भारत में शैक्षिक वित्त की समस्याएँ

भारत में शैक्षिक वित्त की समस्याएँ | भारत में शैक्षिक वित्त का समाधान

भारत में शैक्षिक वित्त की समस्याएँ | भारत में शैक्षिक वित्त का समाधान

इस पोस्ट की PDF को नीचे दिये लिंक्स से download किया जा सकता है। 

शिक्षा अपने आप में एक मंहगा निवेश है इसलिए जब शिक्षा से सम्बन्धित नीति बनाई जाती है तो उसके क्रियान्वयन के लिए बहुत समझदारी की आवश्यकता होती है। शिक्षा के प्रसार के लिए न केवल प्रचुर मात्रा में धन की आवश्यकता होती है अपितु बौद्धिक रूप से भी कुशल श्रम की आवश्यकता होती है इसलिए केवल संख्या के हिसाब से ही शैक्षिक संस्थाओं को बढ़ाने से लाभ नहीं है अपितु उनकी गुणवत्ता के स्तर बढ़ाना भी आवश्यक है। गुणात्मक स्तर में वृद्धि करने के लिए अच्छे, कुशल व प्रशिक्षित अध्यापक, अच्छे पुस्तकालय, आधुनिक प्रयोगशालायें, कम्प्यूटर-लैब, खेल के मैदान होने आवश्यक हैं इन सभी पर पर्याप्त मात्रा में धन व्यय होता है यदि इन सब पर धन को व्यय न किया जाए तो शिक्षा की गुणवत्ता में कमी हो जाती है जो अधिक हानिकारक होती है। इसलिए केवल अधिक शिक्षण संस्थाएँ खोलकर संख्या बढ़ाने से ही कार्य नहीं होगा अपितु उनमें व्यय करके उन्हें उन्नत भी बनाना होगा।

प्रमुख समस्या यह है कि शिक्षा के मद में व्यय करने के लिए धन कहाँ से आये। बहुत से राष्ट्रों में कर लगाकर शिक्षा वित्त की समस्या का समाधान करते हैं। विशेषकर यह प्रणाली विकसित राष्ट्रों में अधिक प्रचलित है। इन राष्ट्रों में शिक्षा के उत्थान के लिए शिक्षा कर लगाया जाता है। जहाँ तक भारत की समस्या का प्रश्न है हमारे यहाँ शिक्षा के लिए वित्त विदेशी सहायता के ऊपर काफी हद तक निर्भर करता है। विदेशों से प्राप्त होने वाले अनुदान से तथा राष्ट्रीय आय के एक हिस्से को पंचवर्षीय योजना में सम्मिलित कर शैक्षिक कार्य हेतू प्रयोग किया जाता है।

इस सम्बन्ध में नयी शिक्षा नीति भी प्रमुख हैं। इस नीति में स्वयं ने यह स्वीकार किया कि उसके पास आर्थिक संसाधन कम पड़ जाते है क्योंकि बहुत सा धन बढ़ती हुई जनसंख्या की अन्य मूलभूत आवश्यकतायें पूरा करने में व्यय हो जाता है। इस समस्या को हल करने लिए बहुत से लोगों ने तथा संगठनों व संस्थाओं ने अपने-अपने सुझाव सरकार को दिये परन्तु सरकार ने किसी प्रकार का शिक्षा कर लगाने आदि की बात को स्वीकार नहीं किया तथा इरा सम्बन्ध में निजी संगठनों को आमंत्रित किया जो धन अपने निजी स्रोतों से जुटायेंगे तथा शिक्षा संस्थाओं का निर्माण करेंगे। हालांकि इस नीति से इस प्रकार की शैक्षिक संस्थाओं की संख्या में वृद्धि होने की आशंका व्यक्त की गई जो मनमानी लेंगे तथा धन लेकर ही प्रवेश देंगे लेकिन इससे कुछ सीमा जक शैक्षिक वित्त की समस्या हल हो जाने की आशा है। इस क्षेत्र में निवेश के लिए उद्योगपतियों को आमंत्रित किया जायेगा जो सरकार पर किसी प्रकार का वित्तीय भार न डालें। इस प्रकार शिक्षा वित्त की समस्या हमारे राष्ट्र की शैक्षिक क्षेत्र में एक प्रमुख समस्या है। राष्ट्र की अन्य आवश्यकताएँ इतनी ब़ी है कि सरकार के पास शिक्षा में निवेश के लिए धन ही नहीं बच पाता है।

For Download – Click Here (भारत में शैक्षिक वित्त की समस्याएँ | भारत में शैक्षिक वित्त का समाधान)

यदि आपको शैक्षिक क्षेत्र में किसी पुस्तक या किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता है, तो कृपया हमें टिप्पणी बॉक्स में बताएं, हम जल्द ही उस समस्या को हल करने का प्रयास करेंगे और आपको बेहतर परिणाम देंगे। हम निश्चित रूप से आपकी मदद करेंगे।

शिक्षाशस्त्र –  महत्वपूर्ण लिंक

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- sarkariguider@gmail.com

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *