मानव संसाधन प्रबंधन / Human Resource Management

भर्ती से आशय | भर्ती के स्रोत | आन्तरिक स्रोत की भर्ती के लाभ | आन्तरिक स्रोत की भर्ती से हानि | बाह्य स्त्रोत के लाभ | बाह्य स्त्रोत की हानियाँ

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भर्ती से आशय (Meaning Sources of Recruitment)

भर्ती संरचना के लिए योग्य व्यक्तियों की खोज करने, उन्हें पदों की जानकारी देने तथा उन पदों के लिए आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया है। भर्ती के विभिन्न स्रोतों को हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं

  1. आन्तरिक स्रोत ( Internal Sources)
  2. बाह्य स्रोत (External)

भर्ती के आन्तरिक स्रोत एवं बाह्य स्रोत को एक चार्ट के द्वारा निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता है:

भर्ती के स्रोत (Sources of Recruitment)

आन्तरिक स्रोत (Internal Sources )

  1. वर्तमान कर्मचारी पदोन्नति एवं स्थानान्तरण (Present employees-through Promotions Transfer)
  2. पूर्व के कर्मचारी (Former Employees)
  3. कर्मचारियों द्वारा आरोपण करना (Employees Referrals)
  4. पूर्व के आवेदनकर्ता (Previous Applicants)
  5. प्रशिक्षणार्थी (Trainees )
  6. सेवा वृद्धि (Extension of Services)
  7. ऋणद सेवाएं (Lent Services)

बाह्य स्त्रीत (External)

  1. विज्ञापन (Advertisements)
  2. रोजगार नियोजन सार्वजनिक एवं निजी Employment exchange-Public and Private)
  3. शैक्षणिक संस्थाएं एवं अहाता (शिविर) भर्ती (Educational Institutions and Campus Recruitment)
  4. कारखाना गेट (Factory Gates)
  5. ठेकेदार एवं दलाल (Contractors and Jobbers)
  6. श्रम संघ (Trade Unions)
  7. पेशेवर संघ (Professional Associates)
  8. दूसरे संगठन से प्रतिनियुक्ति (Deputation from other Organisation)
  9. सलाहकार (Consultants)
  10. अधिग्रहण एवं विलय (Acquisitions and Mergers)
  11. प्रतियोगी परीक्षाएँ (Competitive Examinations)
  12. नियोजन एजेन्सीज (Placement Agencies)
  13. वर्तमान कर्मचारियों की सिफारिशें (Recommendations of present Employee)
  14. बाहरी स्रोत (Outsourcing)
  15. वेबसाइट व ई-भर्ती (Website or E- recruitment)
  16. अन्य भर्ती (Other Sources)

I- आन्तरिक स्रोत (Internal Sources)

आन्तरिक स्रोत से भर्ती का अर्थ है संगठन के भीतर से भर्ती। किसी भी प्रकार की पदरिक्ति होने पर प्रबन्धक अपने संगठन के भीतर के कर्मचारियों से पदोन्नति, स्थानान्तरण, प्रतिनियुक्ति आदि के माध्यम से रिक्त पदों को भरता है। प्रायः आन्तरिक स्रोत के अन्तर्गत निम्न प्रमुख विधियों को शामिल किया जाता है

  1. वर्तमान कर्मचारी पदोन्नति एवं स्थानान्तरण (Present Employees Promotion and Transfer) – आन्तरिक भर्ती का यह सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। इसके अन्तर्गत वर्तमान कर्मचारियों में से ही पदोन्नति (Promotions) या स्थानान्तरण (Transfer) के माध्यम से रिक्तियों को भरा जाता है और उन्हें पद के साथ-साथ नयी जिम्मेदारियों (Responsibilities) भी दी जाती है। पदोन्नति का अर्थ कर्मचारी को किसी उच्च पद पर नियुक्त करना तथा उनके अधिकारों, दायित्वों व वेतन आदि में वृद्धि करने से है। पदोन्नति के द्वारा महत्वपूर्ण पदों पर तुरन्त नियुक्ति की जा सकती है और इससे कर्मचारियों मनोबल भी बढ़ता है।

स्थानान्तरण का अर्थ कर्मचारियों के पद, उत्तरदायित्वों अथवा वेतन में किसी भी प्रकार का परिवर्तन किये बिना एक कार्यस्थल (विभाग अनुभाग या उपक्रम) से दूसरे कार्यस्थल पर परिवर्तित करने से है। यह स्थानान्तरण किसी दूसरे व्यक्ति के पदोन्नति हो जाने के कारण रिक्त पदों पर किया जाना है या कभी-कभी कर्मचारियों की अधिकता (Overstaffing) के कारण भी किया जाता है। इसके अन्तर्गत जहाँ कर्मचारियों की आवश्यकता रहती है वहाँ स्थानान्तरित कर उस आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है।

  1. पूर्व के कर्मचारी (Former Employees) – संगठन में पदों के रिक्त होने पर पूर्व के कर्मचारियों जो संगठन से सेवा निवृत्त हो चुके हैं या किसी कारणवश नौकरी छोड़कर चले गये हैं उन्हें भी उनकी इच्छा पर संगठन में पुनः भर्ती किया जा सकता है। पूर्व के कर्मचारियों की नियुक्ति आन्तरिक भर्ती का एक अच्छा माध्यम है, क्योंकि संगठन उनकी पूर्व की सेवाओं से परिचित रहता है।
  2. कर्मचारियों द्वारा आरोपण करना (Employees Referrals)- यह भी आन्तरिक भर्ती का एक अच्छा माध्यम है। इसमें वर्तमान कर्मचारियों को यह कहा जाता है कि वे योग्य एवं इच्छुक नौकरी की तलाश करने वाले व्यक्ति जो उनके परिचित या उनके सम्बन्धी (Relations) या उनके मित्र रहे हों उन्हें कार्य पर लगाने की सिफारिश करें। इसमें भर्ती होने वाले व्यक्ति की गारण्टी उनके आरोपण करने वाले व्यक्ति को लेनी पड़ती है।
  3. पूर्व के आवेदनकर्ता (Previous Applicants)- वस्तुतः यह भर्ती का आन्तरिक स्रोत नहीं है। किन्तु यह सत्य है कि पूर्व के आवेदनकर्ता जिन्हें पूर्व में सीटों की कमी के कारण भर्ती नहीं किया जा सका था, नई रिक्तियाँ होने पर उनसे आसानी से सम्पर्क स्थापित किया जा सकता है। क्योंकि उनके सारे विवरण संगठन के पास मौजूद रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें बिना किसी खर्च के कम समय में आसानी से बुलाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में समय और धन की बचत होती है।
  4. प्रशिक्षणार्थी (Trainees)- प्रशिक्षणार्थी वे होते हैं जो प्रशिक्षणार्थी अधिनियम, 1961 (The Apprentices Act, 1961) के अन्तर्गत संगठन में प्रशिक्षु वनकर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आते हैं और प्रशिक्षण प्राप्त कर संगठन से चले जाते हैं। इस तरह की प्रक्रिया कुछ खास तरह के कार्य (Trades) जैसे- तकनीकी कार्य- मैकेनिकल, इन्जिनियरिंग, विद्युत, आदि में संगठन में प्रशिक्षण प्राप्त करने प्रशिक्षु आते है और संगठन को प्रशिक्षण प्रदान करना अधिनियम के अन्तर्गत बाध्यता रहती है। संगठन में रिक्तियाँ होने पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे योग्य प्रशिक्षु को प्रशिक्षण की समाप्ति के उपरान्त नियुक्त कर लिया जाता है। इससे संगठन को योग्य एवं कुशल कर्मचारी शीघ्रता से प्राप्त हो जाता है।
  5. सेवा वृद्धि (Extension of Services) – सेवा वृद्धि या सेवा विस्तार आन्तरिक भर्ती का एक अच्छा माध्यम है। इन दिनों सरकारी एवं निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में तथा सरकार में इसका प्रचलन अधिक हो रहा है। इसमें सेवा की समाप्ति या सेवा निवृत होने वाले कर्मचारियों यदि उनका कार्यकाल अच्छा रहा है और संगठन के लिए वे मूल्यावान रहे हैं, तो वैसे व्यक्तियों के सेवा विस्तार कर संगठन रिक्त होने वाले पदों पर भर्ती कर लेता है। यह कार्य उनके उसी पद पर सेवा विस्तार कर किया जा सकता है या उन्हें दूसरे पदों पर भी लगाया जा सकता है।
  6. ऋणद सेवाएँ (Lent Services)- आन्तरिक भर्ती का यह माध्यम उन संगठनों के लिए उपयुक्त होता है, जो किसी दूसरे नये प्रतिष्ठान मे योग्य एवं अनुभवी प्रवन्धकों एवं कर्मचारियों की सेवा लेना चाहते हैं। ऐसे में कई बार किसी उच्च प्रबन्धक को ऐसे प्लाण्ट में कुछ वर्षों के लिए नियुक्त कर दिया जाता है और कार्य पूरा होने पर निश्चित अवधि की समाप्ति के बाद उन्हें उनके मौलिक पद पर वापस बुला लिया जाता है। इस प्रकार की भर्ती सरकारी तथा गैर- सरकारी दोनों क्षेत्रों में की जा रही है।

आन्तरिक स्रोत की भर्ती के लाभ (Benefits for Internal Sources of Recruitment)-

आन्तरिक स्रोत की भर्ती कई मामले में लाभकारी है:

(i) भर्ती का यह स्रोत दूसरे स्रोत से कम खर्चीला है इससे संगठन के लाभ में वृद्धि होती है।

(ii) भर्ती के इस स्रोत से संगठन के कर्मचारियों का मनोबल ऊंचा होता है, और कर्मचारियों की प्रतिबद्धता बढ़ती है।

(iii) यह कर्मचारियों की उत्प्रेरणा Motivation) को बढ़ाता है।

(iv) यह सगंठन के कर्मचारियों को कार्य सन्तुष्टि (Job Satisfaction) प्रदान करता है, क्योंकि कर्मचारियों के पास उनके विकास के पूर्ण अवसर होते हैं।

(v) यह कर्मचारियों के स्वयं के विकास (Personal development) में सहायता प्रदान करता है।

(vi) इससे संगठन के प्रति वफादारी की भावना (Sense of loyalty) में वृद्धि होती है।

(vii) इससे संगठन की संस्कृति (Culture) परम्परा (Traditions) एवं लक्ष्य (Goals) कर्मचारियों की समझी हुई रहती है, अतः कर्मचारी पूर्ण निष्ठा व लगन के साथ कार्य करते हैं।

(viii) कर्मचारियों की निष्ठा, प्रतिबद्धता तथा कार्यक्षमता में वृद्धि होने से भविष्य में उत्पन्न रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया आसान हो जाती है।

आन्तरिक स्रोत की भर्ती से हानि (Disadvantages of Internal Sources of Recruitment)-

आन्तरिक स्रोत की भर्ती के कई दोष भी हैं:

(i) आन्तरिक भर्ती के स्रोत का सबसे बड़ा अवगुण यह है कि बहाली के समय आन्तरिक राजनीति (Internal Politics) का प्रवाह होने लगता है और पक्षपात या भाई-भतीजावाद की प्रवृत्ति बढ़ती है, अतः भर्ती और चयन की प्रक्रिया अपने सही मार्ग से भटक जाती है।

(ii) आन्तरिक भर्ती के स्रोत नयी योग्यता, नये तथा अच्छे प्रतिभा (Talents) को आने से रोकती है और वर्तमान प्रतिभा से ही संगठन को कार्य का संभालन करना पड़ता है। अतः विकास की तीव्र सम्भावनाएं अवरुद्ध हो सकती है।

(iii) इस प्रक्रिया में वैसे लोग की पदोन्नति की नीति के कारण पदधारक बन जाते हैं जो वास्तव में उस पद के योग्य नहीं होते और इसका प्रभाव संगठन के ऊपर प्रतिकूल पड़ता है।

(B) बाह्य स्रोत (External Sources)

भर्ती के बाह्य स्रोत काफी महत्वपूर्ण स्रोत है। इस स्रोत के माध्यम से रिक्त पदों पर उन नौकरी तलाश करने वाले व्यक्तियों को आकर्षित किया जाता है, जो संस्था से पहले से जुड़े नहीं रहते हैं। वाह्य स्रोत का व्यापक क्षेत्र होने के कारण अधिक योग्य आवेदक का चयन सम्भव हो पाता है भर्ती के बाह्य स्रोत के अन्तर्गत निम्नलिखित तरीकों को शामिल किया जा सकता है:

  1. विज्ञापन (Advertisements)- बाह्र भर्ती का सबसे महत्वपूर्ण तथा प्रचलित तरीका विज्ञापन है। विज्ञापन के माध्यम से कुशल एवं योग्य मानव संसाधन को प्राप्त किया जा सकता है। इस पद्धति में कम्पनियाँ रिक्त पदों की सूचना विज्ञापन देने वाली एजेन्सियों, समाचार- पत्रों, रेडियो, टेलीविजन, इन्टरनेट आदि पर प्रकाशित करती है जिसके आधार पर आवेदक अपना आवेदन देते हैं। कम्पनियों के अधिकांश उच्च पद इन्हीं माध्यमों से भरे जाते हैं। विज्ञापन के अंतर्गत नियोक्ता रिक्त पदों की सूचना के साथ-साथ कम्पनियों के बारे में कार्य के बारे में कार्य विशिषता जैसे- उम्र, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, पूर्व का अनुभव, योग्यता, सम्भावित वेतन एवं सुविधाएँ आदि के बारे में स्पष्ट रूप से दी जाती है ताकि अभ्यर्थी विज्ञापनों के आधार पर संगठन को अच्छी तरह समझ सकें। प्रायः विज्ञापन स्थानीय, राज्यस्तरीय तथा राष्ट्रीय स्तर के समाचार- पत्रों में अपनी आवश्यकता के अनुसार दिये जाते हैं। रोजगार समाचार (Employment news) सरकार का एक महत्वपूर्ण प्रकाशन है, जो रोजगार के बारे में सूचनाएँ प्रदान करता है। उसी प्रकार विभिन्न समाचार पत्र, पत्रिकाएँ विशेषकर व्यावसायिक पत्रिकाएँ या पेशेवर पत्रिकाएँ, डाटाक्वेस्ट (Data quest) कम्प्यूटर पेशेवर के लिए, बिजिनेस टूडे (Business Today) प्रबन्धकों के लिए आदि प्रचलित माध्यम हैं। रेडियो, टेलीविजन तथा इन्टरनेट आदि इन दिनों विज्ञापन का प्रचलित साधन बन गया है। विज्ञापन के द्वारा अधिक संख्या में आवेदन प्राप्त किए जाते हैं जिससे कम्पनियों को अधिक योग्य व्यक्तियों का चयन करने में आसानी होती है। एक अच्छे विज्ञापन के लिए:

AIDA का प्रयोग किया जाना चाहिए।

A- Attract the readers Attention.

I – Generate Interest in the vacancy.

D- Create Desire for the job.

A- Stimulate the readers to take Action.

  1. रोजगार नियोजनालय-सार्वजनिक एवं निजी (Employment Exchange- Public and private) रोजगार नियोजनालय केन्द्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा स्थापित एक कार्यालय है जहाँ नौकरी के इच्छुक व्यक्ति अपना सम्पूर्ण विवरण देकर नियोजनालय में अपना नाम दर्ज या पंजीकृत करवा लेता है। नियोजनालय पंजीकृत होने वाले आवदकों को पंजीकरण प्रमाण-पत्र जारी करता है। कम्पनियों में जब रिक्तियाँ होती हैं तो वह नियोजनालय को सूचित करता है और नियोजनालय अपने यहाँ पंजीकृत आवेदकों की एक लम्बी कम्पनियों को भिजवा देता है। कम्पनियाँ उनमें से योग्य आवेदकों का चयन कर चयनित उम्मीदवारों की सूचना नियोजनालय को देती है। नियोजनालय आवेदकों को भी सूचित करता है कि उनका नाम अमुक कम्पनियों में चयन हेतु भेजा गया है। हालांकि इन दिनों रोजगार कार्यालय या नियोजनालय बहुत प्रभावी नहीं रह गया है।
  2. शैक्षणिक संस्थाएँ एवं अहाता (शिविर) भर्ती (Educational Institutions and Campus Recruitment) इन दिनों शैक्षणिक संस्थाएँ एवं शिविर भर्ती का प्रचलन बढ़ता चला जा रहा है। इसके माध्यम से कम्पनियां व्यावसायिक स्कूल, कॉलेज, तकनीकी कॉलेज एवं संस्थाओं तथा विश्वविद्यालयों आदि से सम्पर्क स्थापित करती हैं और उनके अहाता में शिविर लगाकर अन्तिम वर्ष के छात्रों का चयन करती हैं। कैम्पस भर्ती में कुशल एवं योग्य उम्मीदवार कम व्यय तथा कम लागत पर उपलब्ध हो जाते हैं। विद्यार्थियों में भी कैम्पस नियुक्ति की बड़ी होड़ लगी रहती है। भारतीय तकनीकी संस्थान (IITs), भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIMS), टाटा इन्स्टीटयूट ऑफ सोशल साइन्स (TISS), जेवियर लेबर रिसर्च इन्स्टीटयूट (XLRI), आदि देश के अधिकांश प्रतिष्ठित संस्थानों व विश्वविद्यालयों में शिविर नियुक्तियाँ चल रही हैं।
  3. कारखाना गेट (Factory Gate)- कारखाना गेट पर नियुक्ति प्रायः आकस्मिक श्रमिक (Casual Labour), तथा अकुशल श्रमिक (Unskilled Labour) आदि के उपयुक्त माना जाता रहा है। इस पद्धति में नौकरी पाने वाले व्यक्ति कारखाने के गेट पर पहुंचते हैं और उनमें से कम्पनियाँ अपनी आवश्यकता के अनुकूल श्रमिकों को गेट के भीतर कार्य हेतु बुला लेती है। इस प्रकार श्रमिक को ‘आकस्मिक आगन्तुक’ (Casual Callers) या ‘बदली श्रमिक’ भी कहा जाता है। इन दिनों इसका प्रचलन घट गया है, किन्तु कुछ एक उद्योगों जैसे- ईट भट्टा, भवन निर्माण, पत्थर तोड़ने आदि उद्योगों में यह आज भी काफी प्रचलन में हैं।
  4. ठेकेदार एवं दलाल (Contractors and Jobbers) इन दिनों इसका प्रचलन बढ़ता चला जा रहा है। ठेकेदार एवं दलाल श्रमिकों का एक पूल बनाकर अपने पास रखता है और वह विभिन्न कम्पनियों, संस्थाओं आदि से सम्पर्क स्थापित करता रहता है। जिन कम्पनियों को श्रमिकों की आवश्यकता होती है वह ठेकेदारों से संविदा करके रमिकों को उनके पास भेज देता है। श्रमिकों को वेतन या मजदूरी ठेकेदार एवं दलाल प्रदान करता है, किन्तु कम्पनियों से उन कार्यों के बदले में राशि ठेकेदार प्राप्त करता है। ठेकेदार अधिक दर पर राशि प्राप्त करता है और कम दर से श्रमिकों को भुगतान करता है। बीच का अन्तर ही उनका लाभ माना जाता है। निर्माणधीन उद्योगों तथा सिक्यूरिटी सेवाओं में इसका प्रचलन अधिक है।
  5. श्रम संघ (Trade Union) – श्रम संघ भी बाह्य भर्ती का एक साधन है। श्रम संगठन संस्थाओं से अपना सम्पर्क बनाये रखती है और जहाँ कहीं भी पद रिक्त होता है या नये बहाली के अवसर सृजित होते हैं वहाँ वह श्रमिकों को नियुक्त करवाता है। प्रायः छँटनी ग्रस्त श्रमिकों को नियोजित कराने का प्रयास श्रम संघ करता है ताकि उनकी संघ की शक्ति बनी रहे। पहले जबकि श्रम संघ काफी मजबूत स्थिति में था तब यूनियन शॉप (Union Shop) या बन्द शॉप (Closed Shop) के माध्यम से श्रम संघ श्रमिकों की भर्ती कराता था, किन्तु आज वह प्रचलन में नहीं है।
  6. पेशेवर संघ (Professional Associates)- पेशेवर संघ भर्ती का उत्तम माध्यम है। प्रत्येक देश में विभिन्न प्रकार के पेशे के लिए विभिन्न प्रकार के पेशेवर संघ की स्थापना की गई है। विभिन्न प्रतिष्ठित तकनीकी एवं पेशेवर संस्थाओं के द्वारा शिक्षित प्रशिक्षित व्यक्ति पेशेवर संगठनों से जुड़कर अपना सूचीकरण करा लेते हैं और उस संघ के माध्यम से रोजगार की तलाश करते हैं। देश में प्रचलित कई पेशेवर संस्थाएँ जैसे- भारतीय प्रबन्ध संस्थान, भारतीय चार्टर्ड लेखाकार संस्थान, कम्पनी सचिव संस्थान, बैंक प्रवन्धक का राष्ट्रीय संस्थान, व्यावसायिक शिक्षा संस्थान, भारतीय मेडिकल संस्थान, नेशनल इन्स्टीटयूट ऑफ परसोनेल मैनेजमेन्ट (NIPM) आदि ऐसे संस्थान हैं, जो योग्य एवं कुशल विशिष्ट शिक्षा वाले व्यक्तियों का शिक्षित-प्रशिक्षित करने के साथ-साथ उनके भर्ती का भी मार्ग प्रशस्त करते हैं।
  7. दूसरे संगठन से प्रति नियुक्ति (Deputation from other Organisation)- कभी-कभी विशिष्ट प्रकार की योग्यता रखने वाले कुशल एवं योग्य व्यक्तियों को प्रति नियुक्ति के आधार पर विशिष्ट कार्यों के लिए तथा निश्चित समय के लिए दूसरे संगठनों से बुलाया जाता है तथा समय पूरा होने पर या कार्य पूरा हो जाने पर उन्हें मूल स्थानों पर भेज दिया जाता है। इस विधि से फर्म को योग्य एवं कुशल कर्मचारी तुरन्त मिल जाते हैं।
  8. सलाहकार (Consultants)- विभिन्न विधायनों से युक्त अपनी विशिष्टता रखने वाले व्यक्ति सलाहकार का कार्य करते है और वह विभिन्न संस्थाओं एवं कम्पनियों के लिए सलाहकार का कार्य करते हैं। इन दिनों इस प्रकार के कार्यों का प्रचलन अधिक है। प्रायः अधिकांश कम्पनियाँ विभिन्न प्रकार के सलाह लेने के लिए विभिन्न प्रकार के सलाहकारी फर्मों या व्यक्तियों से स्थायी या अस्थायी रूप से सम्पर्क रखती हैं और उनका लाभ लेती हैं।
  9. अधिग्रहण एवं विलय (Acquisition and Merger)- पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में तथा भूमण्डलीकरण के युग में कम्पनियों का वैश्विक प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति में कम्पनियों का अधिग्रहण एवं विलय प्रमुखता पर है। ऐसे अधिग्रहण एवं विलय में कम्पनियाँ सम्पत्तियों एवं दायित्वों के साथ मानव संसाधन का भी अधिग्रहण एवं विलय करती है ताकि कम्पनियों की ख्याति बनी रहे और योग्य एवं अनुभवी मानव संसाधन का लाभ प्राप्त होता रहे।
  10. प्रतियोगी परीक्षाएँ (Competitive Examinations)- आज देश में विभिन्न प्रकार की सेवाओं के लिए विभिन्न प्रकार के बोडों, आयोगों या संस्थाओं के द्वारा प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित कर योग्य एवं कुशल व्यक्तियों का चयन किया जा रहा है। विशेषकर सरकारी सेवाओं में राज्य स्तर पर तथा केन्द्र स्तर पर विभिन्न प्रकार की सेवाओं के लिए प्रतिवर्ष प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की जाती है और योग्य अभ्यर्थियों की सूची बनाकर आवश्कतानुकूल भर्ती की जाती है। जैसे- बैंकिंग सेवा भर्ती बोर्ड, स्टाफ-चयन आयोग, मिलिट्री इन्जीनियरिंग सेवाएँ, राज्य सेवा परिषद आदि।
