मानव संसाधन प्रबंधन / Human Resource Management

मानव शक्ति की अवधारणा | जन शक्ति नियोजन की अवधारणा | मानव शक्ति की परिभाषायें | जन शक्ति नियोजन की परिभाषायें | मानव शक्ति नियोजन की आवश्यकता | मानव शक्ति नियोजन का महत्व

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मानव शक्ति या जन शक्ति नियोजन की अवधारणा एवं परिभाषायें

(Meaning and Definitions of Man-Power Planning)

जन शक्ति नियोजन मानव संसाधन का सदुपयोग करना (Utilisation of Human Resource) है। यह दो शब्दों के संयोजन से बना है-

(i) जन शक्ति और (ii) नियोजन। ‘जनशक्ति’ का अर्थ सभी प्रकार के संगठित और असंगठित श्रमिक, नियोक्ता और पर्यवेक्षक, प्रबन्धक एवं कर्मचारी से है। यह शब्द ‘श्रम’ के बहुत निकट है। वे सभी व्यक्ति जो कार्य पर लगे हुये हैं अथवा काम करने योग्य हैं, किन्तु अभी कार्यरत हैं, ‘जनशक्ति’ (Man-Power) कहलाते है। दूसरे शब्दों में, ‘नियोजन’ (Planning) से तात्पर्य भविष्य में क्या करना है, इसे पहले से ही तय करना है। इस प्रकार जनशक्ति नियोजन का अर्थ ऐसे कार्यक्रम से है जिसमें नियोक्ता द्वारा संस्था कर्मचारियों की प्राप्ति, विकास, अनुरक्षण और उपयोग सम्भव है। मानव-शक्ति नियोजन का आशय किसी उपक्रम के सन्दर्भ में उसके द्वारा कर्मचारियों की माँग एवं पूर्ति में सामंजस्य स्थापित करना है।

परिभाषायें (Definitions)

मानव-शक्ति नियोजन की कुछ प्रमुख परिभाषायें इस प्रकार हैं-(1) ऐरिड डब्ल्यू. वेटर (Eric W.Vetter) ने ‘Man Power Planning for High Talent Personnel’ में लिखा है कि, जन शक्ति नियोजन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रबन्धक यह निर्णय करता है कि संस्था को अपनी वर्तमान जनशक्ति स्थिति से चाही हुयी जनशक्ति स्थिति की ओर कैसे जाना चाहिये। वैज्ञानिक नियोजन के माध्यम से वह (अर्थात सेविवर्गीय प्रबन्ध) ठीक स्थानों पर, ठीक समय पर, उचित संख्या में तथा उचित प्रकार के ऐसे व्यक्ति रखने का प्रयास करता है जो इस ढंग से अपने कर्तव्यों का निष्पादन करे कि संस्था और व्यक्ति दोनों ही दीर्घकालीन लाभ प्राप्त कर सकें।

(2) गोरडन मेकबैथ (Gorden Mebeath) के अनुसार, मानव-शक्ति नियोजन में दो चरण सम्मिलित हैं- प्रथम चरण मानव-शक्ति आवश्यकताओं के नियोजन (Planning for Man -Power Requirements) तथा द्वितीय चरण मानव-शक्ति की पूर्ति के आयोजन (Pianning of Man Power Supplies) से सम्बन्धित है।

निष्कर्ष- जनशक्ति नियोजन ऐसी पद्धति है जिसमें सभी वर्ग के तथा सभी स्तरों पर काम करने वाले व्यक्तियों के लिये कार्य उपलब्ध करने तथा उनकी शक्ति का पूर्ण उपयोग सम्भव करने की दृष्टि से योजनबद्ध कार्यवाही की जाती है।

मानव शक्ति नियोजन की आवश्यकता एवं महत्व

(Need and importance for Man-Power Planning)

एक उपक्रम के लिये मानव-शक्ति नियोजन अति आवश्यक है। यह आवश्यकता निम्न बिन्दुओं से परिलक्षित होती है-

(1) कर्मचारी लागत कम करने के लिये- किसी व्यावसायिक संस्थान में कर्मचारी लागत का विशेष महत्व होता है। यदि कर्मचारियों की उत्पादकता कम हो तो कर्मचारी लागत ऊँची होगी। इसके लिये प्रबन्धकों को सदैव इसे न्यूनतम करने के लिये प्रयत्नशील रहना होता है। कर्मचारी लागत को कम करने के लिये श्रम बाहुल्य को अनुकूलतम स्तर पर लाना बहुत आवश्यक है। यह तब ही सम्भव है, जब नियोजन किया जाये। अतः मानव-शक्ति नियोजन की आवश्यकता होती है।

(2) उत्पादन में उत्पन्न अवरोध को समाप्त करने अथवा प्रतिबन्धित करने के लिये- मानव-शक्ति नियोजन के माध्यम से उत्पादन में उत्पन्न होने वाले अवरोध को समाप्त किया जा सकता है। आवश्यक एवं योग्य कर्मचारियों के अभाव से भी उत्पादन में अवरोध उत्पन्न होता है। कई कारण ऐसे भी हैं, जैसे -कर्मचारी की ऊंची दर तथा सही कार्य पर सही व्यक्ति का न होना। इन कारणों का निवारण तथा माँग पूर्ति में अनुकूलतम सन्तुलन स्थापित करने के लिये मानव-शक्ति नियोजन आवश्यक है। इसके परिणामस्वरूप उत्पादन में उत्पन्न अवरोध समाप्त होता है।

(3) मानव-शक्ति आवश्यकताओं में समन्वय स्थापित करने के लिये- औद्योगिक या व्यावसायिक प्रतिष्ठान के विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की आवश्यकता होती रहती है। प्रबन्धकों के समक्ष प्रस्तुत इन विभागीय आवश्यकताओं में समन्वय होना आवश्यक है। प्रबन्धकों को इन आवश्यकताओं की वर्तमान उपलब्धि तथा भावी माँग एवं आवर्त की दर के मध्य नजर रखकर देखना चाहिये। मानव-शक्ति नियोजन के माध्यम से विविध विभागों की आवश्यकताओं का अध्ययन कर समन्वय स्थापित किया जाता है, जिससे सभी विभागों में उचित सामंजस्य स्थापित किया जा सके।

(4) मानव-शक्ति के प्रकार का निर्धारण करने तथा उनकी भर्ती के स्रोत तलाशने के लिये- किस गुण स्तर के कर्मचारियों की निकट भविष्य में आवश्यकता होगी, उसी के अनुसार भर्ती के स्रोतों की तलाश की जाती है। मानव-शक्ति नियोजन द्वारा निकट भविष्य के कर्मचारी माँग, उनके गुण स्तर आदि के बारे में निर्धारण किया जाता है। मानव-शक्ति नियोजन के प्रबन्धकों को यही निर्धारित करने में सहायता मिलती है कि भर्ती के लिये किस स्रोत का प्रयोग करें।

(5) मानव-शक्ति के चयन, नियुक्ति तथा प्रतिस्थापना के लिये- सही कार्य पर सही व्यक्ति की नियुक्ति ही सेविवर्गीय प्रशासन का प्रमुख उद्देश्य है। उपक्रम की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर मानव-शक्ति नियोजन करके उपयुक्त व्यक्तियों का चुनाव किया जा सकता  है। गुण स्तर निर्धारण के पश्चात यह सरल हो जाता है तथा कार्य के अनुरूप योग्यता वाले व्यक्तियों का चयन कर उन्हें सही कार्य पर नियुक्त किया जा सकता है। रिक्त स्थानों का पूर्वानुमान लगा लेने से कर्मचारियों की पूर्व व्यवस्था करने में सफलता मिलती है। नियोजन से सही व्यक्ति को सही कार्य पर लगाया जा सकता है।

(6) कर्मचारियों के विकास में प्रभावशीलता लाने के लिये- यदि कर्मचारी‌विकास के कार्यक्रम मानव-शक्ति नियोजन से जोड़ दिये जाते हैं तो निश्चित रूप से मानव-शक्ति के विकास के कार्यक्रम को प्रभावपूर्ण ढंग से लागू किया जा सकता है। कर्मचारी पदों का पूर्व ज्ञान ही प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाने में सहायक सिद्ध होता है। पदोन्नति के अवसर तलाशने तथा पदोन्नति कार्यक्रम तैयार करने में भी मानव-शक्ति नियोजन से सहायता मिलती है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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