मानव संसाधन प्रबंधन / Human Resource Management

कार्य विवरण | कार्य विवरण की विषय सामग्री | कार्य निष्पादन प्रमाप से आशय | व्यवसाय में कार्य-मूल्याकंन का योगदान | कार्य-मूल्याकंन से लाभ

कार्य विवरण | कार्य विवरण की विषय सामग्री | कार्य निष्पादन प्रमाप से आशय | व्यवसाय में कार्य-मूल्याकंन का योगदान | कार्य-मूल्याकंन से लाभ | Job Description in Hindi | Contents of Job Description in Hindi | What is meant by performance standard in Hindi | Contribution of job appraisal in business in Hindi | Benefit from job appraisal in Hindi

कार्य विवरण (Job Description)

कार्य विवरण कार्य विश्लेषण का एक प्रमुख अंग है। कार्य विवरण एक लिखित प्रपत्र है। या वर्णात्मक कथन है, जिससे “कार्य क्या है?” “कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व क्या है?” तथा “कौन से स्थैतिक तत्व एवं सामान्य दशाएँ इसे प्रभावित करती हैं ?” आदि बातों के बारे में जानकारी मिलती है। किसी भी कार्य के निष्पादन हेतु आवश्यक प्रकार्यों, कर्त्तव्यों, उत्तरदायित्वों, यन्त्रों व उपकरणों, भौतिक कार्यदशाओं, जोखिम, तनाव तथा दूसरे कार्यों से सम्बन्धों आदि का ‘एक लिखित विवरण ही कार्य विवरण कहलाता है। फिलप्पो (Flippo) ने कार्य विवरण को एक विशिष्ट कार्य का संगठित, तथ्ययुक्त कार्यो एवं दायित्वों का विवरण माना है।

(Job description is an organized, factual statement of the duties and responsibilities of a specific job)

पिगर्स एवं मेयर्स (Pigors and Myers) के शब्दों में, “कार्य विवरण संगठनात्मक सम्बन्धों, उत्तरदायित्वों एवं कार्यों, जिसके द्वारा कार्य या पद की संरचना होती है का लिखित शब्द चित्र है।”

कार्य विवरण के द्वारा एक कार्य को अन्य कार्यों से पृथक किया जा सकता है। वास्तव में कार्य विवरण कार्य का विभाजन एवं उत्तरदायित्वों की व्याख्या करता है। यह बतलाता है किसे क्या किया जाना है, कैसे किया जाना है तथा क्यों किया जाता है? कार्य विवरण किसी भी कर्मचारी व उसके कार्य का अधिकार क्षेत्र व सीमा का निर्धारण करता है। यह अधिकार प्रत्यायोजन की समस्या का समाधान निकालता है तथा नये पदों के निर्माण में भी सहायक होता है।

कार्य विवरण की विषय सामग्री (Contents of Job Description) –

कार्य विवरण में सामान्यतः निम्नलिखित सूचनाएँ शामिल की जाती हैं-

  1. कार्य परिचय (Job Introduction)- कार्य का शीर्षक (Title), विभाग एवं सम्भाग (Department and Division), कार्य का कोड नम्बर आदि।
  2. कार्य सारांश (Job Summary) – कार्य की प्रकृति, परिभाषा, उद्देश्य, कार्य सूची, कार्य से सम्बन्धित क्रियाएँ आदि।
  3. कार्य उत्तरदायित्व (Job Responsibility)- कार्य के प्रभावी निष्पादन से सम्बन्धित जिम्मेदारियाँ, समस्त प्रमुख, सहायक एवं आनुषंगिक कार्यों का वर्णन, कार्य की प्रक्रिया, विधि, लगने वाला समय।
  4. कार्य वातावरण (Working Conditions) – भौतिक कार्य दशाएँ, शोर-गुल का स्तर, खतरे, जोखिम, तापक्रम, आर्द्रता, कार्य स्थल की दशाएँ आदि।
  5. सामाजिक वातावरण (Social Environment)- कार्य स्थल पर उपलब्ध होने वाले व किये जाने वाले सामाजिक वातावरण।
  6. यंत्र – औजार सामग्री (Machine-tool and Equipments) – कार्य में उपयोग की जाने वाली अपेक्षित सामग्री।
  7. प्रदत्त एवं प्राप्त पर्यवेक्षण (Supervision given and received)- कार्य पर दिये जाने वाले पर्यवेक्षण तथा प्राप्त होने वाले पर्यवेक्षण का स्तर एवं जवबादेही ।
  8. अन्य कार्यों से सम्बन्ध (Relationship with other Jobs)- दूसरे कार्यों व पदों से क्षैतिज, लम्बवत तथा समतल सम्बन्धों का निर्धारण आदि ।

कार्य निष्पादन प्रमाप से आशय

job performance standards

कार्य निष्पादन प्रमाप (job performance standards)

कार्य विश्लेषण का अन्तिम भाग कार्य निष्पादन माप है। यह कार्यों के लिए उचित प्रमाप (standards) का निर्धारण है। इसके अन्तर्गत कर्मचारी द्वारा किये जाने वाले कार्यों में उससे अपेक्षित मात्रा एवं गुणवत्ता निष्पादन प्रमाणों का उल्लेख किया जाता है। निष्पादन प्रमाप (performance standards) का अर्थ कार्य विवरण में दर्शाये गये कार्यों के सन्दर्भ में स्वीकार्य एवं प्राप्ति योग्य उपलब्धि के स्तरों से है। कार्य निष्पादन प्रमाप कार्य विवरणों के तार्किक विस्तार (logical expansion) है।

निष्पादन प्रमाप कर्मचारी के प्रयासों के लिए लक्ष्य (Targets) का कार्य करते हैं। वे इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कर्मचारियों को चुनौती प्रस्तुत करते है। इस प्रकार निष्पादन प्रमाप अभिप्रेरणा के महत्वपूर्ण साधन है। ये कर्मचारी के कार्य के मूल्याकंन में भी सहायक होते हैं। कर्मचारी को जितना यह ज्ञान होता है कि उससे क्या अपेक्षित हैं, उतने ही श्रेष्ठ ढंग से वह अपने दायित्वों का निर्वाह कर सकता है। कार्य मूल्यांकन को निष्पक्ष एवं यथार्थपूर्ण बनाने में निष्पादन प्रमाप सहायक होते हैं। निष्पादन प्रमाप कार्य की प्रगति के मापन एवं मूल्याकंन का भी आधार होते हैं। बिना प्रमापों के कोई भी नियंत्रण प्रणाली कार्य निष्पादन का मूल्याकंन नहीं कर सकती है। प्रमापों के विकास से कर्मचारियों को निरन्तर इनकी उपलब्धियों के लिए जागरूक रखा जा सकता है।

व्यवसाय में कार्य-मूल्याकंन का योगदान या कार्य-मूल्याकंन से लाभ

(Role of Job-Evaluation in Business or its or Advantages)

(1) वैज्ञानिक तरीका- इसके द्वारा वेतनमान व्यवस्थित एवं न्यायपूर्ण ढंग से निर्धारित किया जाता है। इसके द्वारा निर्धारित किये गये वेतनमान से कर्मचारियों को सन्तुष्टि रहती है। और इसे वे सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं। वे मजदूरी के कम-अधिक देने के कारण को भली-भाँति जानते हैं। इससे उन्हीं का मनोबल बढ़ता है।

(2) सम्पूर्ण कर्मचारी व्यवस्था में सहायक- इसके द्वारा मजदूरी का निर्धारित एवं वेतनमान का निर्धारण समुचित एवं न्यायोचित होने के कारण कर्मचारी में संतोष बना रहता है, साथ ही उनका आत्म-विश्वास भी बढ़ता है। इससे सम्पूर्ण कर्मचारी व्यवस्था सन्तोषप्रद रूप से कार्य करती है।

(3) पारिश्रमिक सम्बन्धी विवादों को सुलझाने में सहायक- कार्य-मूल्याकंन के द्वारा कार्य-विश्लेषण तथा कार्य विवरण को निर्धारित किया जाता है। अतः कर्मचारियों को दिये जाने वाले पारिश्रमिक के सम्बन्ध में उठने वाले विवादों तथा शिकायतों को सफलतापूर्वक सुलाझया जा सकता है।

(4) पदोन्नति का उचित आधार- कार्य-मूल्यांकन की विधि से कार्यों के अनुसार ही कर्मचारियों की उन्नति होती है। उनकी योग्यता और कार्यक्षमता पर ही उनकी पदोन्नति निर्भर होती है तथा किसी भी कर्मचारी को ऐसे कार्य पर नियुक्त नहीं किया जाता जिसको सम्पन्न करने में उसमें अपेक्षित निपुणता न हो।

(5) पारिश्रमिक के निर्धारण एवं श्रम लागत के नियंत्रण में सहायक- कार्य- मूल्याकंन के कार्य-विश्लेषण तथा कार्य विवरण के सम्बन्ध में एकत्रित की गयी आवश्यक जानकारी योग्यता-अंकन, कर्मचारी के चुनाव, प्रेरणात्मक पारिश्रमिक एवं श्रम लागत के नियंत्रण में उपयोगी होती है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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