  11. नियोजन ऐजेन्सियाँ (Placement Agencies)- इन दिनों नियोजन ऐजेन्सियाँ भर्ती की दिशा में काफी सक्रिय हैं। नियोजन ऐजेन्सियाँ विभिन्न कम्पनियों से सम्पर्क स्थापित कर रिक्तियों की सूचना अपने पास रखती है। नौकरी की तलाश करने वाले व्यक्ति अपना सम्पूर्ण विवरण नियोजन ऐजेन्सियों देकर रखती है अर्थात उनका भी वहाँ रजिस्ट्रेशन किया रहता है जब भी कोई उपयुक्त अवसर आता है। नियोजन ऐजेन्सियाँ उन अभ्यर्थियों को सूचित कर बुलाती हैं और कम्पनी के प्रतिनिधियों के द्वारा साक्षात्कार आदि करवाकर योग्य अभ्यर्थियों का चयन कर लेती है। नियोजन ऐजेन्सी इस कार्य के लिए अभ्यर्थियों से कुछ निर्धारित फीस भी चार्ज करती है तथा कम्पनियाँ भी उन्हें इस कार्य के लिए कुछ राशि प्रदान करती हैं।
  12. वर्तमान कर्मचारियों की सिफारिशें (Recommendation of Present Employees) यह भी भर्ती का एक उत्तम माध्यम है, जिसमें वर्तमान कर्मचारियों द्वारा रिक्तियाँ होने पर उनकी अनुशंसा के आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है। प्रायः इसके माध्यम से वर्तमान कर्मचारियों के परिचित व्यक्तियों, मित्रों, सम्बन्धियों आदि की नियुक्ति की जाती हैं। इससे कर्मचारियों की संतुष्टि में वृद्धि होती है कि उनके द्वारा सिफारिश किए गये व्यक्तियों का चयन किया गया।
  13. बाहरी स्रोत (Outsourcing)- बाहरी स्रोत (Outsourcing) भर्ती की नवीनतम प्रवृत्ति (New Trends) हैं। इन दिनों आउट सोर्मिंग का प्रचलन बढ़ रहा है। देश में आउटसोर्सिंग करने वाली कई कम्पनियाँ स्थापित की गई हैं, जो देश व विदेश दोनो जगहों पर कर्मचारियों की नियुक्ति व प्रतिनियुक्ति करती हैं। प्रायः इस प्रकार की कम्पनियाँ दूसरी कम्पनियों से सम्पर्क स्थापित कर विभिन्न प्रकार के कार्य (Job) हासिल करती हैं, या उससे समझौता (Agreement) कर निश्चित उद्देश्य व निश्चित तिथि के लिए अपने द्वारा नियुक्त कर्मचारियों को उस कम्पनी में प्रति नियुक्त करती है। जहां से उनका समझौता रहता है। आउटसोर्सिंग करने वाली कम्पनी श्रमिकों/कर्मचारियों का पूल (Pool) बना कर रखती है और उन कर्मचारियों का वेतन भुगतान वह स्वयं करती है, जबकि जिस स्थल पर कर्मचारियों की प्रति नियुक्ति की जाती है, उन कम्पनियों से समझौता राशि (Contract amount) वह कम्पनी स्वयं प्राप्त करती है। ये कम्पनियाँ सेवा क्षेत्र (Service Sector) में ज्यादा प्रचलन में है। समझौता की अवधि या कार्य पूरा हो जाने पर यह कर्मचारी अपने मूल कम्पनी को रिपोर्ट करता है। आज इस क्षेत्र में बड़ी- बड़ी कम्पनियाँ लगी है और भर्ती का सबसे व्यापक माध्यम बन गया है।
  14. वेबसाइट व ई-भर्ती (Website or e- Recruitment)-आज बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ वेबसाइट और ई-मेल को नियुक्ति का स्रोत बना रही हैं। कम्पनियाँ अपने वेबसाइट पर रिक्तियों का विज्ञापन दे देती हैं और नौकरी की तालश करने वाले इन विज्ञापनों को देखकर वेबसाइट या ई-मेल के माध्यम से अपना सी. वी. (Curriculum Vitac) कम्पनी को भेज देते हैं। कम्पनियाँ उनमें से उपयुक्त व्यक्तियों को बुलाकर बहाली को प्रक्रिया पूरी करती है। यह बहुत ही उपयुक्त एवं सस्ती पद्धति है और इस समय में बहाली की प्रक्रिया प्रारम्भ की जा सकती है।
  15. अन्य स्त्रोत (Other Sources) – उपयुक्त माध्यमों के अतिरिक्त भी भर्ती के कई स्रोत हैं। जैसे- अधिशासी खोज संस्थाएँ (Executive Search Agencies), कार्य चाहिए विज्ञापन (Job wanted Advertisement), निवृत्त सैनिक कर्मचारी (Retired Military Personnel), अंशकालीन कर्मचारी (Part time employees), लोक सेवा आयोग (Public Service Commission) आदि ।

