में इस प्रकार के अध्ययन का अत्यधिक महत्त्व है।
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