बाह्य स्त्रोत के लाभ (Advantages of External Sources)-

बाह्य स्रोत की भर्ती के निम्नलिखित लाभ है

(i) बाहरी स्रोत से संगठन को कुशल, योग्य, प्रतिभावान तथा प्रशिक्षित व्यक्तियों का चयन करने में सुविधा होती है।

(ii) नये कर्मचारी संगठन में समर्पित भावना से तथा पूर्ण क्षमता के साथ कार्यों का निष्पादन कर सकते है।

(iii) संगठन में बाह्य स्रोत की भर्ती से किसी को किसी प्रकार का गिला शिकवा नहीं रहता है और संगठन में मधुर सम्बन्ध स्थापित होता है।

(iv) वाह्य स्रोत की भर्ती में संगठन सरकार के भर्ती के नियमों का भी अनुपालन शीघ्रता से कर पाती है।

(v) भर्ती में आन्तरिक राजनीति को रोका जा सकता है।

(vii) बाह्य स्रोत से कम्पनियों को भर्ती के लिए वृहत क्षेत्र (Wider Scope) मिल जाता है और वह सही कार्य के लिए सही व्यक्तियों का चयन कर पाता है।

बाह्य स्त्रोत की हानियाँ (Disadvantages of External Sources)-

बाह्य स्रोत की भर्ती की निम्नलिखित हानियाँ हैं :

(i) बाह्य स्रोत की भर्ती अधिक समय, अधिक जटिल तथा अधिक खर्चीली पद्धति है।

(ii) बाह्य स्रोत की भर्ती से वर्तमान कर्मचारियों का मनोबल कम होता है, क्योंकि इसमें उनके मित्रों, रिश्तेदारों या परिचितों को अवसर नहीं मिल पाता है।

(iii) इससे वर्तमान कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है, क्योंकि नये प्रतिभा के साथ उनका प्रतियोगिता करनी पड़ती है।

(iv) इसमें कभी-कभी उचित व्यक्ति का चयन नहीं हो पाता है, क्योंकि सम्पूर्ण दृष्टि से कर्मचारियों की पहचान करना कठिन कार्य है।

(v) बाहरी स्रोत की भर्ती में वर्तमान कर्मचारियों की कोई जिम्मेदारी नहीं रहती है, अतः उन कर्मचारियों की गारण्टी कोई संस्था का व्यक्ति नहीं ले पाता है।

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About the author

Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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